चार फौजी और चूत का मैदान


लेखिका - कोमल प्रीत कौर

नमस्ते दोस्तो, आपने मेरी पहले आ चुकी कहानियों को बहुत पसंद किया,, जिसके लिए मैं आपकी आभारी हूँ।
अब मैं आपको अपनी चुदाई का एक और गर्मागर्म किस्सा सुनाती हूँ।

सर्दियों के दिन थे, मैं अपने मायके गई हुई थी, मेरे भैया भाभी के साथ ससुराल गये थे और घर में मैं, मम्मी और पापा थे। उस दिन ठण्ड बहुत थी, मेरा दिल कर रहा था कि काश कोई आस पड़ोस का लड़का आज मुझे पटा ले और रात को ही मेरी गर्मागर्म चुदाई कर दे। मैं दिल ही दिल में सोच रही थी कि कोई आये और मेरी चुदाई करे.. कि अचानक दरवाजे की घण्टी बजी।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने चार आदमी खड़े थे, एकदम तंदरुस्त और चौड़ी छातियाँ !

मैं हैरानी से उनकी तरफ देखने लगी,, वो भी मेरे डीप गले से बाहर को झाँक रहे मेरे मम्मो को ललचाई नज़रों से देखने लगे,,

फिर पीछे से पापा की आवाज आई- ओये मेरे जिगरी यारो, आज कैसे रास्ता भूल गये?

वो भी हंसते हुए अन्दर आ गये और पापा को मिलने लगे…

फिर पापा ने बताया कि हम सब आर्मी में इकट्ठे ही थे.. एक राठौड़ अंकल, दूसरे शर्मा अंकल, तीसरे सिंह अंकल और चौथे राणा अंकल ! सभी एक्स आर्मी मैन हैं।

वो सभी मुझे मिले और सभी ने मुझे गले से लगाया.. और गले लगाने के बहाने सबने अपनी छाती से मेरे चूचों को दबाया…

मैं समझ गई कि ये सभी ठरकी हैं, अगर किसी को भी लाइन दूँगी तो झट से मुझे चोद देगा।

मैं खुश हो गई कि कहाँ एक लौड़ा मांग रही थी और कहाँ चार-चार लौड़े आ गये…

पापा उनके साथ अन्दर बैठे थे और मैं चाय लेकर गई… जैसे ही मैं चाय रखने के लिए झुकी तो साथ ही सोफे पर बैठे राठौड़ अंकल ने मेरी कमर पर खुले बालों में हाथ फेरते हुए कहा- कोमल बेटी.. तुम बताओ,, क्या करती हो…?

मैं चाय रख कर राठौड़ अंकल के पास ही सोफे के हत्थे पर बैठ गई और अपने बारे में बताने लगी…

साथ ही राठौड़ अंकल मेरी कमर पर हाथ चलाते रहे और फिर बातों बातों में उनका हाथ मेरे चुतड़ों तक पहुँच गया…मैं भी अंकल को रोकने या उनका विरोध करने की बजाए उनकी तरफ मुस्करा कर देखने लगी,,

मैनें दूसरे अंकल की तरफ देखा तो वो मेरे दोनों बूब्स की बीच बन रही लाइन में ही खोए हुए थे,,

फिर मम्मी की आवाज आई तो मैं बाहर चली गई और फिर कुछ खाने के लिए लेकर आ गई…

फिर रात को जब मैं झुक कर नाश्ता परोस रही थी तो उन चारों का ध्यान मेरे वक्ष की तरफ ही था और मैं भी उनकी पैंट में हलचल होती देख रही थी। वो सारे मेरे गहरे गले में से दिख रहे मेरे कबूतर, मेरी गाण्ड और मेरी खूबसूरत जवानी को बेचैन निगाहों से देख रहे थे.

वो सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे,, मैं राठौड़ अंकल के ही पास खड़ी हो गयी और कभी कभी बहाने से अपनी जाँघ उनके बाजू से रगड़ देती,, ता की उनको भी पता चल जाए की मेरी तरफ से भी ग्रीन सिग्नल है,,

खाने खाने के बाद पापा ने उनके पीने का इंतजाम ऊपर के कमरे में कर दिया और उपर के दो कमरों में उनके सोने का इंतज़ाम भी हो गया,,

फिर मैंने और मम्मी ने भी खाना खाया और लेट गई। मम्मी ने तो नींद की गोली खाई और सो गई पर मुझे कहाँ नींद आने वाली थी, घर में चार लौड़े मुझे चोदने के लिए तड़प रहे हों और मैं बिना चुदे सो जाऊँ ! ऐसा कैसे हो सकता है..

