हेलो दोस्तों,, आपने मेरी पिछली कहानी
फूफा जी का बड़ा लंड दोबारा चूत में लिया
पड़ी और मुझे ढेर सारी मेलस भी की,,
दोस्तों,, अब में आपको बताना चाहती हूँ की जब मैं रात को फूफा जी के रूम में ही उनकी बाहों में सो गई तो फिर अगली सुबह क्या हुआ,,
सुबह के 7 बज चुके थे,, मैं अभी बी फूफा जी की बाहों में नंगी सो रही थी,, फूफा जी भी मुझे अपनी बाँहों में समेटे हुए नंगे ही पड़े थे,,,
अचानक से मेरी आँख खुली,, और मैने खिड़की की तरफ देखा,,, बाहर से अंदर आ रही सूर्य की किरणों को देख कर मैं बहुत ही घबरा गई और हड़बड़ाहट से फूफा जी को जगाने लगी,, फूफा जी भी उठते ही जल्दी से टाइम देखने लगे,,,
इतनी सुबह हुयी देखकर मैं बहुत ही डर गई थी,,, इस वक़्त तक तो सास ससुर जी भी जाग जाते हैं,,, और अगर उनहोंने मुझे इस वक़्त फूफा जी के कमरे से निकलते देख लिया तो क्या होगा,,
मैं जल्दी से फूफा जी की बाहों से निकली और अपनी पैंटी पहनने लगी,,, फूफा जी भी अपना अंडरवियर पहनने लगे,, साथ ही मैंने खिड़की का हल्का से पर्दा उठा कर देखा तो मुझे सामने कोई नहीं दिखा,, मैंने जल्दी से अपनी ब्रा, सलवार और कमीज भी पहन ली,, और फूफा जी ने भी अपने सारे कपड़े पहन लिए,,, डर के मारे मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था,,,,
मैंने अपने बाल ठीक किये और फिर से खिड़की का पर्दा उठा कर बाहर देखा,,, ओह्ह्ह्हह भगवान,,, मेरे तो पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई ,,, सासु माँ अपने रूम से निकल कर बाहर की तरफ ही आ रही थी,,,,
मैंने घबराते हुए फूफा जी की तरफ देखा तो फूफा जी भी मेरे पीछे खड़े होकर खिड़की से बाहर देखने लगे,, वो भी मेरी सासु माँ को देखकर घबरा गए,,
मुझे ऐसा लगने लगा था की आज मैं पकड़ी जाउंगी,,, और पता नहीं आज मेरे साथ क्या होने वाला है,,,
मैं वहीँ पर्दे के पीछे छिपी हुयी सासु माँ को देखती रही,, और मेरे पीछे खड़े फूफा जी भी मेरी कमर को पकड़ कर मेरी गांड के साथ अपना लंड सटाये हुए मेरी सास की तरफ ही देख रहे थे,,,
सासु माँ अपने रूम से निकल कर सीधी वाशरूम में चली गई और वाशरूम का दरवाजा बंद कर लिया,, फिर मैं खिड़की के परदे से ही बाहर आँगन की तरफ देखने लगी,, की कही ससुर जी भी बाहर न हों,, मगर ससुर जी कहीं नहीं दिखे,,,
मगर फिर भी मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी,, मैंने पहले फूफा जी को बाहर जाने के लिए कहा और ससुर जी के बारे में पता करने के लिए कहा,,
मेरी बात मान कर फूफा जी अपने कमरे से बाहर निकले और इधर उधर देखने लगे,,, फिर उनहोंने मुझे सब ठीक ठाक होने का इशारा करते हुए बाहर आने के लिए कहा ,,,,
मैं जल्दी से फूफा जी के रूम से बाहर निकली और सीधी अपने रूम में चली गई,,, मगर मुझे अभी भी यही डर था की पता नहीं ससुर जी सो रहे हैं या फिर जाग रहे हैं,,
मगर फिर भी अपने रूम में पहुँच कर मुझे कुछ चैन की साँस आने लगी थी,,,
