लेखिका - कोमल प्रीत कौर
हेलो दोस्तो, मैं आपकी प्यारी भाबी कोमल प्रीत कौर,, अपनी चिकनी और गीली चूत लेके फिर से आपकी सेवा में हाजिर हूँ. यह तो आप जानते ही हैं की मेरे पति आर्मी में हैं और मैं घर में अपने सास ससुर के साथ रहती हूँ,, और मेरी चुदकड़ चूत अब तक कई मर्दों के लौड़ो से चुद चुकी है...
मेरे बड़े बड़े मम्मे (34) जब गहरे गले से दिखते हैं तो मर्दों की नज़र वही थम जाती है, और उनके नीचे मेरी पतली कमर (28) एक दम नागिन जैसी बल खाती और उसके नीचे मेरे बड़े बड़े चूतड़ (36) और चुतड़ों पर लहराते मेरे काले लंबे रेशमी बाल लड़कों और बूढ़ों का लंड खड़ा कर देते हैं,,,, मेरे गुलाबी पतले होंठ हर लड़का चूसने को तरसता है.
अब मैं आपको अपनी चुदाई का एक और किस्सा सुनाती हूँ.. गर्मियों के दिन थे,, और हमारे पड़ोस वाले उत्तम अंकल की तीन बेटियां अपने बच्चों के साथ गर्मी की छुट्टियां काटने के लिए अपने मायके आई हुयी थी,, और बच्चे तो बच्चे होते हैं,, सारा दिन खेलते कूदते रहते हैं,, इस लिए पडोसी होने के कारण हमारे घर में भी उनका आना जाना लगा रहता, तीनों बेटियों के कुल 8 बच्चे थे,,
उत्तम अंकल का एक बेटा भी था संजू, जो अभी तक कुंवारा था,, जो 20-22 साल का होगा,, नयी नयी जवानी आयी थी, इस लिए वो अक्सर ही मुझे घूरता रहता था,, कभी छत के ऊपर से तो कभी बच्चों के साथ हमारे घर में भी आ जाता,,, और घूरता भी कैसे ना, इतनी हॉट और सेक्सी भाबी देखकर किस लड़के का मन नहीं ललचाएगा,,,
मैं भी उसकी नजरों को भांप चुकी थी, मगर
फिर भी उसे किसी तरह की ग्रीन सिग्नल देने से हिचका रही थी,, वैसे तो सारे
गाँव के लड़के मुझे पटाने के चकर में थे,, मगर मैं अपने गाँव में अपना
चरित्र साफ़ ही रखना चाहती थी,, क्योंकि गाँव में तो झट से बात फ़ैल जाती है
की किस की बहु किस से पटी हुयी है,,, इस लिए मैं जब भी चुत चुदवाती गाँव से
दूर शहर जाकर ही चुदवाती,, जो मेरे लिए सेफ भी था..
ऐसे ही एक दिन मुझे अपने आशिक़ से मिलने शहर जाना था,, मगर उसी दिन सास-ससुर को भी शहर जाना पढ़ गया और सास ने मुझे घर पर रुकने के लिए बोल दिया,, और खुद वो दोनों शहर चले गये,
मैनें अपने आशिक़ से चुदने के लिए एक दिन पहले ही अपनी चूत को सॉफ किया था,, मगर मेरी सारी तैयारी धरी की धरी रह गयी,, मैनें अपने आशिक़ को भी बता दिया की अब मैं मिलने नही आ पाऊँगी..
