इस कहानी का पहला भाग
मेरा प्यारा देवर-1
जब वो नहीं माना तो मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और…
हंसते हुए खुद उसके ऊपर लेट गई,, अब मेरे मम्मे उसकी छाती पर टकरा रहे थे और मैं लगातार उसकी टी-शर्ट ऊपर खींच रही थी।
मेरे आधे मम्मे तो मेरे डीप गले में से पहले ही दिख रहे थे, और अब मैं हँसी मज़ाक करने के बहाने ही अपने मम्मे जानबूझ कर उसके चेहरे के सामने हिला रही थी,, मज़ा तो वो भी ले रहा था,, वो कभी मेरे चेहरे की तरफ देखता और कभी मेरे झूलते हुए मम्मो की तरफ देखता,,,
सका लौड़ा उसकी पैंट में उछल रहा था,, मैं शरारत भरी हँसी हंसते हुए उसके लंड वाली जगह के उपर बैठ गयी,, जिस से उसका सखत लौड़ा मेरी मोटी गांड के नीचे दब गया,, और मेरी गांड को उसके लौड़े का एहसास भी होने लगा,,
जिस तरह से मैं अपना सारा बदन उसके जिस्म से रगड़ रही थी,, उससे विकास को भी मज़ा आने लगा था,
उसका सखत लंड इस बात का सबूत था की वो भी चुदाई करने के लिए तड़प रहा था,, मगर फिर भी वो अपनी कमर को ऐसे घुमा रहा था की उसके खड़े लंड के बारे में मुझे पता ना चल जाए,,,
शायद करना तो वो भी बहुत कुछ चाहता था,, मगर इस बात से डर रहा था की उसकी ग़लत हरकत से मैं उस पर गुस्सा ना हो जाऊं,,, और उसके शर्मीले होने के कारण वो मेरा ग्रीन सिग्नल भी नही समझ पा रहा था,,
कुछ देर ऐसे ही ज़ोर आज़माई करने का बाद आखिर उसने मेरे सामने हार मान ली और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी।
उसकी टी-शर्ट उतारने के बाद मैं थक जाने का नाटक करती हुई उसकी नंगी छाती के उपर ही लेट गयी,,, मैनें अपने बिखरे हुए बाल उसके चेहरे पर ही बिखेर दिए,,, और ज़ोर ज़ोर से साँस लेते हुए बोली - बहुत ज़ोर है विकास तुझ में,,, तुमने तो थका दिया मुझको,,, पता नही क्या खाते हो तुम,,,, (ऐसा बोलते हुए मैनें अपनी चूत का दबाव भी उसके लंड पर डाल दिया)
मगर वो अभी भी मेरे नीचे लेटा हुए अपने आप को छुड़वाने की कोशिश करता हुया बोला,,- भाबी अब छोड़ो ना,,, अब तो मैनें अपनी टी-शर्ट भी उतार दी है,,, अब मत करो ऐसा,,,,
मैं उसके उपर लेटी हुई यही सोच रही थी की कैसा नलायक लड़का है,, इसकी जगह कोई और लड़का होता तो मुझे दो बार चोद चुका होता,,
वैसे तो मैं भी उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत में डलवा लेती,, मगर मैं भी डर रही थी की कही ऐसा नलायक घर में किसी से मेरी शकायत ही ना कर दे,,, इस लिए मैं चाहती थी की वो खुद मुझे चोदने के लिए तैयार हो जाए,,,
फिर मैं उसके ऊपर से उठी और रसोई में से एक ही कप आईसक्रीम ले आई,,,, मेरे आने तक वह बैठ चुका था.. मैं फिर से उसके साथ बैठ गई और खुद एक चम्मच खाकर कप उसके आगे कर दिया।
उसने चम्मच उठाया और आईसक्रीम खाने लगा तो मैंने उसको अपना कंधा मारा जिससे उसकी आईस क्रीम उसके पेट पर गिर गई।
मैंने झट से उसके पेट से ऊँगली के साथ आईस क्रीम उठाई और उसी के मुँह की ओर कर दी। उसने शरमाते हुए मेरी ऊँगली अपने मुँह में ली और चाट ली,,
अब मैंने आईसक्रीम खाते वक़्त जानबूझ कर आईसक्रीम अपनी छाती पर गिरा दी,,, जो मेरे बड़े से गोल उभार पर टिक गई। मैंने एक हाथ में कप पकड़ा था और दूसरे में चम्मच।
मैंने विकास को कहा- विकास यह देखो, आईसक्रीम गिर गई इसे उठा कर मेरे मुँह में डाल दो।
यह देख कर तो विकास की हालत देखी नहीं जा रही थी, उसका लौड़ा अब उससे भी नहीं संभल रहा था…
उसने डरते हुए मेरे हाथ से चम्मच लेने की कोशिश की मगर मैंने कहा- … अरे विकास, हाथ से डाल दो। चम्मच से तो खुद भी डाल सकती थी।
यह सुन कर तो वो और चौक गया..