कुछ देर अपने बैड पर बैठने के बाद मैं अपने रूम के अंदर बने वाशरूम में गई और अपना हाथ मुंह धो कर बाहर आ गई,,,
बाहर वाले वाशरूम से सासु माँ के नहाने की आवाज आ रही थी,,, फिर मैंने ससुर जी के कमरे में झांक कर देखा तो ससुर जी अभी भी अपने बिस्तर पर सो रहे थे,,,
फूफा जी भी अपने रूम में चले गए थे,,,
अब मैं पूरी तरह से बेफिक्र हो गई थी,,, क्योंकि मेरे सास ससुर को कुछ भी पता नहीं चल पाया था,, फिर मैं सीधी किचन में गई और चाय बनाने लगी,,, चाय बना कर पहले सास-ससुर जी के कमरे में गई,, अब तक सासु माँ भी नहा कर कमरे में पहुँच चुकी थी ,,,, मैंने सास-ससुर जी को चाय दी और फिर चाय लेकर फूफा जी के कमरे में चली गई ,,,
फूफा जी तो पहले से ही मेरा इंतजार कर रहे थे,,, मेरे कमरे में जाते ही फूफा जी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और पूछने लगे - क्यों ,,, कोमल ,,,, कोई गड़बड़ तो नहीं हुयी ,, सब ठीक ठाक है ना??,,
मैंने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा - हां,,, फूफा जी,,, सब ठीक ठाक है,,, मगर अब वो दोनों जाग रहे हैं ,, अब यह सब करना ठीक नहीं,,, (साथ ही मैं अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी)
मगर फूफा जी मुझे कहा छोड़ने वाले थे ,,,, उन्होंनें अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाते हुए कहा - अभी तो वो चाय पी रहे होंगे,,, इतनी जल्दी थोड़ा न बाहर आ जायेंगे,,,,
मैंने बाहर की तरफ झांकते हुए कहा - वो तो ठीक है फूफा जी ,, मगर पता है ना,, अभी थोड़ी देर पहले बड़ी मुश्किल से बचें हैं ,,, कही ऐसा ना हो की फिर से फस ज़ायें ,,,,
फूफा जी का लंड मेरी गांड से रगड़ खाकर फिर से खड़ा हो चूका था ,,, उन्होंनें अपने लंड का दबाव मेरी गांड पर डालते हुए कहा - अब कैसे फस जायेंगे,,,, अब तो तुम उनके सामने मुझे चाय देने के लिए आई हो,,,
मैंने मुस्कराते हुए कहा - हांजी,, आई तो चाय देने ही हूँ,,, मगर आपके इस (लंड) को देखकर लगता है की कही आप मेरी ठुकाई करने ही ना बैठ जाएँ,,, (साथ ही मैंने अपनी गांड का दबाव भी उनके लंड पर डाल दिया)
फूफा जी भी मुस्कराने लगे और बोले - इरादा तो यही है कोमल,,, और देखो ना,, यह बेचारा कैसे तुम्हारी गांड में घुसने के लिए तड़प रहा है,,, इसको भी तो कुछ चाय या दूध पीला कर जाओ,,, (साथ ही फूफा जी खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगे)
मैंने भी बाहर की तरफ देखते हुए कहा - अच्छा जी ,,, तो सारी रात इसने क्या पिया है,, दूध ही तो पिया है इसने सारी रात,, और वो भी स्पैशल दूध ,,,
साथ ही मैंने मुंह बनाते हुए और अपने आप को छुड़ाते हुए कहा - अब छोड़िये भी फूफा जी ,,, बहुत देर हो गई है ,, सास ससुर जी को शक हो जायेगा,,,
मेरी बात सुनकर फूफा जी ने भी अपनी पकड़ डीली कर दी,, और मैं जल्दी से अपने आप को छुड़ा कर फूफा जी के रूम से बाहर आ गयी,
फिर मैं भी चाय लेकर अपने रूम में चली गयी,, और चाय पीते पीते फूफा जी के बारे में सोचने लगी,, जैसे उन्होंने मुझे रात को चोदा था,,, उस से मैं बहुत खुश थी,,,