मगर उस दिन मेरा चुदाई का बहुत मन हो रहा था,, मेरा हाथ बार बार चूत की तरफ ही जा रहा था,,, मैं लेटे हुए अपनी सलवार में हाथ डालकर अपनी चूत को सहलाने लगी और अपने बूब्स को मसलने लगी,
तभी अचानक बाहर के दरवाजे की आवाज हुयी और पड़ोस वाले बच्चे भागते हुए हमारे घर आ गए,, उनके साथ उनका मामा संजू भी था,, उनके अचानक आ जाने से में हड़बड़ा कर उठी, मैं जल्दबाजी में अपने कपडे भी सही नहीं कर पायी थी की वो कमरे के अंदर भी आ गए,, मेरे बिखरे हुए बाल,, कमीज के डीप गले से दिख रहे मेरे मोटे बूब्स और मेरी उथल पुथल हुयी सलवार को देखकर संजू भी एक बार दंग रह गया,, मगर मैंने जल्दी से अपने कपड़ों को सही कर लिया,
संजू बोला -
भाबी,, आंटी जाते हुए बोल गई थी,, बच्चों को लेकर भाबी के पास चले जाना ,,
वो घर में अकेली है,, इस लिए हम लोग आपके पास आ गए हैं,,
मैंने कहा - हाँ हाँ कोई बात नहीं,, अच्छा किया जो तुम लोग आ गए,
मैंने
छोटी वाली गुड़िया को पकड़ कर अपने पास बिठा लिया और उनसे बातें करने लगी,,
सभी बच्चे अभी तक छोटे ही थे,, कुछ तो चौथी पांचवी में पड़ते होंगे और कुछ
नर्सरी-केजी में,, सिर्फ में और संजू ही जवान थे,, बल्कि मैं तो संजू से भी
10 साल बड़ी ही थी,,, मैं बच्चों के साथ लाड प्यार कर रही थी और उनकी
पप्पियाँ ले रही थी,,, मगर शायद संजू मेरी पप्पियाँ लेने के बारे में सोच
रहा था,, उसकी नजर मेरे जिस्म के हर एक अंग को टटोल रही थी,, मन तो मेरा भी
कर रहा था की मेरे बदन को मसलने वाला कोई मर्द मिल जाये,, कहाँ आज मैं
अपने आशिक़ से अपनी चूत चुदवाने वाली थी और कहाँ इन छोटे बच्चों के साथ अपना
दिल बेहला रही हूँ,,,
संजू मुझे भाबी बोल कर बात कर रहा था,, तो छोटे बच्चे भी मुझे भाबी बोल
कर बात करने लगे,, मगर मैंने उनको टोकते हुए कहाँ - अरे बच्चो में तुम्हारी
भाबी नहीं हूँ,, मैं तुम्हारी मामी हूँ,, जैसे संजू तुम्हारा मामा है,,
वैसे मैं तुम्हारी मामी हूँ,,,
मैंने फिर से संजू की तरफ देखते हुए मुस्करा कर कहा - हम दोनों तुम्हारे मामा और मामी हैं,, मेरी यह बात सुनकर संजू के मन में जैसे लडू फूटने लगे थे,, वो तो ऐसे खिड़खड़ा रहा था जैसे मैं सच में उसकी बीवी बन गई हूँ,,
तभी
एक छोटी बच्ची बोली - तो फिर ठीक है मामी,,, आप हमारे साथ खेलो,, हम सभी
छिप जाते हैं और आप हम को ढूँढोगी,, और आप जिसको भी पकड़ोगी,, उसको यहाँ बैड
पर लाकर जेल में डाल दोगी,, और फिर दूसरे को ढूँढोगी,,
मैंने बच्चों के जैसे बोलते हुए कहाँ - अच्छा यह तो बहुत मुश्किल खेल है,, मगर कोई बात नहीं,, मैं फिर भी आप सब को पकड़ कर जेल में डाल दूंगी,,,
सभी बच्चे खिड़खड़ा कर हँसने लगे,, मैं और संजू भी,,
फिर मैंने कहा - ठीक है बच्चो,,, तो फिर तुम सब छूप जायो,, मैं तुम को ढूंढती हूँ,, मेरी यह बात सुनते ही सारे बच्चे भाग कर छिपने की जगह ढूंढ़ने लगे,, सिर्फ संजू ही मेरे पास बैठा रहा,,, मैंने संजू से कहाँ - अरे संजू,, तुम नहीं खेलोगे हमारे साथ,,
संजू बोला - खेल तो लूंगा भाबी,, मगर आप मुझे ढूंढ नहीं पाओगी,, और अगर कही ढूंढ लिया तो फिर जेल तक नहीं ला पाओगी,, सोच लो,,, कही आप हार ना जायो,,,