मैं ऊपर के कमरे में चली गई, वहाँ पर शराब का दौर अभी चल रहा था…

मुझे देख कर पापा ने तो मुझे नीचे जाने के लिए बोला, मगर सिंह अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ सटा कर बिठा लिया, बोले- अरे यार, बच्ची को हमारे पास बैठने दे, हम इसके अंकल ही तो हैं…

तो पापा मान गये और सारे अंकल मुझे फ़ौज की बातें सुनाने लगे।

फिर सिंह अंकल ने भी अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया, मेरे साथ बातें करते हुए वो भी मेरी कमर पर बिखरे मेरे बालों में हाथ घुमाने लगे…

जब मेरी तरफ से कोई विरोध नहीं देखा तो वो मेरी गाण्ड पर भी हाथ घुमाने लगे। पापा का चेहरा हमारी तरफ सीधा नहीं था मगर फिर भी अंकल सावधानी से अपना काम कर रहे थे। 

मगर फिर भी राठौड़ अंकल ने हमें देख लिया था,, और उन्होंनें ने सिंह अंकल को आँख मारते हुए ऐसे ही लगे रहने का इशारा भी कर दिया,, और उनको देख कर मैं भी मुस्करा पड़ी,,

जिस से सिंह अंकल का हौंसला और भी बढ़ गया,, और वो मेरे चुतड़ों को और भी ज़ोर से दबाने लगे,, सिंह अंकल का लंड पेंट में खड़ा होने लगा था,, जिसे छुपाने के लिए सिंह अंकल ने अपने लंड के उपर तकिया रख लिया,,

शर्मा और राणा अंकल का ध्यान भी मेरी तरफ ही था,, इस लिए कुछ कुछ तो वो भी समझ गये थे की मेरे और सिंह अंकल के बीच में कुछ ना कुछ चल रहा है,, 

अब तो सिंह अंकल भी जान चुके थे की वो मेरे साथ कुछ भी करें, मैं उनका विरोध नही करूँगी,,,

फिर वो मेरी बगल में से हाथ घुसा कर मेरी चूची को टटोलने लगे,,, मगर अपना हाथ मेरी चूची पर नहीं ला सकते थे क्योंकि पापा देख लेते तो सारा काम बिगड़ सकता था।

उधर मेरा भी बुरा हाल हो रहा था.. मेरा भी मन कर रहा था कि अंकल मेरे चूचों को कस कर दबा दें।

फिर मैंने अपनी कमर पर बिखड़े अपने काले रेशमी बाल कंधे के ऊपर से आगे को लटका दिए, जिससे मेरा एक मम्मा (उरोज) मेरे बालों से ढक गया।

सिंह अंकल तो मेरे इस कारनामे से खुश हो गये, वो ऐसा परदा ही तो चाहते थे,, जिस से उनका हाथ किसी को ना दिख पाए और वो मेरे मोटे मम्मे को भी पकड़ सकें,,

उन्होंने अपना हाथ मेरी बगल में से आगे निकाला और बालों के नीचे से मेरी चूची को मसलने लगे।
मेरी आह निकल गई… मगर मेरे होंठो में ही दब गई।

अब हमारी हरकतें पापा के दूसरे दोस्त भी देख रहे थे और वो भी अच्छी तरह से समझ चुके थे की आज रात उनका नंबर भी आएगा। वो सभी पापा को बड़े बड़े पैग बना कर देने लगे,, ता की पापा जल्दी से लुडक जाएँ,,,,,

अब मेरा मन दोनों स्तन एक साथ मसलवाने का कर रहा था, मैं बेचैन हो रही थी मगर पापा तो इतनी शराब पी कर भी नहीं लुढ़क रहे थे।

मैं उठी और बाहर आ गई और साथ ही सिंह अंकल को बाहर आने का इशारा कर दिया… और पापा को बोल दिया- मैं सोने जा रही हूँ।

मैं बाहर आई और अँधेरे की तरफ खड़ी हो गई। थोड़ी देर में ही सिंह अंकल भी फ़ोन पर बात करने के बहाने बाहर आ गये।

