मेरा प्यारा देवर - 3

 

हेल्लो दोस्तो,, मैं आपकी प्यारी सेक्सी और हॉट कोमल भाभी आपकी सेवा में फिर से हाजिर हूँ,,,
आपने मेरा पिछला किस्सा 

मेरा प्यारा देवर - 2

तो पढ़ ही लिया है,, जिस में मैनें बताया था की कैसे मैनें भोले देवर विकास को पटाकर उस से अपनी चूत की चुदाई करवाई थी,, अब उस से आगे का किस्सा भी बताती हूँ,,, 


उस दिन विकास ने मेरी तीन बार चुदाई की और फिर सास ससुर के आने का समय हो गया,, उस के बाद विकास को जब भी मौका मिलता वो कभी मेरे चुचों को तो कभी मेरी गांड को दबा देता,, 

कई बार मेरे सास ससुर बाहर आँगन में होते तो वो अंदर आकर मेरे होंठों को चूसने लग जाता और कई बार तो किचन में आकार मुझे पीछे से पकड़ लेता,, जितना वो पहले शर्मिला था,, अब उतना ही तेज हो गया था,,,

ससुर जी तो अकसर बाहर खेतों में चले जाते मगर सासू माँ सारा दिन घर में रहती,, बीच में कभी कभी आस पड़ोस में जाती तो विकास मुझे कमरे में लिजा कर खड़े खड़े ही मुझे घोड़ी बना लेता और पीछे से मेरी चूत में लंड घुसेड देता,, मगर अभी हम झड़ भी नही पाते की फिर से सास आ जाने के डर से वो लंड बाहर निकाल लेता,, इस तरह से हम कभी कभी आधी अधूरी सी चुदाई कर लेते,,

एक दिन मैनें घर की सफाई करनी थी तो मैनें विकास से पहले से ही प्लेनिंग कर ली,, और सासू माँ के सामने विकास को पुकारते हुए कहा - विकास,,,, घर की सफाई करने में तुम मेरी मदद करोगे क्या,,

तो वो बोला - हाँ भाबी,, ज़रूर करूँगा,, आप बोलिए मुझे करना क्या है,, 

तो मैनें कहा - कुछ ज़्यादा नही,, छत में लगे हुए जाले साफ करने हैं और दीवारों पर लगी हुए तस्वीरें साफ करनी हैं,,
वो बोला - ठीक है,, भाबी,, कर दूँगा,,, मगर इस से कमरों के अंदर धूल मिट्टी बहुत उडेगी,,, और मौसी की तबीयत तो पहले से ही खराब रहती है,, 

विकास की बात का जवाब देते हुए मेरी सास ने कहा - कोई बात नही विकास बेटा,, तुम सफाई कर लेना,, मुझे कुछ नही होगा,,,

मगर मैनें फिर सासू माँ की बात को काटते हुए कहा - नही मॅमी जी,, विकास सही बोल रहा है,, धूल मिट्टी से आपकी तबीयत फिर से खराब हो सकती है,, ऐसा करना आप थोड़ी देर के लिए चाची जी के घर चले जाना,,,

मगर सासू माँ ने कहा - नही बहू,, तुम अंदर सफाई कर लेना,,, मैं बाहर आँगन में पेड़ के नीचे बैठ जाऊंगी,, वैसे भी वहाँ बहुत ठंडी हवा आती है,,,

अब मैं सासू माँ को ज़्यादा ज़ोर भी नही दे सकती थी,, मैनें उनको आँगन में ही पेड़ के नीचे चारपाई लगा कर दे दी,, और वो चारपाई पर लेट गयी,, ससुर जी पहले से ही खेत में गये हुए थे,,

मैं और विकास दोनों अंदर चले गये,, खिड़कियाँ बंद थी,, और पर्दे भी लगे हुए थे,,, इस लिए बाहर से अंदर कुछ नही दिख सकता था,, मगर अंदर से बाहर हम सब देख सकते थे,,

पहले मैं विकास को अपने रूम में ले गयी,, यहा विकास ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए,, मैं भी विकास का साथ देने लगी,, वो मेरी गांड और मम्मो को मसलने लगा,, 

