लेखिका - कोमलप्रीत कौर
हेलो दोस्तो, मेरा नाम कोमलप्रीत कौर है, मेरे पति आर्मी में हैं और मैं अपनी सास और ससुर के साथ जालंधर के पास एक गाँव में रहती हूँ. मेरी उमर 28 साल है और मैं दिखने में बहुत ही खूबसूरत, सैक्शी और हॉट हूँ, मेरी कमीज़ के डीप गले से दिखते हुए मेरे बड़े बड़े मन्मे (बूब्स), मेरी पतली सी लचकीली कमर और मेरी बड़ी सी गोल मटोल गांड और चलते वक़्त उपर नीचे होते मेरे चूतड़ मर्दों के अक्सर ही लंड खड़े कर देते हैं,, और मेरी काली लंबी ज़ुल्फो के तो बहुत सारे दीवाने मुझे चोदने के लिए मेरे आगे पीछे मंडराते हैं,, जिनसे में से बहुत सारे मर्दों ने मुझे चोदा भी है और मुझे भी हमेशा नये नये लंड लेने का शौक है
तो दोस्तो, अब में आपको बताती हू की मर्दों के लंड लेते लेते मैनें कैसे कुते की चुदाई का भी मज़ा लिया है.. अक्सर रात को मैं अपने कंप्यूटर पर पॉर्न मूवी देखा करती थी और एक दिन मैनें एक कुते से चुदाई का वीडियो देखा तो मेरे मन में भी ख़याल आया की क्यों ना मैं भी अपने कुते रोकी से अपनी चुदाई करवा के देखों. मगर सास ससुर के होते हुए यह सब करना मुशकिल था, मगर फिर भी मेरा मन हमेशा रोकी का लंड देखने और उसे पकड़ने के लिए मचलता रहता. इस लिए मैं मौका देखकर रोकी के लंड वाली जगह पर हाथ लगाती तो वो एकदम से चिहुक उठता,, कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा, रोकी को भी इस में मज़ा आने लगा था और वो हमेशा मेरे आस पास ही रहता, अब मैं रोकी का पहले से ज़्यादा ख़याल रखने लगी थी और रोकी भी अपनी पुंछ हिलाता हुया मेरे पावं में आकर बैठ जाता,, मैं अपने पैरों से उसके लंड वाली जगह को घिसरती तो उसका लंड आगे से बाहर निकल आता,,, मगर सास ससुर के डर से मैं रोकी से ऐसा कभी कभार ही कर पाती,,
मगर फिर एक दिन मुझे ऐसा मौका मिल ही गया,, एक दिन सास और ससुर ने किसी रिश्तेदार के यहाँ जाना था और वो सुबह ही घर से निकल गये.. उनको आते आते शाम होने वाली थी,, और मेरे पास रोकी से चुदने के लिए बहुत समय था,, सास ससुर के जाते ही मैनें जल्दी से घर का काम निपटाया और मेन दरवाजा लॉक किया, फिर मैंनें रोकी की तरफ देखा तो वो भी अपनी पुंछ हिलाता हुया मेरी तरफ देखने लगा,, मैं रोकी को पुच्कारने लगी और वो मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे में आ गया. कमरे में जाकर मैं उसको प्यार करते हुए कपड़ों के उपर से ही अपने बदन से चिपकाने लगी, रोकी भी अपनी ज़ुबान निकाल कर मेरे बदन और चेहरे को चाटने लगा,, उसकी खुरदरी ज़ुबान मेरी गर्दन और गालों पर घिसने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं नीचे फर्श पर ही अपनी टांगे खोल कर उसके सामने बैठ गयी और फिर अपनी कमीज़ को उतार फेंका,,
मेरे मन्मे (बूब्स) मेरी ब्रा से आधे बाहर आ रहे थे,,, कसे हुए और उपर को फूले हुए हिस्से को देखकर रोकी झट से मेरे बूब्स की तरफ लपका और बूब्स के उपरी उभार को सूंघने के बाद अपनी खुरदरी ज़ुबान से उसको चाटने लगा,,, अपनी पुंछ को बड़ी उत्सकता से हिलाते हुए रोकी मेरी ब्रा के अंदर अपनी ज़ुबान घुसाने की कोशिश कर रहा था जैसे वो जानता था की असली चीज़ अभी ब्रा के अंदर है,, मैनें रोकी की उत्सकता को देखा और अपने दोनों हाथ पीठ के