अब मुझे फिर से चाय का कप लेने के लिए फूफा जी के रूम में जाना था,, और मुझे पता था की फूफा जी फिर से मुझे अपनी बाहों में भर लेंगे,, इस लिए मैने सोचा की जब ससुर जी नहाने के लिए जाएँगे और सासू मा अपनी पाठ पूजा कर रही होंगी,, तब फूफा जी के रूम में जाऊंगी,,,
और फिर कुछ ही देर में ससुर जी नहाने के लिए चले गये,, मैनें सासू मां के कमरे में देखा तो वो भी पाठ पूजा कर रही थी,,
अब यही अछा मौका देखकर मैं फिर से फूफा जी के रूम में चली गयी, और जैसा मैनें सोचा था,, फूफा जी पहले ही खिड़की से मुझे अंदर आते हुए देख रहे थे और अंदर जाते ही उन्होंने फिर से मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया,, और मेरे होंठों को चूसने लगे,, और साथ ही अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ दबाने लगे,,
मैं भी फूफा जी के साथ लिपट गयी और उनका साथ देने लगी,,,
फूफा जी का मोटा लंड फिर से खड़ा हो गया,, और मैं अपनी चूत का दबाव उनके लंड पर डालने लगी,, वो भी अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ने लगे,,, बीच बीच में हम खिड़की से बाहर भी झाँक रहे थे,,
फूफा जी बोले - कोमल,, देखो ना मेरे लंड का क्या हाल हो रहा है,, जल्दी से एक बार चुद्वा लो,,, इसको शांत कर दो कोमल,,,
मैनें कहा - नही,, नही,,,, फूफा जी,, इस वक़्त नही,,, रात को आप जितनी बार मर्ज़ी चोद लेना,,, मगर इस वक़्त किसी ने देख लिया तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी,,,
फूफा जी ने फिर से अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ते हुए कहा - मगर कोमल,, रात तो अभी बहुत दूर है,, तब तक मुझसे इंतजार नही होगा,,, मुझे तो अभी कुछ करना है,,
मैंनें अपने हाथ से फूफा जी का लंड पैंट के उपर से ही पकड़ते हुए कहा - फूफा जी,,, अगर अभी कुछ करना है तो घर में नही हो सकता,, आप मुझे कही बाहर ले जाइए,,, किसी होटल में या कहीं और,,,
फूफा जी फिर से बोले - अरे कोमल,, ले तो जाऊं,,, मगर तुम्हारी सास जाने देगी तुम को मेरे साथ,,,
मैनें कहा - कोई बहाना बनाकर ले जाईए फूफा जी ,, आख़िर आप इस घर के दामाद हैं,, इतना हक तो आप जता ही सकते हैं,,, और फिर आपके साथ जाने से तो वो शक भी नही करेंगे,,
फूफा जी मेरे होंठों को चूमते हुए बोले - तो फिर ठीक है कोमल,, तुम तैयार रहो,, मैं लगाता हूँ कोई जुगाड़,,,
मैनें भी हँसते हुए कहा - ठीक है फूफा जी,, मैं तो झट से तैयार हो जाऊंगी,, मगर अब आप अपना प्लैन मत बदल देना,,
फूफा जी बोले - अब नही बदलेगा प्लैन,,, बस तुम तैयार रहो चुदवाने के लिए,,, अब तो मैं तुमको लेकर ही जाऊँगा,,
मैनें कहा - ठीक है फूफा जी,,, मैं जल्दी से किचन का काम निपटा लेती हूँ,, और आप भी कोई जुगाड़ लगाइए,,
फिर मैनें और फूफा जी ने कस के एक जॅफी डाली और मैं अपने रूम में आ गयी,,, फिर मैनें जल्दी से नहा कर खाना बना लिया और सभी को एक साथ खाना खाने के लिए बुला लिया,,,
