कंचन-5  देवर संग मस्ती

कुछ दिन मायके में रहने के बाद कंचन फिर से राजेश के पास आ गई ,, जिस तरह से विकी ने उसे चोदा था और हर रोज रात को उसकी चुदाई होती थी,, उस से कंचन की चूत के दोनों होंठ और भी चौड़े हो चुके थे, जब रात को राजेश कंचन की चुदाई करने लगा तो कंचन की खुली हुयी चूत देखकर राजेश बोला - ओह्ह्ह मेरी जान,, देखो तुम्हारी चूत कैसे मेरे लंड को अपने अंदर घुसवाने के लिए अपना मुंह खोले बैठी है,,,,

कंचन ने अपनी अदा दिखाते हुए कहा - और नहीं तो क्या,,, आपके बिना तो मुझे नींद भी नहीं आती थी ,,

हालाकि कंचन जानती थी की उसकी चूत के होंठ तो विकी की चुदाई के कारन खुले हुए हैं,, मगर राजेश कंचन की चूत देखकर जरा सा भी अंदाजा नहीं लगा पाया था की वो किसी और से चुदी है,,

अब हर रोज कंचन की चुदाई होती, मगर कंचन को राजेश का लंड विकी के लंड जैसा मजा नहीं दे पाता,, विकी एक दो महीने के बाद कंचन से मिलने उसके घर आ जाता और जब राजेश अपने काम पर चला जाता तो दोनों पूरा दिन चुदाई करते,,

ऐसे ही कंचन की शादी को एक साल बीत गया,, राजेश भी अब कंचन को हर रोज नहीं चोद पाता था, हफ्ते में दो या तीन बार ही कंचन की चुदाई हो पाती,,, मगर कंचन हर रोज बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करती कि राजेश उसे आज चोदेगा, लॅकिन रोज़ ही निराशा हाथ लगती.  राजेश अक्सर ही काम पर लेट हो जाता और थक कर जल्दी ही सो जाता, जब कभी चुदाई करता भी तो भी पूरी तरह से नंगी नहीं करता, बस नाइटी  उठा कर पेल देता, मगर कंचन की वासना की आग बढ़ती जा रही थी और राजेश के पास उसकी प्यास बुझाने का समय नहीं था,, विकी भी कंचन से ज्यादा नहीं मिल पाता था, 

कंचन इसी बात से कुछ मायूस सी रहने लगी, मगर फिर एक दिन अचानक से राजेश का छोटा भाई रमेश उनके पास रहने के लिए आ गया,, रमेश ने बताया की गाँव में उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी है और अब वो उनके पास शहर में रह कर ही आगे की पढ़ाई पूरी करेगा,,

रमेश दिखने में सुन्दर और जवान था, अपने भाई से भी कुछ लम्बा और चौड़ा ही था,, बिलकुल एक पहलवान की तरह,, पहले तो सारा दिन कंचन घर में अकेली बोर होती थी मगर अब उसे रमेश का साथ मिल गया था,, रमेश हफ्ते में दो-तीन दिन ही कॉलेज जाता, बाकि सारा दिन घर पर ही रहता,, कंचन भी पढ़ाई में उसकी मदद कर देती, और जब कभी बाजार जाना होता तो दोनों एक साथ ही जाते,, दोनों में खूब पटने लगी,

एक रात जब कंचन रसोई में काम कर रही थी तो राजेश बार बार कंचन को बुला रहा था - "कंचन, और कितनी देर है, जल्दी आओ ना",,

और फिर कंचन भी जवाब देते हुए बोली - हाजी, बस आ रही हूँ,, आप इतने उतावले क्यों हो रहे हो,,

और फिर अपना काम ख़तम कर कंचन भी जल्दी से कमरे में चली गई,, रमेश भी समझ गया की आज उसकी भाबी की चुदाई होने वाली है,,

जैसे ही कमरे की लाइट बंद हुई रमेश भी जल्दी से उनके कमरे के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया. अंदर से फुसफुसाने की आवाज़ आ रही थी पर कुछ कुछ ही सॉफ सुनाई दे रहा था.

" क्यों जी,, आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?"

" मेरी जान कितने दिन से तुमने दी नही. इतना ज़ुल्म तो ना किया करो."

" चलिए भी, मैने कब रोका है, आप ही को फ़ुर्सत नही मिलती."

और फिर कंचन की आवाज आने लगी ". आह..एयेए.. आह है राम….वी माआ अयाया…… धीरे करो न, अभी तो सारी रात बाकी है"

अंदर से आ रही आवाजों को सुनकर रमेश ने अपने लंड को हाथ में पकड़ लिया और जोर जोर से हिलाने लगा,, कंचन की सिसकारियों की आवाज कुछ देर तक ही आयी और फिर दोनों की आवाज बंद हो गई,,

अगली सुबह जब रमेश उठा तो उसकी भाबी कंचन उसे चाय देने के लिए उसके कमरे में आई,, कंचन को देखते ही उसे रात वाली बात याद आ गई,, और वो अपनी भाबी के जिस्म को गौर से देखने लगा. गोरा गोरा भरा हुआ गदराया सा बदन, लंबे घने काले बाल, जो कंचन के चूतड़ों तक लटकते थे, गोल गोल आम के आकार की चुचियाँ, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े चूतड़.

रमेश का लंड खड़ा होने लगा,,, वो अपनी भाबी को पटाने के बारे में सोचने लगा क्योंकि वो भी जनता था की राजेश भैया कंचन भाभी को पूरा वक़्त नहीं दे पाता था और फिर रात को भी वो ज्यादा देर तक कंचन को नहीं चोद पाया था,, और कुछ देर में ही उन दोनों की आवाजें बंद हो गई थी,,

जब राजेश अपने काम पर चला गया, और कंचन रसोई में काम कर रही थी तो रमेश कंचन के पास जाकर उनसे बातें करने लगा,,, रमेश कंचन के मखमली बदन को देखते हुए उनसे कुछ मजाकिया लहजे में बात कर रहा था,, और कंचन भी रमेश से खूब घुल मिल चुकी थी इस लिए वो भी खाना बनाते हुए रमेश से मजाकिया लहजे में ही बात करने लगी,,

फिर रमेश ने भोले बनते हुए कहा - भाबी, कल रात को भैया बहुत शोर मचा रहे थे और आपको भी जल्दी आने के लिए बोल रहे थे,,, क्या हुआ था भैया को,,

कंचन ने होंठों के बीच मुस्कराते हुए तिरछी नज़र से रमेश को देखा और बोली - ऐसे ही उनको कुछ काम था,,

रमेश फिर से बोला - ऐसा भी क्या काम था भाबी,, आप भी उनको बोल रही थी की इतने उतावले क्यों हो रहे हो, आ रही हूँ,,, ऐसा उतावले होने वाला क्या काम था (रमेश ने फिर से भोलेपन का नाटक करते हुए कहा)

कंचन मुस्कराहट के साथ कुछ शरमाते हुए बोली -"धत बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है. मेरे ख्याल से तेरी अब शादी कर देनी चाहिए. बोल है कोई लड़की पसंद ?"

"भाभी सच कहूँ मुझे तो आप ही बहुत अच्छी लगती हो" - रमेश मुस्कराते हुए बोला"
"चल नालयक भाग यहाँ से और जा कर अपनी पढाई कर " - कंचन ने उसे मुस्कराहट के साथ डाँटते हुए कहा,,

पहली बार रमेश ने कंचन से ऐसी बातें की थी और कंचन भी बिल्कुल नाराज़ नही हुई थी. इससे रमेश की हिम्मत और बढ़ने लगी. और वो हर रोज अपने भैया-भाबी के कमरे से आती आवाजें सुनने लगा,, जिस से रमेश को एक बात तो पता चल गई, की कंचन की चुदाई महीने में बड़ी मुश्किल से एक-दो बार ही हो पाती थी,, 

एक बार रिश्तेदारी में राजेश और कंचन को किसी शादी में जाना था,, मगर राजेश को छूटी नहीं मिल पायी, जिस कारन राजेश ने रमेश को अपनी भाबी के साथ जाने के लिए बोल दिया, हालाकि उन्होंने दो सीटों की रिज़र्वेशन करवाई थी मगर उनको एक शीट ही मिल पायी,, गाड़ी में भीड़ भी बहुत थी, गाड़ी में चढ़ते वक़्त धक्का मुक्की के कारण आदमी आदमी से सटा जा रहा था.

रमेश अपनी भाबी के पीछे खड़ा हो गया,,, उसका लंड बार बार कंचन के मोटे चूतड़ों से रगड़ रहा था. कंचन भी रमेश का लंड अपने चूतड़ों पर महसूस कर रही थी और उसको भी लंड की गर्मी महसूस करते हुए मजा आ रहा था,,  कई बार तो हल्के से कंचन भी अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धकेल देती, जिस से रमेश का लंड कंचन के चूतड़ों की दरार के बीच में घुस जाता.

कंचन रमेश की तरफ देख कर हल्का सा मुस्करा देती,, रमेश तो अपनी भाबी को चोदने के लिए बेकरार था,, मगर फिर भी ऐसी वैसी हरकत करने से डरता था,, हलाकि कंचन विकी और राजेश के लंड से चुदने के बाद इतनी चुदकड़ हो गई थी की वो किसी भी लौड़े से चुदने के लिए तैयार थी,,, मगर कंचन चाहती थी की रमेश ही सामने से पहल करे,, अगर रमेश उनके घर में नहीं आता तो कंचन किसी भी गैर मर्द से अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए मन बना चुकी थी,,

ट्रेन में चढ़ कर वो दोनों एक ही सीट पर बैठ गए, रात को जब सारे सो गए तो कंचन के कहने पर रमेश ने अपनी टाँगें कंचन की तरफ कर ली और कंचन ने अपनी टाँगें रमेश की तरफ कर ली और दोनों आसानी से एक ही सीट पर लेट गये.

मगर कंचन के सुन्दर पैरों से आ रही खुसबू भला रमेश को कैसे सोने दे सकती थी,, वो कभी अपनी भाबी के उठे हुए चूतड़ों को देखता और कभी अपनी भाबी के गोरे गोरे पैरों को देखता,

रात का वक़्त होने के कारन सारे लोग लाइट बंद करके सो रहे थे,, उसने कंचन की तरफ देखा तो वो भी दूसरी और करवट लेकर गहरी नींद में सो रही थी ,, रमेश का लंड खड़ा होने लगा था, उसने भी कंचन की ओर करवट बदली और अपना खड़ा लंड कंचन की गांड के साथ सटा दिया,, 

कंचन को भी किसी गैर मर्द के साथ लेट कर कैसे नींद आने वाली थी,, उसे तो रोज राजेश की बाहों में सोने की आदत पड़ चुकी थी,, उसकी गांड पर रगड़ रहा रमेश का लंड उसे कहा सोने देने वाला था,,, वो चुप चाप लेटी रही,, आज वो रमेश को सब कुछ करने देना चाहती थी,,, और सोच रही थी की वो रमेश को कुछ भी करने से रोकेगी नहीं,,, मगर रमेश अपने लंड को कंचन की गांड पर रगड़ते हुए ही झड़ गया और उसका लंड ढीला हो गया,, कंचन को उस पर बहुत गुसा आया मगर वो चुप चाप सो गई,, और फिर रमेश भी सो गया,,

अगली सुबह वो शादी में पहुँच गए,, कंचन की जवानी और हुस्न देखकर सब उसकी तरफ ही देख रहे थे,, रमेश भी कंचन के साथ ऐसे घूम रहा था जैसे वो ही उसका पति हो,, और कंचन भी बिना किसी झिझक के साथ रमेश के साथ तस्वीरें खिचवा रही थी,, इस शादी में कंचन और रमेश और भी ज्यादा घुल मिल गए,, यहाँ तक की एक दूसरे के साथ चिपक कर बैठना और एक दूसरे को चिकुटी काटना तो उनके लिए आम सी बात हो गई थी,,,

जिस दिन वो शादी से वापिस घर आये तो राजेश और कंचन की ख़ुशी देखकर रमेश समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है. उस रात भी रमेश दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया. राजेश कुच्छ ज़्यादा ही जोश में थे . अंदर से आवाज़े सॉफ सुनाई दे रही थी.

