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मुझे भी इतना बड़ा लौड़ा देखने की इच्छा हो रही थी… मैंने उसके कच्छे को उतार दिया… उसका फनफनाता हुआ काले सांप जैसा लौड़ा मेरे मुँह के सामने खड़ा हो गया…ऐसा लौडा मैंने कभी नहीं देखा था.. कम से कम दस इंच था या शायद उससे भी बड़ा…
मैं अभी उस काले नाग को देख ही रही थी कि उसने मेरे सर को पकड़ा और अपने लौड़े के साथ मेरे मुँह को लगाते हुए बोला… जानेमन अब और मत तड़पाओ… इसे अपने होंठो में भर लो और निकाल दो अपनी सारी हसरतें…
मैंने भी उसके काले लौड़े को अपने मुँह में ले लिया… मेरे मुंह में वो पूरा आ पाना तो नामुमकिन था फिर भी मैं उसको अपने मुँह में भरने की कोशिश में थी..
ऊपर से वो भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था। जैसे वो मेरे मुँह की चुदाई कर रहा था, उससे लगता था कि मेरी चूत की बहुत बुरी हालत होने वाली है…
वो कभी मेरे चूचों, कभी मेरी पीठ और कभी मेरे रेशमी काले बालों में हाथ घुमा रहा था… मैं जोर जोर से उसके लण्ड को चूस रही थी…
फिर अचानक वो खड़ा हो गया और मेरे मुँह से अपना लण्ड निकाल कर मुझे नीचे ही एक चादर बिछा कर लिटा दिया…
मैं सीधी लेट गई, वो मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और अपना लौड़ा मेरी चूत पर रख दिया। मेरी चूत तो पहले से ही पानी पानी हो रही थी… अपने अन्दर लण्ड लेने के लिए बेचैन हो रही थी… मगर मैं इतने बड़े लण्ड से डर रही थी।
फिर
उसने मेरी चूत पर अपने लण्ड रखा और धीरे से लण्ड को अन्दर धकेला.. थोड़ा
दर्द हुआ मीठा-मीठा… फिर थोड़ा सा और अन्दर गया… और दर्द भी बढ़ने लगा…
वो मजदूर बहुत धीरे धीरे लण्ड को चूत में घुसा रहा था, इसलिए मैं दर्द सह पा रही थी..
मगर कब तक…
मेरी चूत में अभी आधा लण्ड ही गया था कि मेरी चूत जैसे फट रही थी..
मैंने अपने हाथ से उसका लण्ड पकड़ लिया और बोली- बस करो, मैं और नहीं ले पाऊँगी..
वो बोला- जानेमन, अभी तो पूरा अन्दर भी नहीं गया…और तुम अभी से…?
मैंने कहा- नहीं और नहीं… मेरी चूत फट जाएगी…
उसने कहा- ठीक है, इतना ही सही…
और फिर वो मेरे होंठों को चूमने लगा…
मैं भी उसका साथ देने लगी…
फिर वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा, मेरा दर्द कम होता जा रहा था..
मैं भी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर उसका साथ देने लगी… अब तो मैं उसका लण्ड और अन्दर लेना चाहती थी..
वो भी इस बात को समझ गया और लण्ड को और अन्दर धकेलने लगा.. मैं अपनी टाँगें और खोल रही थी ताकि आराम से लण्ड अन्दर जा सके..
मुझे
फिर से दर्द होने लगा था… आधे से ज्यादा लण्ड अंदर जा चुका था… मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था। मैंने फिर से उसका लण्ड पकड़ लिया और रुकने को कहा..
वो
फिर रुक गया और धीरे-धीरे लण्ड अन्दर बाहर करने लगा…थोड़ी देर के बाद जब
मुझे दर्द कम होने लगा तो मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर के साथ लपेट ली और
अपनी गाण्ड को हिलाने लगी…
वो समझ गया… मैं उसका पूरा लण्ड लेने के लिए तैयार थी…
तभी उसने एक जोर का झटका दिया और पूरा लण्ड मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ दिया… अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.
मेरी चीख निकलने वाली थी कि उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया… मेरे मुँह से आह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह की आवाजें निकल रही थी…
पूरा लण्ड अन्दर धकेलने के बाद वो कुछ देर शांत रहा और फिर लण्ड अंदर-बाहर करने लगा.. इस तेज प्रहार से मुझे दर्द तो बहुत हुआ…
मगर
थोड़ी देर के बाद मुझे उससे कहीं ज्यादा मजा आ रहा था.. क्योंकि अब मैं
पूरे लण्ड का मजा ले रही थी जो मेरी चूत के बीचों-बीच अन्दर-बाहर हो रहा
था…
उसका लण्ड मेरी चूत में जहाँ तक घुस रहा था वहाँ तक आज तक किसी का लण्ड नहीं पहुँचा था.. ऐसा में महसूस कर सकती थी..