उधर फूफा जी भी तैयार होकर खाना खाने बैठ गये,, और मेरे सास ससुर भी,, और मैं उनको खाना परोसने लगी,,
अपने प्लैन के हिसाब से फूफा जी ने खाना खाते हुए ससुर जी से कहा - भाई साहिब,, आज मेरे दोस्त की बेटी की शादी है,, और मैं सोच रहा हूँ की दोस्त की बेटी के लिए कुछ बढ़िया से कपड़े खरीद लूँ,,,
ससुर जी ने भी खाना खाते हुए कहा - हाँ,, भाई साहिब,, ज़रूर खरीदने चाहिए,, दोस्त की बेटी भी तो अपनी बेटी जैसी होती है,,
फूफा जी ने फिर से कहा - हाँ,, इसी लिए सोच रहा हूँ की आज कल कपड़ों की पहचान तो लड़कियों और औरतों को ज़्यादा है,,, भाई हम तो पुराने बजुरग ठहरे,,
ससुर जी बोले - हाँ,, यह तो है,, मगर इस में क्या मुश्किल है,, आप हमारी बहन (बुआ जी) को शादी में साथ ले जाना और रास्ते से कपड़े खरीद लेना,,
फूफा जी ने ससुर जी की बात बीच में ही काटते हुए कहा - अरे नही भाई साहिब,, आपकी बहन को पहले लेने जाऊँगा और फिर कपड़े खरीद कर जब तक शादी में पहुंचगे,, तब तक तो शादी ख़तम हो जाएगी..
साथ ही फूफा जी ने कहा - भाई साहिब,,, अगर आप बुरा ने मानें तो,, मैं कोमल को शहर तक आपने साथ ले जाता हूँ,, और आपके यहाँ से तो शहर भी नज़दीक है,, कपड़े खरीद कर कोमल बहू को वापिस घर भी छोड़ जाऊँगा और शादी पर भी टाइम से पहुँच जाऊँगा,,
ससुर जी ने हंसते हुए कहा - अरे भाई साहिब,, इस में बुरा मानने वाली क्या बात है,, मगर इस के बारे में तो कोमल और उसकी माँ जी (सास) को ही पता होगा,, (ससुर जी ने सासू माँ की तरफ देखते हुए कहा)
सासू माँ भी हंसते हुए ससुर जी की तरफ देखते हुए बोली - आजी हमें क्या पता होगा,, घर में तो आपका ही हुक्म चलता है,,, और वैसे भी भाई साहिब कौन सा बेगाने हैं,, जिनको हम मना करेंगे,,,
सासू माँ की बात सुनते ही फूफा जी ने कहा - तो फिर ठीक है बहन जी, आप कोमल को तैयार होने के लिए बोलिए ,, हम जल्दी ही निकल जाते हैं,, आख़िर कपड़े खरीदने में भी तो वक़्त लगेगा,,
मैं किचन में खड़ी उनकी सारी बातें सुन रही थी,, सासू माँ की इजाज़त मिलते हीं मैं खुशी से फुदकने लगी,,
जब मैं फिर से उनको रोटी परोसने के लिए गयी तो सासू माँ ने मुझे फूफा जी के साथ जाने के लिए बोल दिया,, और मैंनें भी शरीफ बहू की तरह हाँ में सिर हिलाते हुए कहा - जी, माँ जी,, चली जाऊंगी,,
फिर मैनें भी जल्दी से खाना खाया और तैयार होकर फूफा जी के साथ उनकी गाड़ी में बैठ गयी,, हम दोनों ही बहुत खुश थे,, रास्ते मैं फूफा जी कभी मेरी झांघ मसलने लग जाते और कभी मेरे बूब्स,,, शहर पहुँचते ही फूफा जी गाड़ी एक होटल में ले गये और फिर हम एक कमरे में चले गये,,,
कमरे में जाते ही फूफा जी मुझे अपनी बाहों में लेकर बेतहाशा चूमने लगे,, मैं भी फूफा जी बाहों में पिघलने लगी,, और फिर फूफा जी एक एक करके मेरे कपड़े उतारने लगे,, पहले मेरी कमीज़,, फिर सलवार फिर ब्रा और आख़िर में मेरी पैंटी भी फूफा जी ने उतार फेंकी,, मेरे काले लंबे बालों को पोनी भी फूफा जी खोल दी,,, और फिर मुझे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया,,