मैंने कहा - अच्छा बेटा, अपने आप को बहुत तीस मार खान समझते हो,, मैं तुम को ढूंढ भी लुंगी और जेल में भी बंद कर दूंगी ,,,जाओ जाकर छूप जायो (मैंने अपने हाथ की दो उँगलियों को पिस्तौल की तरह बनाते हुए कहा)
संजू भी मेरी बात सुनकर मुस्कराते हुए छिपने के लिए भाग गया,,
मैंने आँखें बंद करके बीस तक गिनती की और उनको ढूंढ़ने लगी,, सब से छोटे दो-तीन बच्चे तो मुझे सामने ही अपने आप को छिपाते हुए दिख गए,, मगर मैंने फिर भी जानबूझ कर उनको अनदेखा कर दिया और इधर उधर उनको ढूंढ़ने का नाटक करने लगी,, साथ ही मैं बोले जा रही थी- अरे यार,, पता नहीं कहाँ छिप गए हैं सभी,, कोई दिख ही नहीं रहा,, संजू भी नहीं दिख रहा,, कुछ देर तक मैं ऐसे ही नाटक करती रही और फिर मैंने एक बच्चे को ढूंढ लिया और उसे उठा कर बैड के ऊपर बिठा दिया और कहा - मैंने तुमको जेल में बंद कर दिया है,, अब तुम यही बैठो में दूसरों को ढूंढ कर लाती हूँ,, ऐसे ही मैंने बारी बारी सारे बच्चों को पकड़ लिया, अब सिर्फ संजू ही बचा था,, और मुझे यह भी पता था की वो कहाँ छिपा होगा,, मैं स्टोर रूम में गई और वहां पर दरवाजे के पीछे से संजू को पकड़ लिया,,
मगर जैसे वो बोल रहा था की आप मुझे जेल तक नहीं ला
पाओगी,, उसी तरह से वो अपने आप को पीछे की तरफ खींचता और मैं उसको बाहर की तरफ
खींचती,, फिर मैंने उसको कमर से पकड़ लिया और उसको गुदगुदी करते हुए बाहर ले
आई,,, जिस कारन मेरा और उसका बदन आपस में रगड़ने लगा,,, मैंने उसको पीछे से
कस कर पकड़ लिया,, मेरे बूब्स उसकी पीठ पर दब रहे थे और मेरी चूत वाला
हिस्सा उसकी गांड पर दब रहा था,, मेरे ऐसे चिपकने से संजू को भी मजा आ रहा
था,,, वो भी मुझसे छूटने की नाकाम सी कोशिश कर रहा था,, मैं संजू को पकड़ कर
बैड तक ले आयी,, और उसे भी जेल में बंद कर दिया,,
जैसे ही मैंने संजू को छोड़ा, तो मेरी नजर उसकी पेंट में खड़े हुए लंड की तरफ पड़ी,, जिसको संजू ने जल्दी से अपने हाथों से छिपा लिया,, मैं भी उसको देखकर मुस्कराने लगी,, फिर मैंने कहा - चलो बच्चो,, अब हम सब लोग छिपते हैं और तुम्हारे मामा हमको ढूंढेंगे,,, तो सारे बच्चे फिर से छिपने लगे,,
मैंने
जाते हुए संजू को कहा - क्यों तीस मार खान साहिब,,, मैंने तो तुमको पकड़
लिया,, अब तुम मुझको पकड़ कर और जेल में बंद करके दिखाओ,,,
संजू
मुस्कराने लगा और बोला - क्यों नहीं भाबी,,, मैं भी आपको पकड़ लूंगा,, और
जैसे आप मुझे गुदगुदी करते हुए जेल तक ले आये हो,, मैं भी आपको वैसे ही ले
आऊंगा,,, (मैंने संजू की बात सुनकर मुस्कराते हुए जाकर छिप गई)
फिर
संजू भी बच्चों को बारी बारी ढूंढ़ने लगा,, संजू के बदन से रगड़ खाने के बाद
मेरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी थी,,, मैं मन ही मन सोच रही थी की जब संजू
मुझे पकड़ने के लिए आएगा तो वो मुझे पीछे से पकड़ेगा या फिर आगे से,, और फिर
मुझे पकड़ते वक़्त उसका लंड भी खड़ा हो जायेगा,,, और जब वो मुझे कस के पकड़ेगा