मैंने उनको धीमी सी आवाज दी, वो मेरी तरफ आ गये और आते ही मुझको अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे होंठ अपने मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगे। फिर मेरे बड़े बड़े चूचे अपने हाथों में लेकर मसल कर रख दिए, मैं भी उनका लौड़ा अपनी चूत से टकराता हुआ महसूस कर रही थी और फिर मैंने भी उनका लौड़ा पैंट के ऊपर से हाथ में पकड़ लिया।

अभी पांच मिनट ही हुए थे कि पापा बाहर आ गये और सिंह अंकल को आवाज दी- ओये सिंह, यार कहाँ बात कर रहा है इतनी लम्बी.. जल्दी अन्दर आ..

तो सिंह अंकल जल्दी से पापा की ओर चले गये, अँधेरा होने की वजह से वो मुझे नहीं देख सके।

मैं वहीं खड़ी रही कि शायद अंकल फिर आयेंगे मगर थोड़ी देर में ही राणा अंकल बाहर आ गये और सीधे अँधेरे की तरफ आ गये जैसे उनको पता हो कि मैं कहाँ खड़ी हूँ। शायद सिंह अंकल ने उनको बता दिया होगा..

आते ही वो भी मुझ पर टूट पड़े और मेरी गाण्ड, चूचियाँ, जांघों को जोर जोर से मसलने लगे और मेरे होंठों का रसपान करने लगे, वो मेरी कमीज़ को ऊपर उठा कर मेरे दोनों निप्पल को मुँह में डाल कर चूसने लगे।

मैं भी उनके सर के बालों को सहलाने लगी.. मैं उनके बदन से चिपकी हुई थी और उनका लंड भी तन कर मेरी चूत से रगड़ रहा था,, काफ़ी देर तक वो मेरे जिस्म को ऐसे ही चूमते और चाटते रहे,,

तभी शर्मा अंकल की आवाज आई- अरे राणा तू चल अब अन्दर, मेरी बारी आ गई।

अचानक आई आवाज से हम लोग डर गये, हमें पता ही नहीं चला था कि कोई आ रहा है।

फिर राणा अंकल चले गये और शर्मा अंकल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया,, और मेरे होंठ चूसने लगे.. मेरे स्तन, गाण्ड, चूत और मेरे सारे बदन को मसलते हुए वो भी मुझे पूरा मजा देने लगे।

शर्मा अंकल ने पजामा पहना था, और उनका लंड भी पजामे में पूरा तना हुया था,,  मैंने पजामे में हाथ डाल कर उनके लण्ड को पकड़ लिया। खूब कड़क और लम्बा लण्ड हाथ में आते ही मैंने उसको बाहर निकाल लिया और नीचे बैठ कर मुँह में ले लिया।

शर्मा अंकल भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सर अपने लण्ड पर दबाने लगे। मैं उनका लण्ड अपने होंठों और जीभ से खूब चूस रही थी, वो भी मेरे मुँह में अपने लण्ड के धक्के लगा रहे थे। अचानक फिर अंकल ने अपना पूरा लावा मेरे मुँह में छोड़ दिया और मेरा सर कस के अपने लण्ड पर दबा दिया।

मैंने भी उनका सारा माल पी लिया, उनका लण्ड ढीला हो गया तो उन्होंने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया और फिर मेरे होंठों को चूसने लगे और फिर बोले- मैं राठौड़ को भेजता हूँ..
और अन्दर चले गये…

फिर राठौड़ अंकल आ गये, वो भी आते ही मुझे बेतहाशा चूमने लगे..
मगर मैंने कहा- अंकल ऐसा कब तक करोगे?
वो रुक गये और बोलो- क्या मतलब?

मैंने कहा- अंकल, मैं सारी रात यहाँ पर खड़ी रहूँगी क्या? इससे अच्छा है कि मैं चूत में ऊँगली डाल कर सो जाती हूँ।
तो वो बोले- अरे क्या करें, तेरा बाप लुढ़क ही नहीं रहा ! हम तो कब से तेरी चूत में लौड़ा घुसाने के लिए हाथ में पकड़ कर बैठे हैं !
मैंने कहा- तो कोई बात नहीं मैं जाकर सोती हूँ।
मैंने आगे बढ़ते हुए कहा।

अंकल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- बस तू पांच मिनट रुक.. मैं देखता हूँ वो कैसे नहीं लुढ़कता ! फिर अंकल ने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे,, और फिर कुछ देर मेरे बूब्स को दबा कर अन्दर चले गये। और मुझे वही रुकने के लिए बोला,,,,

फिर पांच मिनट में ही शर्मा और सिंह अंकल बाहर आये और बोले- चल छमकछल्लो, तुझे उठा कर अन्दर लेकर जाएँ जा खुद चलेगी?