" कंचन मेरी जान, तुमने तो हमें बहुत सताया. देखो ना हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिए कैसे तड़प रहा है. अब तो इनका मिलन करवा दो."

" हाई राम, आज तो यह कुच्छ ज़्यादा ही बड़ा दिख रहा है. ओह हो ! ठहरिए भी, नाइटी तो उतारने दीजिए."

"अरे इतना इंतजार कहा होता है मेरी जान,,,  तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता." - राजेश की अंदर से आवाज आई,,

"झूठ मत बोलिये ! ऐसी बात है तो आप तो महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही …….." कंचन कहते हुए चुप हो गई ,,

" दो तीन बार ही क्या?" - राजेश ने पूछा 

" ओह हो, आप तो बस मेरे मुँह से गंदी बात बुलवाना चाहते हैं"

" बोलो ना मेरी जान, दो तीन बार क्या."

" अच्छा बाबा, बोलती हूँ; महीने में दो तीन बार ही तो चोद्ते हो. बस!!" कंचन ने शरमाते हुए कहा

" कंचन, तुम्हारे मुँह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड अब और इंतज़ार नहीं कर सकता. थोड़ा अपनी टाँगें और चौड़ी करो. मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है, मेरी जान." राजेश ने हवस से भरी हुयी आवाज में कहा

" मुझे भी आपका बहुत ……. अयाया…..मर गयी….ऊवू….आ…ऊफ़..वी मा, बहुत अच्छा लग रहा है….थोड़ा धीरे… हाँ ठीक है….थोडा ज़ोर से…आ..आह..आह ." 

अंदर से कंचन के करहाने की आवाज़ के साथ साथ फच....फच....फच.... जैसी आवाज़ भी आ रही थी,, बाहर खड़े हुए रमेश भी अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और अपना लंड हिलाते हुए वो भी झाड़ गया. अब तो वो रात दिन कंचन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा.

एक दिन रमेश अपने कमरे में पढ़ रहा था की कंचन ने उसे आवाज़ लगाई,

" रमेश,, ज़रा बाहर जो कपड़े सूख रहे हैं उन्हें अंदर ले आओ. बारिश आने वाली है."

" अच्छा भाभी!" बोल कर रमेश कपडे लेने बाहर चला गया

तार पर से कपड़े उतारते समय रमेश ने देखा कि उसकी भाभी की ब्रा और कच्छी भी टँगी हुई थी. रमेश ने ब्रा और कच्छी को हाथ में लिया. गुलाबी रंग की वो कच्छी करीब करीब पारदर्शी थी और इतनी छोटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो. भाभी की कच्छी का स्पर्श उसे बहुत आनंद दे रहा था,, वो मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छोटी सी कच्छी उसकी भाभी के विशाल चूतड़ों और चूत को कैसे संभालती होगी. 

रमेश ने अपनी भाबी की कच्छी को सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुछ खुश्बू वो भी ले सके,, मगर अभी तक उसने कच्छी को नाक से लगाया ही था की कंचन भी बाहर आ गई,,

कंचन रमेश के ऐसे खड़ा देखकर बोली -" क्या सूंघ रहे हो रमेश ? तुम्हारे हाथ में क्या है?"

रमेश की चोरी अब पकड़ी गयी थी. वो बहाना बनाते हुए बोला,,

" देखो ना भाभी ये छोटी सी कच्छी पता नहीं किसकी है? और यहाँ कैसे आ गयी."

कंचन रमेश के हाथ में अपनी कच्छी देख कर झेंप गयी और उसके हाथ से अपनी कच्छी छीनती हुई बोली -" लाओ इधर दो."

"किसकी है भाभी ?" रमेश ने अंजान बनते हुए पूछा.

"तुमसे क्या मतलब, तुम अपना काम करो" कंचन बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली.

"बता दो ना भाबी. अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो मैं लोटा दूं. - रमेश ने फिर से भोला बनते हुए कहा 

" जी नहीं, लेकिन तुम सूंघ क्या रहे थे ?"

"अरे भाभी मैं तो इसको पहनने वाली की खुश्बू सूंघ रहा था. बहुत ही मादक खुश्बू थी. बता दो ना किसकी है?’

कंचन का चेहरा ये सुन कर शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अंदर भाग गयी...

उसी रात जब कंचन रमेश के कमरे में उसे दूध देने आई तो रमेश ने  देखा की कंचन ने एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी. कंचन जब दूध का गिलास रखने के लिए नीचे झुकी तो रमेश को सॉफ नज़र आ रहा था की उसकी भाभी ने नाइटी के नीचे वो ही गुलाबी रंग की कच्छी पहन रखी थी. झुकने की वजह से कच्छी की रूप रेखा सॉफ नज़र आ रही थी. रमेश चोर नजरों से देखने लगा की वो छोटी से कच्छी उसकी भाबी के भारी नितंबों के बीच की दरार में घुसी जा रही थी. रमेश के लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. रमेश भी जनता था की उसकी भाबी उसकी किसी बात का बुरा नहीं मानती,, अब उस से ना रहा गया और वो बोल ही पड़ा,,,

"भाभी अपने तो बताया नहीं लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छोटी सी कच्छी किसकी थी."

" तुझे कैसे पता चल गया?" कंचन ने शरमाते हुए और हैरान होते हुए पूछा.

" क्योंकि वो कच्छी आपने इस वक़्त नाइटी के नीचे पहन रखी है."

" हट बदमाश! तो तू ये सब देख रहा है?" जरा सी शर्म भी नहीं आती तुमको,, कंचन ने गुस्सा दिखते हुए कहा ,

" भाभी एक बात पूछूं आपसे ? इतनी छोटी सी कच्छी में आप फिट कैसे होती हैं?" रमेश ने कुछ डरते हुए हिम्मत जुटा कर पूच्छ ही लिया.

" क्यों,, मैं फिट क्यों नहीं हो सकती,, तुझे मैं मोटी लगती हूँ?"

" नहीं भाभी, आप तो बहुत ही सुंदर हैं. लेकिन आपका बदन इतना सुडोल और गाथा हुआ है, आपके नितंब इतने भारी और फैले हुए हैं की इस छोटी सी कच्छी में समा ही नहीं सकते. आप इसे क्यों पहनती हैं ? यह तो आपकी जायदाद को छुपा ही नहीं सकती और फिर यह तो पारदर्शी है , इसमे से तो आपका सब कुच्छ दिखता होगा."

" चुप नलायक, तू कुच्छ ज़्यादा ही समझदार हो गया है. जब तेरी शादी होगी ना तो सब अपने आप पता लग जाएगा. लगता है तेरी शादी जल्दी ही करनी होगी, शैतान होता जा रहा है." कंचन ने फिर से बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा,, 

" जिसकी इतनी सुंदर भाभी हो उसको भला शादी करने की क्या जरूरत ?" रमेश ने मुस्कराते हुए कहा,,, (वो इस लिए भी ऐसी बातें कर रहा था ताकि उसकी भाबी समझ सके की उसके दिल में क्या है)

" ओह हो! अब तुझ जैसे नालायक को कैसे समझाऊ?  जो चीज़ तेरी बीवी तुझे दे सकती है वो भाभी तो नहीं दे सकती ना? इसी लिए कह रही हूँ शादी कर ले."

" भाभी ऐसी क्या चीज़ है जो सिर्फ़ बीवी दे सकती है और आप नहीं दे सकती" रमेश ने फिर से अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा,, 

" मैं सब समझती हूँ चालाक कहीं का! तुझे सूब मालूम है फिर भी अंजान बनता है" कंचन ने मुस्कराते हुए कहा " लगता है तुझे पढ़ना लिखना नहीं है, मैं सोने जा रही हूँ."

" लेकिन भैया ने तो आपको नहीं बुलाया" रमेश ने फिर से शरारत भरे स्वर में पूछा. कंचन जबाब में सिर्फ़ मुस्कुराते हुए अपने कमरे की ओर चल दी. उसकी मस्तानी चाल, मटकते हुए भारी नितंब और दोनों चूतड़ों के बीच में पिस रही बेचारी कच्छी को देख कर रमेश के लंड का बुरा हाल हो रहा था,,,

वो रात तो रमेश ने अपने लंड को सहलाते हुए बड़ी मुश्किल से गुजारी,, वो जल्द से जल्द अपनी भाबी को पटाने के चक्कर में था,,, और जिस तरह से कंचन उसकी गन्दी बातों पर भी शर्मा देती थी, उस से रमेश को भी लग रहा था की उसकी भाबी उस से जल्द ही पट जाएगी,,

उसके मन में ख्याल आया की क्यों न वो भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन करवाए. वो जनता था की उसका विशाल लंड देखकर उसकी भाबी खुश हो जाएगी,,, अगली सुबह ही राजेश के काम पर चले जाने के बाद रमेश अपनी लूँगी को घुटनों तक उठा कर अख़बार पढ़ने का नाटक करते हुए बरामदे में इस प्रकार से बैठ गया की सामने से आती हुई भाभी को उसका लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए. जैसे ही उसे भाबी के आने की आहट सुनाई दी, उसने अख़बार अपने चेहरे के सामने कर लिया, और टाँगों को चौड़ा कर लिया ताकि उसकी भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें,, उसने अख़बार के बीच में एक छेद कर रखा था, जिस से वो अपनी भाबी के चेहरे के हाव भाव देख सकता था.

जैसे ही कंचन अपने कमरे से बाहर आई तो उसकी नज़र भी लूँगी के नीचे से लटक रहे 8 इंच लंबे मोटे हथोड़े जैसे लंड पे पर गयी. कंचन सकपका कर वही रुक गयी, उसकी आँखें भी आश्चर्या से बड़ी हो गयी,, कंचन ने अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया. एक मिंट के लिए तो जैसे उसके होश ही उड़ गए थे,, मगर होश आते ही वो जल्दी से किचन में भाग गई. कंचन की आँखों के सामने रमेश का मोटा लौड़ा घूमने लगा था,, उसका फिर से रमेश का लंड देखने का मन होने लगा,, 

उसे मालूम नहीं था की रमेश भी उसे अख़बार के छेद में से देख रहा था,,, वो तो समझ रही थी की रमेश अख़बार पड़ने में व्यस्थ है,,  करीब 5 मिंट के बाद कंचन फिर से बाहर आयी ,, कंचन के क़दमों की आहट सुनकर रमेश फिर से चौकन्ना हो गया,, अब कंचन हाथ में पोचे का कपड़ा लेकर आई और रमेश से करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी. और फिर से लूँगी के नीचे लटकते हुए लंड को बड़ी शिदत से निहारने लगी. रमेश भी अपनी भाबी को अपने लंड की तरफ देखकर मन ही मन खुश हो रहा था,, उसका लंड धीरे धीरे अकड़ने लगा था,,, उसने अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया,, ताकि उसकी भाभी को उसके विशाल लंड के साथ साथ बॉल्स के भी दर्शन अच्छी तरह से हो जाएँ.