मेरी चूत झड़ चुकी थी… और बहुत चिकनी भी हो गई थी…इसलिए उसका लण्ड चूत के अंदर बाहर होने से फच फच की आवाजें कमरे में गूँज रही थी..
इतना बड़ा लंड जब मेरी चूत में घुस रहा था,, मानो में स्वर्ग की सैर कर रही थी,,, मैं पूरी मस्ती से अपनी चूत चुदवा रही थी.. इसी मस्ती और जोश में मेरी चूत ने एक बार फिर से झड़ने वाली थी,,,. मगर उसका लण्ड तो जैसे कभी झड़ने वाला ही नहीं था…
मैं
अपनी गाण्ड को जोर जोर से ऊपर-नीचे करने लगी.. उसका लण्ड मेरी चूत के
अन्दर तक चोट मार रहा था… मेरी चूत का पानी छूटने वाला था.. मैं और उछल उछल
कर अपनी चूत में उसका लण्ड घुसवाने लगी… फिर मेरा लावा छुट गया और मैं
बेहाल होकर उसके सामने लेटी रही..
मगर उसके धक्के अभी भी चालू थे…
फिर
उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया… और मुझे घोड़ी बन जाने को कहा…मैं उठी और घोड़ी बन गई और अपने हाथ आगे पड़ी चारपाई पर रख लिए…
वो मेरे पीछे आया और फिर से मेरी चूत में लण्ड घुसेड़ दिया… इस बार मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ…
उसने धीरे धीरे सारा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया…मैंने अपने हाथ नीचे जमीन पर रख दिए ताकि मेरी चूत थोड़ी और खुल जाये और दर्द कम हो… मैंने अपनी कमर पूरी नीचे की तरफ झुका दी… उसका लण्ड फिर से रफ़्तार पकड़ चुका था… मैं भी अपनी गाण्ड को उसके लण्ड के साथ गोल-गोल घुमा रही थी… जब लण्ड चूत में गोल गोल घूमता है तो मुझे बहुत मजा आता है…
मैं लण्ड का पूरा मजा ले रही थी.. उसके धक्के तेज होने लगे थे जैसे वो छूटने वाला हो..
मैं
भी पूरी रफ़्तार से उसका साथ देने लगी.. ताकि हम एक साथ ही पानी छोड़ें.. इस
तरह से दोनों तेज-तेज धक्के मारने लगें..
मेरा
पानी फिर से निकल गया… तभी उसका भी ज्वालामुखी फ़ूट गया और मेरी चूत में
गर्म बीज की बौछार होने लगी… उसका लण्ड मेरी चूत के अन्दर तक घुसा हुआ था
इसलिए आज लण्ड के पानी का कुछ और ही मजा आ रहा था…
हम दोनों वैसे ही जमीन पर गिर गये। मैं नीचे और वो मेरे ऊपर…उसका लण्ड धीरे धीरे सुकड़ कर बाहर आ रहा था..
मुझे नींद आने लगी थी.. मगर वहाँ पर तो नहीं सो सकती थी..
इसलिए मैं उठी और अपने कपड़े पहनने लगी…उसने मुझे रोका और पूछा- रानी, कल फिर आएगी या मैं तेरे कमरे में आऊँ?
मैंने कहा- मैं ही आ जाऊंगी,,,, तुमने मेरी चूत को मज़ा ही इतना दिया है,, की कल तेरा यह काला लण्ड लिए बगैर मुझे नींद ही नही आएगी,,
उसने कहा- रानी, आज तो चूत का मजा लिया, कल तेरी इस मस्त गाण्ड का मजा लेना है !
मैंने कहा- ना बाबा ना,,, मेरी चूत तो बच गयी,, मगर गाण्ड तो फट ही जाएगी,,,
फिर मैं कपड़े पहनने लगी… वो भी मेरी ब्रा मुझे पहनाने लगा और मेरे चूचों को मसलने लगा।
मैंने अपनी पैंटी डाली और फिर उसने सलवार पकड़ कर मुझे पहनाने लगा और फिर मेरी चूत पर हाथ घिसते हुए मेरी सलवार बांध दी।
फिर
उसने मेरा कुरता भी मुझे पहनाया और मेरे बालों को सँवारने लगा, मेरे बालों
में हाथ घुमाते हुए वो मेरे मुँह और होंठों को भी चूम रहा था…
फिर मैं वहाँ से बाहर आ गई और अपने कमरे की कुण्डी लगा कर सो गई..
दोस्तो, अपनी एक और चुदाई के बारे में जल्दी बताऊँगी।
आपकी प्यारी सेक्सी - कोमल भाभी
komalpreetkaur29285@gmail.com

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