फूफा जी का बड़ा लंड दोबारा चूत में लिया

 


आपकी प्यारी कोमल भाबी का सारे प्यारे प्यारे लंड और चुत को प्यार भरा चुंबन.. दोस्तो आपने
मेरी पिछली कहानी

फूफा जी के हब्शी लौड़े से चूत की चुदाई करवा ली

 में पढ़ा कि कैसे मैंने रात को फूफा जी का नशे की हालत का फ़ायदा उठा कर उनका बड़ा हब्शी लंड अपनी चुत में लिया था.

और इस कहानी पर मुझे बहुत सारे दोस्तों के मेल भी मिले,, जिसमें सभी ने पूछा कि ‘प्यारी भाबी अगली सुबह क्या हुआ था ?’

तो मेरे प्यारे दोस्तो, अब मैं आपको बताती हूँ कि अगली सुबह क्या हुआ था.

होना क्या था… आपकी प्यारी भाबी की चुदाई ही तो होनी थी.

सुबह के 2 बज चुके थे, मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी, एक बार चुदाई करवाने के बाद मेरी चुत फिर से चुदाई के लिए तड़पने लगी थी,,,, बार बार फूफा जी का लंड मेरी आँखों के सामने घूम रहा था और मेरा मन कर रहा था कि एक बार और फूफा जी से चुदाई करवा लूँ,,,

क्योंकि सुबह फूफा जी अपने गाँव चले जाएँगे और फिर पता नहीं ऐसा मस्त लंड मिले या ना मिले!

इसलिए मैं एक बार फिर से उठी और धीरे धीरे दरवाजा खोल कर फिर से फूफा जी के कमरे में चली गयी और दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया. फूफा जी अभी भी सो रहे थे, मुझे पता नहीं था कि फूफा जी अब भी नशे में होंगे या फिर नहीं!

मगर अब की बार मैंने सोचा कि अगर फूफा जी नशे में ना भी होंगे तो अच्छा ही है, उनको भी पता चल जाएगा कि कोमल उनके लंड की कितनी दीवानी है.

मैंने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार फेंके और पूरी नंगी होकर फूफा जी के बिस्तर में उनके साथ जाकर लेट गयी. वो पहले जैसे ही नंगे पड़े थे,, जैसा मैं उनको छोड़ कर गई थी ,,

मैंने  फूफा जी के लंड को हाथ में लिया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी,,, मैं अपना गोरा बदन उनके बदन से मसलने लगी ,,, मेरे बूब्स उनकी छाती से दब कर सख्त होने लगे थे और एक बार फिर से मेरा बदन आग की तरह दहकने लगा था,,

मेरे बदन की गर्मी और मेरे हाथों के स्पर्श से फूफा जी का लंड फिर से हरकत में आने लगा और कुछ ही देर में खंबे की तरह खड़ा हो गया. मेरे बदन की रगड़ से फूफा जी भी थोड़ी थोड़ी हरकत करने लगे थे,, और वो नशे की हालत में ही अपने हाथ मेरे बदन पर घुमाने लगे थे और नींद में ही मुझे अपनी बाँहों में कसने लगे थे ,, जिस से मैं और भी कसकर उनके साथ लिपटती जा रही थी,,,

फूफा जी की आँखे बंद थी ,,, मगर फिर भी उन्होंने मुझे अपने साथ चिपका कर मेरे होंठ अपने मुंह में भर लिए और मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगे ,, मैं भी उनका साथ देने लगी और अपनी जुबान भी उनके मुंह में घुसेड़ दी ,, हम दोनों वासना के नशे में चूर एक दूसरे की जुबान और होंठों को चूसते जा रहे थे,, 

धीरे धीरे मैं उनके ऊपर चढ़ कर लेट गई और उनके गले में बांहें डाल कर उनके चुम्बन का साथ देती रही ,,, फूफा जी के मजबूत हाथ कभी मेरी गांड पर मेरे चूतड़ों को दबाते और कभी मेरे लम्बे बालों में अपनी उँगलियाँ घुमाने लग जाते,,

