जब मुझे मिलकर कुत्तों ने चोदा



लेखिका - कोमलप्रीत कौर 

हेलो दोस्तो, मेरा नाम कोमलप्रीत कौर है, और यह तो आप जानते ही हैं कि मेरे पति आर्मी में हैं और मैं अपनी सास और ससुर के साथ जालंधर के पास एक गाँव में रहती हूँ.  मैं दिखने में खूबसूरत, सैक्शी और हॉट भी हूँ, और जिस तरह से मुझे मेरे पालतू कुत्ते रॉकी ने चोदा था,, वो तो मैं आपको बता ही चुकी हू,, मगर उस चुदाई के बाद रॉकी को मेरी चूत की ऐसी आदत पढ़ गयी की उसे जब भी मौका मिलता वो मेरे उपर चढ़ जाता और अपने लंड को चुदाई के स्टाइल में हिलाने लग जाता,, 

जब कभी अकेले में मेरे रूम के अंदर वो ऐसा करता फिर तो मैं उसे नही रोकती थी,, बल्कि मुझे तो अच्छा लगता था और मैं भी उसके लंड वाली जगह पर हाथ फिरा कर उस से प्यार करती,,, और रोकी भी इस से और चिहुक उठता और मेरे हाथ में ही ज़ोर ज़ोर के धके लगाने लग जाता,,, मगर इन सब के बीच एक चिंता की बात भी थी,,, जब कभी मैं सास ससुर के सामने बाहर बैठी होती तो, फिर भी रॉकी मेरे उपर चढ़ने की कोशिश करता,, और मैं बढ़ी ही मुश्किल से उस से बच पाती,,  कई बार तो रॉकी अपना लंड भी निकाल लेता,, और यह सब सास और ससुर भी देख लेते,, जिस से वो भी शर्मिंदा हो जाते,, उनको तो यही लगता था की रॉकी किसी कुतिया की चुदाई करना चाहता है,, मगर उन को थोड़ा पता था की वो कुत्तिया मैं ही हूँ,,, और रॉकी मेरी चुदाई के लिए तड़प रहा है,, और वो मुझे पहले भी चोद चुका है,

मगर जो भी था घर में रॉकी की ऐसी हरकतों से सब प्रेशान थे,, इस लिए ससुर जी ने रॉकी को बाँध कर रखना शुरू कर दिया,, मैं भी इस बात से खुश थी की अब रॉकी अचानक से अपना लंड निकाल कर मेरे उपर तो नही चडेगा,, मैं रॉकी को खाना और दूध सब वही पर दे देती,, कभी कभी उसे खोलकर नहला भी देती और मौका देखकर उसके लंड वाली जगह को भी मसल देती,, जिस से रॉकी उच्छल पड़ता,, 

एक दिन रात को पास के किसी गाँव में सत्संग था,, सास ससुर दोनों ने सत्संग में जाना था,, वो मुझे भी साथ में चलने के लिए बोले,, मगर मैनें सर दर्द का बहाना बना कर जाने से मना कर दिया,, क्योंकि मैं ऐसा ही मौका डुंड रही थी रॉकी से फिर से चुदाई करवाने का,,, और भला में ऐसा मौका कैसे खो सकती थी,,

सर्दियों के दिन थे,, सास ससुर जी घर से 7 बजे के क्रीब निकल गये,, और वो मुझे बोल गये थे की धुन्द हो जाने के कारण वो रात को नही लौट पाएँगे,, और सुबह ही वापिस घर आएँगे,, यह बात सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो गयी थी,, क्योंकि आज पूरी रात रॉकी को मैं खुश करने वाली थी,, मैं जल्दी से घर का काम निपटाने में लग गयी,, 

रात के क्रीब 9 बजे गये थे,, फिर मेरे पति का फ़ोन आ गया और मैं उनसे बात करने लगी,, वो मुझसे एक घंटे तक बात करते रहे,, उनका फोन कटने के बाद मैनें घर की सारी लाइट बंद कर दी और फिर रॉकी को जिस कमरे में बाँधा था उस तरफ चली गयी,, जो घर के पीछे वाली साइड था, और घर के अंदर से ही पीछे जाने का रास्ता भी था,, घर के बाहर से कुछ और कुत्तों के भौकने की आवाज़ भी आ रही थी,, मैं जैसे ही कमरे में जाकर रॉकी को खोलने लगी तो वो भी मुझे देखकर बहुत खुश हो गया और अपनी पुंछ को हिलाने लगा,, जैसे ही मैनें रॉकी को खोला तो वो कमरे से बाहर की ओर भागा और जिस तरफ से कुत्ते भोंकने की आवाज़ आ रही थी उस तरफ मुँह करके वो भी भोंकने लगा,, हालाकी सभी तरफ दीवारें थी और एक लोहे का गेट (दरवाजा) भी पीछे रास्ते की तरफ निकलता था,, रॉकी उसी गेट के सामने खड़ा होकर पुंछ हिला हिला कर भोंकने लगा,, मुझे बहुत अजीब लग रहा था ,, की आज रॉकी मुझे देखकर भी मेरी तरफ नही आ रहा था,,

मैनें दीवार के उपर से बाहर झाँका तो एक कुत्ता और कुत्तिया आपस में जुड़े हुए थे,, और 2-3 कुत्ते उसके पास खड़े देख रहे थे,, मैं समझ गयी की रॉकी आज असली वाली कुत्तिया को चोदना चाहता है,, मुझे रॉकी पर बहुत तरस आ रहा था,, वो घर के अंदर से बाहर जाने के लिए बहुत उतावला हो रहा था,, मैनें सोचा की रॉकी आज असली वाली कुत्तिया को चोदकर ही खुश होगा,, इस लिए मै लोहे के गेट खोलने ही वाली थी की मेरे मन में विचार आया की अगर मैनें रॉकी को बाहर निकाला तो रॉकी सारी रात कुत्तिया के पीछे पीछे पता नही कहा भागता रहेगा,, और फिर उसे वापिस घर लाना भी मुश्किल होगा,, इस लिए अगर मैं कुत्तिया को ही अंदर बुला कर दरवाजा बंद कर दूं तो रॉकी उसे आसानी से चोद लेगा,,