पीछे ले गयी और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया,,, ब्रा के डीले होते ही रोकी बड़ी तेज़ी से मेरी ब्रा के अंदर अपना मुँह डालकर मेरे बूब्स को सूंघने लगा,, मैनें अपनी ब्रा को दूर फेंक दिया और अपने तने हुए निप्पल रोकी के सामने कर दिए,,, मेरे आज़ाद कबूतरों को देखकर रोकी की आँखों की चमक आ गयी थी,, और वो मेरे निप्पल और मेरे बूब्स को तेज तेज चाटने लगा. मैं भी बड़े प्यार से उसकी पीठ को सहला रही थी और अपने छाती को उसके मुँह पर दबा दबा कर अपने दोनों बूब्स उससे चुसवा रही थी,,, फिर मैनें अपना हाथ उसकी लंड वाली जगह पर लगाया तो उसकी वो जगह मुझे बहुत सखत महसूस हुई,,, मगर अभी तक उसका लंड अपनी सुरंग से बाहर नही निकला था,,, लंड वाली जगह पर हाथ लगते ही रोकी मेरे हाथ की तरफ घूम गया,, और मेरे हाथ को चाटने लगा,,,
मैनें अपने हाथ को पाजामी के उपर से अपनी चूत पर रघड़ना शुरू कर दिया,, मेरी चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी,,,, और पैंटी भी गीली हो चुकी थी,,, और अब उंगलियों से मसलने के कारण मेरी पाजामी भी चूत रस से गीली हो गयी,, जिस की खुश्बू सूंघते ही रोकी मेरी गीली हुई पाजामी को चाटने लगा,,, उफफफफफफफफफफफफफ्फ़,,,,, रोकी के इस तरह से चाटने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था,,,
मैनें अपने हाथ को पाजामी के अंदर घुसाया और वीर्य से भीगी हुई उंगलियाँ रोकी के सामने कर दी,,, रोकी मेरी उंगलियों को भी तेज़ी से चाटने लगा,, और फिर वो असली माल तक पहुँचने के लिए खुद ही मेरी पाजामी के अंदर अपना मुँह घुसाने लगा,,, मगर पाजामी के अंदर उसका मुँह घुसना तब तक मुश्किल था जब तक मैं अपनी पाजामी का नाडा नही खोल देती,,, अब तो मुझे भी रोकी का लंड चूत में लेने की जल्दी हो रही थी,,, इस लिए मैनें बैठे बैठे ही अपनी पाजामी का नाडा खोल दिया और अपने चुतड़ों को उठाकर अपनी पाजामी को नीचे कर दिया और फिर पैरों से भी निकाल दिया,,, अब रोकी के सामने मेरी गीली हुई पैंटी थी,, मैं अपनी दोनों टांगे खोलकर नीचे ही फर्श पर लेट गयी,, रोकी मेरी दोनों टाँगों के बीच में खड़ा था और मेरी पैंटी पर अपनी खुरदरी ज़ुबान तेज़ी से चलाते हुए मेरे वीर्य रस को चाटने लगा,, फिर मैनें अपनी उंगलियों से अपनी पैंटी को भी नीचे सरका दिया और अपनी टाँगें उपर उठा कर अपनी पैंटी को भी उतार फेंका,,,
रोकी भी सयद इसी सुरंग को डुंड रहा था,,, पैंटी उतरते ही रोकी की ज़ुबान मेरी चूत के दोनों होंठों पर रघड़ने लगी,, रोकी की जीभ चूत के दाने पर रघड़ते ही मुझे बहुत मज़ा आने लगा और मैं अपनी चूत को उठा उठा कर रोकी की मुँह पर दबाने लगी,,,, जिस से मेरी चूत का रस फुहारा बनकर रोकी में मुँह पर जा गिरा,, और रोकी को पीने के लिए ढेर सारा मलाई वाला दूध मिल गया, जब रोकी ने देखा की असली माल तो इन दोनों होंठों के बीच में बनी सुरंग से आ रहा है तो उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर घुसकर भी अपना कमाल दिखाने लगी,, मैं नीचे लेटी हुई रोकी के सामने मचल रही थी और अपने दोनों हाथों से अपनी टाँगें खोलकर रोकी से अपनी चूत चटवा रही थी,, फिर मैनें देखा की रोकी के लंड का थोड़ा सा नोकीला हिस्सा बाहर आ चुका था,, मैं समझ गयी थी की अब रोकी मुझे चोदने के लिए बिल्कुल तैयार है,, मैं खड़ी होकर बैड की तरफ जाने लगी तो रोकी भी उछलता हुए मेरे पीछे पीछे बैड पर आ गया,, मैं बैड पर उल्टी होकर कुतिया की तरह झुक गयी ताकि रोकी मुझे कुतिया समझ कर मेरे पीछे चढ़ जाए,,