कंचन की आँखें एकटक रमेश के लंड पर लगी हुई थी, वो अपने होंठ दाँतों से चबाने लगी,, लंड का अकार बढ़ता देख उसके माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई थी. अपनी भाभी की ऐसी हालत देख कर रमेश का लंड उछलने के लिए मचल रहा था. तभी दरवाजे पर किसी ने बैल बजाई और एक दम से दोनों का धयान भटक गया,, कंचन जल्दी से उठकर दरवाजे की ओर चली गई और रमेश भी अपनी लूँगी को सही करके बैठ गया ,,

कुछ ही देर में उसका भैया राजेश अंदर आया और वो कंचन और रमेश को बताने लगा की उसे काम के सिलसिले में आज ही कही बाहर जाना पड़ेगा और वो 10 दिन के बाद ही वापिस लौटेगा ,,, 

फिर राजेश ने कंचन को जल्दी से पैकिंग करने के लिए कहा और वो दोनों अपने कमरे में चले गए,, 

रमेश फिर से दरवाज़े पर कान लगा कर खड़ा हो गया. अंदर से उसकी भाबी की आवाज आयी ,,, " इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी. "

" अरे मेरी जान,,, बहुत जरूरी काम है,, ज़रा मेरे बारे में भी सोचो 10 दिन तक मैं भी तुम्हें नहीं चोद सकूँगा."

" आप तो ऐसे बोल रहें हैं जैसे यहाँ रोज़ …."

" क्या मेरी जान बोलो ना. शरमाती क्यों हो? खुल के बात करो. तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर दिल खुश हो जाता है."

" मैं तो आपको खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ. मैं तो ये कह रही थी, यहाँ आप कोन सा मुझे रोज़ चोद्ते हैं." अपनी भाभी के मुँह से चुदाई की बात सुन कर रमेश का लंड फिर से फड़फनाने लगा.

" कंचन अब तो बहुत काम रहता है इसलिए थक जाता हूँ. वापस आने के बाद मेरा प्रमोशन हो जाएगा और उतना काम भी नहीं होगा. फिर तो मैं तुम्हें रोज़ चोदुन्गा. बोलो मेरी जान रोज़ चुदवाओगी  ना."

" जानू जी , सच बताऊं तो मेरा दिल तो रोज़ ही चुदवाने को करता है,, पर आपको तो चोदने की फ़ुर्सत ही नहीं. ?"

" तो तुम मुझसे कह नहीं सकती थी ?

" कैसी बातें करतें हैं आप? चोदने में पहल करना तो मर्द का काम होता है. मैं आपसे क्या कहती? चोदो मुझे? रोज़ रात को आपके लंड के लिए तरसती रहती हूँ."

" कंचन तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूँ. याद है अपना हनिमून, जब दस दिन तक लगातार दिन में तीन चार बार तुम्हें चोद्ता था? बल्कि उस वक़्त तो तुम मेरे लंड से घबरा कर भागती फिरती थी."

" याद है मेरे राजा. लेकिन उस वक़्त तक सुहाग रात की चुदाई के कारण मेरी चूत का दर्द दूर नही हुआ था. आपने भी तो सुहाग रात को मुझे बरी बेरहमी से चोदा था."

" उस वक़्त मैं अनाड़ी था मेरी जान"

" अनाड़ी की क्या बात थी? किसी लड़की की कुँवारी चूत को इतने मोटे, लंबे लंड से इतनी ज़ोर से चोदा जाता है क्या? कितना खून निकाल दिया था आपने मेरी चूत में से, पूरी चादर खराब हो गयी थी. अब जब मेरी चूत आपके लंड को झेलने के लायक हो गयी है तो आपने चोदना ही कम कर दिया है."

"ओह मेरी जान,, तुम्हारी बातों ने देखो मेरा लंड खड़ा कर दिया है ,,, अब तो तुमको चोदे बिना नहीं जा पाउँगा,,, चलो जल्दी से घोड़ी बन जाओ,,, 

 " लीजिए बन गई घोड़ी,,, डाल दीजिये न जल्दी से,,,,  आआहह….कोंन …. आ रोक रहा है? आपकी चीज़ है. जी भर के चोदिये….उई माआ…..."

“थोड़ी टाँगें और चौड़ी करो.  हां अब ठीक है. आह,,,  पूरा लंड जड़ तक घुस गया है मेरी जान.” तुमको घोड़ी बना कर चोदने में बहुत मजा आता है,,,, कंचन.”

" तो बना लिया करो न मुझे रोज घोड़ी,,, मैं भी तो यही चाहती हूँ की आप हर रोज मेरी घोड़ सवारी करो" “आआआ…ह, ऊवू.”

“ कंचन,,, मज़ा आ रहा है मेरी जान?”

“ हूँ. बहुत ,,,, आआआ..ह.”

अंदर का गरम माहौल देखकर रमेश के लंड की नसें फड़फड़ाने लगी,, वो बाहर खड़ा अपने लंड को सहलाता हुआ अपनी लूँगी में ही झड़ गया और फिर बाथरूम में भाग गया,,

करीब एक घंटे के बाद कंचन और राजेश भी कमरे से बाहर आ गए और फिर राजेश दोनों को अलविदा करके चला गया, 

रमेश मन ही मन इस बात से खुश हो रहा था की वो अगले 10  दिनों में अपनी भाबी को पटा कर उसकी चुदाई कर ही लेगा,, 

रमेश ने तो अपना लंड अपनी भाबी को दिखा दिया था, अब वो अपनी भाबी की चूत देखने की फ़िराक में था ,, उसे मालूम था कि उसकी भाभी रोज़ घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी.  मगर वो यह भी जनता था की जब वो कॉलेज चला जाता है तो उस वक़्त उसकी भाबी घर में अकेली होती हैं और नहाते वक़्त या उसके बाद वो घर में नंगी ही घूमती होगी, अगले ही दिन रमेश कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खिड़की खुली छोड़ गया.

रमेश के कॉलेज जाते ही कंचन ने दरवाजे को अच्छे से बंद कर दिया और अपना काम करने लगी,, उधर रमेश चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया. और चोरी चोरी अपनी भाबी को देखने लगा, उसकी भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर रमेश की तपस्या रंग लाई.

कंचन मस्ती में कुच्छ गुनगुनाते हुए बरामदे में आई और देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और कच्छी में थी. रमेश का लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुंदर थी उसकी भाबी. गोरा बदन, पतली कमर, उसके नीचे फैलते हुए भारी नितंब और मोटी झांघे किसी नमार्द का भी लंड खड़ा कर दें. भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी. ओर फिर वही छोटी सी कच्छी, जिसने रमेश की रातों की नींद उड़ा रखी थी. कंचन के भारी चूतड़ उसकी कच्छी से बाहर गिर रहे थे. दोनों चूतड़ों का एक चौथाई से भी कम भाग कच्छी में था. बेचारी कच्छी कंचन के चूतड़ों के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में कच्छी में छुपी फूली हुई चूत का उभार रमेश के दिलो दिमाग़ को पागल बना रहा था. रमेश साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब उसकी भाभी कच्छी उतारे और कब उसकी चूत के दर्शन हो सकें. कंचन शीशे के सामने खड़ी होकर घूम घूम कर अपने आप को निहार रही थी. फिर  कंचन ने अपनी ब्रा को उतार फेंका और फिर अपनी कच्छी को भी उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दिया. अब तो उसके नंगे चौड़े चूतड़ देख कर रमेश का लंड झरने वाला हो गया था, कंचन शीशे के सामने खड़ी होकर कभी अपनी गांड को देखती और कभी अपनी चूत को,

रमेश सोचने लगा कि भैया ने ज़रूर भाभी की गांड भी मारी होगी. ऐसी लाजबाब औरत की गांड मिल जाए तो जन्नत का मजा आ जाये,,  फिर कंचन बाथरूम में नहाने चली गयी. उसकी ब्रा और कच्छी वहीं ज़मीन पर पड़ी थी. रमेश जल्दी से कमरे से बाहर आया और अपनी भाबी की कच्छी उठा लाया. उसने कच्छी को सूँघा. जिसमें से कंचन की चूत की महक आ रही थी, उसने अपने लंड को लुंगी से बाहर निकाला और कच्छी को अपने लंड पर रगड़ने लगा,,, हाथ से हिलाते हुए उसने अपने लंड का सारा वीर्य कच्छी के ऊपर ही निकाल दिया ,, उसने कच्छी को अपने पास ही रख लिया और फिर छिप कर भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा.

फिर कुछ ही देर में कंचन एक दम नंगी बाथरूम से बाहर आ गई,,, अपने बदन से टपक रहे पानी को तौलिये से साफ़ करते हुए उसने अलमारी से काले रंग की ब्रा और कच्छी निकाली,, कंचन ब्रा पहन कर कच्छी पहनने ही वाली थी की उसके ध्यान में आया की नहाने से पहले जो कच्छी उसने जमीन पर फेंकी थी, वो गायब थी,, उसने अपनी कच्छी को वही बिस्तर पर रखा और अपनी पहले वाली कच्छी को ढूंढ़ने लगी,, फिर उसने जल्दी से अपनी नाइटी पहनी और सीधा रमेश के कमरे की तरफ गई. तब तक रमेश भी बिस्तर पर लेट कर सोने का नाटक करने लगा,,

कंचन कमरे में जाते ही रमेश को हिलाते हुए बोली - " रमेश, उठ. तू अंदर कैसे आया?"

रमेश ने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ,, भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते अंदर आ गया."

" तू कितनी देर से अंदर है?" - कंचन ने रमेश पर शक जताते हुए कहा,,,

" यही कोई एक घंटे से." - रमेश ने फिर से आँखे मलते हुए कहा 

अब तो कंचन को शक हो गया कि शायद रमेश ने उसे नंगी देख लिया था. और फिर उसकी कच्छी भी तो गायब थी. 

कंचन थोड़ी देर चुप रही और फिर उसने कुछ शरमाते हुए पूछा " तूने मेरे कमरे से कोई चीज़ उठाई है न?’

" हाँ भाभी! उठाई तो है,,,  जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया." कंचन का चेहरा सुर्ख हो गया. वो जानती थी की रमेश ने उसकी कच्छी क्यों उठाई थी और वो मन ही मन खुश भी हो रही थी की क्योंकि वो जानती थी की इन 10  दिनों में रमेश उसे चोद कर ही छोड़ेगा,, 

फिर वो हिचकिचाते हुए बोली - चलो " वापस कर मेरे कपड़े."

रमेश ने अपने तकिये के नीचे से कच्छी निकालते हुए कहा- " भाभी, ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा."

"क्यों अब तू औरतों की कच्छी पहना करेगा?"

" नहीं भाभी, इस में से जो खुशबू आ रही है ,,, वो मुझे बहुत पसंद है" - रमेश कच्छी को सूँघता हुआ बोला"

" अरे पागल, वो तो पसीने की बदबू है ? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे."

" नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ."

" धत पागल! अच्छा,, यह बता जब तू घर में आया था, तब में कहा थी ?" कंचन शायद जानना चाहती थी कि कहीं रमेश ने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. 

रमेश ने कुछ बेशरम होते हुए बोला -" भाभी जब मैं घर आया, तो आप बिल्कुल नंगी शीशे के सामने खड़ी थी. सच कहूँ भाभी आप उस वक़्त बहुत ही सुन्दर लग रही थी. आपकी पतली कमर, भारी नितंब और गदराई हुई झांघे देख कर तो बड़े से बड़े ब्रहंचारी की नियत भी खराब हो जाए."

ऐसी बातें रमेश के मुंह से सुनकर कंचन को शर्म भी आ रही थी,,, मगर फिर भी वो बेशर्मों की तरह रमेश की तरफ देखकर मुस्कराती रही और थोड़ा बहुत बनावटी गुस्सा भी दिखाने लगी,, कंचन भी राजेश के घर पर न होने का फायदा उठाना चाहती थी ,, और वो भी रमेश के मोटे लौड़े से चुदने की उम्मीद लगाए बैठी थी,, बस वो यही चाह रही थी की  रमेश खुद आगे बढ़कर उसको अपनी बाँहों में भर ले .."

" हाई राम,,, तुझे शर्म नहीं आती. कहीं तेरी भी नियत तो नहीं खराब हो गयी है ?"

" आपको नंगी देख कर किसकी नियत खराब नहीं होगी भाभी ?"