मैनें फिर दीवार के उपर से देखा,, वो कुत्ता और कुत्तिया अब अलग हो चुके थे, मैनें रॉकी को पीछे रोका और उस कुत्तिया को पूचकारने लगी,, कुत्तिया की अभी अभी चुदाई हुई थी,, इस लिए वो भी कुछ खाने की उमीद से मेरी तरफ आ गयी,, मैनें उसे पूचकारते हुए गेट के अंदर ले लिया,, मगर मैं गेट बंद कर पाती,, उस से पहले वो 3 कुत्ते भी गेट के अंदर आ गये,, बस एक ही कुत्ता बाहर था,, जो अभी अभी कुत्तिया से अलग हुया था,, मैनें जल्दी से गेट बंद कर दिया,, ताकि वो कुत्ता भी अंदर ना आ जाए,, फिर मैं कुत्तिया को पूचकारती हुई रॉकी के कमरे में ले गयी,, यहाँ पहले से ही कुछ दूध कटोरे में पड़ा था और कुछ ब्रैड भी पड़े थे,, कुत्तिया कटोरे में मुँह मारने लगी,,

रॉकी और दूसरे 3 कुत्ते भी अंदर आ गये और कुत्तिया की चूत सूंघने लगे,, मैं चाहती थी की रॉकी जल्दी से उस कुत्तिया को चोद ले,, ताकि फिर मैं उस कुत्तिया और बाकी कुत्तों को बाहर निकाल दूं और रॉकी को अपने रूम में ले जा सकूँ,, इस लिए मैं उन कुत्तों के आगे ब्रैड फेंक कर उनको अपनी ओर पूचकारने लगी,, उनमें से 2 कुत्ते तो ब्रैड देखकर मेरी तरफ आ गये,, जिनको मैं पूचकारते हुए ब्रैड खिलाने लगी और वो भी पुंछ हिलाते हुए ब्रैड खाने लगे,,, 

उधर रॉकी भी अपना काम पूरी शिदत से कर रहा था,, वो दूसरे कुत्ते को पीछे हटा कर खुद आगे हो गया था,, और कुत्तिया भी रॉकी के सामने अपनी चुदाई करवाने के लिए आराम से खड़ी थी,, हालाकी उसके कटोरे में से दूध भी ख़तम हो चुका था,, रॉकी के लंड वाला हिस्सा बुरी तरह से झटके ले रहा था,, जैसे वो कुछ ही पलों में कुत्तिया के उपर चढ़ कर उसकी चुदाई शुरू करने वाला हो..

मगर इधर मेरे पास भी ब्रैड ख़तम हो गये थे,, और वो दोनों कुत्ते भी अब कुत्तिया की तरफ जाने लगे,, मैं उन कुत्तों का ध्यान अपनी ओर करने के लिए उनके सिर को सहलाने लगी,, मगर अब उनको शायद चूत के इलावा कुछ नही सूझ रहा था,,

उधर रॉकी भी कुत्तिया के उपर चढ़ चुका था, रॉकी ने अपना तीखा और लंबा लंड निकाल कर कुत्तिया की चूत में दे डाला,, लंड चूत में जाते ही कुत्तिया के मुँह से हल्की से भोंकने की आवाज़ निकल गयी,, जैसे वो बता रही हो की यह लंड पहले वाले लंड से बड़ा है,, रॉकी ने कुत्तिया की चुदाई शुरू कर दी थी,, मगर जलदबाजी में उसका लंड फिर से बाहर निकल गया,, सब कुछ मेरे सामने हो रहा था,, जैसे मेरा पूरा ध्यान उन दोनों की चुदाई में था वैसे ही दूसरे कुत्ते भी चुदाई देखने का पूरा मज़ा ले रहे थे,, 

जैसे ही रॉकी का लंड कुत्तिया की चूत से बाहर निकला,, एक कुत्ता आगे होकर कुत्तिया की चूत को चाटने लगा,, जिस से अब रॉकी का लंड चूत में घुस पाना मुश्किल हो रहा था,,,, मैं भी कुत्तिया की तरह घुटनों और हाथों के बल उनके पास चली गयी और उस दूसरे कुत्ते को पूचकारते हुए पीछे हटा दिया, और रॉकी का तीखा और नोकिला लंड हाथ में पकड़ कर कुत्तिया की चुत के सुराख पर रख दिया,, रॉकी के लंड को मेरा हाथ लगते ही रॉकी तेज झटके मारने लगा,, जिस से रॉकी का लंड अगले झटके में ही कुत्तिया की चूत में समा गया,,, मेरी यह हरकत देखकर बाकी के 3 कुत्ते हैरानी से मेरी ओर देखने लगे,, और अपनी पुंछ हिलाते हुए मेरे हाथ को चाटने लगे,, मैं तो पहले से ही कुत्तिया की तरह झुकी हुई थी,, इस लिए शायद वो अब मुझे भी कुत्तिया ही समझ रहे थे,,, 