मगर उसे तो सिर्फ़ मेरी फुदी चाटने में ही मज़ा आ रहा था,, वो मेरी दोनों टाँगों के बीच अपना मुँह घुसाकर मेरी फुदी को ही चाटने लगा,, मैं अपनी गांड हिला हिला कर और कुतिया की तरह बैड पर घूम घूम कर उसे उकसाने लगी ताकी वो मेरी फुदी में अपना तीखा और सखत लंड डाल दे,, मुझे इस तरह से नंगी घूमती देख रोकी का लंड भी झटके मार रहा था,, फिर मैनें अपनी गांड रोकी के सामने करते हुए हिलाई तो रोकी अपनी आगे वाली दोनों टांगे उठा कर मेरी कमर के उपर चढ़ गया,, और अपनी कमर को चुदाई के स्टाइल में हिलाते हुए मुझे चोदने की कोशिश करने लगा,, मगर अभी तक उसका लंड मेरी चूत से नही टकराया था,, इस लिए मैं आगे से और नीचे झुक गयी और अपनी गांड को थोड़ा और पीछे सरका दिया,, जिस से रोकी का लंड मेरी गांड से टकरा गया,, मुझे उसके लंड का नोकीला और गीला हिस्सा अपने चुतड़ों से रगड़ता हुया महसूस होने लगा,, रोकी भी अपनी कमर हिला हिला कर मेरी गांड पर ही अपने लंड के वार करने लगा,, हालाकी उसका लंड अभी किसी भी छेद में नही जा रहा था,, मगर फिर भी वो तेज़ी से अपना लंड इधर उधर ठोके जा रहा था,, मैनें जल्दी से उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसके लंड को अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी,, उसका लंड आगे से बहुत पतला और नोकीला था,, मेरी उंगलियों का सपर्श मिलते ही रोकी को शायद ऐसा लगा की उसका लंड अब चूत में घुस गया है,, इस लिए वो और भी तेज़ी से अपनी कमर को हिलाने लगा और अपने आगे वाले पैरों से मुझे अपनी ओर खीचने लगा,, इन तेज झटकों से मेरे हाथ से भी लंड इधर उधर जा रहा था और चूत में नही घुस रहा था,, मगर फिर अचानक से उसका लंड सही ठिकाने पर टकराया और तेज़ी से उसके लंड का नोकीला हिस्सा मेरी चूत के अंदर घुस गया. अचानक से हुए इस वार से मुझे ऐसा लगा जैसे कोई तेजधार वाला चाकू मेरी चूत में घुस गया हो और मेरी चूत की दीवारें फट गयी हो,, मैनें जल्दी से लंड को छोड़ा और अपना हाथ आगे लगाते हुए गिरते गिरते बची,, उधर रोकी भी अपने आगे वाले पैरों से मुझे खींच रहा था,,, इस लिए मुझे उसका भी सहारा मिल गया,, मगर इतनी देर में रोकी ने एक और ज़ोर का झटका मेरी चूत में लगा दिया और उसका लंड पहले से भी आगे तक मेरी मेरी चूत में घुस गया,, अचानक से हुए इन दो झटकों ने तो मेरी जान ही निकाल दी थी,, और दर्द के मारे मेरे मुँह से आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ भी निकल गयी, शूकर था की घर में कोई नही था,, वरना मेरी ऐसी चीख सुनकर तो सास ससुर जी दौड़े हुए मेरे कमरे में आ जाते,,
रोकी के इन दो बड़े झटकों से ही मैं समझ गयी थी की यह कुत्ता तो मुझे कुत्ते की तरह ही चोदेगा,, इस लिए मैनें जल्दी से अपने आप को संभाला और रोकी के अगले धक्के के लिए तैयार हो गयी,, रोकी ने फिर से अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींचा और एक और दमदार झटका लगाकर मेरी चूत में अपना लंड ठोक दिया,, मेरे मुँह से फिर से आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ निकल गयी,,, रोकी के लंड का नोकीला हिस्सा जब भी मेरी चूत में घुसता तो मेरे मुँह से मीठी सी आह्ह्ह्ह्ह्ह निकल जाती,,,,