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि पापा इतनी जल्दी लुढ़क गये..

फिर सिंह अंकल ने मुझे गोद में उठा लिया और मुझे अन्दर ले गये।

पापा सच में कुर्सी पर ही लुढ़के पड़े थे।

मैंने कहा- पहले पापा को दूसरे कमरे में छोड़ कर आओ।

तो राणा और राठौड़ अंकल ने पापा को पकड़ा और दूसरे कमरे में ले गये।
फिर शर्मा और सिंह अंकल ने मुझे आगे पीछे से अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।
शर्मा अंकल मेरे होंठो को चूसने लगे और सिंह अंकल मेरे ऊपर बैठ गये…

तभी राणा और राठौड़ अंकल अन्दर आये और बोले- अरे सालो, रुक जाओ, सारी रात पड़ी है। इतने बेसबरे क्यों होते हो, पहले थोड़ा मज़ा तो कर लें।
वो मेरे ऊपर से उठ गये और मैं भी बिस्तर पर बैठ गई, मैंने कहा- थैंक्स अंकल, आपने मुझे बचा लिया, नहीं तो ये मुझे कोई मजा नहीं लेने देते..
फिर राणा अंकल ने पांच पैग बनाये और सभ को उठाने के लिए कहा मगर मैंने नहीं उठाया तो अंकल बोले- अरे अब शर्म छोड़ो और पैग उठा लो। चार चार फौजी तुमको चोदेंगे। नहीं तो झेल नहीं पाओगी…

मुझे भी यह बात अच्छी लगी, मैंने पैग उठा लिया और पूरा पी लिया…
राणा अंकल ने फिर से मुझे पैग बनाने को कहा तो मैंने सिर्फ चार ही पैग बनाए।
राणा अंकल बोले- बस एक ही पैग लेना था।

तो मैंने कहा- नहीं, मुझे तो अभी चार पैग और लेने हैं !
मैं राणा अंकल के सामने जाकर नीचे बैठ गई, अंकल की पैंट खोल दी और उतार दी..
वो सभी मेरी ओर देख रहे थे।

फिर मैंने अंकल का कच्छा नीचे किया और उनका 6-7 इंच का लौड़ा मेरे सामने तन गया।
फिर मैंने अंकल के हाथ से पैग लिया और उनके लण्ड को पैग में डुबो दिया और फिर लण्ड अपने मुँह में ले लिया…
मैं बार बार ऐसा कर रही थी।

राणा अंकल तो मेरी इस हरकत से बुरी तरह आहें भर रहे थे। मैं जब भी उनका लण्ड मुँह में लेती तो वो अपने चूतड़ उठा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में धकेलने की कोशिश करते।
मैंने जोर जोर से उनके लण्ड को हाथों और होठों से सहलाना जारी रखा और फिर उनके लण्ड से वीर्य निकल कर मेरे मुँह पर आ गिरा..

मैंने अपने हाथ से सारा माल इक्कठा किया और पैग में डाल दिया और उनका पूरा जाम खुद ही पी लिया।
फिर मैं राठौड़ अंकल के सामने चली गई, वो लुंगी पहन कर बैठे थे।

मैंने उनकी लुंगी खींच कर उतार दी और फिर उनका लण्ड भी शराब में डाल डाल कर चूसने लगी, उनका वीर्य भी मैंने मुँह में ही निगल लिया।
फिर सिंह अंकल जो कब से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे,,
उनका लण्ड भी मैंने अपने हाथों में ले लिया और उन्होंने मेरी कमीज को उतार दिया..
अब मैं सलवार और ब्रा में थी.. फिर उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया और मेरे दोनों स्तन आजाद हो गये। उन्होंने अपना लण्ड दोनों स्तनों के बीच में नीचे से घुसा दिया। उनका लण्ड शायद सबसे लम्बा लग रहा था मुझे.. उनका लण्ड मेरे स्तनों के बीचो बीच ऊपर मेरे मुँह के सामने निकल आया था..