फिर उसका कांपता हुआ हाथ मेरे मम्मे की तरफ बढ़ा और एक ऊँगली से उसने आईसक्रीम उठाई और फिर मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसकी ऊँगली अपने दांतों के नीचे दबा ली और अपनी जुबान से चाटने लगी।
उसने खींच कर अपनी ऊँगली बाहर निकाल ली तो मैंने कहा- क्यों देवर जी दर्द तो नहीं हुआ..?
उसने कहा- नहीं भाभी…
मैंने कहा- फिर इतना डर क्यों रहे हो…
उसने कांपते हुए होंठों से कहा- नहीं भाभी, डर कैसा…?
मैंने कहा- मुझे तो ऐसा ही लग रहा है…
फिर मैंने चम्मच फेंक दी और अपनी ऊँगली से उसको आईसक्रीम चटाने लगी…वो शरमा भी रहा था और चुपचाप मेरी ऊँगली भी चाट रहा था..
मैंने कहा- अब मुझे भी खिलाओ…
तो उसने भी ऊँगली से मुझे आईसक्रीम खिलानी शुरू कर दी…
मैं हर बार जानबूझ कर अपनी आइसक्रीम अपने मुँह से गिरा देती,, जो सीधी मेरे उठे हुए मम्मो के उभार पर जा गिरती, और फिर उसे कहती की यह भी उठा कर मेरे मुँह में डालो,, और वो मेरे मेरे मम्मे के उपर से आइसक्रीम उठा कर मेरे मुँह में डाल देता,, पहले तो वो शर्मा रहा था,, मगर अब धीरे धीरे उसकी शर्म दूर होने लगी,,
फिर मैंने कहा- मेरी एक बात मानोगे..? \
उसने कहा- हाँ बोलो भाभी…?
मैंने कहा- मेरी कमर में दर्द हो रहा है, तुम दबा दोगे…?
उसने कहा- ठीक है…
तो मैं उलटी होकर लेट गई… वो मेरी कमर दबाने लगा…
फिर मैंने कहा- वो क्रीम भी मेरी कमर पर लगा दो…
तो वो उठ कर क्रीम लेने गया,,, तब मैंने अपनी कमीज़ उतार दी…
मेरे मम्मे मेरी ब्रा में से बाहर निकलने को थे,,, मेरी कसी हुई ब्रा ने मेरी चुचियों और मम्मो के नीचे वाले हिस्से को ही छिपा रखा था,,,
यह देख कर विकास घबराता हुया बोला- भाभी, आपने अपनी कमीज़ क्यों उतार दी,,,
मैंने कहा- तुम क्रीम लगाओगे तो कमीज उतारनी ही पड़ेगी… नहीं तो तुम क्रीम कैसे लगाओगे?