फूफा जी का काला फनफनाता लौड़ा मेरी रसीली चुत के मुंह पर टकरा रहा था,,,  और मैं अपनी चुत को उनके सख्त लौड़े से रगड़ रगड़ कर मजे ले रही थी ,,, ताकि कुछ ही पलों में वो मोटा लौड़ा मैं अपनी चुत में ले सकूँ

मगर मैं वो मोटा लौड़ा अपनी चुत में ले पाती उससे पहले ही अचानक फूफा जी ने मुझे अपनी बांहों में कसते हुए एक पलटी लगाई और मैं फूफा जी के नीचे आ गयी और फूफा जी मेरे ऊपर आ गये और मेरी तरफ़ देखते हुए बोले- क्या बात है कोमल बहू… मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि तुम मेरे साथ मेरे कमरे में आकर मेरी नींद का फ़ायदा उठा कर यह सब कर रही हो?

मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले ही फूफा जी ने फिर से मेरे होंठों को अपने मुँह में ले लिया और मेरे तने हुए मोटे मोटे चुचों को अपने हाथों में लेकर जोर जोर से  मसलने लगे.

फूफा जी के अचानक जाग जाने से मैं थोड़ा सा घबराई तो थी,, मगर जब फूफा जी भी मेरी जवानी को मसल मसल कर चाटने लगे तो मेरी घबराहट ख़त्म हो गयी और मैं बिना कुछ बोले  फूफा जी से लिपट कर अपनी जवानी उनको लुटाने लगी.

फिर फूफा जी मेरी चुत के सामने बैठ गए और मेरी दोनों टाँगें को चौड़ी करके ऊपर उठाया और अपना तना हुआ काला लौड़ा मेरी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार झटका दे मारा,,,,, पहले ही झटके में उनका आधा लौड़ा मेरी गीली चुत की दीवारों को खोलता हुआ मेरे अंदर घुसड़ गया,, मेरे मुंह से एक जोरदार आअह्हह्हह निकल गई,,,, और मेरा पूरा बदन अकड़ गया ,,

भले ही कुछ देर पहले भी मैंने फूफा जी का लौड़ा अपनी चुत में लिया था ,,, मगर अब जिस तरह से फूफा जी ने अपना लौड़ा मेरी चुत में घुसेड़ा था ,, उससे मेरी चुत बुरी तरह से हिल गई थी ,,,, 

मैं जानती थी की इस वक़्त सास-ससुर जी गहरी नींद में सो रहे होंगे और मेरी आअह्हह्ह्ह्हह की आवाज भी उन तक नहीं पहुंची होगी ,,, मगर फिर भी मैंने फूफा जी का मोटा लंड अपने हाथ से पकड़ कर उनको रोकते हुए कहा - फूफा जी ,, क्या कर रहे हो आप,, इतनी जोर से मत करो,, वर्ना कोई हमारी आवाजें सुन लेगा,,,

तो फूफा जी ने भी मेरी बात से सहमत होते हुए कहा - ठीक है कोमल,, जैसा तुम कहो,, मगर तुम्हारे जैसी पटाखा जवानी  को अपनी बाहों में देख कर मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ और जोर से झटका लग गया,, 

मैंने कहा - ठीक है फूफा जी,, जो हो गया सो हो गया ,,,अब आगे कंट्रोल रखना और वैसे भी मैं सारी रात आपके पास ही हूँ,, कहीं भाग थोड़ा रही हूँ,,

मेरी बातें सुनकर फूफा जी मुस्कराने लगे और मेरी दोनों टाँगें अपनी कमर की दोनों तरफ से निकालते हुए मेरे ऊपर लेट गये और मेरी गर्दन के नीचे से अपनी बाहें डाल कर अपना बाहर बाकी बचा हुआ लंड भी मेरी चुत में घुसाने लगे.