उनकी खुरदरी ज़ुबान मेरे हाथ पर लगते ही मुझे ऐसा लगा जैसे एक नही 3-3 रॉकी मेरे पास आ गये हों,, मैं वैसे ही झुकी हुई उन कुत्तों के सामने अपने हाथ और अपना चेहरा करने लगी,, उन कुत्तों के ऐसे चाटने से मेरी चूत में कुछ कुछ होने लगा था,, मैं एक हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी,, तभी एक कुत्ता जो सब से बड़ा था,, वो पीछे से आकर मेरी चूत को सूंघने लगा,,, रॉकी और उस कुत्तिया की चुदाई देखकर मेरी चूत तो पहले से ही गीली हो रही थी,, इस लिए मेरी चूत से टपक रहे वीर्य की गंध उस कुत्ते ने भी सूंघ ली,,,, और वो मेरी सलवार के उपर से ही अपना मुँह मेरी चूत वाली जगह पर रगड़ने लगा,,

उफ्फ्फ्फ,, कुत्ते की इस हरकत ने तो सच में मेरी काम वासना को दुगना कर दिया था, मेरी चूत में लंड लेने की इच्छा बढ़ने लगी. मैं उन कुत्तों के सामने नंगी होकर अपना सारा बदन उनसे चटवाना चाहती थी,,, मैनें झट से अपनी सलवार का नाडा खोल दिया और मेरी सलवार घुटनों तक नीचे गिर गयी,, 

सलवार नीचे गिरते ही वो कुत्ता तेज़ी से अपनी पुंछ हिलाने लगा,, और मेरी चूत के रस से गीली हुई पैंटी को अपनी खुरदरी ज़ुबान से चाटने लगा, दूसरे दोनों कुत्ते भी मेरी टाँगों के बीच फ्सी हुई पैंटी की ओर ऐसे लपके जैसे उनको भी पता चल गया हो की चाटने वाली असली मलाई तो यहाँ से निकल रही है,, अब मैं अपनी टांगे चौड़ी करके खड़ी हो गयी और अपनी कमीज़ को भी उतार फेंका,,, मेरी सलवार मेरे पैरों में गिर चुकी थी,, और वो तीनों कुत्ते आगे और पीछे से मेरी गीली पैटी में अपनी ज़ुबान घुसेड़ने की कोशिश में लगे हुए थे,, 

अब मैनें अपनी ब्रा को भी उतार फेंका,, और फिर मैंने अपनी पैंटी को भी नीचे सरकाना शुरू कर दिया,, जिस से वो कुत्ते एक पल के लिए मेरी पैंटी को चाटने से रुक गये और पैंटी के नीचे सरकने का पुंछ हिलाते हुए इंतजार करने लगे,, मैं धीरे धीरे से पैंटी नीचे सरका रही थी,, मगर कुत्तों के लिए इतना इंतजार करना बहुत मुश्किल था,, पीछे वाले कुत्ते ने मेरी पैंटी को अपने दातों मे लिए और मेरी पैंटी को नीचे खीचने लगा,, मैंने भी कुत्ते के उतावलेपन को देखते हुए अपनी पैंटी को जल्दी से नीचे सरका दिया,,

जैसे ही मैं पैंटी नीचे सरकाते हुए नीचे को झुकी तो सामने खड़े दोनों कुत्ते मेरे मोटे मोटे मम्मो (बूब्स) की ओर देखने लगे,, और फिर मेरे मम्मो को भी चाटने लग गये,, मेरे बूब्स के निपल तो पहले से ही हार्ड हुए पड़े थे,, उस पर कुत्तों की खुरदरी ज़ुबान लगते ही मेरे मम्मे हार्ड होकर फड़कने लगे,, मैं अपने मम्मो को अपने हाथों से मसलने लगी,,

मेरी पैंटी मेरे पैरों में गिर चुकी थी और मेरे पीछे खड़ा कुत्ता मेरी नंगी चूत में अपनी ज़ुबान घुसा घुसा कर चाट रहा था,, जब उसकी लंबी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर से होकर बाहर आती तो मेरी टांगे अपने आप चौड़ी हो जाती,, मैनें अपनी चूत में दो उंगलियाँ घुसाई और वीर्य से भीगे हुए हाथ को अपने बूब्स पर मसल दिया,, जिस से मेरे बूब्स चाट रहे कुत्ते और भी तेज़ी से मेरे बूब्स चाटने लगे,, मैं बार बार ऐसा करने लगी,, वो कुत्ते मेरे बूब्स को भी चाटते और फिर मेरी उंगलियों को भी चाट लेते,, और पीछे वाला कुत्ता मेरी चूत के साथ साथ मेरी झंगों तक बह रहे मेरे चूत रस को  भी चाट रहा था,

अब मुझसे और बर्दाशत नही हो रहा था,, मैं जल्दी से जल्दी कुत्ते का लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी,, मैने वही पर कोने में पड़ा हुया एक पुराना कंबल नीचे बिछा दिया,, और फिर से अपने घुटनों और हाथों के बल नीचे झुक कर कुतिया बन गयी,,,

वो तीनों कुत्ते तो जैसे कुतिया को भूल ही गये थे,, वो मेरी चारों तरफ ऐसे घूम रहे थे जैसे उनको कुतिया से भी ज़्यादा मालदार चीज़ मिल गयी हो,, मेरी चूत पर अभी तक उस बड़े वाले कुत्ते का ही कब्जा था,, और मैं जानती थी की सबसे पहले वही मुझे चोदना शुरू करेगा,, क्योंकि दूसरे दोनों कुत्ते जब भी मेरी चूत की तरफ आने की कोशिश करते,,, वो बड़े वाला कुत्ता उनको अपने दाँत दिखा कर फिर से भगा देता,, और वो दोनों फिर से मेरे चेहरे की तरफ आकर मेरे बूब्स और मेरे चेहरे को चाटने लग जाते,,,