तो उसका लंड भी मेरे साथ रगड़ेगा,,, यह सोच सोच कर मेरे बदन में करंट सा
दौड़ने लगा था,,
मैं वही पर बैठे बैठे संजू से चुदवाने का मन बनाने लगी,, क्योंकि छोटे बच्चों से चोरी वो आसानी से मुझे चोद सकता था,,, संजू की पेंट का उभार अभी भी मेरी नजरों के सामने घूम रहा था,,, आखिर संजू ने सारे बच्चों को पकड़ लिया और अब वो मुझे ढूंढ रहा था,, मैं भी स्टोर रूम में ही छिपी थी,,
संजू मुझे ढूंढ़ता हुआ स्टोर रूम में आ गया,, मैं एक अलमारी की साथ छिप कर खड़ी थी, संजू ने इधर उधर देखा और फिर उसकी नजर मुझ पर पड़ गई,, और मेरी नजर उसकी पेंट पर, उसने अपना एक हाथ अपनी जेब में डाला हुआ था,, मैं समझ गई थी की जेब में हाथ डाल कर उसने अपने लंड को पकड़ा हुआ है,, ताकि मैं उसके लंड के उभार को ना देख पाऊँ,,, मेरे बदन में भी कुछ कुछ होने लगा था,, फिर संजू ने अपने एक हाथ से ही मेरे हाथ को पकड़ा और खींचने लगा,, मगर मैं भी कहाँ आसानी से जाने वाली थी,, और फिर अब तो मेरा पूरा मूड बन चूका था, संजू के बदन से लिपटने का और उसके लंड को अपनी गांड की दराड़ में रगड़ने का,,,
संजू ने मुझे हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खींचा मगर मैंने उसको अपनी ओर खींच लिया,, अब संजू ने अपना दूसरा हाथ भी जेब से निकाल लिया और दोनों हाथों से मुझे खींचने लगा,,, मगर मैं भी हँसते हुए उसको अपनी ओर खींच रही थी,, संजू ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए मेरी कमर में अपना हाथ लपेट लिया, मगर मैं उसका हाथ पकड़ कर अपनी कमर से हटाने लगी,, हलाकि मैं भी यही चाहती थी मगर फिर भी मैं झूठा मुठा नाटक करने लगी,, संजू की पेंट के उभार से पता चल रहा था की उसका लंड पूरा तना हुआ है,, मगर फिर भी वो अपने लंड की दूरी मुझसे बनाये हुए था,, शायद वो मुझसे से डर रहा था, की कही लंड का उभार देखकर मैं उस पर गुसा न हो जाऊं..
फिर मैंने अपना चेहरा उस की तरफ घुमा दिया, जिस कारन हम दोनों के मुंह एक दूसरे के
सामने हो गए ,, संजू की बाहें अभी भी मेरी कमर से लिपटी हुयी थी और उसका लंड भी
मेरी चूत के बिलकुल सामने था,, मगर मैंने इन सब बातों से अनजान बनते हुए
संजू की कमर में अपनी बाहें डाल दी और हँसते हुए बोली - अब मुझे लेजाकर
दिखाओ जेल तक,,, और फिर मैं मुस्कराने लगी,,,
संजू
का लंड पहले से भी ज्यादा सख्त हो रहा था,, मगर वो भी अनजान बनने का नाटक
करते हुए फिर से मुझे बाहर की ओर धकेलने लगा,, अब उसका तना हुआ लंड कभी
मेरी झांघ पर, कभी मेरी चूत पर और कभी मेरे पेट पर रगड़ खा रहा था,, हम
दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखे डालकर एक दूसरे को देखते हुए एक दूसरे को
धकेलने का नाटक कर रहे थे,, मैं तो अपनी तरफ से संजू को पूरा निमंतरण दे रही थी,,, मगर संजू अभी तक भी मेरे इस निमंतरण को समझ नहीं पाया था,, वो अभी भी कुछ करने से झिझक रहा था,,
उसने फिर से एक बार मुझे धकेल कर बाहर ले जाने की कोशिश की,, मगर मैं अब और भी ज्यादा उस से लिपट गई, अपनी दोनों बाहों को उसकी कमर में कस्ते हुए मैंने अपने दोनों बूब्स उसकी छाती पर दबा दिए और उसके तने हुए लंड को अपनी दोनों टांगों के बीच में रख अपनी चूत पर सैट कर दिया,,