मैंने भी अपनी दोनों टांगों को खोलते हुए अपनी चुत के मुंह को फैला दिया और फूफा जी का हब्शी लौड़ा मेरी चुत में उतरने लगा ,,, जैसे जैसे वो काला नाग मेरी चुत के सुराख़ में घुसता जा रहा था,,,,  वैसे वैसे मैं भी फूफा जी के गले में बाहें डाल कर आह्ह्ह्हह आअह्ह्ह की हलकी आवाजें निकालती हुई उनसे लिपटती जा रही थी और फूफा जी भी मुझे अपनी बाहों में समेटते जा रहे थे,,,,

फूफा जी का पूरा लंड मेरी चुत में घुस चूका था,,, मैंने फूफा जी की कमर को अपनी दोनों टाँगों से पकड़ लिया और अपनी बांहें भी उनके गले में कस के डाल दी,,,, ताकि वो अभी अपना लंड अंदर बाहर ना कर सकें.

फूफा जी भी मेरी इस हरकत को समझ गएऔर मेरे ऊपर वैसे ही बिना हिले लेट गए. मैं फूफा जी की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी और फूफा जी भी मुस्कराने लगे.

फिर फूफा जी बोले- कोमल, तुम कब आई थी मेरे कमरे में? और यह सब तुमने कैसे किया मेरे साथ? मुझे नंगा करते हुए तुमको शरम नहीं आई?

मगर मैंने झूठ बोलते हुए और मुंह बनाते हुए कहा  - फूफा जी, शरम तो आपको आनी चाहिए, जो पूरी रात अपनी बहू को ज़बरदस्ती चोदते रहे हो,,

फूफा जी हैरान होते हुए बोले - ज़बरदस्ती, क्या… मैंने कब की तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती, अब जब मेरी आँख खुली थी तो उल्टा तुम ही मेरे साथ लिपट रही थी.

मैंने फिर से झूठ बोलते हुए कहा- अच्छा जी… अब की याद है आपको… और जब नशे की हालत में मैं आपको कमरे में लेकर आई थी और आप मेरे बदन को मसल रहे थे.. उस वक़्त कहाँ थी आपकी याददास्त ?

फूफा जी फिर से हैरान होते हुए बोले - क्या,,, ऐसा किया था मैंने,, मुझे तो कुछ भी याद नहीं,, 

मैंने फिर से बनते हुए कहा- और नहीं तो क्या,, आप शुक्र कीजिये,, कि मैंने ससुर जी और सासू माँ को नहीं बताया यह सब… वरना वो रात को ही बुआ जी को बुला लेते और आपकी इस हरकत के बारे में बताते. फिर अच्छे रहते आप… अब मुझ पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं.

फूफा जी ने अपना लंड मेरी चूत में हिलाते हुए कहा- ओह्ह्ह्ह,,, अरे ! वो तो हो गया होगा नशे में… मगर मैंने तुम्हारे कपड़े तो नहीं उतारे और मेरे कपड़े भी?

मैंने भी नीचे से अपनी चुत का एक हल्का सा झटका देते हुए अपनी चुत में लंड को भींचते हुए कहा - आपके कपड़े तो आपकी पम्मी ने उतारे हैं, उससे पूछिए जाकर!
पम्मी का नाम सुनते ही फूफा जी हैरान रह गये और बोले- पम्मी, कौन पम्मी? मैं किसी पम्मी को नहीं जानता! 
मैंने कहा- अच्छा तो रात को बड़ा पम्मी को याद कर रहे थे… और मुझे पम्मी समझ कर ही अपना बड़ा सा लंड मेरी चुत में गड़ा दिया था,,
 
मेरी यह बात सुनकर फूफा जी हंसने लगे और फिर अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करते हुए मेरी चुदाई करने लगे,, मैं भी अपनी कमर को उनके झटकों के साथ हिलाने लगी. पहले तो वो धीरे धीरे ही मेरी चुदाई करते रहे,, मगर जब मैंने नीचे से अपने धक्कों को तेज कर दिया तो वो भी अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से मेरी चुत में पेल देते,, जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं ऐसी चुदाई करवाने के लिए ही तो फूफा जी के पास दुबारा आई थी. 
फूफा जी मेरी पतली सी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना बड़ा सा लौड़ा मेरी चुत के अंदर बाहर कर रहे थे,, और मैं उनके सामने बिस्तर पर पड़ी आअह्ह्ह,,, ऊह्ह्ह्ह,,,, ऊऊफफफफ,,, की आवाजें निकालते हुए मचल रही थी,, मानो जैसे में किसी सवर्ग में पहुँच चुकी थी,, 

मैं अपनी चरमसीमा पर पहुँच चुकी थी और मैं ज़ोर ज़ोर से फूफा जी का लंड अपनी चूत में घुसाने के लिए अपनी गांड को उछालने लगी, फूफा जी भी अपना लंड बड़ी बेदर्दी से मेरी चूत के आर पार करने में लगे थे.