मैनें उस दिन पजामा और टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे से पैंटी और ब्रा कुछ नही पहना था,, जिस कारण वो मेरे चुतड़ों को ज़्यादा अच्छे से पकड़ और मसल पा रहा था,, हम बाहर भी ख़याल रखे हुए थे,, ताकि सासू माँ उठकर अंदर ना आ जाएँ,,

विकास का लंड एक दम तना हुया था और वो अपना लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था,, फिर उस ने मेरे पजामे को नीचे सरका दिया और अपना पजामा भी नीचे सरकाते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया,, उसका लंड मेरी चूत के मुँह पर टकराने लगा,, मैं अपना पजामा अपनी झंघों तक करते हुए खड़े खड़े ही उसके सामने घोड़ी बन गयी,, और थोड़ा सा परदा उठा कर सासू माँ की तरफ भी देखने लगी,, 

विकास ने भी खड़े खड़े ही अपना लंड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया,, उसका लंड मेरी गीली चूत में कुछ ही पलों में घुस गया,, और फिर वो मेरी कमर को पकड़ कर मुझे पीछे से ज़ोर ज़ोर के झटके मारने लगा,,

वो मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरे झूलते हुए मम्मो को भी पकड़ कर मसल रहा था और मैं यहाँ अपनी चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी वही सासू माँ का भी पूरा ख़याल रखे हुए थी,, फिर उसने मुझे घूमने के लिए कहा और मेरे सामने आते हुए उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया,,,

मगर मेरा पजामा अभी भी मेरी झंघों पर था जिस से प्रेशानी हो रही थी,, मैनें झट से अपना पजामा एक टाँग से निकाल दिया और विकास ने फिर से मुझे अपनी गोद में उठा लिया,, और फिर से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड कर नीचे से ही मुझे धक्के लगा लगा कर चोदने लगा,,, मैं भी उसके गले में बाहें डाले हुए उसके लंड पर उछल उछल कर उस से चुदने लगी,,

बीच बीच में हम बाहर भी झाँक लेते,, सासू माँ आराम से लेटी हुई थी,, उनको क्या पता था की अंदर सफाई हो रही है या चुदाई,,, सासू माँ को आराम से लेटी देख विकास ने मुझे चूत में लंड डाले डाले ही बैड के एक कोने पर लिटा दिया और खुद नीचे खड़ा होकर मुझे ताबड़तोड़ पेलने लगा,, इस बीच हम सासू माँ को नही देख सकते थे,,, मगर हमने कान पूरे खोल रखे थे ता जो थोड़ी सी भी आहट आते ही हम सुचेत हो जाएँ,, आख़िर कुछ देर में ही विकास ने मेरी चूत का पानी निकलवा दिया,, और फिर कुछ देर और विकास ने मुझे चोदते हुए मेरी चूत में ही अपना सारा वीर्य निकाल दिया,,

सारा माल निकालने के बाद भी विकास ने मेरी चूत में अपना लंड अगले पच मिंट और घुसेडे रखा,, फिर उसका लंड डीला हुया तो वो मेरे उपर से उठ कर खिड़की से बाहर झाँकने लगा,, और फिर मुझे सब ठीक होने का इशारा भी कर दिया,, मेरी चूत वीर्य से भरी हुई थी,, मेरे खड़े होते ही वीर्य मेरी चूत से निकल कर मेरी टाँगों पर बहने लगा,, मैनें एक कपड़े से अपनी टाँगें साफ की और अपनी दूसरी टाँग में भी अपना पजामा पहन लिया,, विकास ने भी अपना पजामा उपर चड़ा लिया था,,

अब हम दोनों सफाई करने लगे,, इस बीच भी विकास मेरे पीछे आकर मेरे जिसम के साथ खेलता रहा,, ऐसे ही मज़े करते हुए हम एक कमरे की सफाई करके दूसरे कमरे में चले गये,

वहाँ पर भी हमने सफाई की और उस कमरे में विकास ने मेरे मुँह में अपना लंड भी डाल दिया और मैनें उसे चूसा भी,,, विकास का लंड फिर से खड़ा हो चुका था,, इसी दौरान सासू माँ के आने की आहट हुई तो हम लोग जल्दी से अलग होते हुए तस्वीरों को सॉफ करने में लग गये,,