"इसका मतलब तुम्हारी भी नियत ख़राब हो गई है,,, आने दो तुम्हारे भैया को,, उनको बोल कर तुम्हारी शादी करवानी पड़ेगी,,"- कंचन ने गुस्से और मजाक के मिले जुले लहजे में कहा -" चलो, जल्दी से मेरी कच्छी वापिस करो,, मेरे पास और कच्छी नहीं है,, "

रमेश ने कहा - "क्यों नहीं है भाभी,,, आपकी वो गुलाबी कच्छी,, जो उस दिन आपने पहनी थी?"

" अरे तुमको मेरी कच्छी से क्या,, और,, और,,  वैसे भी वो,, वो,, क,,क,, कच्छी तेरे भैया ले गये." अब मेरे पास यही कच्छी है" - कंचन भी झिझकते हुए कुछ बेशरम होते हुए बोली,, 

"अरे भाभी,, भैया आपकी कच्छी क्यों ले गए,,, उनके पास अपने कच्छे नहीं हैं क्या" 

" ऐसी बात नहीं है ,, वो कहते थे कि वो उन्हें मेरी याद दिलाएगी." कंचन ने शरमाते हुए कहा.

" आपकी याद दिलाएगी या आपके टाँगों के बीच में जो चीज़ है उसकी?" - रमेश हँसते हुए बोला 

" हट बदमाश !  तू तो बिलकुल बेशरम है,, अब लाओ मेरी कच्छी,, यह तुम्हारे किसी काम की नहीं,, तुम पहनोगे तो वैसे ही फट जाएगी " - कंचन ने भी हँसते हुए कहा

" फटेगी क्यों ? मेरे नितंब आपके जीतने भारी और चौड़े तो नहीं हैं".

" अरे बुद्धू , नितंब तो बड़े नहीं हैं, लेकिन सामने से तो फॅट सकती है. तुझे तो यह सामने से फिट भी नहीं होगी."

" फिट क्यों नहीं होगी भाभी?" रमेश ने फिर से अंजान बनते हुए कहा.

" अरे बाबा, मर्दों की टाँगों के बीच में जो वो होता है ना, वो इस छोटी सी कच्छी में कैसे समा सकता है, और वो तगड़ा भी तो होता है कच्छी के महीन कपड़े को फाड़ सकता है." - कंचन ने एक दम बेशरम लहजे से बोल दिया,,,

रमेश भी अपनी भाबी की ऐसी खुली बातों का फायदा उठाते हुए बोला -" वो क्या भाभी ?" 

कंचन समझ गयी कि रमेश उसके मुँह से क्या कहलवाना चाहता हूँ. " बहुत चालक हो तुम देवर जी,, तुमको यह पता है की मेरी टांगों के बीच क्या है ,, मगर यह नहीं पता की मर्दों की टांगों के बीच क्या होता है?"

" अरे भाभी, मुझे तो पता है,, मैं तो बस यह जानना चाहता हूँ की आपको उस चीज का नाम पता है या नहीं " 

" तू और तेरे भैया दोनो एक से हैं. मेरे मुँह से सब कुच्छ सुनना चाहते हो..?"

रमेश ने फिर से शरारत से पूछा - अच्छा भाभी,, यह तो बताओ की उस चीज से कच्छी कैसे फट सकती है " 

" मेरे बुद्धू देवर जी, मर्द का वो बहुत तगड़ा होता है, औरत की नाज़ुक कच्छी उसे कैसे झेल पाएगी ? और अगर वो खड़ा हो गया तब तो फॅट ही जाएगी ना."

" भाभी आपने वो वो लगा रखी है, आपको उसका नाम नहीं पता है क्या."

" नहीं,, मुझे उसका नाम नहीं पता." कंचन ने लाजते हुए कहा.

" भाभी मर्द के उसको लंड कहते हैं." - रमेश ने बेशर्मी की सारी हद पार करते हुए कहा 

" हा…..!, देवर जी,, मेरा भी मतलब यही था.” - कंचन ने भी शर्मशार होने का नाटक करते हुए कहा

“क्या मतलब था आपका भाभी ?”

“ वोही जो तुमने अभी कहा,, की तेरा लंड मेरी कच्छी को फाड़ देगा. अब तो तू खुश है ना.?" - कंचन ने मुस्कराते हुए कहा 

" हाँ भाभी बहुत खुश हूँ. अब यह भी बता दीजिए कि आपकी टाँगों के बीच में जो है उसे क्या कहते हैं"

" मुझे उसका भी  नहीं पता. ऐसी सब चीज़ का नाम तो तुझे ही पता होगा. तू ही बता दे.” 

“ भाभी उसे चूत कहते हैं. ”

“हाय देवर जी ! तुमको तो शरम भी नहीं आती. वही कहते होंगे.” 

“ वही क्या भाभी ?”

“ ओह हो बाबा, चूत और क्या.” कंचन ने अपना सर झुकाते हुए कहा

अपनी भाभी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर रमेश का लंड फंफनाने लगा था. 

उधर ऐसी गन्दी बातें करके कंचन की चूत भी पानी छोडने लगी थी, कंचन को रमेश पर गुस्सा भी आ रहा था की अब तो वो रमेश के सामने इतनी बेशर्मी से बात कर रही है,, फिर भी वो उसे हाथ तक नहीं लगा रहा,,, वो चाहती थी की रमेश अभी उसे पकड़ कर अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़ दे,, ताकि अगले 10  दिन तक वो हर रोज चुदाई का पूरा मजा ले सकें,,,,

उसका मन कर रहा था की रमेश जल्द से जल्द उसके बदन से लिपट जाये,,

कंचन के मन में अचानक से एक शरारत सूझी,, उसने झपट कर रमेश के हाथ से अपनी कच्छी छीन ली "

“ अरे भाबी,,, यह क्या,,, आपने अपनी कच्छी क्यों छीन ली,,, मुझे इसके बिना नींद नहीं आएगी .”

“ अरे जायो,, देवर जी,,. इतना दम है तो छीन ले.” कंचन उसे चिड़ाती हुई बोली. 

" अपनी भाबी के मुंह से ऐसी बात सुनकर उसे ऐसा लगा जैसे उसकी भाभी ने उसकी मर्दानगी को ललकारा हो,, आखिर वो भी एक तगड़ा जवान लड़का था,, उसने भी झपट कर अपनी भाभी के हाथ से कच्छी को पकड़ लिया,, अब कंचन की कच्छी उन दोनों के हाथ में थी,, और दोनों ही एक दूसरे से छीनने की कोशिश करने लगे,, 

कंचन जानबूझ कर बिस्तर पर इस तरह से उलटी होकर गिर गई, जिस से रमेश भी उसके ऊपर झुक जाये,, रमेश भी कच्छी छीनने के चक्कर में सरक कर कंचन की टाँगों के बीच में आ गया. कंचन के उठे हुए चूतड़ उसकी पारदर्शी नाइटी से हलके हलके दिख रहे थे,, रमेश भी अपनी भाभी के ऊपर ही गिर गया और उसके हाथ से कच्छी छीनने का नाटक करने लगा,, कंचन भी तो यही चाहती थी की उसके गोरे मखमली बदन से रमेश लिपट जाये,,

रमेश का तना हुआ लंड कंचन के चूतड़ों से टकराने लगा. रमेश बीच बीच में कंचन को गुदगुदी भी करने लग जाता तो कंचन उसके नीचे दबी, छटपटाने लग जाती,, जिस से कंचन की नाइटी सामने से खुल गई और कंचन के ज्यादा छटपटाने से उसके चूतड़ों से ऊपर सरकने लगी ,,

कंचन ने नाइटी के नीचे बस ब्रा ही पहनी थी,, जल्दबाजी में कच्छी पहनना तो वो भूल ही गई थी, उधर रमेश का लंड भी उसकी लूँगी के अंदर पूरा तन चूका था, दोनों को ही इस खेल में मजा आ रहा था,, और वो अनजान बने हुए एक दूसरे से अपने बदन को रगड़ रगड़ कर पूरा मजा ले रहे थे, रमेश का लंड कभी कंचन के चूतड़ों की दरार से टकराता तो कभी उसकी चूत से टकरा जाता.

धीरे धीरे यह खेल और भी मादक होता जा रहा था. इस छीना झपटी में कंचन की नाइटी तो खुल ही चुकी थी, उधर रमेश की लूँगी भी खुल चुकी थी. रमेश का लंड भी लूँगी से बाहर निकल कर कंचन के नंगे चूतड़ों पर रगड़ खाने लगा,, रमेश का मोटा लौड़ा चूतड़ों के साथ लगते ही वो समझ गई की अब रमेश भी नंगा हो चूका है ..

कंचन इस मौके का पूरा फायदा लेना चाहती थी, वो अचानक झटके से सीधी होकर पीठ के बल हो गयी, और अब उसकी नाइटी पूरी खुल कर सामने से हट चुकी थी.

उसके मोटे मोटे दूध उसकी ब्रा से बाहर आने को मचल रहे थे,, कंचन की छाती के गोरे गोरे उभार और उनमें पड़ती दरार देखकर रमेश का लंड और भी सख्त होने लगा,, कंचन अपनी मुठी में अपनी कच्छी को जोर से पकडे हुए थी और रमेश कंचन की मुठी को खोल कर कच्छी छीनने की कोशिश कर रहा था,, मगर वो तो एक नाटक था, वो तो सिर्फ लंड और चूत को सही टिकाने पर लाने की कोशिश कर रहे थे,,

रमेश कंचन के ऊपर चढ़ा हुआ था और कंचन उसके नीचे थी. छीना झपटी का नाटक करते हुए कंचन ने अपनी टाँगे मोड़ कर रमेश को अपनी टांगों के बीच में दबा लिया,, जिस से कंचन की चूत का मुंह भी थोड़ा सा खुल गया,,

“अब बोलो देवर जी ! मैं इतनी कमज़ोर नहीं हूँ ,, ?.” " मेरी कच्छी तो दूर अपने आप को ही छुड़वा कर दिखा दो मुझसे " - कंचन ने हँसते हुए कहा ,,

“ अच्छा भाभी, अभी दिखता हूँ आपको अपनी ताकत ” - ये कह के अपने आप को छुड़ाने के लिए रमेश ने कंचन की झंघों पर हाथ रखते हुए उसकी टांगों को चौड़ा कर दिया,, जिस कारन कंचन की चूत का मुंह और भी ज्यादा खुल गया.. रमेश का लंड भी पूरा तना हुआ था,, जो सीधा कंचन की चूत के मुंह पर रगड़ खाने लगा..,,

कंचन की चूत भी बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसकी चूत का रस बाहर निकल कर उसकी झांटों को भी गीला कर रहा था. और झाटों से रगड़ कर रमेश का लंड भी चूत रस में भीग चूका था,,

ऐसी हालत में कंचन से कहाँ सबर होने वाला था, उस ने रमेश की गुदगुदी से बचने का बहाना करते हुए अपनी टाँगों को मोड़ के अपने सीने से चिपका लिया. ऐसा करने से कंचन की फूली हुई चूत की दोनों फाँकें पूरी तरह से चौड़ी हो गयी और उसके बीच के होंठ भी खुल गये. कंचन अब पूरी तरह से चुदाई की मुद्रा में थी. अक्सर वो इसी मुद्रा में अपने पति  का लंड भी अपनी चूत में घुसवाती थी.

कंचन ने अपने आप को रमेश के नीचे इस तरह से अड्जस्ट कर लिया था, जिस से रमेश के लंड का सूपड़ा उसकी चूत के छेद पे पूरा टिक गया था. बस अब एक झटका लगने की देर थी, उसके बाद रमेश का लंड कंचन की चूत के अंदर होता,, 

कंचन ने फिर से रमेश को चिड़ाते हुए कहा - “ रमेश, मुझ में इतना दम है कि तुझे एक ही झटके में उठा के फेंक दूं.”

“ अच्छा भाभी! इतना दम  है तो? ज़रा फेंक के दिखाओ.”