मैं चाहती थी वो कुत्ता जल्दी से जदली मेरे उपर चढ़ जाए और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दे,,, इस लिए मैं और नीचे झुक कर कर अपने चुतड़ों को उपर उठा कर गांड़ को गोल गोल घुमाने लगी,,, 

मेरी गांड़ के इस अंदाज को देखकर शायद वो कुत्ता भी मेरी कामवासना को समझ गया,,, और अगले ही पल अपनी दोनों टांगे उठाकर मेरी कमर के उपर चढ़ गया,,, और अपनी दोनों टाँगों से मेरी कमर को कस के जाकड़ लिया,,,

उसकी हाइट बड़ी होने के कारण उसका लंड सीधा मेरी चूत के उपर जा टकराया,, मैं अभी सोच ही रही थी की इस कुत्ते का लंड भी पकड़ कर ही चूत में डालना पड़ेगा,, मगर  उस कुत्ते ने आगे बढ़ते हुए एक और झटका दे मारा और उसका लंड मेरी चूत के दोनों होंठों को खोलता हुया मेरी चूत के बीच घुसड़ गया,, लंड चूत के अंदर जाते ही मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी,, मेरे मुँह से आहह आआहह की आवाज़ें सुनकर वो दोनों कुत्ते, रॉकी और वो कुतिया भी मेरी तरफ देखने लगे,, और मैं आहें भरती हुई अपनी चूत चुदाती  हुई उनकी तरफ देखने लगी,,

रॉकी और वो कुतिया एक दूसरे की उल्टी दिशा मे खड़े थे,, मतलब की रॉकी ने अपना काम ख़तम कर लिया था और अब उसका लंड कुतिया की चूत में अटका पड़ा था,,

इधर मेरी चुदाई कर रहा कुत्ता अपना नोकिला लंड मेरी चूत में लगातार ठोके जा रहा था,,, उसके झटकों की तेज रफ़्तार से उसका लंड थोड़ा सा बाहर आता और फिर से मेरी चूत में घुस जाता,,, साथ ही वो अपने दोनों पैरों से मुझे अपनी ओर खींच रहा था,, मैं चुदाई के नशे में मस्त हुई आहें भरती हुई  कुतिया की तरफ ही चुदाई करवा रही थी,,, और वो कुत्ता भी मुझे किसी कुतिया की तरह ही चोद रहा था,,, 

उसके हर झटके से उसका लंड मेरी चूत में घुसता ही जा रहा था,, मैं जानती थी की अभी तक उसके लंड का मोटा हिस्सा भी मेरी चूत में घुसने वाला है,, जिसे में अपनी चूत में घुस्वाने के लिए पूरी तरह तैयार थी,, मेरी सिसकारियों से कमरे के अंदर का माहौल बहुत ही सेक्सी और गरम हो गया था,, मैनें अंदाज़ा लगाया की औरत की चुदाई के वक़्त निकलती सिसकारियों से मर्द ही नही बल्कि कुत्ते भी उतेज़ित हो जाते हैं, जिस का कारण था की वो दोनों कुत्ते उतेज़ित होकर सामने से ही मेरे उपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे जैंसे वो जल्द से जल्द अपना लंड मेरे भीतर समा देना चाहते हों,,

उधर मेरी चुदाई कर रहा कुत्ता भी पूरे जोश में अपना लंड मेरी चूत में ठोके जा रहा था,, उसके झटकों से उसका क्रीब क्रीब पूरा लंड बाहर निकल जाता और फिर तेज़ी से पूरा लंड मेरी चूत में घुस जाता,, उसका लंड रॉकी के लंड से ज़्यादा मोटा और लंबा था,, और अब तक उसके लंड का वो बॉल जैसा मोटा हिस्सा भी मेरी चूत के होंठों पर टकराने लगा था,, मैं समझ चुकी थी की कुछ ही पलों में उसके लंड का मोटा हिस्सा मेरी चूत के अंदर होगा,, मैनें आगे से थोड़ा और झुकते हुए अपनी चूत के होंठ और चौड़े कर दिए,, ताकि उसका वो मोटा हिस्सा भी चूत के अंदर आसानी से घुस जाए,,

वो कुत्ता अब अपना सारा ज़ोर उस मोटे हिस्से को मेरी चूत में घुसेड़ने के लिए लगा रहा था,, अपने पीछे वाले दोनों पैर आगे सरकाते हुए और अपने आगे वाले दोनों पैरों से मुझे अपनी ओर खींचते हुए वो अपने लंड का मोटा हिस्सा मेरी चूत में घुसाने के लिए ज़ोर ज़ोर से धके मारने लगा,,,, मगर उसका वो मोटा हिस्सा हर धके में थोड़ा सा ही अंदर जाता,,, और जब वो फिर से धका मरने के लिए लंड बाहर खींचता तो वो हिस्सा भी बाहर आ जाता.. मगर जो भी था मेरी चूत में लंड की चुदाई मजेदार हो रही थी,, मैं उस कुत्ते का पूरा साथ दे रही थी, उस कुत्ते के हर धके के साथ अपनी गांड पीछे को धकेल देती ता की उसका मोटा हिस्सा जल्दी से जल्दी मेरी चूत में घुस जाए,, वो कुत्ता भी अपनी दोनों टांगे मेरी कमर से लीपेट कर अपने हर धके के साथ मुझे पीछे खींच लेता,, कुछ देर तक  वो ऐसे ही मेरी चुदाई करता रहा,