मैं अपनी दोनों टांगे खोले कर फूफा जी की तरफ देखने लगी,, फूफा जी ने भी झट से अपने कपड़े उतारे,, और अपना फनफनाता हुया काला मोटा लौड़ा मेरी दोनों टाँगों के बीच में रख दिया,,
मेरी चूत तो फूफा जी का लौड़ा देखकर ही गीली हो चुकी थी,, फूफा जी ने अपना लौड़ा मेरी चूत के उपर कुछ देर रगड़ा और फिर सीधा मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया,, मैनें अपनी दोनों टांगे अकडाते हुए अपनी चुत को ऊपर उठा लिया और फूफा जी की पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया,,
लोहे जैसा गरम लौड़ा मेरी चूत में जाते ही मेरे मुँह से आअह्ह्ह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ें शुरू हो गयी,, फूफा जी मेरे नंगे बदन को चूम चूम कर मुझे पेल रहे थे और मैं तड़पती मचलती उनके नीचे अपनी चूत चुदाई का मज़ा ले रही थी,,,
आधे घंटे तक फूफा जी ने लगातार मेरी चूत की चुदाई की और फिर अपना सारा माल मेरी चूत के अंदर ही निकाल दिया,,,
मैं तो फूफा जी से पहले ही झड़ चुकी थी,, लंड से वीर्य निकलते ही फूफा जी मेरे उपर गिर पड़े और ज़ोर ज़ोर की साँसे लेने लगे,, उनका मोटा लौड़ा मेरी चूत के अंदर ही धसा रहा और हम दोनों थक कर हाँफने लगे,,
एक तो पूरी रात की चुदाई और अब फिर से ताबड़तोड़ चुदाई के बाद भी हम दोनों का मन नही भरा था,,, हम फिर से चुदाई करने के लिए तैयार थे,,,
कुछ देर के बाद फूफा जी फिर से उठे और मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला,, मैं झट से उनके सामने अपनी गांड उठा कर घोड़ी बन गयी और फूफा जी मेरे पीछे आकर मेरी गांड के सुराख में अपनी उंगली डालने लगे,, मैं फूफा जी के मन की इच्छा समझ गयी और अपने पर्स से क्रीम निकाल कर फूफा जी को दे दी,, फूफा जी ने अपनी उंगली पर क्रीम लगाई और पूरी उंगली मेरी गांड के अंदर घुसेड दी,,,
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मर गयी,,,,, फूफा जी की उंगली भी बहुत मोटी थी,, मेरी टाइट गांड में उनकी उंगली भी बड़ी मुश्किल से जा रही थी,, मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और फूफा जी अपनी उंगली पर और क्रीम लगा कर मेरी गांड में धकेलने में मगन थे,, जब फूफा जी की उंगली मेरी गांड में आराम से अंदर बाहर होने लगी तो फूफा जी ने अपने लौड़े पर ढेर सारी क्रीम लगाई और मेरी गांड के सुराख पर रख दिया,,,
इतना मोटा लौड़ा गांड में घुसने के बारे में सोच कर ही मैं तो घबरा रही थी,, मगर फिर भी मैनें फूफा जी को नही रोका,,,, क्योंकि में पहले भी अपनी गांड में कई लौड़े ले चुकी थी, मगर यह वाला लौड़ा सबसे तगड़ा था,,
उधर फूफा जी भी अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा रहे थे,, मगर उनके लौड़े का सूपड़ा भी अभी तक मेरी टाइट गांड में नही घुस पाया था,,
मैनें फूफा जी से कहा - फूफा जी,, आपका लौड़ा बहुत बड़ा है और मेरी गांड बहुत टाइट है,, कहीं ऐसा ना हो की आप मेरी गांड ही फाड़ दो,,, और फिर मैं चल भी ना पाऊँ,,