“ तो ये ले फिर,,, अभी तुमको उठा कर नीचे फेंकती हूँ ” कंचन ने मुस्कराते हुए अपने चूतड़ ऊपर की ओर उच्छालते हुए कहा. रमेश का लंड तो पहले से ही कंचन की चूत के छेद पर टिका हुआ था,, झटका लगते ही रमेश का गीला लंड कंचन की गीली चूत के होंठों को खोलता हुआ एक इंच तक अंदर घुस गया,, लंड अंदर घुसते ही कंचन के मुंह से सिसकारी निकल गई,,, जिसे उसने अपने होंठों में ही दबा लिया,, उधर रमेश को भी एहसास हो चूका था की उसका लंड उसकी भाभी की चूत के अंदर थोड़ा सा घुस चूका है,, मगर वो भी अनजान बने हुए कंचन से छीना झपटी का खेल खेलता रहा,,, उसे यह भी डर था की कही उसकी भाभी उस पर नाराज न हो जाये ,,, दोनों के दिल जोर जोर से धड़कने लगे थे,,,

रमेश मन ही मन सोच रहा था की उसकी भाभी फिर से एक ऐसा ही झटका लगा दे तो उसका पूरा लंड उसकी भाबी की चूत में उतर जायेगा,,  जिस कारन रमेश ने कंचन को चिड़ाते हुए कहा - “बस भाभी इतना ही दम है?” आप तो मुझे एक ही झटके में उठा के फेंकने वाली थी न "

" अच्छा बच्चू ,, तो देख मेरा दम, अभी फेंकती हूँ तुझे नीचे,,, यह देख " - कंचन ने ऐसा बोलते हुए अपने चूतड़ों को एक बार और ऊपर को  उछाल दिया,, कंचन की गीली चूत में रमेश का तना हुआ लंड 2 इंच तक और घुस गया,, उसकी चूत जोर जोर से फड़फड़ाने लगी थी,, वो तो लपक के पूरा लंड अपने अंदर समा लेना चाहती थी,, मगर रमेश अभी तक उसका पूरा साथ नहीं दे रहा था,,, उधर रमेश को भी ऐसा महसूस होने लगा था जैसे उसका लंड किसी गरम भठी में घुस गया हो,, वो भी अपने लंड को जोर जोर से अंदर बाहर करके अपनी भाभी को पेलना चाहता था,, मगर वो तो यह सोच रहा था की उसकी भाभी को पता ही नहीं है की उसका लंड चूत के अंदर घुस चूका है,, इस लिए वो नाटक करते हुए ही भाभी की चुदाई का मजा लेना चाहता था ,,,,,

“ हाँ हाँ , दिखाओ भाभी मुझे भी तो अपना दम दिखाओ,, इतनी आसानी से गिरना वाला नहीं हूँ में ? किसी ऐसे वैसे मर्द से पाला नहीं पड़ा है आपका ” रमेश फिर से कंचन को चिड़ाते हुए बोला.

" अच्छा देवर जी,, अभी तक तो मैंने अपना पूरा दम तुमको दिखाया ही नहीं है,,, अब बच के रहना मुझसे,, ऐसा बोलते हुए कंचन ने जोर से अपने चूतड़ों का एक और झटका रमेश के लंड पर दे मारा,,, मगर  इस बार रमेश भी झटका मारे बिना नहीं रह पाया,, और दोनों के मिलेजुले झटके से रमेश का आधा लंड कंचन की चूत में घुस गया,,, रमेश का मोटा लौड़ा कंचन की चूत की दीवारों को खोलता हुआ अंदर घुस गया था,, गरम भठी के जैसे दहक रही गीली चूत में मोटा लंड घुसते ही कंचन के मुंह से सिसकारियों की जैसे बारिश शुरू हो गई हो,,  "आाआ आअह्हह्ह्ह्ह आईयईईईईईईईईईईईईईई… ऊऊओिइ. एम्मममम  आआआआआ........ मर गयीईईईई…

अपनी भाभी को ऐसे कराहता देख रमेश एक दस से घबरा गया - " क्या हुआ भाभी ,, आप ऐसा क्यों कर रही हो,, - ऐसा कहते हुए रमेश ने अपना लंड कंचन की चूत से बाहर निकालने की कोशिश की,,,, मगर कंचन लंड को कैसे बाहर निकालने दे सकती थी,, उसने लपक कर अपने हाथ से रमेश का लंड पकड़ लिया,, जो अभी तक भी उसकी चूत में ही था,,

लंड तो कंचन ने इसलिए पकड़ रखा था की कहीं घबरा कर रमेश अपने लंड को चूत से बाहर ना निकाल ले, लेकिन नाटक ऐसा किया जैसे वो उसके लंड को और अंदर घुसने से रोक रही है.

रमेश बुरी तरह से डर गया,,, वो सोचने लगा का अब उसकी भाभी राजेश भैया को सारा कुछ बता देगी,,, और राजेश भैया भी दुबारा उसे इस घर में नहीं रहने देंगे,, 

" ये क्या कर रहा है बेशरम आआआआहह.” - कंचन ने फिर से अपना पत्ता फेंकते हुए कहा,,, 

" क,, क क्या कर रहा हूँ भाभी " - रमेश ने लड़खड़ाती जुबान से कहा,

“ इसस्स्स्सस्स……… अंजान बनता है …….आआआआ  तुझे शरम नहीं आती,,, ओह्ह्ह्ह मैं तेरी भाभी हूँ. तेरे भैया की पत्नी हूँ. ऊऊऊफ़, मर गयीईईईईई….इससस्स” ये कहते हुए कंचन फिर से कराहने का नाटक करने लगी,,

“ ये क्या भाभी,,,,  आप के कपडे कैसे खुल गए,,,, और मैं तो कुछ नहीं कर रहा था ?” रमेश ने हकलाते हुए कहा,,

“ चुप, बेशरम! भोला बनता है. गुदगुदी करने के बहाने मेरी नाइटी को खोल दिया. मुझे पता ही नहीं चला और तूने अपनी लूँगी भी उतार दी. अपनी भाभी के साथ बलात्कार कर रहा है नालायक.”

“ नहीं भाभी आपकी कसम…..” रमेश बुरी तरह घबराया हुआ था.

“ बकवास मत कर. मैं सब समझती हूँ. तू क्या कर रहा था मेरे साथ ?” तू ही तो बोल रहा था की तुम्हारी नियत ख़राब है,,, जरा देख नीचे,,, तुमने कितना लंड मेरी चूत में घुसा दिया है,,,, - कंचन ने रमेश के लंड को चूत के ऊपर दबाते हुए कहा,,

रमेश भी अपना चेहरा नीचे की तरफ घुमा कर अपने लंड को देखने लगा,, कंचन की काली झांटों से भरी हुयी चूत में उसका लंड खम्बे जैसे आधा गड़ा हुआ था और बाकी का लंड उसकी भाभी के हाथ में था,, 

“ भाभी सच में मुझे नहीं पता ये कैसे हो गया. मैं तो आपके साथ खेल रहा था.”

“ क्यों झूठ बोल रहा है रमेश, अगर तेरे मन में कोई खोट नहीं था तो तेरा ये खड़ा कैसे हो गया?” कंचन ने फिर से उसका लंड दबाते हुए पूछा.

“ सच भाभी,,  आपकी कसम, मुझे कुच्छ पता नहीं चला.” यह कब आपके अंदर घुस गया "

“ नाटक करना बंद करो रमेश. ये खड़ा हो गया, तूने अपनी भाभी को नंगी कर दिया और इसे मेरे अंदर भी घुसेड दिया और तुझे पता ही नहीं चला? तेरी नियत ही ख़राब है ? इसी लिये तू आज मुझे नंगी देखने के लिए कॉलेज से जल्दी आ गया था,, 

“ नहीं नहीं भाभी,, ऐसा कुछ नहीं है आप गलत समझ रहे हो ?”

“ मैं सब समझती हूँ रमेश, अगर और झूठ बोलेगा तो जो तूने आज मेरे साथ किया है मैं सब कुछ तुम्हारे भैया को बता दूँगी. तुझे मेरी कसम सच सच सब कुच्छ बता दे. मुझे पता है तेरी उम्र में लड़के छुप छुप के लड़कियो को देखने की कोशिश करते हैं. और अगर तू सच बोलेगा तो मैं तुझे माफ़ भी कर सकती हूँ.”

“ ठीक है भाभी,, मैं सब सच सच बताता हूँ,, पहले आप वादा करो की आप भैया से मेरी शिकायत नहीं करोगी.”

“ ठीक है,, अगर सब कुछ सच सच बताएगा तो नहीं करूंगी .”

" अच्छा तो चल बता, तू कब से मुझे चोदने के सपने देख रहा है,, - कंचन ने फिर से रमेश के लंड अपने हाथ से झटकते हुए कहा,,

" बताता हूँ भाभी,, पहले आप मेरा लंड तो छोड़ दो,, ताकि मैं उसे आपके अंदर से बाहर निकल सकूँ "

" ख़बरदार जो उसे बाहर निकाला तो,, जब तक तू सब कुछ सच सच नहीं बता देता,, मैं इसे ऐसे ही पकड़ कर रखूंगी,, - कंचन लंड को और मजबूती से पकड़ते हुए कहा,,

" ठीक है भाभी, बताता हूँ,,, जब आप रात को अपने कमरे में सो जाते थे तो मैं रोज आपकी आवाजें सुनता था,,, जिस दिन आपको भैया चोदते थे और आप उनको और जोर जोर से चोदने को बोलती थी तो मुझे बड़ा मजा आता था,,, मैं भी अपने लंड को हिला हिला कर आपकी चुदाई का मजा लेता था "

" अच्छा तो तू रोज हमारी बातें सुनता था,, और अपने लंड को भी हिलाता था,, इसी लिए आज तू मेरा बलात्कार करने पर उतर आया,, 

" नहीं नहीं भाभी,, मैं भला आपका बलात्कार करने के बारे में कैसे सोच सकता हूँ,, बस आपको प्यार से मना कर चोदने के बारे में सोच रहा था मैं तो,, "

" अच्छा मुझे प्यार से चोदने के बारे में सोच रहा था तो फिर यह क्या है,,, अब तो बिना मनाये ही मेरे अंदर घुसा दिया इतना बड़ा लंड "

" वो तो भाभी गलती से हो गया,, मेरा इस में कोई कसूर नहीं है भाभी "

" अच्छा तो, तू कहना चाहता है की सारा कसूर मेरा है,, और इसे मैंने खुद झटके मार मार कर अपने अंदर घुसा लिया है,, और तुझे क्या लगता था की तू मुझे प्यार से मनाएगा और मैं झट से मान जाउंगी की आओ रमेश मुझे तुम भी चोद लो "

" वो भाभी, जब मैं आपकी रात को बातें सुनता था तो मुझे पता चल गया था की भैया आपको रोज नहीं चोदते थे,, और जब वो आपको चोदते थे, उस वक़्त भी ज्यादा देर तक नहीं चोद पाते थे,, और आप भैया से हमेशा इस बात की शिकायत भी करते थे,, इस लिए मैंने सोचा की,,,,,, "

" हां,,, हां ,,, आगे बोलो, क्या सोचा तुमने " कंचन ने रमेश को डांटते हुए कहा "

" इस लिए मैंने सोचा की ,,, अआप अआप को मनाऊंगा तो आप जरूर मान जायेगी,,, और वैसे भी भैया आपको अच्छे से चोद भी नहीं पाते थे,,, "

" अच्छा,, तो इसका मतलब,,  तेरे भैया काम कला में अनाड़ी हैं ? तू बड़ा माहिर है ? इसी लिए अपना लंड मेरे अंदर तक घुसा दिया और मुझे पता भी नहीं चलने दिया,,

“ नहीं भाबी, ये तो अंजाने में अंदर घुस गया.,, मैं आपको बार बार तो बोल रहा हूँ ” और भाभी अब तो मैंने सब कुछ सच सच बता दिया है,,, अब तो आप भैया से मेरी शिकायत नहीं करोगे न" 

" ठीक है,,, नहीं करुँगी,, मगर यह बताओ की तुमने और क्या क्या किया था, मुझे पटाने के चक्कर में " 