उधर रॉकी का लंड भी उस कुत्तिया की चूत से निकल गया,, और मेरे पास खड़े दो कुत्तों में से एक कुत्ता उस कुत्तिया की चूत को चाटने लगा,, रॉकी थक कर एक कोने में बैठा अपना लंड चाटने लगा,, कुत्तिया की चूत रॉकी ने बुरी तरह से फैला दी थी,, उसकी चूत का अंदर वाला लाल हिस्सा बाहर दिखने लगा था,, और अभी वो दूसरे कुत्ते से चुदवाने के लिए तैयार नही हो रही थी,, इस लिए जब भी वो कुत्ता उसकी चूत को चाटने की कोशिश करता तो वो कुत्तिया आगे निकल जाती,

मगर मैं अपनी चूत चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी,, और मेरी चुदाई कर रहा कुत्ता भी मेरी चिकनी चूत के पूरे मज़े लूट रहा था,, बस वो अपने लंड का मोटा हिस्सा मेरी चूत में घुसेड़ने के लिए पूरी कोशिश कर रहा था,, और जल्दी ही वो कामयाब भी हो गया, उसके तेज तेज झटकों से आख़िरकार उसके लंड का वो मोटा हिस्सा भी मेरी चूत में घुस ही गया,

उफफफफफफफफ्फ़,,,, आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,,,, एक बार तो मेरी जान ही निकल गयी,, जितना मैनें सोचा था उस से कही बड़ा था वो मोटा हिस्सा,, मेरी चूत फटने को आ गयी थी,, मगर जैसे ही उस कुत्ते ने एक और झटका मारा तो वो मोटा हिस्सा चूत के अंदर की ओर फिसल गया जिस से मेरी चूत में हो रही दर्द कम हो गयी, और वो कुत्ता भी कुछ देर के लिए रुक गया, शायद उसे भी दर्द हुया होगा,, मगर फिर थोड़ी ही देर में वो फिर से मेरी चूत पर में धके मारने लगा,, अब उसका लंड बाहर निकल पाना मुश्किल था,, बस वो अंदर ही अपने लंड को हिलाए जा रहा था,, उसका मोटा हिस्सा चूत में हिलने से मुझे बहुत मज़ा आने लगा,, कुछ देर तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा और फिर वो कुत्ता मेरी चूत में झटके मार मार कर अपना वीर्य निकालने लगा,,

मगर मैं चाहती थी की कुछ देर वो और ऐसे ही अपना लंड मेरी चूत में हिलाता रहे ताकि मैं भी चरमसुख तक पहुँच जाऊँ,, मगर इस कुत्ते की पूरी ताक़त ख़तम हो चुकी थी,, मैं उसे अपने उपर कुछ देर तक और चड़ा कर रखना चाहती थी,, मगर इस से पहले की मैं उसकी टांगे पकड़ पाती, वो पहले ही अपनी दोनों टांगे मेरी कमर से निकाल कर मेरे उपर से उतर गया,, और वैसी ही पूजिशन में खड़ा हो गया जैसे कुछ देर पहले रॉकी और वो कुत्तिया खड़े थे,, मैनें उसके लंड का मोटा हिस्सा अपनी चूत में ज़ोर से भींच लिया,, जिस से उसका लंड मेरी चूत में ही अटका हुया था और हमारी दोनों की गांड एक दूसरे से चिपकी हुई थी,, उसका लंड अभी भी डंडे की तरह सखत था,, जिसको मैं अपनी चूत में लिए लिए ही कुछ देर गोल गोल गांड हिलाती रही,, भले ही कुत्ता कुछ नही कर रहा था,, मगर ऐसा मालूम हो रहा था जैसे मोटा डिल्डो चूत में घुसा हो,, 

भले ही अभी तक मैं पूरी तरह से संतुष्ट नही हुई थी,, मगर जितना भी उस कुत्ते ने किया था,, वो काफ़ी था,, और वैसे भी अभी तक 2-2 कुत्ते मेरे पास और खड़े थे,, जो मुझे चोदे बिना नही जाने वाले थे,, अब वो कुत्ता जिसका लंड मेरी चूत में था अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश में था,, और मैं भी चाह रही थी की अब दूसरा कुत्ता मेरे उपर चढ़ कर मेरी चुदाई शुरू कर दे,, इस लिए मैनें अपनी चूत को डीला छोड़ दिया,, जिस का उस कुत्ते को भी पता चल गया और वो अपना लंड बाहर खीचने के लिए आगे की तरफ बड़ा,, मगर जैसा में सोच रही थी वैसा नही था,, उसका लंड सच में मेरी चूत में अटका हुया था,,  अब मुझे अपने आप पर बहुत हँसी आ रही थी की मैं कुत्तों से चुदवाती-चुदवाती सच में कुत्तिया ही बन गयी हूँ,,  मगर फिर उस कुत्ते ने एक बार और अपना लंड खींचा तो गीली चूत से वो मोटा लंड का हिस्सा फिसल कर बाहर आ गया,, और एकदम गप्प की आवाज़ आई जैसे कोई बोतल का ढकन खोलने से आती है,, मेरे मुँह से फिर से आह्ह्ह्ह्ह निकल गयी,,, 

उस कुत्ते के अलग होते ही दूसरे दोनों कुत्तों के कान खड़े हो गये,, दोनों ही झट से मेरी चूत की ओर लपके,, मैं चाह रही थी की  कुछ देर पैरों के बल बैठ कर पहले वाले कुत्ते का वीर्य अपनी चूत से बाहर निकाल दूं,, मगर जिस तरह से वो दोनों कुत्ते मेरे उपर चढ़ने के बेताब थे,, वो मुझे कहा उठने देने वाले थे,, और मुझे भी उन दोनों को और इंतजार करवाना सही नही लगा,, 