फूफा जी बोले - नहीं कोमल बहू,,, ऐसा नही होने दूँगा मैं,, तुम्हारी गांड भी तुम्हारी चूत की तरह यह लौड़ा आसानी से झेल जाएगी,, बस एक बार इसे अपनी गांड में तो घुसने दो,, फिर देखना कैसे मज़े से अंदर बाहर जाएगा मेरा लौड़ा,,,,
मैनें कहा - ठीक है फूफा जी,, अगर आप मेरी गांड की चुदाई भी करना चाहते हैं तो खुशी से कीजिए,, मैं आपको नही रोकूंगी,,,
और फूफा जी फिर से और ज़्यादा क्रीम लगाकर मेरी गांड में अपना लौड़ा घुसेड़ने लगे,,, आख़िर उनके लंड का सूपड़ा मेरी गांड के बीच घुस गया,, ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी गांड,,, फूफा जी,,,, आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी गांड,, फट जाएगी,,,, आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,,, मैं ज़ोर ज़ोर से चीलाने लगी और फूफा जी अपने लंड के सूपड़े को मेरी गांड में अड्जस्ट करके कुछ देर के लिए रुक गये,,
मैनें कहा - फूफा जी,,, आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आपका बहुत मोटा है,,, मेरी गांड फट रही है,,, फूफा जी,,, मगर फूफा जी ने अपने दोनों हाथों से मेरी पतली कमर को ऐसे पकड़ रखा था की मैं हिल भी नही पा रही थी,,, बस अपने सिर को नीचे झुकाए हुए और अपनी गांड उपर उठाए हुए ज़ोर ज़ोर से चिला रही थी,,,
फूफा जी ने मेरी आहें सुनकर कर मुझे हौंसला देते हुए कहा - बस बस कोमल,, कुछ देर की बात है,,, अभी तुम्हारा सारा दर्द कम हो जाएगा,,, और फिर देखना तुमको मज़ा ही मज़ा आएगा,,,
मैनें नीचे से ही क्राहते हुए कहा - जब तक मज़ा आएगा उस से पहले ही आप मेरी गांड को फाड़ दोगे,,, घर जाकर सास-ससुर को क्या मुँह दिखाऊँगी मैं,,,
फूफा जी हंसते हुए बोले - अरे कोमल बहू,,, अपने ससुर को भी अपनी गांड दिखा देना,, फिर वो कुछ नही बोलेगा तुमको,, बल्कि तुम्हारी गांड पर अपने हाथ से क्रीम लगाया करेगा,,,
मैनें फूफा जी गुस्सा होते हुए कहा - हटिए भी फूफा जी,, मेरी गांड फट रही है और आपको मज़ाक सूझ रहा है,, बस अब आप अपना यह मोटा लौड़ा निकाल लीजिए मेरी गांड से,, मैं नही चुदवाऊगी आपसे अपनी गांड,, अगर चूत की चुदाई करनी है तो कर लीजिए,,
मेरी बात सुनकर फूफा जी मेरे सामने मिन्ते करते हुए बोले,- अरे नही नही कोमल,, बस कुछ देर की ही बात है,, बड़ी मुश्किल से घुसा है तुम्हारी गांड में मेरा लौड़ा,, अगर अब निकल गया तो दुबारा पता नही घुस पाएगा या नही,,, अगर कुछ देर में तुम्हारा दर्द कम ना हुया तो में खुद ही अपना लौड़ा तुम्हारी गांड से बाहर निकाल लूँगा,,,
फूफा जी को ऐसे मिन्ते करते देख मैनें कहा - ठीक है फूफा जी,, आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,,,,, बस दो मिंट और देखूँगी,,, वरना आप अपना लौड़ा बाहर निकाल लेना,,,
फूफा जी खुश होते हुए बोले - हाँ,, हाँ,,, ठीक है कोमल बहू,,,, फिर जैसा तुम कहोगी,, वैसा ही करूँगा ,,,