वो चुपचाप बैठ गया और मेरी कमर पर क्रीम लगाने लगा…
फिर मैनें उसे कहा - विकास,, मुझे कुछ पूछना है तुमसे,, तुम सच सच बताओगे मुझे,,,,,
वो बोला - हाँ भाबी,,, पूछो आप,, मैं सच सच बताऊँगा,,
मैनें कहा - जब मैं तुम्हारे उपर लेटी थी तो तुमको मज़ा आया था या नही,,,
तो वो काँपती हुए ज़ुबान से बोला, -हा हा हाँ भाबी,, आया था,,,
मैनें कहा - तो फिर तुम मुझे उपर से उठने के लिए क्यों बोल रहे थे,,
वो फिर से काँपती आवाज़ में बोला - आप लड़की हैं ना इस लिए,,,
मैने कहा - अरे,, तो क्या हुया,,, तुमको मज़ा तो आ रहा था ना,, ,,
वो बोला - हाँ भाबी,,, वो तो ठीक है मगर,, मगर,, किसी को पता चल जाता तो,,,
फिर मैं करवट बदल कर सीधी होती हुई बोली,, - अरे विकास,,, कैसे किसी को पता चल जाता,, आज घर में सिर्फ़ हम दोनों ही तो हैं,,
विकास फिर से बोला,, - हाँ भाबी,,, मगर,, मगर,,, अगर आप ने मौसी को बता दिया तो फिर,,,, डाँट तो मुझे ही पड़ती ना,,
फिर मैनें उसका हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा - अरे विकास,, मैं क्या बुधु हूँ,, जो तुम्हारी शिकायत करूँगी,, मैं तो तुम्हारी भाबी हूँ,, और पता है,,, जब मैं तुम्हारे उपर लेटी थी,, उस वक़्त मुझे भी बहुत मज़ा आया था,, (ऐसा बोलते हुए मैनें उसका हाथ अपने पेट के उपर रख दिया),,,
वो बिना बोले - मेरी तरफ देखने लगा,,, और हल्की सी मुस्कराहट भी उसके चेहरे पर आ गयी,,,
फिर मैनें उसे कहा - अछा ऐसा करते हैं,, आज हम दोनों वही काम करेंगे,, जिस में हम दोनों को मज़ा आए,,,, मैं किसी को कुछ नही बताऊंगी,, और तुम भी किसी को नही बताना,, ठीक है,,
विकास के मन में तो लड्डू फुट पड़े थे,, वो सिर हिलाता हुया बोला - ठीक है,,, भाबी,,,,
फिर मैनें उसे कहा - तो आओ फिर,, मेरे साथ लेट जाओ,,,
वो फिर से हैरान होता हुया बोला - भाबी,,, आप,,आअपके साथ,,
मैनें कहा - हाँ,, लेट जाओ ना,, जैसे पहले मज़ा आया था,, वैसे ही अब भी मज़ा आएगा,, और साथ ही मैनें उसे खींच कर अपने साथ लिटा लिया,,वो भी झिझकता हुया मेरे साथ लेट गया,, और फिर मैनें अपनी बाहें भी उसकी कमर के दोनों तरफ़ से घुमा कर उसके साथ चिपक गयी,, वो अभी भी शर्मा रहा था,,
मैने उसे कहा - विकास,, तुम भी अपनी बाहें मेरी कमर में डाल लो ना,, तो मेरी बात मानते हुए उसने अपनी बाहें मेरी कमर से लीपेट ली,, मगर डीली सी,, फिर मैनें उसे कहा - जैसे मैनें कस के तुम को पकड़ा है वैसे ही तुम भी मुझे पकड़ो,, तो उसने भी धीरे धीरे मुझे अपनी बाहों में कस लिया,,
मैं उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथ घुमा रही थी,, मेरी ब्रा में से मम्मे दब कर बाहर को आ गये थे और उसकी छाती से चिपके पड़े थे,, हम दोनों का नंगा पेट एक दूसरे से स्टा हुया था,,
मैनें अपनी एक टाँग उठा कर उसकी टाँग के उपर रख दी और उसके लंड के उपर अपनी चूत दबाने लगी,, उसका लंड पूरा सखत था,, मगर विकास अभी भी अपने खड़े लंड को मुझसे छिपाने की कोशिश में लगा था,,