मैं वैसे ही कुत्तिया बनी रही,, और एक कुत्ते ने फिर से मेरी चूत पर कब्जा कर लिया और दूसरा कुत्ता पास खड़ा अपना नंबर लगने का इंतजार करने लगा,, जिस कुत्ते ने मेरी चूत पर अपना कब्जा जमाया था वो मेरी गीली चूत को चाटने लगा,, और कुछ देर चूत चाटने के बाद वो भी अपना लंड निकाल कर मेरी कमर के उपर चढ़ गया,, उसका लंड भी सीधा मेरी चूत पर ही जा टकराया,, शायद इतना बड़ा लंड मेरी चूत से निकलने के कारण मेरी चूत का मुँह ज़्यादा ही खुल गया था,, और इसी लिए इस कुत्ते का लंड भी दूसरे धके में ही अपने आप मेरी चूत के अंदर घुस गया,,

मगर इस कुत्ते का लंड चूत में जाते ही पता चल गया की यह पहले वाले से भी मोटा है,, यह वाला कुत्ता हाइट में थोड़ा कम था,, इस लिए उसको मेरी कमर के उपर चड़े रहने में कुछ प्रेशानी आ रही थी,, जिस की वजह से उसका लंड ज़्यादा आगे नही जा रहा था,, मैनें अपनी टाँगों को कुछ चौड़ा करते हुए अपनी गांड और कमर को और नीचे झुका दिया,, जिस से मेरी चूत का सुराख भी खुल गया और वो कुत्ता मेरी कमर के उपर भी आसानी से चढ़ गया,, अब अपना निशाना सही जगह लगता देख इस कुत्ते ने भी स्पीड पकड़ ली और मेरी चूत में अपना लंड पेलना शुरू कर दिया,,

उधर कुत्तिया भी साँस लेने के लिए एक कोने में बैठ गयी,, एक कोने में कुतिया, दूसरे कोने में रॉकी और तीसरे कोने में वो कुत्ता जो अभी अभी मेरी चुदाई करके गया था,, तीनों बैठे बैठे मुझे उस कुत्ते से चुदती हुई देख रहे थे,, और वो कुत्ता जिसने अभी ना तो कुतिया की चुदाई की थी और ना ही मेरी,, वो अपनी पुंछ हिलाता कमरे में इधर उधर घूम रहा था,, 

पहले वाले कुत्ते ने मेरी चुदाई अधूरी ही छोड़ दी थी,, मगर इस कुत्ते ने जैसे ही अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे पेलना शुरू किया था,, मैं फिर से सवर्ग में पहुँच गयी थी,, मेरे मुँह से आअह्ह्ह्ह आअहह की आवाज़ें निकल कर कमरे में गूँज रही थी,, इस कुत्ते का लंड पहले वाले लंड से ज़्यादा मोटा होने के कारण मुझे और भी मज़ा आ रहा था,, और मैं कुछ ही देर झड़ने वाली थी,, मैं भी अपनी कमर को हिला हिला कर इस कुत्ते से चुदाई करवा रही थी,, आख़िर इस ताबड़तोड़ चुदाई ने मुझे चरमसुख तक पहुँचा दिया और मेरी चूत से रस की फुहार निकलने लगी,, मेरी झांगे तो पहले ही पहले वाले कुत्ते के वीर्य से भीगी हुई थी,, अब एक बार फिर से मेरी चूत से रस निकल कर मेरी झंघों से होता हुया नीचे कंबल तक आ गया,, मैनें कुछ थकावट महशुस की मगर फिर भी कुत्ते के झटकों को अपनी चूत में सहती रही, अब इस कुत्ते के लंड का वो मोटा हिस्सा भी मेरी चूत के अंदर घुसने की कगार पर था,, मगर अब मैं इस कुत्ते को रोक भी नही सकती थी,,

मगर फिर मैने सोचा की लंड ही तो है,, जैसे पहले इतने लंड लिए हैं वैसे ही इस लंड को भी ले ही लूँगी,, इस बार मेरी चूत ज़्यादा चिकनी थी और इसका मुँह भी पहले से ही खुला हुया था,, तो 2-3 झटकों में ही इस कुत्ते के लंड का वो मोटा हिस्सा मेरी चूत में घुस गया,, इस बार मुझे ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई,, अपने लंड का मोटा हिस्सा मेरी चूत में घुसाने के बाद कुत्ता बहुत ही चिहुक रहा था,, वो ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को मेरी चूत में ठोक रहा था,, और अब मुझे भी फिर से मज़ा आने लगा था,, मैं भी अपनी कमर कुत्ते के झटकों के साथ साथ हिलाने लगी,, अब तो कुत्ते का वो मोटा हिस्सा भी चूत के अंदर आगे पीछे हो रहा था,, और मेरी चूत की दीवारों से रगड़ रहा था,, मैं पूरे मज़े से अपनी गांड को गोल गोल घुमा कर उस लंड का मज़ा ले रही थी,, और फिर कुछ ही देर में इस कुत्ते ने भी मुझे अपनी आगे वाली दोनों टाँगों में कस लिया और ज़ोर ज़ोर के झटकों से उसने भी अपना सारा वीर्य मेरी चूत में ही निकाल दिया, वीर्य निकलने के बाद भी यह कुत्ता कुछ देर तक मेरी कमर के उपर ही चड़ा रहा और मेरे कंधे के उपर से अपना मुँह निकाल कर हांफता रहा,, मैं भी बुरी तरह से थकी हुई थी,, इस लिए मैं भी बिना हीले कुत्ते के नीचे झुकी रही,,, और फिर कुछ ही देर में इस कुत्ते ने भी मेरी कमर के उपर से अपनी दोनों टाँगों को उतार लिया और जैसे ही पीछे को हुया उसका लंड भी एक ही झटके में मेरी चूत से बाहर निकल गया,, मेरे मुँह से एक बार फिर मीठी से आअह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी.