मेरी चूत में से मेरा लावा फूटने लगा और फूफा जी जब अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकालते तो मेरा ढेर सारा चुतरस भी लंड के साथ ही बाहर निकल जाता,, जिस से मेरी चुत से फच फच की आवाजें भी निकल जाती,,

इस ताबड़तोड़ चुदाई से में बुरी तरह थक चुकी थी और मेरी टाँगे भी काँपने लगी थी,, इसलिए मैंने फूफा जी को रुकने के लिए कहा.

फूफा जी भी इतनी जबरदस्त चुदाई कर के थक चुके थे,, इस लिए वो भी मेरी बात मानते हुए रुक गये, मैंने उनका लंड अपने हाथ से पकड़ के चूत में से बाहर निकाल दिया और चैन की सांस लेने लगी.

फूफा जी भी मेरे साथ लेट गये और बोले- कोमल, सच में बताओ,, रात में क्या हुआ था? और तुमने मुझे रोका क्यों नहीं ऐसा सब करने से?

मैंने झूठी कहानी सुनाते हुए कहा- फूफा जी, जब मैं आपको सुलाने के लिए अंदर लेकर आई तो आप मेरे बूब्स को दबाने लगे, उस टाइम सास ससुर जी अपने कमरे में चले गये थे, इसलिए उनको आपकी इस हरकत का पता नहीं चला.. और फिर जब मैं आपको बैड पर लिटाने लगी तो आपने मुझे बैड पर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गये और मेरे होंठों को चूसने लगे और मेरे चुचों को भी मसलने लगे.

फूफा जी ने कहा- तुमने भागने की कोशिश नहीं की?

मैंने कहा- भागना तो चाहा था,, मगर आपने अंदर से दरवाजा लॉक कर दिया और दरवाजे के पास खड़े होकर अपने सारे कपड़े उतार फेंके और जब मैं दरवाजे खोल कर भागने लगी तो आपने मेरी सलवार का नाड़ा तोड़ दिया और वो नीचे गिर गयी फिर आपने एक एक करके मेरी कमीज़, ब्रा और पेंटी भी उतार दी.

फूफा जी ने कहा- तुम शोर भी तो मचा सकती थी?

मैंने कहा- शोर भी मचाने वाली थी, फिर मैंने सोचा कि आप यह सब तो नशे की हालत में कर रहे हैं, और अगर मैं शोर मचाऊँगी तो आपके साथ साथ मेरी बदनामी भी होगी, और सास ससुर जी के साथ साथ गाँव वाले भी आपको बुरा भला कहेंगे. इसलिए मैं चुपचाप आपके सामने लेट गयी और आपने अपना काला हब्शी लंड मेरी चूत में पेल दिया.

फूफा जी बोले- तो कोमल… तुमने मेरी इज़्ज़त बचाने के लिए अपनी इज़्ज़त लुटा दी.

मैंने कहा- और नहीं तो क्या… पता है फूफा जी, जब आपका लंड पहली बार मेरी चूत में घुसा था तो मुझे कितना दर्द हुआ था… दर्द के मारे मेरी तो जान ही निकलने वाली थी, उस वक़्त तो मैं ज़ोर से चिल्लाने वाली थी.

तो फूफा जी मुस्कराते हुए बोले- चिल्ला लेती मेरी जान, हमने आपके ससुर की बहन को भी तो चोदा है, उनकी बहू को चोद लिया तो क्या हुआ!