मैं अपने एक हाथ से अपनी गांड के सुराख को सहलाने लगी और साथ में फूफा जी भी मेरी गांड के सुराख पर क्रीम लगाने लगे,, फूफा जी का मोटा लौड़ा मेरी गांड में ऐसे घुसा पड़ा था जैसे कोई लोहे की मोटी राड मेरी गांड में घुसी हुई हो,,,
मैं बीच बीच में अपनी गांड को हिला कर फूफा जी का लौड़ा अंदर बाहर करने के कोशिश करती मगर फूफा जी लौड़ा इतना मोटा था की वो मेरी गांड में जैसे अटक गया था,, ना तो बाहर निकल पा रहा था और ना ही अंदर घुस रहा था,, मैनें फूफा जी कुछ और क्रीम लगाकर अपने लंड को अंदर बाहर करने के लिए कहा,,
फूफा जी ने वैसे ही किया, फूफा जी एक बार लंड को अंदर धकेलते और फिर थोड़ा सा बाहर निकाल लेते,, फूफा जी के ऐसा करने से मुझे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा था,, जब फूफा जी का लंड मेरी गांड के अंदर घुसता तो दर्द के साथ साथ गांड में एक मज़े की लहर दौड़ जाती,,, गांड में लंड लेने की इच्छा बढ़ने लगी ,, इसी मस्ती में मैं भी अपनी गांड उचका उचका कर फूफा जी का लौड़ा अपनी गांड में लेने लगी,,
उधर फूफा जी भी समझ गये की अब मैं उनका लौड़ा लेने के लिए तैयार हूँ,, फूफा जी भी अपने लंड का वजन मेरी गांड पर डालने लगे और उनका लंड क्रीम के कारण फिसलता हुया मेरी गांड में समाने लगा,, मैं अभी भी दर्द से कराह रही थी,,, मगर अब मज़ा भी आ रहा था,,, इस लिए मैं बिना दर्द की परवाह किए फूफा जी सारा लंड अपनी गांड में समा लेना चाहती थी,,
मैं अपने एक हाथ की उंगलियों से फूफा जी का लंड अपनी गांड में उतरता हुया महसूस कर रही थी,,, और यह भी महसूस कर रही थी की उनका आधे से ज़्यादा लंड मेरी गांड में घुस चुका था और थोड़ा सा लंड ही बाहर था,, मैं अपनी गांड को गोल गोल घूमा कर फूफा जी का लंड अपनी गांड में अड्जस्ट करने लगी,,, जिस से मेरी गांड में मज़ा दुगुना हो गया,,, फूफा जी भी मेरे गोल मटोल चुतड़ों को मटकता देख मेरे चुतड़ों को दबाने लगे और कभी कभी मेरी गांड के सुराख को दोनों चुतड़ों से पकड़ कर फैला देते,,
मेरे मुँह से निकल रही कराहने की आवाज़ अब सिसकारियों में बदल चुकी थी,, और मैं अपनी गांड को ज़ोर ज़ोर से गोल गोल घुमा कर फूफा जी के लंड का मज़ा ले रही थी,, फूफा जी का पूरा लंड मेरी गांड में घुस चुका था और उनके मोटे मोटे टटटे मेरी चूत के मुँह पर रगड़ रहे थे,, मैं नीचे से हाथ डालकर उनके टट्टो और अपनी चूत को सहलाने लगी,, फूफा जी भी मेरे मोटे मोटे गोल मटोल चुतड़ों पर अपने हाथ घुमा घुमा कर मज़े ले रहे थे,,
मुझे अपनी गांड चुद्वाने का इतना मज़ा आने लगा था की मैं अपने आप को आगे धकेल कर फिर से फूफा जी की लंड पर दबाव डाल देती,, जिस से फूफा जी का लंड बाहर निकल कर फिर से मेरी गांड में घुस जाता,,, उधर फूफा जी बिना हीले जुले मेरी ऐसी चुदाई का मज़ा लेते हुए बोल रहे थे - ओह,,, कोमल,, ओह,,, मज़ा आ गया कोमल बहू,, बहुत बढ़िया,, ऐसे ही और झटके लगाओ कोमल,,, मेरे लंड पर,,, बहुत खूब कोमल,,, ओह,,, जेस,,,