संजू कुछ कुछ तो समझ रहा था मगर सब कुछ नहीं,,, आखिर मैंने अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर सहलाना शुरू कर दिया और अपने होंठों से उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया,,, अब इस निमंतरण को संजू भला कैसे ना समझ पाता,, वो भी मेरे होंठों और गालों को चूमने लगा,, वो भी मेरी पीठ को सहलाने लगा और अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगा,
मेरे बालों में अपना हाथ घुमाते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा और फिर
मेरे बूब्स को भी दबाने लगा,, मैंने भी उसके तने हुए लंड को पेंट के ऊपर से
ही अपने हाथ में ले लिया,, हम दोनों के हंसने और बोलने के आवाज भी बंद हो
गई,, बस एक दूसरे की गरम सांसों की आवाज और चूमने चाटने की आवाज ही आ रही
थी,,, बाहर बैठे बच्चे भी शोर मचा कर बोल रहे थे की मामू जल्दी पकड़ कर
लाओ मामी को,,, मगर उनको क्या पता था की मामा और मामी तो कुछ और ही कर रहे
हैं,,
संजू कभी मेरे पीछे आकर मेरे बदन को मसलने लग जाता और कभी
सामने से,, हम एक दूसरे के मुंह में अपनी जुबान घुसेड़ कर रस चूसने की कोशिश
में लगे हुए थे,, जब बच्चे ज्यादा शोर मचाते तो संजू बोलता -
बच्चो,, अभी ला रहा हूँ मैं तुम्हारी मामी को पकड़ कर,, मगर मैं बोल देती -
की तुम्हारे मामा में इतनी जान नहीं है की वो मुझे पकड़ कर ले आएं,, और फिर
हम दोनों हँसने लग जाते,,,
मगर फिर जब बच्चे ही बैड से उठकर अंदर आने लगे तो हमने उनको खिड़की से ही देखकर अपने आप को सही कर लिया और फिर संजू मेरे पीछे आकर मुझे पकड़ कर बाहर ले आया,, उसका तना हुआ लंड मेरी गांड की दराड़ में घुसा हुआ था,, संजू ने मुझे पकड़ कर बैड पर पटक दिया और बच्चों से अपने लंड के उभार को छिपाता हुआ खुद भी बैड पर बैठ गया,, एक तो गर्मी और दूसरा स्टोर रूम में हम दोनों पसीने से भीग चुके थे,,, मगर फिर भी जो ख़ुशी हम दोनों की आँखों में झलक रही थी वो सब से अलग थी.
फिर एक बच्ची बोली - क्या मामू,, आपने इतना टाइम लगा दिया मामी को पकड़ने में,,,
संजू
भी बच्चों के जैसे ही नक़ल करता हुआ बोला - अरे दिशा,, तुम को नहीं पता,,
तुम्हारी यह मामी के पास इतने इतने बड़े दो बम थे,,, पहले मैंने वो दोनों बम
पकडे और फिर तुम्हारी मामी को पकड़ पाया हूँ,,,
फिर मैंने भी कहा - और तुम्हारे मामू के पास भी एक पिस्तौल है,, उसी से पकड़ कर यह मुझे यहाँ लाएं हैं,,,
फिर एक बच्चा बोला - आप क्या बोल रहे हो,, न तो हमने बम देखे और न ही पिस्तौल,, आप दोनों झूठ बोल रहे हो,,,
बच्चों के पल्ले तो कुछ नहीं पड़ रहा था मगर हम दोनों एक दूसरे की बातें अच्छे से समझ रहे थे,,, और हंस भी रहे थे,,,
फिर संजू बोला - अरे बच्चो,, तुम पिस्तौल और बम की बातें छोड़ो,, और यह बताओ की अब कौन ढूंढेगा हम सब को,,,
दिशा नाम की छोटी बच्ची बोली - अब पवन हमको ढूंढेगी,,,,
मैंने
कहाँ - बिलकुल सही,, चलो चलो जल्दी से सब बच्चे छिप जाओ,,, और हम भी छिप