अब रोकी अपने सही ठिकाने पर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाता जा रहा था और हर बार उसका लंड मेरी चूत में और भीतर तक घुसता महसूस हो रहा था,, मुझे रोकी से चुदने का बहुत मज़ा आ रहा था,, और मैं भी अपनी चूत को रोकी के धक्कों के साथ आगे पीछे हिला रही थी,, रोकी की ज़ुबान बाहर लटकी हुई थी और उसका मुँह मेरे कंधे के उपर था,, और उसने अपने आगे वाले दोनों पैरों से मेरी कमर को अच्छे से जकड़ा हुया था,, मेरी चूत में रोकी के लंड का नशा घुल चुका था और मैं सिसकारियाँ भरती हुई एक बार और झाड़ गयी..... रोकी का लंड मुझे उन मर्दों से भी ज़्यादा मज़ा दे रहा था जिनसे मैं अब तक चुद चुकी थी,,
मगर अभी एक दर्दनाक हमला रोकी और करने वाला था,, जिस के बारे में मैनें सोचा ही नही था,,,, रोकी का लंड मुझे अब थोड़ा और मोटा होता महसूस होने लगा, मैनें मूवी में भी देखा था की कुत्ते का लंड पीछे से एक गेंद की तरह होता है जो चूत के अंदर घुस जाता है,, मगर इस मोटे गेंद जैसे हिस्से को अपनी चूत में घुस्वाने से मैं घबरा रही थी,, मैनें अपना हाथ दोनों टाँगों के बीच में से पीछे किया और रोकी के लंड को हाथ में पकड़ कर देखा,, सच में अब रोकी का वो मोटा हिस्सा मेरी चूत से टकरा रहा था और रोकी भी उसे पूरे ज़ोर से मेरी चूत में धकेलने के लिए ज़ोर लगा रहा था,, मगर मैं जानबूझ कर ही अपने आप को आगे की तरफ गिराने लगी ताकि रोकी का लंड मेरी चूत से बाहर निकल जाए और मैं उसके मोटे हिस्से को चूत में डलवाने से छूट जाओं...
मगर रोकी को यह सब मंजूर नही था,, वो अपना काम अधूरा नही छोड़ना वाला था,, मुझे आगे की ओर गिरता देख रोकी ने अपने आगे वाले पैरों से मुझे और भी कस के जकड़ लिया और अपने पीछे वाले पैर भी आगे करते हुए मेरी चूत पर और भी दबाव बना लिया,, और मेरी चूत में अपने लंड का मोटा हिस्सा धकेलने के लिए ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. मैं समझ गयी की अब रोकी मेरा बलात्कार करके ही मुझे छोड़ेगा.,, एक बार तो मैनें रोकी के पैरों को पकड़ कर उनसे छूटने की कोशिश भी की मगर जिस तरह से रोकी ने मुझे पकड़ा हुए था उस से मैं डर गयी की कहीं रोकी के नाख़ून मेरे पेट में ना लग जाए,, इस लिए मैनें अब चुपचाप रोकी के लंड का मोटा हिस्सा अपनी चूत में ही घुस्वा लेना ठीक समझा.,,
रोकी अब पहले से भी ज़ोर से झटके मार रहा था और फिर एक दो झटकों के बाद रोकी का वो मोटा हिस्सा मेरी चूत में घुसा हुया मुझे महसूस होने लगा,, मेरी चूत के होंठ मुझे फटते हुए महसूस होने लगे और फिर रोकी के एक और झटके से उसके लंड का मोटा हिस्सा मेरी चूत के अंदर घुस गया,,, अब मेरे मुँह से एक और चीख निकल गयी और मेरी चूत की दीवारें खुल चुकी थी... रोकी ने अपने पैरों की पकड़ डीली छोड़ दी और थोड़ी देर के लिए रुक गया... मुझे उसके लंड का मोटा हिस्सा अपनी चूत में अजीब से महसूस हो रहा था,, मगर वो मोटा हिस्सा चूत में घुसते हुए जितना दर्द हो रहा था,, अब उस से कुछ राहत मिल गयी थी..