मैंने फिर से अपना मुँह खोला और उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया.. वो अपने लण्ड और मेरे चूचों के ऊपर शराब गिरा रहे थे जिसको मैं साथ साथ ही चाटे जा रही थी..

मैं अपने दोनों स्तनों को साथ में जोड़ कर उनके सामने बैठी थी और वो अपनी गाण्ड को ऊपर नीचे करके मेरे स्तनों को ऐसे चोद रहे थे जैसे चूत में लण्ड अन्दर-बाहर करते हैं..

और जब उनका लण्ड ऊपर निकल आता तो वो मेरे गुलाब जैसे लाल होंठों घुस जाता और उसके साथ लगी हुई शराब भी मैं चख लेती..

आखिर वो भी जोर जोर से धक्के मारने लगे, मैं समझ गई कि वो भी झड़ने वाले हैं.. मैंने उनके लण्ड को हाथों में लेकर सीधा मुँह में डाल लिया। अब उनका लण्ड मेरे गले तक पहुँच रहा था.. और फिर उनका भी लावा मेरे मुँह में फ़ूट गया.. वीर्य गले में से सीधा नीचे उतर गया। 

वो चारों एक एक बार झड़ चुके थे,, और अपना वीर्य भी मुझे पिला चुके थे,, अब वो मेरे जिस्म से खेलने लगे,, और सभी ने अपने कपड़े उतार दिए,,,

शर्मा अंकल ने मुझे उठा लिया और मुझे बैड पर बिठा कर मेरी सलवार उतार दी,,,  फिर राठौड़ अंकल ने मेरी पेंटी उतार दी.. सिंह अंकल भी मेरे सर की तरफ बैठ गये और और मेरे सिर को अपनी जाँघ पर टिका लिया और फिर वो मेरे बालों में अपना लंड घुसाने लगे,,

मैनें सभी के लंडों को तरफ देखा,,, मगर उनमें से सब से ज़्यादा हार्ड लंड शर्मा अंकल का था,, क्योंकि उसका वीर्य निकले हुए काफ़ी देर हो गयी थी,,, 

मैं शर्मा अंकल के लंड को अपने पैरों से सहलाने लगी,, शर्मा अंकल भी मेरी टाँगों को मसलते हुए मेरी चूत के सामने आ गये और फिर मेरी दोनों टाँगों को पकड़ कर खोलते हुए मुझे अपनी ओर खींच लिया,,

जिस से उनका लंड मेरी चूत के सामने आ गया,, मेरी चिकनी चूत रस से भरी हुई पहले ही गीली हो रही थी,,

शर्मा अंकल ने अपने लंड को पकड़ा और मेरी गीली चूत के होंठों पर टिकाते हुए मुझ पर झुकने लगे,, उनका वजन पड़ते ही उनका लंड भी मेरी चूत के होंठों को खोलता हुया मेरी चूत में घुसने लगा,,

मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी,, राणा और राठौड़ अंकल मेरे बूब्स को दबाने लगे और सिंह अंकल अपना लंड मेरे चेहरे पर घिसने लगे,,,

मैं अपनी गाण्ड उठा उठा कर शर्मा अंकल से अपनी चुदाई करवाने लगी,, मेरे मुँह से आह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह की आवाज़ें निकल रही थी,, और सिंह अंकल कभी कभी मेरे मुँह में अपना लंड डाल कर उन आवाज़ों को बंद कर देते,, शर्मा अंकल भी मेरी जांघों को पकड़ कर अपना लंड मेरी चूत में पेले जा रहे थे,, और मेरी गीली चूत में उनका लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था,,, मैं चरमसीमा तक पहुँचने ही वाली थी,,, मैं पूरे जोश में अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर शर्मा अंकल से चुदने लगी,, उधर शर्मा अंकल के धक्कों को रफ़्तार भी तेज हो गयी और फिर हम दोनों एक साथ ही झड़ गये,, शर्मा अंकल झड़ने से पहले अपना लंड मेरी चूत में से निकालने लगे,, मगर मुझे इतना मज़ा आ रहा था की मैनें उनको अपनी चूत से लंड बाहर नही निकालने दिया,, और उनका सारा वीर्य मेरी चूत में ही निकल गया,, 