मेरा बदन पसीने से भीग रहा था,, और मैं अपनी गांड को ज़ोर ज़ोर से फूफा जी के लंड पर पटक रही थी,, फूफा जी का लंड जब मेरी गांड की दीवारों से रगड़ता हुया अंदर जाता तो मुझे बहुत मज़ा आ जाता,,, दस मिंट तक मैं ऐसे ही अपनी गांड फूफा जी के लंड पर पटक पटक कर उनसे चुदती रही,,, और फिर मैं बुरी तरह से थक गयी,, और मेरी टांगे काँपने लगी,, मगर फूफा जी ने मेरी गांड से अपने लंड को बाहर नही निकलने दिया और मेरी कमर को पकड़ लिया,, और मैं उनके लंड से जुड़ी ऐसे ही आगे को झुकी रही,,
अब फूफा जी अपनी कमर हिला हिला कर मेरी गांड को चोद्ने लगे,, उन्होनें धीरे धीरे से मेरी गांड को चोद्ना शुरू किया,,, वो मेरी पतली कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना लंड मेरी गांड के अंदर बाहर करने लगे,, और मैं नीचे झुकी हुई ही उनके लंड का मज़ा लेने लगी,, फिर फूफा जी ने मेरे बिखरे हुए बालों को ईकठा किया और मेरे बालों को दोनों हाथों से पकड़ कर खींच खींच कर अपने लंड के धके मेरी गांड में लगाने लगे, जैसे कोई घोड़े पर बैठ कर उसकी लगाम खींचता है,, ओह, मुझे सच में एसा एहसास हो रहा था जैसे मैं कोई घोड़ी हूँ और कोई घोड़ा मुझे पीछे से चोद रहा है,,
फूफा जी भी मेरी गांड में लंड के धके लगाते हुए बोल रहे थे - ओह मेरी घोड़ी,, चल मेरी कोमल घोड़ी,, आह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह क्या शानदार घोड़ी मिली है मुझे ओह हह कोमल,,
ऐसे ही फूफा जी घोड़सवारी करते हुए अपना मोटा लौड़ा मेरी गांड में घुसाते रहे और फिर जब उनका वीर्य छूटने लगा तो वो मुझे बोले की कोमल मैं तुम्हारे मुँह में अपना वीर्य निकालना चाहता हूँ,,
मैनें कहा - ठीक है फूफा जी,,, निकाल दीजिए अपना सारा वीर्य मेरे मुँह में,, और मैनें घूम कर अपना मुँह उनके लंड के सामने कर दिया,, और फूफा जी ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया,, उनके लंड से बड़ी बड़ी पिचकारियाँ निकल कर मेरे मुँह में घुल गयी और मैनें उनका सारा वीर्य गले से नीचे उतार लिया,,
गांड की इस दमदार चुदाई से मैं और फूफा जी बहुत थक चुके थे,, मेरी तो टांगे अभी तक कंपकंपा रही थी,,
मैनें फूफा जी के लंड की तरफ़ इशारा करते हुए कहा - फूफा जी,, अब तो आपका लंड खुश हैं ना,,,
फूफा जी बोले - बहुत खुश है कोमल,, तुमने तो आज मुझे जन्नत की सैर करवा दी,,
मैनें कहा - और अपने मुझे जन्नत की सैर करवा दी, अपने रॉकेट पर बिठा कर,,, और हम दोनों हँसने लगे
फिर हम दोनों ने कपड़े पहने, मैंनें अपने बाल बनाए और आकर गाड़ी में बैठ गये,, फिर फूफा जी मुझे शॉपिंग माल ले गये और वहाँ से एक बढ़िया सा सूट खरीदा,, मेरी पसंद का,, और बोले की सासू माँ को बोलना की फूफा जी ने दोस्त की बेटी के साथ साथ मेरा भी सूट खरीद लिया,,
तो दोस्तो,, कैसा लगा आपको मेरा यह गर्म गर्म किस्सा,,, मुझे कोमेंट करके ज़रूर बताना...
आपकी प्यारी भाबी कोमलप्रीत कौर (कोमल)
komalpreetkaur29285@gmail.com










Social Plugin