मैने फिर से उसका लंड हाथ में पकड़ कर देखा तो उसका खाल वाला हिस्सा ही बाहर था, बाकी सारा लंड मेरी चूत में घुस चुका था,, और मेरी चूत तो पूरी तरह से खुली पड़ी थी.. रोकी ने फिर से मुझे चोदना शुरू कर दिया,, उसका लंड बाहर तो नही आ रा था मगर अंदर ही अपना कमाल दिखा रहा था,,, मेरा दर्द भी अब कम हो गया था और मैं भी उसके लंड को अपनी चूत में घुमा घुमा कर लेने लगी,,, रोकी के झटके फिर से तेज हो चुके थे और उसके झटकों से मुझे पता चल गया था की अब उसका माल छूटने वाला है,, और वो अपना सारा माल मेरी चूत के अंदर ही गिराएगा,,, क्योंकि इतनी जल्दी तो उसके लंड का मोटा हिस्सा चूत से बाहर नही आने वाला,,, फिर रोकी ने एक दो और बड़े झटके लगाए और अपने लंड का सारा माल मेरी चूत में गिरा दिया,,, मैं तो पहले से ही झाड़ चुकी थी,, और अब रोकी के लंड की पिचकारियाँ मुझे अपनी चूत में महसूस हो रही थी,, रोकी बुरी तरह से हाँफ रहा था,,, और हांफता भी क्यों ना,, उसने एक अछा ख़ासा मोर्चा जो जीत लिया था,, उसका लंड अभी भी मेरी चूत में फँसा हुया था और मैं उसके नीचे ज़ोर ज़ोर की साँसे लेते हुए अपनी चूत से लंड बाहरनिकलने का इंतजार कर रही थी,,,,
आख़िर रोकी ने एक ऐसा और काम कर दिया जिस को कुत्ते चुदाई के बाद अक्सर करते हैं,, रोकी ने अपनी आगे वाली दोनों टांगे मेरी कमर से नीचे उतार ली और लंड चूत में डाले हुए ही मेरी उल्टी दिशा में खड़ा हो गया,, जैसे अक्सर ही कुत्ते और कुतिया खड़े दिखाई देते हैं,, रोकी के ऐसा करने से मेरी चूत में भी दर्द होने लगा और मैनें रोकी का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया ताकि उसके लंड का मोटा हिस्सा ज़ोर से निकलने की बजाए धीरे धीरे मेरी चूत से बाहर निकले,, रोकी भी ऐसे ही खड़ा रहा और मैं भी उसके साथ एक कुतिया की तरह उसके लंड के साथ जुड़ी रही,, आख़िर धीरे धीरे उसका लंड डीला होता गया और फिर एक गप्प के आवाज़ से उसका लंड मेरी चूत से बाहर आ गया,,,,जैसे कोई शेमपिन की बोतल खुलती है,,
लंड मेरी चूत से बाहर आते ही मैं बैड पर गिर गयी और रोकी भी कमरे के एक कोने में जाकर बैठ गया, अब मैनें रोकी का लंड लटकता हुआ सॉफ देखा था,,, क्रीब 7-8 इंच का लंड और एक बड़ी बॉल जैसा उसके लंड का वो मोटा हिस्सा,,, उफफफफफ्फ़,,, मुझे तो यकीन नही हो रहा था की मैनें इतना बड़ा लंड अपनी चूत में ले लिया था,, और वो भी एक कुत्ते का,, रोकी अपने लंड को अपनी जीभ से चाट रहा था,, और मैं बैड पर लेटी हुई अपनी चूत से निकल रहे रोकी के माल को चादर से सॉफ कर रही थी,, रोकी का माल इतना ज़्यादा था की बैड की चादर पर एक अछा ख़ासा ढेर लग चुका था
फिर मैं पैरों के बल नीचे फर्श पर अपनी टाँगे फैला कर बैठ गयी,, ताकि मेरी चूत से रोकी का सारा वीर्य बाहर निकल जाए,, रोकी भी मेरी चूत की तरफ देखने लगा,, जिस से उसका ढेर सारा माल अभी निकल रहा था,, मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही बैठी रही और रोकी भी मुझे देखता रहा,,, फिर मैनें पानी पिया और रोकी को भी कटोरी में पानी दिया, और फिर मैं कुछ देर आराम करने के लिए बैड पर लेट गयी,