मैंने मुस्कराते हुए कहा- तो फूफा जी, एक रात और रुक जाना, बहू को अच्छी तरह से चोद के ही जाना…

फूफा जी हंसते हुए बोले- अच्छा तो मतलब… बहू भी ज़बरदस्ती करवाना चाहती थी.

मैंने भी मुस्कराते हुए कहा- फूफा जी,,, क्या करूँ, आपका लंड है ही ऐसा… मेरी चूत आपके लंड की दीवानी हो गयी है और चाहती है कि ऐसा लंड रोज उसके अंदर घुसे.

फूफा जी बिना कुछ बोले मुस्कराते हुए फिर से मेरे ऊपर चढ़ गये और मुझे अपनी बांहों में कसते हुए जफ्फी डाल दी और मेरा नंगा बदन चूमने लगे.

फिर फूफा जी ने मुझे घोड़ी बनने को कहा और मैंने अपना सर बैड के साथ जोड़ कर अपनी गांड ऊपर उठा दी.

फूफा जी मेरी गांड की तरफ़ आ गये और मेरी चूत को अपने हाथों से फैलाते हुए उसको चाटने लगे, उनके चाटने से मुझे बहुत मजा आ रहा था… मैं अपनी चूत उनके मुँह पर दबाने लगी और फिर फूफा जी ने मेरी चूत को चाट चाट कर अच्छे से साफ कर दिया.

अब फूफा जी ने अपना लंड मेरी चूत में फिर से घुसेड़ दिया और मेरी पतली और नाजुक सी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और फिर अपने पैरों पर खड़े होकर अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे. मैं फिर से चुदाई के मज़े में डूबने लगी.

घोड़ी बन कर चुदाने में मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था मगर मैं दर्द की परवाह किए बिना फूफा जी पूरा लंड अपनी चूत में घुसवाना चाहती थी. फूफा जी का लंड भी इतना बड़ा था कि आसानी से अंदर नहीं लिया जा सकता था, मगर फिर भी मैं अपनी कमर हिला हिला कर फूफा जी का साथ दे रही थी.

फिर फूफा जी ने अपना लंड बाहर निकाला और नीचे बैठते हुए मुझे अपने लंड पर बैठने को कहा.
मैं फूफा जी की तरफ़ चेहरा करके उनके गले में बाहें डालते हुए उनकी छाती के साथ अपने बूब्स दबा कर उनके लंड पर बैठ गयी; उनका लंड फिर से मेरी चूत में समा गया और वो मुझे अपनी गोद में उठा कर खड़े हो गये और खड़े खड़े ही मुझे अपने लंड पर अपनी दोनों बांहों से उठा उठा कर चोदने लगे. मैं भी उनके लंड पर उछल उछल कर उनसे अपनी चुत चुदवाने लगी,,

ऐसे ही अलग अलग स्टाइल में वो मुझे सारी रात चोदते रहे,, कभी एक टांग उठा कर,,, तो कभी दीवार के साथ सटा कर,, कभी मैं उनके ऊपर और कभी वो मेरे ऊपर,, 

फिर फूफा जी जब झड़ने वाले थे तो उनहोंने मुझे बैड पर पटक दिया और अपना लंड मेरी चूत में से निकाल कर मेरे मुँह के ऊपर ले आए और फिर उनके लंड से एक जोरदार पिचकारी निकली, जिसने मेरे चेहरे, मेरे बूब्स और मेरे पेट को भी गाड़े वीर्य से भर दिया.

फूफा जी ने अपना सारा लंड मेरे बदन पर निचोड़ दिया और फिर अपने हाथ से मेरे बदन पर रगड़ने लगे जिससे मेरा चेहरा, बाल, बूब्स और पेट गीला हो गया और फिर फूफा जी मेरे ऊपर ही गिर गये.

हम दोनों इस भयंकर चुदाई के बाद थक चुके थे और एक दूसरे की बांहों में लिपट कर सो गये.

दोस्तो, मेरी इस कहानी पर आपकी मेल का इंतजार रहेगा आपकी हॉट हॉट सेक्सी कोमल भाबी को!

आपके खड़े और तने हुए लंडों और गीली हुई चूतों को मेरी चूत का बाइ बाइ!

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