मैं और शर्मा अंकल दोनों थक कर लंबी लंबी साँसे लेने लगे,, शर्मा अंकल ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और बैड पर लेट गये,, मेरी चूत से शर्मा अंकल का और मेरा वीर्य बाहर बहने लगा,, जिस को राणा अंकल ने चादर से साफ कर दिया,,

अब दूसरे तीनों लंड भी तन कर पूरे खड़े हो चुके थे, और मुझे चोदने के लिए इंतजार कर रहे थे,, मैनें कुछ देर सांस ली

फिर मैं उठी और सिंह अंकल को नीचे लिटा कर उनके लण्ड पर अपनी चूत टिका दी और धीरे धीरे उस पर बैठने लगी..

धीरे धीरे सिंह अंकल का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मैं उनके लण्ड को अपनी चूत में चारों ओर घुमाने लगी, फिर मैं ऊपर नीचे होकर सिंह अंकल को चोदने लगी, सिंह अंकल भी मेरी गाण्ड को पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे कर रहे थे और अपनी गाण्ड भी नीचे से उछाल उछाल कर मुझे चोद रहे थे।

मेरे उछलने से मेरे चूचे भी उछल रहे थे जो राणा अंकल ने पकड़ लिए और उनके साथ खेलने लगे।

राणा अंकल मेरी पहली चुदाई से ही समझ गये थे की मैं बहुत बड़ी चुदाकड़ हूँ ,, उन्होनें ने मुझे आगे की तरफ झुका दिया और खुद मेरे पीछे आ गये,,, जिससे मेरी गाण्ड उनके सामने आ गई और वो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाने लगे..

मगर उनका लौड़ा मेरी कसी गाण्ड में आसानी से नहीं घुसने वाला था.. गाण्ड तो मैं पहले भी कई बार चुदवा चुकी थी,, और चूत और गाण्ड दोनों मे एक साथ लौड़े भी ले चुकी थी, इस लिए मैनें राणा अंकल को गाण्ड में लंड डालने से नही रोका,, और सिंह अंकल के उपर चड़े चड़े अपनी चूत उछाल उछाल कर उनके लंड पर पटकती रही,, सिंह अंकल भी अपना लंबा लंड मेरी चूत में ज़ोर ज़ोर से घुसा रहे थे,, और साथ ही मेरे मोटे मम्मो को भी दबा रहे थे,,,

उधर राणा अंकल भी मेरी सुखी गाण्ड में अपना थूक डाल कर अपने लंड का सुपाड़ा मेरी गाण्ड में घुसाने में कामयाब हो गये,, राणा अंकल का लंड गाण्ड में जाते ही मेरी गाण्ड की उछल कूद कम हो गयी और मैं सिंह और राणा अंकल दोनों की बीच दोनों तरफ से चुदने लगी,,,

राणा अंकल अपना लंड धीरे धीरे मेरी गाण्ड में और आगे तक घुसेड़ने लगे,, मुझे दर्द तो हो रहा था,, मगर मुझे पता था कि दर्द तो कुछ देर का ही है। वैसा ही हुआ, थोड़ी देर में ही उनका पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में था। दोनों तरफ से लग रहे धक्कों से मेरे मुँह से आह आह की आवाजें निकल रही थी…

फिर राठौड़ अंकल ने मेरे सामने आकर अपना तना हुआ लण्ड मेरे मुँह के सामने कर दिया.. मैंने उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी..

जब अंकल राणा मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पेलने के लिए धक्का मारते या फिर सिंह अंकल नीचे से मेरी चूत पेलने के लिए धक्का मारते तो,,,,सामने खड़े अंकल राठौड़ का लण्ड मेरे मुँह के अन्दर तक घुस जाता।

मेरी आह आह की आवाजें कमरे में गूंजने लगी.. और मेरी चूत में से भी फ़च फ़च की आवाज़ें निकल रही थी,,, मेरे तीनों सुराखों में एक एक लंड घुसा हुया था जो मुझे ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे,, 

मैं अपने उपर काबू रखे हुए थी, और मैं अभी इतनी जल्दी नही झड़ना चाहती थी,, क्योंकि मुझे पता था की यह चार फ़ौजी पूरी रात मेरी चूत के मैदान में अपना झंडा गाड़ते रहेंगे,,,