जाते हैं,,, (मैंने संजू की तरफ मुस्कराते हुए देखकर कहा)
संजू
भी मेरी मुस्कराहट को समझ गया और बोला - हाँ, हाँ जल्दी से छिप जायो,, आप
भी आ जाओ भाबी,,, हम भी छिप जाते हैं,,, मैं भी संजू के साथ ही उसके पीछे
पीछे चल पड़ी,,, अब बच्चे समझ रहे थे की शायद स्टोर रूम में छिपने के लिए
ज्यादा जगह है, इस लिए दो-तीन बच्चे तो हमसे पहले ही जाकर स्टोर रूम में
छिप गए थे,, इस लिए हमने वहां छिपना ठीक नहीं समझा, हम दूसरे कमरे में चले
गए वहां पर भी कुछ बच्चे छिपे हुए थे,, अब हम तो सच मुच में छिपना चाहते थे
यहाँ से जल्दी से हमें कोई ढूंढ न पाए,, और हम आसानी से चुदाई का मजा भी
ले सकें,,,
फिर संजू ने मुझे पकड़ा और दूसरे रूम में ले गया और वहां पड़े हुए सोफे को उसने थोड़ा सा दिवार से हटाया और उसके पीछे मुझे बिठा दिया,, और खुद भी मेरे पीछे बैठ गया,, मगर तभी उसी रूम में दरवाजे के पीछे छुपी हुयी दिशा भी मेरे सामने आकर बैठ गई,, हम दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे की यह कहाँ से आ गई,, मगर मैंने उसका चेहरा दूसरी ओर घुमा दिया ताकि वो हमको देख न सके,, संजू मेरे पीछे बैठे हुए मेरे बदन को सहलाने लगा और पीछे से मेरे बूब्स को दबाने लगा,, मैं भी उसके हाथों को पकड़ कर अपने बदन पर फिराने लगी,, हम जानते थे की दिशा अभी तक बहुत छोटी है उसको कुछ समझ नहीं आएगा,,
संजू ने मेरी सलवार का नाडा खोलने को कहा,, मगर ऐसे माहौल में यह सब कुछ कर पाना बहुत मुश्किल था,, मगर फिर भी मैंने संजू को मना नहीं किया और अपनी सलवार का नाडा खोल दिया, संजू ने पीछे से मेरी सलवार और पैंटी को नीचे सरका दिया और अपना तना हुआ लंड मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगा,, मुझे पता था की लंड चूत में लेने के लिए या तो मुझे घोड़ी बनना पड़ेगा या फिर मुझे ही लंड पर बैठना पड़ेगा,,
मैं पीछे से अपनी गांड उठा कर संजू के सामने घोड़ी बन गई और साथ ही बाहर की ओर देखने लगी ताकी अगर कोई हमें ढूंढ़ते हुए अंदर आये तो हम जल्दी से सम्बल जाएँ,, संजू ने अपने लंड को मेरी चूत के मुंह पर रगड़ा और चूत के अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा,,, मगर अभी तक वो इस मामले में अनाड़ी था,, शायद उसका पहला मौका था चूत चुदाई का,, फिर मैंने अपने हाथ से संजू का लंड पकड़ा और उसको अपनी चूत के मुंह पर रखा,, और खुद ही अपनी चूत को पीछे धकेलने लगी,, संजू ने भी लंड का एक धक्का लगाया और उसका लंड मेरी चूत में घुस गया,, मेरी चूत तो तब से ही गीली हो चुकी थी जब संजू स्टोर रूम में मुझसे चूमा चाटी कर रहा था,,,
संजू का आधा लंड ही मेरी चूत में घुसा था की संजू के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल गई,,जिस से मैं समझ गई की संजू के लंड की सील टूट गई है,, संजू ने कुछ देर लंड को वही रोक दिया,,, शायद उसे दर्द होने लगा था,,, मगर मैं अपनी चूत को आगे पीछे हिलाने लगी,, मेरी गीली चूत होने के कारण संजू का लंड भी आसानी से अंदर बाहर होने लगा,, मगर संजू अभी भी धक्के नहीं लगा रहा था,, मैंने संजू की तरफ देखा तो वो बोला - बहुत दर्द हो रहा है, भाबी,,