" ठीक है भाभी,, मगर अब तो आप मेरे लंड को छोड़ दो,,, वर्ना गलती से आपके अंदर और घुस गया तो आप फिर मुझे बोलोगे की मैंने जानबूझ कर आपके अंदर घुसाया है,, 

" कोई बात नहीं घुसता है तो घुस जाये,, आधा लंड तो तू पहले ही घुसा चूका है मेरे अंदर,, अब अगर थोड़ा और भी घुस गया तो क्या फरक पड़ता है ,, मगर जब तक मैं तुमसे सारी बातें पूछ नहीं लेती, तब तक मैं इसे नहीं छोड़ने वाली,,, और वैसे भी तुम्हारा यह लंड तो डर के मारे ढीला पड़ने लगा है,, अब इसके अंदर घुसने का कोई खतरा नहीं,, - कंचन ने अपने बनावटी गुस्से को कुछ कम करते हुए कहा 

रमेश को भी कंचन के बातों से यकीन होने लगा था की अब उसकी भाभी राजेश भैया को उसकी शिकायत नहीं लगाएंगी ,,,

" भाभी,, कल जब आप पोछा लगाते हुए मेरे लटकते हुए लंड को देख रही थी,, वो भी मैंने जानबूझ कर आपको अपना लंड दिखाया था,,, "

" क्या तुझे कैसे पता की मैं तेरे लंड को देख रही थी, तुम तो अख़बार पढ़ रहे थे ना,, " - कंचन ने हैरान होते हुए कहा 

" भाभी वो तो मैं अख़बार पढ़ने का नाटक कर रहा था,, मैं अख़बार के बीच से एक छेद में आपके चेहरे को देख रहा था,, जब आप मेरे लंड को देखते हुए अपने होंठों को चबा रही थी "

रमेश की बात सुनकर कंचन का मुंह शर्म से लाल हो गया,, क्योंकि रमेश ने भी उसकी चोरी पकड़ ली थी,,, 

" अच्छा,, तो तुझे पता चल गया था की मैं तुम्हारे लंड को देख रही हूँ,, मगर मुझे तो लगा था की तुझे पता ही नहीं है की तेरा लंड लुंगी से बाहर निकल गया है " -  कंचन ने अब और भी प्यार से बात करते हुए कहा

" अब तो आपको यकीन हो गया भाभी,, की सच बोल रहा हूँ " - रमेश ने थोड़ा सा मुस्कराते हुए कहा 

" हाँ..हाँ.. , हो गया यकीन,, मगर यह बताओ की अब तक तुमने कितनी लड़कियों को चोदा है" - कंचन ने मुस्कराते हुए पूछा,,

" भाभी गांव में बस एक ही लड़की को चोदा है,, वो भी सिर्फ एक बार,,,, उसके बाद किसी को नहीं चोद पाया " 

" अरे कैसे नहीं चोद पाया,, अब यह जो अपना लंड तुमने मेरे अंदर आधा घुसा रखा है,, इसे भी तो चोदना ही कहते हैं " - कंचन ने रमेश के लंड प्यार से सहलाते हुए कहा 

" हाँ भाभी,, इसे भी चोदना ही कहते हैं मगर पूरी चुदाई तो तब होती ना जब आप अपने अंदर मेरा पूरा लंड घुसने देते,, अब तो इसे आधा अधूरा चोदना ही कह सकते हैं " - रमेश ने कुछ निराशा भरे स्वर में कहा 

“ रमेश सच सच बोलो,, क्या तुम्हारा मन अभी भी मुझे चोदने का कर रहा है ? " कंचन ने लंड को सहलाते हुए बड़े ही प्यार से रमेश को पूछा ,,"

“ हां भाभी बहुत मन करता है.” अगर आपको एक बात बोलूं तो आप बुरा तो नहीं मानोगी ?”

“ नहीं मानूँगी, बोल. ”

“ भाभी,,, मेरा आधा लंड तो आपकी चूत में घुस ही चुका है. अब पूरा भी अंदर चला जाए तो क्या फरक पड़ेगा ? सिर्फ़ आज चोद लेने दो प्लीज़! आज के बाद फिर ऐसी ग़लती नहीं करूँगा.” रमेश ने झिझकते हुए कहा.

“ वो तो ठीक है रमेश ? मगर अपनी भाभी को चोदना ठीक बात नहीं है. और अगर तुम्हारे भैया को पता चल गया तो”

“ किसी को पता नहीं चलेगा भाभी. आप बहुत अच्छी हो,, बस एक बार भाभी,, मैं किसी को नहीं बताऊंगा " - रमेश गिड़गिडता हुआ बोला.

“ देख रमेश ये बात अच्छी तो नहीं है,, लेकिन अब तू मुझे आधा तो चोद ही चुका है, इसलिए मैं तुझे सिर्फ़ आज एक बार चोदने दूँगी. आज के बाद फिर कभी इस बारे में सोचना भी मत.”

“ सच भाभी ! आप कितनी अच्छी हो. लेकिन मैं तो चुदाई की कला में अनाड़ी हूँ, आपको सीखाना पड़ेगा. ” रमेश ख़ुश होता हुआ बोला,, 

“ ठीक है,, सब कुछ सिखा दूँगी. ” कंचन ने रमेश के लंड सहलाते हुए और मुस्कराते हुए कहा 

“ ठीक है भाभी,,  आप अपनी नाइटी और ब्रा को उतार लो.”

“ क्यों नाइटी और ब्रा उतारने की क्या ज़रूरत है ? सिर्फ एक बार तो तुमने मुझे चोदना है,, ऐसे ही चोद ले न ,,, " 

" हाँ भाभी,, सिर्फ़ एक बार ही तो चोदना है, मगर पूरा मजा लेकर चोदना चाहता हूँ,, आपको पूरी नंगी कर के चोदुन्गा.” ये कह कर रमेश ने अपना लंड कंचन की चूत से बाहर खींच लिया,,, 

" अरे इसे क्यों बाहर खींच लिया,, मुझे चोदने का इरादा बदल गया क्या " - कंचन ने रमेश को अपने ऊपर से उठता देख उत्सुकता से पूछा 

" भाभी आपको चोदने का इरादा कैसे बदल सकता हूँ,, बड़ी मुश्किल से तो आप मानी हो,,, बस अब आप खड़े हो जायो,, आपको पहले अच्छी तरह से नंगी देखना चाहता हूँ और फिर आपकी चुदाई करूँगा "  कहते हुए रमेश ने कंचन को भी उठा के खड़ा कर दिया.

रमेश ने अपने हाथों से अपनी भाभी की खुली हुयी नाइटी को उतार कर फेंक दिया और अपनी लूँगी, जो अभी तक उसके पैरों में फँसी हुई थी, उसे भी निकाल फेंका. फिर रमेश ने कंचन की ब्रा को भी उतार दिया, अब दोनों देवर-भाभी बिल्कुल नंगे हो चुके थे. रमेश का लंड फिर से कंचन के मखमली बदन को देखकर अकड़ने लगा था,, कंचन ने भी रमेश के तने हुए लंड को गौर से देखा और रमेश की तरफ देखकर मुस्कराने लगी ,,,

" क्यों भाभी पसंद आया मेरा लंड, "- रमेश ने अपनी भाभी को लंड की तरफ देखते पूछा

" हां बहुत पसंद है,, बिलकुल तुम्हारे भैया जैसा है " 

“ तो हाथ लगा के देखो ना भाभी,, यह आपको भैया की तरह निराश नहीं करेगा " - रमेश ने अपना लंड कंचन के हाथ में पकड़ते हुए कहा

कंचन भी रमेश के लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी,,, रमेश ने भी कंचन को बाहों में भर लिया और होंठों को चूमने लगा. और फिर अपने हाथों से कंचन के नंगे बदन को मसलने लगा,, वो कभी कंचन की चूत की दोनो फांकों के बीच उंगली रगड़ देता तो कभी अपने दोनो हाथों से उसके विशाल चूतड़ों को दबाने लग जाता,,

कंचन भी रमेश के लंड को सहलाती हुयी अपनी चूत के मुंह पर रगड़ने लगी,, और फिर उसने पंजों के बल ऊपर हो कर रमेश के लंड को अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. और अपनी दोनों बाहें रमेश के गले में डाल दी,,  ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी पेड़ की मोटी टहनी पे टाँगें दोनो तरफ किए लटक रही थी.

रमेश का उतावलापन भी बढ़ता जा रहा था. वो चूतड़ों को मसलता हुआ बोला - " भाभी आपके चूतड़ भी बहुत सेक्सी हैं. ”

कंचन वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी,, वो चुप चाप रमेश के बदन से लिपटी रही .

रमेश फिर बोला - “ अब चोदु भाभी ”

“ हुउँ, चोद ले ” - कंचन ने रमेश से लिपटे हुए बहुत ही सेक्सी सवर में कहा,,,

रमेश ने कंचन को अपनी बाहों में उठा के बिस्तर पर चित लिटा दिया. फिर उसने अपनी भाभी की टाँगों को चौड़ा किया और मोड़ के उसकी छाती से लगा दिया. बिलकुल वैसे ही जैसे पहले कंचन ने अपनी टाँगे मोड़ कर रमेश का लंड अपनी चूत में डलवा लिया था,,  उसकी फूली हुई चूत और भी ज़्यादा उभर आई और उसका मुँह ऐसे खुल गया जैसे बरसों से लंड की प्यासी हो. रमेश गौर से कंचन की चूत के खुले हुए छेद को देखने लगा. और फिर झट से उसने कंचन की टाँगों के बीच मुँह डाल दिया और अपनी जीभ से कंचन की चूत के खुले हुए होंठों को चाटने लगा.

“ आ आ,, आआह्ह्ह्हह्ह ह उई माँ,, आह्हः ईशःशशश ….अया उफ्फ्फ्फ़ रमेश ये क्या कर रहा है ? एयाया…आआ आअह्ह्ह ……..” बहुत मज़ा आ रहा है रमेश ,,,, आअह्ह्ह ऊह्ह्ह्ह इस्सस अम्मम्म अम्मम्म " रमेश की जीब चूत पर लगते ही कंचन जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी,,, 

रमेश चूत के कटाव में और कभी चूत के अंदर जीभ पेल रहा था. वो पहली बार किसी लड़की की चूत को चाट रहा था लेकिन अनाड़ी बिकुल नहीं लग रहा था.  गन्दी मूवीज देख देख कर वो पूरा खिलाडी बन चूका था,, उसने कंचन की चूत को अच्छी तरह से चाटा और जितनी अंदर जीभ डाल सकता था उतनी ही अंदर जीभ को घुसेड़ा. कंचन की चूत बुरी तरह से रस छोड़ रही थी. कंचन की झाँटें भी रमेश के मुँह में घुस चुकी थी,, लेकिन उसकी परवाह किए बिना रमेश चूत को चाटे जा रहा था.

कंचन के मुँह से “आआ आअह्ह्ह  …एयेए, अम्म्म अम्मम्म …. ऊ उवई माआअ…माआ. अयाया ” जैसे वासना भरे शब्दों को सुन कर रमेश का जोश और भी बढ़ रहा था. कंचन भी जोश में आ कर उसका मुँह अपनी चूत पर दबा रही थी. कंचन की गीली चूत और गीली झाँटें की वजह से रमेश का चेहरा भी चूत रस से सन गया था.

कंचन से अब और नहीं सहा जा रहा था. वो एक बार तो झड़ भी चुकी थी. वो रमेश के मुँह को अपनी चूत पे रगड़ते हुए बोली,, - “ बस कर रमेश, अब चोद भी दे अपनी भाभी को.” 