आख़िरकार सिंह अंकल का ज्वालामुखी भी फटने वाला था,, और वो भी नीचे से मुझे ज़ोर ज़ोर के धक्के मारते हुए मेरी चूत मे ही झड़ गये,,, और कुछ ही देर में वो भी अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर एक तरफ लेट गये,,,

उपर से राणा अंकल भी अपना बड़ा सा लंड मेरी गाण्ड में दनादन पेले जा रहे थे,, मैं उनके सामने घोड़ी के जैसे झुकी हुई थी,, मगर जब राणा अंकल ने देखा की सिंह अंकल का लंड मेरी चूत से निकल चुका है तो उन्होंने झट से अपना लंड मेरी गाण्ड से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया,,  

उफफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ाआ रहा था,,,,इतने सारे मर्दों के बीच में अकेली औरत अपने तन का पूरा सुख ले रही थी,,और उनको भी दे रही थी,,

राणा अंकल अब मेरी चूत को पूरी ताक़त से पेलने लगे,, और राठौड़ अंकल का लंड तो मेरे मुँह में पहले ही घुसा पड़ा था,,

आख़िर राणा अंकल ने भी मुझे पूरे जोश से चोदते हुए मेरी चूत में ही अपने लंड का सारा माल निकाल दिया,,,,,, अब मुझ में और घोड़ी बने रहने की ताकत नहीं थी.. मैं नीचे गिर गई,,,, मगर राणा अंकल ने मेरी चूत को तब तक नहीं छोड़ा जब तक उनके वीर्य का एक एक कतरा मेरी चूत में ना उतर गया..

मैं बहुत थक गई थी…मैं अंकल राठौड़ के आगे उनकी जांघों पर सर रख के लेट गई और उनके लण्ड से खेलने लगी..

फिर राठौड़ अंकल अपने घुटने नीचे लगा कर अपने पैरों की एडियों पर बैठ गये,, और मुझे अपनी गोद में अपने खड़े लंड के उपर बैठने को कहा,,, मैनें वैसे ही किया,, मैं उनकी तरफ अपना चेहरा करके उनके लंड पर बैठ गयी,, और अगले ही पल उनका लंड मेरी खुली हुई चूत के अंदर घुस गया,,,

मैं उनके गले में बाहें डाल कर उछल उछल कर उनसे चुदने लगी,, और वो भी मुझे नीचे से पेलने लगे,, फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाते हुए पीछे से मेरी गाण्ड में अपना लंड घुसेड दिया और मेरी गाण्ड में ज़ोर ज़ोर से पेलाई करने लगे,, और आख़िर वो मेरी गाण्ड में ही झड़ गये,,,, मैं कितनी बार झड़ चुकी थी, मुझे याद भी नहीं था..

अब फिर से शर्मा अंकल ने मेरी गाण्ड मे अपना लंड डाल दिया और उनके बाद सिंह अंकल ने भी,,,
सारी रात वो बारी बारी मुझे चोदते रहे,, चारों ने तीन तीन बार मेरी चूत की चुदाई की और दो दो बार मेरी गाण्ड को पेला,,,

मेरा इतना बुरा हाल था कि अब मुझसे खड़ा होना भी मुशकिल लग रहा था। सुबह के 4 बजने वाले थे,, और शराब के नशे में अब वो भी सोने लगे थे,,

मैंने कपड़े पहने और नीचे आने लगी, मगर सीढ़ियाँ उतरते वक्त मेरी टांगें कांप रही थी और चूत और गाण्ड में भी दर्द हो रहा था।
सुबह मैं काफी देर से उठी और मुझ से चला भी नहीं जा रहा था, इसलिए मैं बुखार का बहाना करके बिस्तर पर ही लेटी रही।
जब अंकल जाने लगे तो वो मुझसे मिलने आये..
पापा और मम्मी भी साथ थे, इसलिए उन्होंने मेरे सर को चूमा और फिर जल्दी आने को बोल कर चले गये।
मगर मैं पूरा दिन और पूरी रात बिस्तर पर ही अपनी चूत और गाण्ड को पलोसती रही..


आपकी प्यारी और सेक्सी कोमल भाबी 

आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।

मेरी ई-मेल आइडी है - komalpreetkaur29285@gmail.com