संजू की बात सुनकर दिशा भी पीछे मुड़कर देखने लगी, मगर
मैंने उसे फिर से दूसरी ओर घुमा दिया और कहा - दिशा,, ऐसे ही बैठी रहो,,
वर्ना पकड़ी जाऊगी,, दिशा फिर से वैसे ही बैठ गई,,, मैंने संजू का लंड बाहर निकाला और हल्का सा उसकी ओर घूमते हुए संजू का लंड अपने हाथ से सहलाने लगी,, उसके लंड से खून की बुँदे टपक रही थी,,, जो कुछ मेरी सलवार पर और कुछ नीचे गिर गई,, मैंने धीरे से कहाँ - पहली बार कर रहे हो क्या,,,,
संजू ने हां में सर हिला दिया,,,
मैंने मुस्कराते हुए धीरे से कहा - तो फिर मैंने तुम्हारी सील तोड़ दी,,,
संजू हैरान होते हुए बोला - क्या,, मेरी सील,, सील तो लड़कियों की टूटती है न,,
मैंने फिर से मुस्कराते हुए और उसके लंड को हिलाते हुए कहा - यह देखो ,,, खून निकल रहा है ना,,, और साथ ही मुस्कराने लगी,,,
फिर दिशा हमारी बातें सुनकर बोली - मामी आप चूप रहो ना,, वर्ना आपकी वजह से हम तीनों पकडे जायेंगे,,
मैंने कहा - हाँ हाँ ठीक है दिशा,, तुम भी ऐसे ही बैठी रहो,, हिलना मत,,
संजू
अभी भी अपने लंड को पकड़ कर सेहला रहा था,, मैंने धीरे से कहा - अब कुछ देर
बाद में करेंगे,, और साथ ही मैंने अपनी सलवार और पैंटी को सही कर लिया,,
संजू ने भी अपना लंड पेंट के अंदर डाल दिया और अपने अंडरवियर से ही साफ़ कर
लिया,, हम कुछ देर वहां पर बैठे रहे और एक दूसरे के होंठ भी चूसते रहे और
कुछ देर के बाद पवन ने भी हमको पकड़ लिया,,
अब मुझे अच्छी तरह से चुदाई करवाने का मन हो रहा था,, इस लिए मैंने बच्चों से कहा - बच्चो,, अब खेल कूद बहुत हो गया,, आप सारे बच्चे बैठ कर कार्टून देखो,, तब तक मैं तुम्हारे लिए आइस क्रीम मंगवाती हूँ,, और मुझे भी कुछ काम है ,,,
सारे बच्चे बोले - ठीक है, मामी जी,,
तो
फिर मैंने कार्टून लगा कर बच्चों को टीवी के सामने बिठा दिया और बच्चों के
सामने संजू को कहा की जाओ संजू आइस क्रीम लेकर आओ,, संजू ने भी कहा - हां
भाबी जी,, अभी लाता हूँ,, मगर संजू बच्चों को चकमा देकर मेरे बैडरूम में
घुस गया और जब बच्चे कार्टून देखने में मस्त हो गए तो मैं भी अपने बैडरूम
में चली गई,,
बैडरूम में जाते ही हमने कुण्डी लगा ली और एक दूसरे से लिपट गए,,वो मुझे बेतहाशा चूमने लगा और मेरी गांड और बूब्स के साथ साथ पुरे बदन को मसलने लगा संजू का लंड फिर से अकड़ चूका था,, उसने अपनी पेंट और अंडरवियर दोनों को उतार दिया,, संजू के लंड पर अभी भी सूखा हुआ खून लगा हुआ था,, फिर मैंने भी अपनी सलवार का नाडा खोल दिया,, और अपनी पैंटी और सलवार उतार कर फेंक दी,, मैं बिस्तर पर सीधी लेट गई और संजू अपना तना हुआ लंड लेकर मेरी दोनों टांगों के बीच में आ गया,, और अपना लंड मेरी चूत पर घुमाने लगा,,
मैंने मुस्कराते हुए कहा - अगर चूत को पहली बार देख रहे हो तो अच्छे से देख लो,, और इसमें डालते कैसे हैं वो भी सीख लो,,,
संजू
भी मुस्कराते हुए बोला - वो सब कुछ तो आप ही सिख़ाओगी भाबी,, और चूत तो मैंने आज तक सिर्फ पोर्न मूवी में ही देखी थी,, आज पहली बार चूत को देखने का मौका मिला है