रमेश ने उठ कर अपने मोटे लंड का सुपरा कंचन की चूत के छेद पर टिका दिया और बोला ,,  “सच में चोद दूँ भाभी ? ”- (रमेश ने कुछ शरारत भरे लहजे में पूछा)

“ हाँ,,, सच में,,, ऊओफ़ ,,,,, जल्दी कर रमेश ! अब तंग मत कर. तुमसे चुदवाने के लिए ही तो इतनी देर से टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत को तेरे हवाले कर रखा है " - कंचन ऐसे बोल रही थी जैसे वो अब लंड के लिए बुरी तरह से तरस रही थी,,, 

“ तो ये लो भाभी .” ये कहते हुए रमेश ने अपने लंड को कंचन की चूत पर टिकाया और एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ ओउइ मया…….आ…..आआआः धीरे, आअह्ह्ह्ह उई मा,, आए " रमेश का लंड फ़च से कंचन की चूत को चीरता हुआ 4 इंच तक अंदर घुस गया. अगले ही पल उसने एक बार फिर से लंड को बाहर खींच के एक और ज़ोर का धक्का लगा दिया,,, 

“ आआआअ……हह….ऊऊओह. रमेश ” अम्म्म अम्म्म " रमेश का लंड आधे से ज्यादा कंचन की चूत में घुस चुक्का था और कंचन की वासना के साथ उसके दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी. वो मजबूती से अपनी टांगों को चौड़ा किये हुए रमेश के अगले धक्के को सहने के लिए तैयार थी,, रमेश ने बिना रुके अपना लंड फिर से बाहर खींचा और अपनी पूरी ताक़त से एक और धक्का लगा दिया.

“ आआआआआआईयईईईईईईईईई………ओईईई… म्‍म्म्माआआअ आह्ह रमेश,, ईईई आआहह. एयेए…….आआआहह ……ऊओह उफ्फफ्फ्फ़,,, रमेश ,,, धीरे,,, धीरे,,, करो . एयेए…..आआआआ " कंचन जोर जोर से सिसकारियां भरते हुए चिलाने लगी ,,

रमेश का पूरा लंड कंचन की चूत में उतर चूका था,,, कंचन को जन्नत का मजा आ रहा था,,, वो भी अपने चूतड़ हिला हिला कर रमेश का साथ देने लगी,, उसकी प्यासी चूत रमेश के लंड को जड़ तक अपने अंदर समा लेना चाहती थी,, रमेश भी अपना लंड अंदर बाहर करते हुए कंचन की मखमली चूत को चोद रहा था और अपने दोनों हाथों से दोनों चूचियों को भी मसल रहा था,, कभी कभी तो वो अपने मुंह में चूचियों को भर के अपने दाँतों से काटने भी लग जाता,,, दोनों हवस के समंदर में डुबकियां लगाते हुए चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे,, कंचन की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया था और अब रमेश के झटकों को सहन करना उसके लिए मुश्किल हो रहा था,, उसने रमेश की पीठ को सहलाते हुए कहा - " आह्ह ,,,,उई,,, रमेश,,, आआह्ह्ह,, आआ,, रुक जाओ,, आआ हहह, कुछ देर,,, अब मुझसे सेहन नहीं हो रहा रमेश,,  आआह्ह आ " 

" क्या हुआ भाभी,, अभी तो मेरा माल भी नहीं निकला भाभी " एक बार झड़ जाने के बाद मैं खुद ही निकाल लूंगा भाभी " रमेश ने अपनी चोदने की रफ़्तार को कुछ कम करते हुए कहा ,,

" मैं तुम को चोदने से मना नहीं कर रही हूँ रमेश,, मैं बहुत थक गई हूँ,,, कुछ देर रुकने को बोल रही हूँ " - कंचन ने रमेश की गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा ,,

" ठीक है भाभी,, मगर बाद में आप चोदने तो दोगे ना,, कही ऐसा न हो की आप बाद में बोलो की मैंने तो सिर्फ एक बार ही चोदने के लिए कहा था " 

" नहीं बोलूंगी,,, तु जितनी बार मुझे चोद सकता है चोद लेना,, अब एक बार तो तुमसे चुदवा ही लिया है,, एक दो बार और भी चुदवा लुंगी तो क्या फरक पड़ता है " - कंचन ने मुस्करा कर रमेश के बालों में हाथ फेरते हुए कहा 

" सच में भाभी ,, जितनी बार चाहूँ ,, उतनी बार आपको चोद सकता हूँ,, - रमेश ने खुश होते हुए कहा

" हाँ,, जितनी बार मर्जी चोद लेना,,, मगर सिर्फ आज का दिन "

" फिर तो भाभी आज सारा दिन मैं आपको चोदता रहूँगा,, आपको बिस्तर से उठने नहीं दूंगा आज सारा दिन " - रमेश ने अपना लंड कंचन की चूत से बाहर निकालते हुए कहा 

" अच्छा,, अगर सारा दिन बिस्तर से नहीं उठने देगा तो फिर रात को खाना कौन बनाएगा,, और घर के और काम भी तो करने हैं मुझे "

" अरे भाभी ,, अगर आपको सारा दिन चोदने को मिल जाये तो फिर खाना खाने के लिए किसके पास टाइम होगा " रमेश ने कंचन के साथ ही बिस्तर पर लेटते हुए कहा 

" तुझे नहीं खाना होगा,, मगर मुझे तो खाना है ना,, मैं सारा दिन भूखी तुझसे कैसे चुदवा पाऊँगी भला " तुम्हारा इतना बड़ा लंड मुझे चोद चोद कर वैसे ही मेरी हालत ख़राब कर देगा " - कंचन ने फिर से लेटे लेटे रमेश के लंड को पकड़ते हुए कहा "

" भाभी मैं आपको किसी होटल से खाना ला दूंगा,, अगर आप खुद खाना बनाओगी तो उसमें बहुत टाइम ख़राब हो जायेगा "

" अरे, तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तेरा लंड सारा दिन खड़ा ही रहेगा,, आखिर तेरा लंड भी थक जायेगा,, वो भी ढीला हो जायेगा ,,, जैसे तेरे भैया का हो जाता है "

" भाभी,, आप मुझे भैया के जैसा मत समझो,,, आपके जैसी खूबसूरत सेक्सी औरत को तो मैं सारा दिन और सारी रात चोद सकता हूँ " रमेश ने अपनी भाभी की चूचियों पर हाथ फिराते हुए कहा

" अच्छा फिर तो बड़ा स्टेमिना है तुम्हारा,, चलो आज देख ही लेती हूँ की तुम मुझे कितनी बार चोद पाते हो " कंचन ने मन ही मन खुश होते हुए कहा

" ठीक है भाभी,, मगर मैं आपको जिस पोजीशन में चोदना चाहूंगा,, आपको उसी पोजीशन में चुदवाना होगा "

" हाँ ठीक है,, तू जिस तरीके से बोलेगा,, मैं उसी तरीके से चुदवा लुंगी "

 “ ठीक है भाभी,, तो फिर अब आप घोड़ी बन जायो. पहले मैं आपको घोड़ी बना कर चोदुन्गा ”

" रमेश तुम तो काम कला में बहुत माहिर लग रहे हो. विश्वास नहीं होता कि तुम ने मुझसे पहले सिर्फ एक ही औरत को चोदा है " - कंचन घोड़ी बनते हुए बोली

" भाभी,, यह सब तो गन्दी फिल्मों को देख देख कर सीख लिया है मैंने,, उसमें लड़की को जैसे चोदते हैं,, आज वैसे ही मैं आपको चोदुन्गा ” रमेश ने कंचन के पीछे आते हुए उसके उठे हुए चूतड़ों को मसलते हुए बोला 

“ तो फिर आजा मेरे घोड़े चोद अपनी घोड़ी को ” - कंचन ने अपने चूतड़ों को गोल गोल घुमाते हुए कहा

कंचन ने अपनी टाँगें को खूब चौड़ी कर के चूतड़ों को इस प्रकार से ऊपर उठा लिया था, जिस से रमेश को मोटे मोटे चूतड़ों के बीच से चूत का खुला हुआ मुँह सॉफ दिखाई देने लग जाये. रमेश भी अब घोड़ा बन गया और उसने अपने लंड को हाथ में पकड़ कर कंचन की चूत के मुंह पर टिका दिया,, कंचन ने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली,, फिर रमेश ने एक हलके से धके के साथ अपने लंड का सूपड़ा कंचन की चूत में डाल दिया,, फिर रमेश ने कंचन की पतली कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एक जोर का झटका लगाते हुए अपना आधा लंड चूत के अंदर घुसेड़ दिया,,

“ आआआआऐययईईईई……धीरे मेरे राजा. आआहह…..इसशहहह अम्मम्म अम्मम्म  ओह्ह्ह्ह ” लंड के अंदर घुसते ही कंचन फिर से सिसकारियां भरने लगी,, कंचन ने और नीचे झुकते हुए अपनी चूचियों को बिस्तर पर टिका दिया, जिस से उसकी चूत की फांकें और भी ज्यादा खुल गई,,

रमेश ने कंचन की पतली कमर पर हाथ फिराते हुए एक और धक्का कंचन की चूत में लगा दिया,, और उसके लंड का एक तिहाई हिस्सा और कंचन की चूत में घुस गया,,, घोड़ी बनकर चुदवाने में तो कंचन भी पूरी माहिर थी,,, क्योंकि अक्सर ही वो अपने पति राजेश से घोड़ी बन कर चुदवाती थी,,,

रमेश ने कंचन के बिखरे हुए लम्बे बालों को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी पीठ पर सीधा करते हुए सँवारने लगा,, कंचन के काले लम्बे और रेशमी बाल उसकी गांड तक पहुँच रहे थे, फिर रमेश ने कंचन के बालों को अपने हाथ में पकड़ लिया और जैसे घोड़ी को हेंकते हैं, वैसे ही बालों को पकड़ कर कंचन की चूत में अपने लंड के धक्के लगाने लगा,, कंचन भी कामवासना में मस्त हुयी अपने चूतड़ों को आगे पीछे हिला हिला कर अपनी चूत चुदवा रही थी,,, जब भी रमेश उसके बालों को पीछे की तरफ खींचता तो कंचन अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका देती,, और उसकी चूचियां बिस्तर के ऊपर दब जाती, रमेश अपने हाथों को आगे लिजाकर कंचन की चूचियों को भी मसल देता और कभी उसके मोटे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबाने लग जाता,, 

रमेश अपने लंड को सुपडे तक बाहर खींच कर पूरी ताक़त से फिर धक्का लगा देता,, और उसका लंड फिर से जड़ तक कंचन की चूत में घुस जाता,,, “ ऊऊओिईईई…माआआ….. ओह्ह्ह्हह रमेश आआअह्हह्ह्ह्ह अम्मम्म ?” . फ़च… फ़च… ….फ़च….फ़च….फ़च …… एयाया एयेए…. .इसस्स्स्स्सस्स…..ऊऊऊहह…….आआहह फ़च…फ़च…अम्मम्म,,,,,, अम्म्मम्म ….ऊऊओिईईई…..ऊऊहह…आआअहह… फ़च… फ़च.  बस सिर्फ़ ये ही आवाज़ें कमरे में गूँज़ रही थी.

मर्द का लंड औरत की चूत में सबसे ज़्यादा अंदर तक दो ही मुद्राओं में घुसता है. एक तो जब औरत मर्द के ऊपर बैठ के चुदवाती है और दूसरा जब मर्द औरत को घोड़ी या कुतिया बना कर चोद्ता है. इसका कारण ये है कि मर्द का लंड तो सामने की ओर होता है लेकिन औरत की चूत उसकी टाँगों के बीच पीछे की ओर गांड के छेद से सिर्फ़ एक इंच दूर होती है. इस कारण से जब औरत चित लेट के चुदवाती है तो मर्द को औरत की टाँगें मोड़ के उसकी छाती से लगानी पड़ती हैं, ताकि वो चूत में आसानी से लंड पेल सके. कुतिया या घोड़ी बनाने से चूत जो की गांड के छेद के नज़दीक होती है खूब उभर जाती है जिससे चूत में लंड जड़ तक आसानी से पेला जा सकता है.