क्रीब एक घंटे के बाद मैनें देखा तो रोकी का लंड नॉर्मल हो चुका था और मेरी भी थकावट दूर हो चुकी थी,, मैनें टाइम देखा तो अभी भी सास ससुर के आने में 4-5घंटे बाकी थे,, मेरी चूत में फिर से लंड लेने की खुजली होने लगी,, अब की बार मैं अपनी टाँगे फैला कर सोफे पर लेट गयी और रोकी को पुचकारने लगी,, रोकी जो अभी सुस्ता रहा था फिर से खड़ा हो गया और अपनी पुंछ हिलाता हुया मेरी दोनों टाँगों के बीच में आकर मेरी फुदी पर अपनी जीभ रगड़ने लगा,,, मैं तो पहले से ही नंगी पड़ी थी,, फुदी को देखते ही रोकी के लंड वाली जगह झटके मारने लगी और कुछ ही पलों में उसका नोकीला और पतला हिस्सा दिखाई देने लगा,, अब मैं बिल्कुल सीधी लेटी हुई थी,, और में दोनों पैर ज़मीन पर और पीठ सोफे के उपर थी,, मेरी दोनों टाँगें फैली हुई थी और दोनों टाँगों के बीच रोकी खड़ा था,, मैनें फिर से अपनी चूत को उपर नीचे हिलाना शुरू किया तो रोकी ने झट से अपने आगे वाले पैर उठा कर सोफे के उपर रख दिए और मेरे उपर चढ़ गया,, अब की बार रोकी का निशाना क्रीब क्रीब सही लगा,, उसका लंड सीधा मेरी चूत पर ही टकरा रहा था,, जिस को मैनें अपने हाथ से पकड़ कर चूत के बीच घुसेड दिया,, लंड चूत के अंदर जाते ही रोकी अपने पीछे वाले पैरों को आगे सरकाता हुया और मेरे उपर आ गया और उसका लंड भी मेरी चूत में और आगे तक जाने लगा,, अब मैं सीधा उसके लंड अपनी चूत में घुसता हुया देख रही थी,, सच में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था,, उसके लंड का वो नोकीला हिस्सा पहले थोड़ा सा बाहर आता और फिर मेरी चूत के अंदर घुस जाता,, मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी,,, और अब मुझे पहले से भी ज़्यादा चुदने का मज़ा आ रहा था..
फिर रोकी के लंड का वो मोटा हिस्सा भी मेरी चूत के उपर टकराने लगा,,, जिस से अब मुझे डर नही लग रहा था,, बल्कि मैं भी अपनी चूत को और ज़्यादा हिला हिला कर उस मोटे हिस्से को अपनी चूत में लेने लगी,,, और फिर मेरे और रोकी के एक दो बड़े झटकों के साथ वो हिस्सा भी मेरी चूत में समा गया,,, मेरी चूत पहले से ज़्यादा खुली महसूस होने लगी,, मगर जो नशा मेरी चूत में घुल चुका था,, उसका मज़ा में अपनी आँखें बंद करते हुए और अपनी कमर को और ज़ोर ज़ोर से हिला हिला कर लेने लगी,, रोकी भी अपनी कमर को आकड़ाए हुए मेरी चूत में अपना लंड ठुसने में लगा हुया था,, और फिर कुछ ही धक्कों के साथ रोकी का और मेरा वीर्य एक साथ छूट गया,,, हम दोनों की रफ़्तार मधम पड़ गयी,, मैनें रोकी की कमर में अपनी बाहें डाल कर उसको अपने उपर ही लिटा लिया ताकि उसका लंड ज़्यादा से ज़्यादा देर तक मेरी चूत में रह सके,, रोकी भी मेरे उपर ही लेट गया और अपनी ज़ुबान निकाल कर हाँफने रहा,, काफ़ी देर के बाद रोकी के लंड का मोटा हिस्सा मेरी चूत से बाहर की तरफ फिसलने लगा,,, और फिर एक ढकन खुलने की आवाज़ के साथ रोकी का लंड मेरी चूत से बाहर निकल आया,,, मैनें रोकी को छोड़ दिया और रोकी फिर से वहीं कोने में बैठ कर अपना लंड चाटने लगा,,
मैं भी वहीं सोफे के पास ही नीचे अपनी टांगे चौड़ी करके पैरों के बल बैठ गयी,, और फिर से मेरी चूत से रोकी का और मेरा मिलाजुला वीर्य फर्श पर बहने लगा,, देखते ही देखते वहाँ भी एक बड़ा ढेर लग गया,,, अब मेरी टांगे भी बुरी तरह से कांप रही थी,,, मैं फिर से सोफे पर लेट गयी और एक दो घंटे आराम करने के बाद फर्श की सफाई की और बैड की चादर को भी धोया,,, रोकी भी आज इस तरह से मदमस्त होकर सो रहा था जैसे उसके लंड की पूरी संतुष्टी हो गयी हो,,
तो दोस्तो,, आपको मेरा यह चुदाई का किस्सा कैसा लगा मुझे ज़रूर बताना...
मेरी ई-मेल आइडी है - komalpreetkaur29285@gmail.com

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