विकास अपने खड़े लंड को छिपाने के लिए दीवार की तरफ मुँह घुमा कर खड़ा हो गया,, सासू माँ कमरे से कुछ समान लेकर फिर से बाहर आ गयी,, और चारपाई पर बैठ गयी, मैं अपनी कमर झुकाए हुए घोड़ी स्टाइल में खिड़की के परदे में से बाहर झाँक रही थी,, तो विकास फिर से मेरी गांड के साथ अपना लंड रगड़ने लगा,,
और मेरा पजामा नीचे सरका कर मेरी गांड के सुराख में अपना लंड घुसेड़ने लगा,,
अब गांड का सुराख तो इतना टाइट था की उसमें विकास का मोटा लंड इतनी आसानी से घुस पाना नामुमकिन था,,
मैनें विकास को कहा - विकास,,, कहाँ घुसेड रहे हो,,, चूत में डालो ना,,,

वो विकास बोला - नहीं भाबी,, अब मैं आपकी गांड में ही डालूँगा,,
मैनें कहा - बुधु,, इस में ऐसे नही घुसेगा,,, इस में कुछ क्रीम लगानी पड़ेगी,, और वैसे भी मेरी गांड में तुम अपना लंड फिर किसी दिन घुसा लेना, जिस दिन घर पर हम दोनों ही हों,,, 

विकास ने मेरे चुतड़ों को अपने हाथों में दबाते हुए कहा - नही भाबी,,, अगर आज आप चूत चुदवा सकते हो तो गांड भी चुदवा सकते हो ना,, और पता नही,, फिर किस दिन ऐसा मौका मिले,,,

मैनें उसे समझाने की कोशिश की गांड में लंड जाते वक़्त बहुत दर्द होगा,,, मगर वो मानने को तैयार ही नही था,, वो बोला की अगर दर्द होगा तो मैं अपना लंड गांड में से बाहर निकाल लूँगा,,, और आख़िर मुझे उसकी बात माननी ही पड़ी,,,

मगर मैनें उसे कहा की पहले जल्दी से सफाई का काम ख़तम कर लो,, और वो भी जल्दी से सफाई में जुट गया,,, 

अब सिर्फ़ लौबी की सफाई बची थी,, मैने उसे अपने कमरे में से क्रीम लाने को कहा और वो झट से क्रीम ले आया,, मैनें परदे में से बाहर देखा तो सासू माँ चारपाई पर लेटी हुई थी,, फिर मैने विकास से कहा की अब तुम अपनी मौसी की ख़याल रखना,, जब तक मैं तुमसे अपनी गांड चुदवा रही हूँ,,

उसने कहा -  ठीक है भाबी,, मैं ख़याल रखूँगा,

फिर मैं एक सोफे पर घुटनों के बॅल बैठ गयी और आगे झुकते हुए अपना सिर भी नीचे सोफे पर लगा दिया,, जिस से मेरी गांड उपर उठ गयी और उसका सुराख भी खुल गया,,

मैनें विकास को कहा - अब यह क्रीम अपनी उंगली से मेरी गांड के अंदर तक लगा दो और अपने लंड पर भी लगा लो,,

उसने ढेर सारी क्रीम अपनी उंगली से लगाई और अच्छे से मेरी गांड के अंदर तक घुसेड दी,, और कुछ क्रीम अपने लंड पर भी लगा दी,,

फिर मैनें विकास को कहा की अब अपना लंड मेरी गांड में डालो,, और वो अपना लंड मेरी गांड में घुसेड़ने लगा,, हालाकी मैनें अपनी गांड पहले भी चुदवाई थी,, मगर फिर भी विकास का मोटा लौड़ा मेरी गांड में नही घुस पा रहा था,, मैं अपने दोनों हाथ पीछे लिजाकर अपने चुतड़ों को फैलाने लगी,,

विकास ने कुछ और क्रीम मेरी गांड में घुसेड दी और फिर से अपना लंड मेरी गांड में घुसेड़ा,, अब उसके लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के सुराख में घुस गया,, मुझे मेरी गांड में बहुत दर्द होने लगा,, मगर मुझे पता था की यह दर्द कुछ ही देर में कम हो जाएगा,,