रमेश के धक्के की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी और जब भी उसका लंड कंचन की चूत में जड़ तक घुसता तो उसकी जांघें कंचन के विशाल चूतड़ों से टकरा जाती. उधर कंचन भी अपने चूतड़ पीछे की ओर उचका उचका के रमेश के धक्कों का जबाब दे रही थी. कंचन का पूरा बदन वासना की आग में जल रहा था. एक अजीब सा नशा उस पर छाता जा रहा था. कंचन रमेश का नाम ले के उसे और जोर से चोदने के लिए बोल रही थी,,, " आह्हः रमेश,, और जोर से,,, ओह्ह्ह्ह रमेश,,,, ऊह्ह्ह्ह,, आआह्ह्ह्हह रमेश चोदो अपनी भाभी को,, आह्हः अम्म्म चोदो मेरे घोड़े,, अपनी घोड़ी को,, आअह्ह्ह्ह ,,अम्म्म,, ईश्श्श,, ओह्ह्ह रमेश "

“ भाभी चुदवाते वक़्त आप और आपकी चूत दोनों इतनी आवाज़ करते हैं कि पड़ोस में भी पता लग जाए कि आपकी चुदाई हो रही है. ”

“ आह्ह ,,, ओह्ह्ह्ह तो इस मे शरमाने की क्या बात है? आ,,, आ,,, ओह,,, इश्श्श पड़ोसी की बीवी अपने पति को नहीं देती क्या.? ”

“ हाँ भाभी अपने पति को तो देती होगी मगर आप तो अपने देवर को दे रही हो. ”- रमेश ने हँसते हुए और धक्के लगाते हुए कहा

“ अच्छा ! अह्ह्ह्ह अगर अपनी भाभी को चोदना इतना बुरा लग रहा है ,, आह्ह ओह्ह्ह तो घोड़े की तरह क्यों चोद रहा है मुझे दो घंटे से ?” बोलते हुए कंचन फिर से अपने चूतड़ों को उचकाने लगी,,

रमेश ने कंचन के चूतड़ों को मसलते हुए चूतड़ों की दोनों फांकों को चौड़ा कर दिया और कंचन की गांड के छेद को निहारने लगा. फिर उसने अपनी एक उंगली चूत के रस में गीली की और ज़बरदस्त धक्के मारते हुए उंगली कंचन की गांड में घुसेड दी. अब दोनों तरफ से कंचन की चुदाई हो रही थी,, उसे और भी ज्यादा मजा आने लगा,, मगर वो और सहन न करते हुए एक बार फिर से झड़ गयी. उसकी टाँगे काँपने लगी और उसकी चूत से निकाल रहा रस भी उसकी झंघों तक बह कर आ गया,, रमेश ने एक और धक्का लगाया तो कंचन बिस्तर पर ही आगे की ओर लुढ़क गई और पेट के बल बिस्तर पर जा गिरी,, रमेश का लंड भी झटके से फचाक की आवाज से चूत से बाहर निकल गया,, रमेश भी बुरी तरह से हांफ रहा था,, वो भी अपनी भाभी के साथ ही बिस्तर पर गिर गया और बोला - " क्या हुआ भाभी,, आप ठीक तो हो ना,, ऐसे क्यों गिर गई आप "

" उफ्फफ्फ्फ़ रमेश,, पता नहीं तुम्हारे लंड का माल कब निकलेगा,, मैं तो बुरी तरह से थक गई हूँ," कंचन ने करवट बदल कर पीठ के बल लेटते हुए कहा 

" बस भाभी थोड़ी देर में ही निकल जायेगा,, अगर आप कुछ देर और घोड़ी बने रहते तो,,, मेरा माल छूटने ही वाला था,, 

" कुछ देर सांस लेने दो रमेश,, मेरी टांगों में अब और ताकत नहीं बची घोड़ी बन कर चुदवाने की"

" भाभी दो मिंट की ही बात है,,, मैं झड़ने की कगार पर ही था,, अब तक तो मैं झड़ भी गया होता " 

" अच्छा तो चल फिर तू घोडा बन जा और अपना लटकता हुआ लंड मेरे मुंह में डाल दे,, मैं ऐसे ही लेटे लेटे तेरे लंड को चुस्ती हूँ और तो घोडा बनकर मेरे मुंह को चोद, "

" हाँ भाभी,, यह ठीक रहेगा,, वैसे भी मैं आपके मुंह में अपना लंड ठूसने के सपने बहुत दिनों से देख रहा था " ऐसा बोलते हुए रमेश झट से घोड़े की तरह बन गया और अपना लंड अपनी भाभी के मुँह के ऊपर ले आया, कंचन ने भी अपना मुंह खोला और रमेश ने कुछ झुक कर अपना लंड सीधा कंचन के मुंह में डाल दिया,, कंचन अपने हाथ से लंड को पकड़ कर जोर जोर से चूसने लगी,, रमेश भी ऊपर नीचे होकर अपना लंड कंचन के मुंह में ठूसने लगा,, कंचन ने अपना पूरा मुँह खोलकर आधे से ज्यादा लंड अपने मुंह में ले लिया था,, रमेश भी पुरे जोश में आ चूका था,, वो जोर जोर से कंचन के मुंह में अपना लंड पेलने लगा,, वो कुछ ही देर में झड़ने वाला था,, फिर उसने एक ऐसा झटका लगाया की अपना सारा लंड कंचन के मुंह में पेल दिया,, कंचन की आँखें फटने को आ गई थी,, लंड उसके गले तक उतर चूका था और फिर रमेश के लंड की पिचकारियां सीधी कंचन के गले में उतर गई,,

कंचन ने धकेल कर रमेश का लंड आधा बाहर निकाल दिया ,, मगर रमेश के लंड से निकल रही पिचकारियां अभी भी उसके गले में उतर रही थी,, देखते ही देखते कंचन का मुंह रमेश के वीर्य से भर गया और फिर उसके होंठों से बाहर बहने लगा,, कंचन ने एक और धक्का लगाकर रमेश का पूरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया,, रमेश के लंड से अभी भी कुछ बुँदे गिर रही थी,, जो कंचन की चूचियों पर गिर रही थी,, जैसे ही कंचन ने अपना मुंह बंद किया उसके मुंह से वीर्य निकल कर उसकी गालों के रास्ते से होकर उसकी गर्दन और बालों में घुस गया,, 

" तुम तो अपनी भाभी की जान ही लेने वाले थे रमेश,,, ऐसे थोड़ा न कोई अपना पूरा लंड मुंह में घुसेड़ देता है, " - कंचन ने रमेश को डांटते हुए कहा 

" माफ़ करना भाभी,, वो जोश जोश में याद ही नहीं रहा की आपकी चूत है या आपका मुंह,,, "

" अच्छा, अगर मेरी साँस बंद हो जाती तो,, 

" ऐसे कैसे सांस बंद हो जाती भाभी,, मैंने फिल्म में देखा है,, लड़कियां पूरा पूरा लंड गले में उतार लेती हैं और कितनी देर तक अंदर ही चुस्ती रहती हैं "

" मगर तुमने जो फिल्मे देखीं हैं वो मैंने तो नहीं देखी ना ,, अब मुझे क्या पता की लड़कियां कैसे इतना बड़ा लंड मुंह में लेकर चुस्ती हैं " या तो मुझे भी सारी फ़िल्में दिखा जो तुमने देखी हैं,, उसके बाद ही मुझे पता चलेगा की फिल्मों में लड़कियां क्या क्या करती हैं,,

" ठीक है भाभी ,, मैं आज ही आपको सारी फ़िल्में दिखा देता हूँ,,, उसके बाद आप देखना कितना मजा आता है चुदाई करने का "

" अच्छा तो इसका मतलब अब तुझे मजा नहीं आया चुदाई करने का " 

"  भाभी मेरा वो मतलब नहीं था,, जितना मजा आज आपने दिया है,, वैसा तो मैंने जिंदगी में कभी नहीं लिया,, और शायद किसी और लड़की से आएगा भी नहीं "

" किसी और लड़की से क्यों नहीं आएगा ,,, ऐसा क्या ख़ास है मुझमें, जो किसी और लड़की में नहीं है "

" भाभी,, आपकी नशीली आँखें,, आपके चूतड़ों तक लटकते लम्बे काले बाल,, आपके मोटे मोटे चूतड़,,, गोल गोल चूचियां और आपकी पतली कमर देखकर ही लंड खड़ा हो जाता है,, जब आप अपने चूतड़ों को मटक मटक कर चलती हो तो हर कोई मर्द आपकी गांड मारने को सोचता होगा,, और सच में भाभी जब आप घोड़ी बनकर मुझसे चुदवा रही थी,, तो आपकी गांड का गुलाबी छेद देखकर आपकी गांड मारने को मन करने लगा था,,,

" अच्छा तो इसी लिए मेरी गांड में ऊँगली घुसा रहे थे, "

" हाँ भाभी,,, आपकी गांड में लंड घुसा कर अंदर बाहर करने में बड़ा मजा आता होगा भैया को,, वो तो पक्का आपकी गांड मारते होंगे,, "

" कहाँ देवर जी,, वो तो अच्छे से चूत नहीं चोदते, तो फिर गाँड़ कहा से मारेंगे,,  बस एक दो बार गाँड़ में लंड घुसाने की कोशिश की उन्होंने,, मगर उनसे अच्छी तरह से गाँड़ में कभी घुसा ही नहीं है"

" अरे भाभी,, भैया ने अब तक आपकी गाँड़ में लंड नहीं घुसेड़ा है,, हैरानी होती है मुझे भैया पर,, ऐसे मोटे चूतड़ और मस्त गाँड़ देखकर भला कोई कैसे रह सकता है बिना गाँड़ मारे,, और वो भी आपकी गाँड़,,,,  आपकी गाँड़ लेने में तो ज़न्नत का मज़ा मिलेगा.”

“ तेरे इरादे मुझे ठीक नहीं लग रहे रमेश . कहीं तू मेरी गाँड़ मारने के तो चक्कर में नहीं है ?” 

“ भाभी आपने कहा था कि मैं आपको आज सारा दिन चोद सकता हूँ और जो चाहूं कर सकता हूँ.”

“ हाँ मेरे राजा,, जो चाहे कर, लेकिन तेरा ये मोटा लंड मेरी छोटी सी गाँड़ में कैसे जाएगा ? और फिर अभी तक तूने मेरी चूत तो अच्छी तरह से चोदि नहीं है”

“ ये बात तो ठीक है भाभी,, पहले मैं आपकी चूत तो जी भर के चोद लूँ, उसके बाद में गाँड़ के बारे में सोचेंगे. तो फिर बोलो भाभी करूँ आपकी चुदाई शुरू " 

" अभी रुक जायो देवर जी,, सुबह से भूखी ही चुदवा रही हूँ तुम्हारे इस मोटे लौड़े से,, पहले मुझे कुछ खा तो लेने दो "

" क्या भाभी,, अपने सुबह से खाना क्यों नहीं खाया " 

" कैसे खाती देवर जी,, सोचा था नहा कर खाना खाउंगी,, मगर जब नहा कर आई तो आते ही आपने अपना लौड़ा मेरी चूत में ठूस दिया,, तब से लेकर अब तक आप मुझे चोदे ही जा रहे हो,,, अब तो मुझे भूख के कारण चक्कर भी आने लगे हैं "

" भाभी मुझे क्या पता था की आपने सुबह से खाना नहीं खाया,, मैं अभी आपके लिए खाना लाता हूँ और आपको आपने हाथों से खिलाता हूँ " - ऐसा कहते हुए रमेश जल्दी से किचन की ओर गया और खाना लेकर आ गया,, फिर दोनों नंगे ही बिस्तर पर बैठ कर एक दूसरे को खाना खिलाने लगे,, कंचन के मुंह पर अभी भी रमेश के वीर्य की बुँदे लगी हुयी थी,, जिनको कंचन ने खाने के साथ ही अपने अंदर निगल लिया,,