मैनें कहा - विकास,, यह तुम्हारी पैंट में क्या है,, जो तुम मुझसे छिपा रहे हो,,
वो बोला- भाभी, कुछ नहीं है…
मैंने उसके लंड पर अपनी चूत का दबाव डालते हुए कहा - कुछ तो है इसमें,,, दिखाओ ना मुझे,, (मैनें विकास के साथ लिपटे लिपटे ही बच्चों के जैसे ज़िद करते हुए कहा,,)
वो बोला- भाभी, वही है जिस से पेशाब करते है… आपने भैया का देखा होगा…
मैंने फिर कहा- मुझे तुम्हारा भी देखना है…और फिर मैनें उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया… हाथ में लेते ही मुझे उसकी गर्मी का एहसास हो गया। एक दम सखत और मोटा लंड पूरा खड़ा हुया था,,
विकास अपना लौड़ा छुड़ाने की कोशिश करने लगा,,,, मगर मेरे आगे उसकी एक ना चली…
फिर मैंने बैठकर उसकी पैंट की हुक खोली और पैंट नीचे सरका दी… उसका कच्छा भी नीचे सरका दिया… और उसका बड़ा सा लौड़ा मेरे सामने था… इतना बड़ा लौड़ा मैंने आज तक नहीं देखा था…
मैं बोली- विकास, तुम मुझसे इसे छिपाने की कोशिश कर रहे थे मगर यह तो अपने आप ही बाहर भाग रहा है…
विकास ने जल्दी से अपने हाथ से उसको छुपा लिया और पैंट पहनने लगा मगर मैंने खींच कर उसकी पैंट उतार दी और कच्छा भी उतार दिया…
अब मैंने यह मौका हाथ से नहीं जाने दिया और उसका लौड़ा झट से मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी..
पहले तो वो मेरे सर को पकड़ कर मुझे दूर करने लगा मगर थोड़ी देर में ही वो शान्त हो गया क्योंकि मेरी जुबान ने अपना जादू दिखा दिया था।
अब वो अपना लौड़ा चुसवाने का मजा ले रहा था, मैं उसके लौड़े को जोर जोर से चूस रही थी और विकास बिस्तर पर बेहाल हो रहा था… उसे भी अपने लौड़ा चुसवाने में मजा आ रहा था, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।
फिर उसके लौड़े ने अपना सारा माल मेरे मुँह में उगल दिया और मेरा मुँह उसके माल से भर गया। मैंने सारा माल पी लिया।
मैं अपने हाथों को चाटती हुई उठी और बोली- विकास अब तुमको कुछ देखना है तो बताओ? मैं दिखाती हूँ !
उसने मेरे मम्मों की ओर देखा और बोला- भाभी, आपके ये तो मैंने देख लिए…
मैंने कहा- कुछ और भी देखोगे…?
उसने कहा- क्या…
मैंने उसको कहा- मेरी कमर से ब्रा की हुक खोलो !
तो उसने पीछे आकर मेरी ब्रा खोल दी…
मेरे दोनों कबूतर आजाद हो गये, फिर मैं उसकी ओर घूमी और उसको कहा- अच्छी तरह से देखो हाथ में पकड़ कर…
उसने हाथ लगाया और फिर मुझसे बोला- भाभी, मुझे बहुत डर लग रहा है…
मैंने कहा- किसी से मत डरो ! किसी को पता नहीं चलेगा ! और जैसे मैं कहती हूँ तुम वैसे ही करो, देखना तुम को कितना मजा आता है…
फिर मैंने उसका सर अपनी छाती से दबा लिया और अपने मम्मे उसके मुँह पर रगड़ने लगी।
वो भी अब शर्म छोड़ कर मेरे मम्मों का मजा ले रहा था…
मैंने उसको कहा- मेरी सलवार उतार दो !