अब एक ही कुत्ता बचा था,, जो मेरे उपर चढ़ने के लिए अपने नंबर का इंतजार कर रहा था,, वो झट से मेरे पास आ गया और मेरी चूत से निकल रहे उस कुत्ते की वीर्य को चाटने लगा,, उसकी खुरदरी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर तक घुस गयी,, उफफफ्फ़ दो-दो कुत्तों से चुद कर मेरी चूत के होंठ बहुत ज़्यादा खुल चुके थे,, अब तक कितने मर्दों से चुदवा चुकी हूँ मगर इतनी ज़्यादा चूत कभी नही खुली हुई थी,, और यह सब किया था उन कुत्तों के लंड के मोटे बॉल वाले हिस्से ने,,, जो मेरी चूत को बुरी तरह से फाड़ते हुए अंदर घुस गये थे,, 

भले ही उन कुत्तों ने मेरी चूत का बैंड बजा कर रख दिया था,, मगर फिर भी मेरी चूत अभी और लंड माँग रही थी,, खुली हुई चूत के अंदर जब कुत्ता अपनी लंबी ज़ुबान घुसेड़ता तो मेरा सारा बदन सिहर उठता,,, मेरे मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी,, दूसरे कुत्ते मेरी चुदाई का अगला राउंड देखने के लिए तैयार बैठे थे,, की तभी रॉकी फिर से खड़ा हो गया और मेरे पास आकर मेरे चेहरे को चाटने लगा,, मैं भी एक हाथ से उसे प्यार करने लगी,, फिर रॉकी अपनी पुंछ हिलाता हुया मेरी चूत की तरफ बढ़ गया और वो भी मेरी चूत में अपना मुँह घुसाने की कोशिश करने लगा,, मगर जिस कुत्ते ने पहले से ही मेरी चूत पर अपना कब्जा जमा रखा था,, वो अब कहाँ कब्जा छोड़ने वाला था,, उस ने रॉकी को किसी ना किसी तरह मुझसे फिर दूर हटा दिया,,, रॉकी निराश होकर अपनी पुंछ हिलाता हुया फिर से उस कुतिया की तरफ चला गया,, अब तक शायद वो कुतिया भी फिर से चुदवाने के लिए तैयार हो गयी थी,, वो रॉकी को अपनी ओर आता देख फिर से खड़ी हो गयी और रॉकी उसकी चूत को सूंघने लगा,,

इधर मेरी चूत चाट रहा कुत्ता भी अब मेरे उपर चढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था,, मैं अभी भी पहले की तरह ही कुतिया बनी नीचे झुकी हुई थी,,, कुत्ते ने मेरी चूत को एक दो बार और चाटा और फिर वो भी अपना लंड निकाल कर मेरी कमर के उपर चढ़ गया,, उसका लंड भी सीधा मेरी चूत के खुले हुए होंठों के बीच घुस गया, मेरे मुँह से फिर से तेज तेज सिसकारियाँ निकलने लगी,, और मेरा सारा बदन अकड़ गया,,, कुत्ते ने अपने लंड का निशाना बिल्कुल सही जगह पर लगाया था,, अगले ही झटके में उसने अपना आधा लंड मेरी चूत के अंदर घुसेड दिया,,, मेरी फटी हुई चूत में कुत्ते का लंड अपने आप फिसलता हुया अंदर जा रहा था,, इसका लंड भी रॉकी के लंड जैसा ही था,, आगे से नोकिला और तीखा,, कुत्ता जब भी मेरी चूत में झटका लगाता उसका लंड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ता हुया अंदर घुसड़ जाता,, मेरी चूत एक बार फिर से गरम तंदूर की तरह तपने लगी थी,,, मैं आहें भरती हुई अपनी कमर आगे पीछे करते हुए उस कुत्ते के लंड से ज़ोर ज़ोर से  चुदने लगी,, 

उधर रॉकी ने भी कुतिया की चुदाई शुरू कर दी थी,, दोनों तरफ ताबड़तोड़ चुदाई चल रही थी,, बहुत देर तक कुतिया बने रहने के कारण मेरी झंघे दर्द करने लगी थी,, मगर फिर भी चुदाई के मज़े के सामने वो दर्द कुछ भी नही था,, कुत्ता झटके पे झटके मारता हुया मेरी चूत में अपना लंड ठुसे जा रहा था,, आख़िरकार उसके लंड का भी वो मोटा हिस्सा मेरी चूत के होंठों से टकराने लगा,, मेरी चूत से फ़च फ़च की आवाज़ें आनी शुरू हो गयी थी,, मैं जानती थी की इसके लंड का मोटा हिस्सा भी पहले की तरह आसानी से चूत में घुस जाएगा,, इस लिए मैं भी कुत्ते के धकों के साथ अपनी गांड का दबाव उसके लंड पर डालने लगी ता जो वो मोटा हिस्सा भी मेरी चूत में समा जाए,,, और ऐसा ही हुया, हमारे दोनों के मिले जुले धकों से कुध ही देर में लंड का वो मोटा हिस्सा भी मेरी चूत के अंदर घुस गया,, कुत्ता अभी भी मेरी चूत में अपना लंड ठुसे जा रहा था,, इस बार भी लंड का मोटा हिस्सा मेरी चूत में आसानी से घुस गया था,, मुझे थोड़ी सी दर्द तो हुई मगर लंड चूत के अंदर घुस कर अपना मज़ा भी दे रहा था,,