विकास का लंड भी मेरी गांड के छोटे से सुराख में फँसा हुया था,, वो भी बोला की भाबी,, सच में तुम्हारी गांड तो बहुत टाइट हैं,,

मैनें कहा - विकास,, अब ऐसे ही डाले रखो,, देखना कुछ ही देर में यह भी चूत की तरह खुल जाएगी,,

विकास मेरी गांड में लंड डाले हुए बाहर सासू माँ की तरफ देखता रहा,, और मेरे मोटे मोटे चुतड़ों को मसलने लगा,, मैं भी बीच बीच में उसको सासू माँ के बारे में पूछ लेती,, और वो बोलता - भाबी,, सब ठीक है,,, तुम चिंता मत करो,,

धीरे धीरे दर्द कम होता गया और मैं अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगी,, विकास भी अपने लंड को मेरी गांड में धकेलने लगा,, गांड में लगी हुई क्रीम के कारण लंड आसानी से गांड में घुसने लगा, जैसे जैसे विकास का मोटा लौड़ा मेरी गांड में घुस रहा था,, मेरी गांड का सुराख उतना ही फैलता जा रहा था,, मुझे दर्द तो हा रहा था,, मगर मज़ा भी आ रहा था,,

मैं हल्की हल्की सिसकारियाँ भरने लगी,, मेरा मन तो ज़ोर ज़ोर से कराहने को कर रहा था,, , मगर अब मैं दबी आवाज़ में आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी,, बस उतनी ही जितनी आवाज़ कमरे मे बाहर ना जा सके,,,,

विकास ने अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में घुसेड दिया,,, और मुझसे बोला - भाबी,, पूरा लंड घुस गया आपकी गांड में,, आप तो बोल रही थी,, ऐसे नही जाएगा,,,

मैनें कहा - वो तो उसको पता होगा ना,, जिस की गांड है,, तुम को क्या पता,, 

विकास ने अपने लंड को और आगे धकेलते हुए कहा - हाँ भाबी,, वो तो है,, मगर जो भी है भाबी,, तुम बहुत अच्छी हो,, और तुम्हारी गांड और चूत भी बहुत ही लाजवाब हैं,,,, 

मैनें मुस्कराते हुए कहा - देवर जी,, हर किसी को ऐसी अच्छी भाबी नही मिलती,, और हर भाबी को भी तुम्हारे जैसा देवर नही मिलता,, जो अपनी भाबी को खुश रख सके,, (ऐसा बोलते हुए मैं अपनी गांड को गोल गोल घुमाने लगी)

विकास भी मेरी कमर को पकड़ कर अपने लंड को आगे पीछे करने लगा,, अब विकास का लंड आसानी से मेरी गांड में अंदर बाहर होने लगा था,, मैनें अपने झुके हुए सिर को उपर उठा लिया और अपनी कमर भी उपर उठा ली,,

विकास अभी भी मेरी कमर को पकड़े हुए मेरी गांड में अपना लंड पेले जा रहा था,, वो एक हाथ से कभी मेरे चुतड़ों को दबा देता और कभी मेरे मम्मो को मसल देता,, तो कभी मेरे लंबे बालों को पकड़ कर मुझे ऐसे चोदने लग जाता जैसे किसी घोड़ी की सवारी कर रहा हो,,