तो उसने मेरी सलवार उतार दी और मुझे नंगी कर दिया…
अब हम दोनों नंगे थे।
मैंने उसको अपनी बाहों में लिया और अपने साथ लेटा लिया। फिर मैंने उसके होंठ चूसे और फिर मेरी तरह वो भी मेरे होंठ चूसने लगा।
अब उसका डर कम हो चुका था और शर्म भी…
अब मैं उसके मुँह के ऊपर अपनी चूत रख कर बैठ गई और कहा- जैसे मैंने तुम्हारे लौड़े को चूसा है तुम भी मेरी चूत को चाटो और अपनी जुबान मेरी चूत के अन्दर घुसाओ।
वो मेरी चूत चाटने लगा, उसको अभी तक चूत चाटना नहीं आता था मगर फिर भी वो पूरा मजा दे रहा था..
मेरी
चूत से पानी निकल रहा था जिसको वो चाटता जा रहा था और कभी कभी तो मेरी चूत
के होंठो को अपने दांतों से काट भी देता था जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था…
उसका लौड़ा फिर से तन चुका था।
अब
मैं उठी और अपनी चूत को उसके लौड़े के ऊपर सैट करके बैठ गई, मेरी गीली चूत
में उसका लौड़ा घुसने लगा,, उसका लौड़ा बहुत बड़ा था, थोड़ा ही
अन्दर जाने के बाद मुझे लगने लगा कि यह तो मेरी चूत को फाड़ डालेगा।
शायद उसको भी तकलीफ हो रही थी, वो बोला- भाभी, मेरा लौड़ा आपकी चूत से दब रहा है।
मैंने कहा- बस थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा… पहली बार में सबको तकलीफ होती है।
मैंने थोड़ी देर आराम से लौड़ा अन्दर-बाहर किया। फिर जब वो भी नीचे से अपने लौड़े को अन्दर धकेलने लगा तो मैं भी अपनी गाण्ड उठा उठा कर उसके लौड़े का मजा लेने लगी…
अब तक वो भी पूरा गर्म हो चुका था, उसने मुझे अपने नीचे आने के लिए कहा तो मैं वैसे ही लौड़े अन्दर लिए ही एक तरफ़ से होकर उसके नीचे आ गई और वो ऊपर आ गया।
वो मुझे जोर जोर से धक्के मारने लगा,,, मैंने अपनी टांगों को उपर उठा लिया और वो मेरी टाँगों को पकड़ मेरी चूत चोदने लगा,,
मैं भी नीचे से उसका साथ दे रही थी, अपनी गाण्ड को हिला हिला कर…
काफी देर तक हमारी चुदाई चलती रही और फिर हम दोनों झड़ गये और वैसे ही लेट गये…
मेरी इस एक चुदाई से अभी प्यास नहीं बुझी थी, इसलिए मैंने फिर से विकास के ऊपर जाकर उसका गर्म करना शुरू किया मगर वो तो पहले से ही तैयार था, अब उसने कोई शर्म नहीं दिखाई और मुझे घोड़ी बनने के लिए बोल दिया…
मैंने
भी उसके सामने अपनी गाण्ड उठाई और सर को नीचे झुका दिया और फिर उसने अपना
बड़ा सा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया… उसके पहले धक्के ने ही मेरी जान ले
ली, उसका लौड़ा मेरी चूत फाड़ कर अन्दर घुस गया…
मगर मैं ऐसी ही चुदाई चाहती थी…
उस दिन विकास ने मुझे तीन बार चोदा वो चौथी बार मेरी गाण्ड चोदना चाहता था मगर तब तक मेरे सास-ससुर के आने का वक्त हो चुका था इसलिए मैंने उसको फिर किसी दिन के लिए कहा और वो भी मान गया…
दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी जरूर अच्छी लगी होगी…
अगले भाग मे विकास से अपनी गाड़ की चुदाई लेकर मैं जल्द ही आपकी सेवा में फिर से हजिर हूंगी।
आपकी भाभी कोमल प्रीत
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