यह कुत्ता भी अब कुछ ही पलों में अपना वीर्य निकालने वाला था,,, इस लिए मैं भी पूरे ज़ोर से अपनी गांड हिला हिला कर उस कुत्ते से अपनी चुदाई करवा रही थी,,, मेरी सिसकारियाँ अब कराहने में बदल चुकी थी,, मैं चिला चिला कर अपनी चूत में कुत्ते का लंड ले रही थी ता की कुत्ते के झड़ने से पहले मैं भी झाड़ जाऊ,, कुत्ता भी अपनी पूरी ताक़त से मेरी चूत में अपना लंड पेल रहा था,, उसका मोटा हिस्सा चूत के अंदर मुझे बहुत मज़ा दे रहा था,, आख़िरकार मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं कुत्ते के लंड को और भी अंदर तक लेने के लिए अपनी गांड ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी,, कुत्ता भी अपनी चरम सीमा तक पहुँच चुका था,, वो भी अपने लंड के बड़े बड़े झटके मेरी चूत में मारने लगा, और फिर उसके लंड की तेज फुहार मुझे मेरी चूत में महसूस होने लगी,, उसके साथ ही मेरा वीर्य भी तेज झटकों से बाहर निकलने लगा, और एक बार फिर से मेरी झंघों पर वीर्य की नदियाँ बहने लगी, मेरी टांगे कंपकंपाने लगी थी,, कुत्ता अपना पूरा माल मेरी चूत में उडेल चुका था,, और वो अपना बदन आकड़ाए हुए अपना लंड मेरी चूत में ठुसे हुए था,,  मगर अब मुझसे और देर तक कुतिया बने रहना नामुमकिन था,, मैं उसी तरह उल्टी हुई नीचे कंबल पर जा गिरी, मेरे नीचे गिरने से कुत्ते का लंड भी मेरी चूत से फचाककककककक की आवाज़ से बाहर निकल गया, मैं उल्टी लेटी लेटी ही ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी,, मगर वो कुत्ता अभी भी वही पर मेरे उपर खड़ा था,, और मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच लेटी हुई थी,, दोनों टाँगों के बीच नही बल्कि चारों टाँगों के बीच उल्टी लेटी हुई थी,, और उसका लंड ठीक मेरी गांड के उपर लटक रहा था,, वो कुत्ता मेरे उपर ऐसे खड़ा था जैसे वो दूसरे कुत्तों को बता रहा हो की देखो मैनें इस कुतिया का चोद चोद कर क्या हाल कर दिया है,, 

मैं उसकी टाँगों के बीच पड़ी पड़ी ही घूम कर सीधी हो गयी और उसके लटकते हुए लंड को देखने लगी,, उसका लंड 7-8 इंच लंबा होगा और उसकी वो मोटी बॉल भी क्रीब 4 इंच की होगी,, मुझे यकीन नही हो रहा था की इतनी मोटी बॉल मेरी चूत में आसानी से घुस गयी थी,, कुत्ते का चेहरा बिल्कुल मेरे बूब्स के उपर था और वो अपनी लंबी ज़ुबान बाहर निकाल कर हाँफ रहा था,, मैनें अपनी चूत में हाथ लगाया तो मेरी चारों की चारों उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर घुस गयी,, मेरी चूत का सुराग पूरा खुल चुका था,, अभी तक कोई भी मर्द मेरी चूत का ऐसा हाल नही कर पाया था,, जो इन तीन कुत्तों ने कर दिया था,, मैं लेटे लेटे ही कुत्ते का लंड एक हाथ में पकड़ कर उसको सहलाने लगी,, और दूसरे हाथ से अपनी चूत को मसलने लगी,, मगर अब बेचारा कुत्ता भी थक चुका था,, उसका लंड धीरे धीरे से ढीला होने लगा और वो मेरे उपर से हट कर एक कोने में बैठ गया,, 

मैं कंबल के उपर बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी,, मैनें अपने दोनों घुटनों को फोल्ड करते हुए अपनी दोनों टांगे चौड़ी कर ली और अपने हाथों से अपनी चूत को सहलाने लगी,, मैनें रॉकी और कुतिया की तरफ देखा तो वो भी अपना काम ख़तम करके एक दूसरे से उलटे चिपके हुए थे,, मैं खुश थी की रॉकी आज मेरी वजह से असली कुतिया को चोद पाया है और मैं रॉकी की वजह से इन तीन तीन कुत्तों से चुद पाई हूँ,, हालाकी इन कुत्तों ने मेरी चूत का भड़ता बना दिया था,,,

कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैं अपने पैरों पर वजन डाल कर बैठ गयी, मेरी चूत तो पहले से ही फैली हुई थी,, ऐसे बैठने से उन कुत्तों का वीर्य मेरी चूत से बाहर बहने लगा,, कुछ ही पलों में कंबल पर वीर्य का अछा ख़ासा ढ़ेर लग गया,, फिर मैनें उसी कंबल से अपनी चूत और झंघों को सॉफ किया और अपने कपड़े पहन लिए,, तब तक रॉकी बी उस कुतिया से अलग हो चुका था,, फिर मैं किचॅन में गयी और वहाँ से कुछ ब्रेड लाकर उन कुत्तों को
दिखाने लगी,, जिस से वो मेरे पीछे आ गये और मैनें उनको गेट से बाहर कर दिया और कुछ ब्रेड उनके आगे रख दिए,, और गेट दुबारा बंद कर दिया,,, फिर अंदर आकर बाकी बचे ब्रैड रॉकी के आगे रख दिए,, रॉकी थक कर सुस्ता रहा था और मैं भी बहुत थक चुकी थी,, इस लिए भी अपने रूम में जाकर सो गयी..

मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी,, मुझे कुम्मेंट में ज़रूर बताना,, मैं आपके कुम्मेंट का ज़रूर रिप्लाइ करूँगी.
आपकी प्यारी भाबी  कोमलप्रीत कौर