मैंने
मुस्कराते हुए संजू का लंड पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर रख दिया और धक्का
लगाने को कहा - संजू ने भी अपने लंड को चूत के ऊपर दबाया और धीरे
धीरे करके अपना सारा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया,,,
मैंने फिर से मजाक भरे लहजे में कहा - क्यों तीस मार खान साहिब,, आज मैंने तोड़ दी ना तुम्हारी सील,,
संजू हंसने लगा और बोला - सच में भाबी,, आपने तो आज मुझे जन्नत दिखा दी,, वर्ना कब से आपको याद करके मूठ मार रहा था,,,
मैंने
कहा - अब मूठ मारने की जरूरत नहीं रहेगी तुमको,, मगर इस बारे में किसी को
बताना नहीं,, अपने किसी दोस्त को भी नहीं,, वर्ना मैं दुबारा देनी
वाली नहीं,,
संजू बोला - नहीं भाबी,, किसी को नहीं बताऊंगा,,, बस आप ऐसे ही अपनी चूत मुझसे चुदवाती रहना,,,
मैंने कहा - ठीक है,,, अभी तो अच्छी तरह से चोद लो, या फिर ऐसे ही बातें करते रहोगे,,
मेरी बात सुनकर संजू अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और और मैं भी अपनी चूत हिला हिला कर उस से चुदवाने लगी,, मगर संजू की पहली चुदाई होने के कारन वो ज्यादा देर तक नहीं टिक पाया और 5-7 मिंट में ही उसने अपना सारा वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया,, अभी तक तो मैं भी अपने चरम सुख तक नहीं पहुंची थी,, फिर मैंने संजू को कहा की मेरी चुत में जोर जोर अपनी 2-3 उँगलियाँ अंदर बाहर करो.,, और वो मेरी चूत में अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगा,, मैं भी अपने हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाने लगी और फिर मेरी चूत से भी मेरा सारा चूत रस फुट फुट कर निकल गया,,,
संजू कुछ उदास होते हुए बोला - भाबी,, क्या आपको मजा नहीं आया,, मैं आपको पूरा मजा नहीं दे पाया ना,,
मैंने
कहा - संजू, तुम उदास क्यों हो रहे हो,, अभी तो तुमने पहली बार किया है,,
इस लिए तुम्हारा वीर्य जल्दी निकल गया,, अभी देखना कुछ ही देर में तुम्हारा
लंड फिर से खड़ा हो जायेगा और फिर तुम कम से कम आधा घंटा मुझे चोदोगे,,
संजू फिर से बोला - भाबी मेरा लंड आपको पसंद आया या नहीं,, कही यह छोटा तो नहीं,,,
मैंने
कहा - तुम्हारा लंड बिलकुल परफेक्ट है संजू,, और मुझे बहुत पसंद भी आया
है,, बस आज पहली बार था तुम्हारा इस लिए तुमको अभी बहुत कुछ सीखना पड़ेगा
मुझसे,,
संजू मुस्कराते हुए बोला - ठीक है भाबी,,, आप जब भी बुलाओगी,, मैं आ जाया करूँगा,, और फिर आप ही मुझसे सब कुछ सिख़ाओगी,,,
मैंने अपनी सलवार पहनते हुए कहा -ठीक है,, मगर अभी जल्दी से पेंट पहन लो,, कही कोई बच्चा ना आ जाये,,
और तुम बच्चों के लिए आइस क्रीम भी ले आओ,, नहीं तो बच्चे दुबारा हम पर विश्वास नहीं करेंगे,,
तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी यह अधूरी चुदाई की कहानी -- इस से आगे का किस्सा भी जल्दी लेकर आउंगी
मुझे मेल जरूर करना
komalpreetkaur29285@gmail.com



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