अब मेरी गांड का सुराख विकास के लंड जितना ही खुल चुका था,, और विकास अपना लंड मेरी गांड से पूरा बाहर निकाल कर फिर से गांड में घुसा देता,, गांड में लंड अंदर बाहर होने से मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था,,
कुछ देर तक वो मुझे ऐसे ही घोड़ी बना कर मेरी गांड को चोदता रहा,, उधर सासू माँ फिर से चारपाई से उठ कर अंदर की तरफ आने लगी,, तो विकास ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरी गांड में से बाहर खींच लिया,, और जल्दी से अपना पजामा उपर चड़ा लिया,, मैं भी झट से सोफे के उपर से उठ गयी और मैनें भी अपना पजामा उपर चड़ा लिया,, विकास का पजामा उसके लंड की वजह से किसी तंबू की तरह आगे को उठा हुया था,, वो जल्दी से अपना लंड छुपाते हुए एक कमरे में घुस गया और वहाँ जाकर इधर उधर की सफाई करने लगा,, मैं जल्दी से अपने कपड़ों को ठीक करते हुए सोफे और टेबल की सफाई करने लगी,,
सासू माँ अंदर आकर कमरों की तरफ देखने लगी और बोली - वाह,, तुमने देवर भाबी ने मिलकर आज तो सारे कमरों की सफाई कर डाली,,
मैनें मुस्कराते हुए कहा - हाँ मॅमी जी,, आज विकास जो मेरे साथ लगा है,, इसी लिए सभी कमरों की अच्छे से सफाई हो पाई है,,
सासू माँ भी मुस्कराते हुए बोली - हाँ बहू,, वो तो ठीक है,, मगर विकास से ज़्यादा काम भी मत करवाना,, कही काम से डरता कल ही ना अपने गाँव भाग जाए (तब तक विकास भी अपने लंड को सैट करके कमरे से बाहर आ गया)
मैनें विकास की तरफ देखते हुए और मुस्कराते हुए कहा _ नही मॅमी जी,, अभी तो विकास को 1-2 महीने और रखेंगे हम,, इतनी जल्दी नही भागने देते इसको,, क्यों विकास,,, भाग तो नही जाओगे,,,
विकास भी मुस्कराता हुया बोला - नही भाबी,, मैं नही भागता,, आप जब तक कहोगे, मैं तब तक यही रहूँगा,,,
ऐसे ही बातें करते हुए सासू माँ कुछ देर तक हमारे पास खड़ी रही और फिर मैंने उनको बातों ही बातों में कहा - मॅमी जी,, आप यहाँ धूल मिट्टी में खड़े रहने की बजाए बाहर आराम कीजिए, मैं जल्दी ही सफाई का काम निपटा कर आपके लिए चाय लाती हूँ,, तो सासू माँ फिर से बाहर आकर चारपाई पर लेट गयी,,

सासू माँ के बाहर जाते ही विकास फिर से मेरे पास आ गया और मेरे पजामे को नीचे सरकता हुया बोला - भाबी,, जल्दी करो,, जल्दी से आपकी गांड में अपना माल निकाल देता हूँ,, 

मैनें कहा - ठीक है,, और फिर मैं अपना एक घुटना सोफे पर लगा कर और एक टाँग नीचे से रख के उसके सामने थोड़ी सी झुक गयी,, विकास ने फिर से अपना लंड पजामे से बाहर निकाला और मेरी गांड में घुसेड दिया,, 

मेरी गांड का मुँह अभी भी पहले जैसे ही खुला था,, तो लंड झट से गांड में घुस गया,, अब विकास और मैं दोनों ही पूरे जोश में एक दूसरे को झटके देने लगे,,

विकास का लंड फिर से पहले जैसे ही हार्ड हो चुका था और ऐसे ही क्रीब दस मिंट तक वो मेरी गांड को अपने लंड से पेलता रहा और फिर जब उसका माल निकलने वाला था तो उसने मेरी गांड से अपना लंड निकाल लिया और मुझे अपना मुँह सामने करने के लिए बोला, मैनें भी अपना मुँह खोल कर उसके लंड के सामने कर दिया और उसका सारा वीर्य मेरे मुँह में गिर गया और में उसका सारा वीर्य पी गयी,, उसका कुछ वीर्य  मेरे बालों में और कुछ नीचे फर्श पर भी गिर गया,, जिस को बाद में मैनें कपड़े से सॉफ कर दिया,,

ऐसे ही विकास जब तक हमारे पास रहा,,, वो मौका देख कर कभी दिन में और कभी रात में मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करता,, और अभी भी जब कभी वो हमारे पास आता है तो उस दिन वो मेरी चुदाई ज़रूर करता है,,, 

तो दोस्तो,, आपको मेरी गांड की चुदाई कैसी लगी मुझे कोमेंट में ज़रूर बताना,,,
मेरी ई-मेल आईडी है - komalpreetkaur29285@gmail.com

आपकी प्यारी भाबी कोमलप्रीत कौर