पापा के दो दोस्तों ने चोदा -1


लेखिका - शालू रानी

हेलो दोस्तो,, मेरा नाम शालू है और मेरी उम्र 19 साल की है,,, मैं बहुत ही खूबसूरत हूँ,,, गोल गोल बूब्स, पतली कमर, मोटे मोटे चूतड़ और लम्बे लम्बे बाल,, एकदम से गदराया हुए बदन की मलिका हूँ मैं,, जब से मैं जवान हुयी हूँ कॉलेज के सारे लड़के मुझे चोदने के चक्कर में हैं,, और दो तीन से तो मैं चुद भी चुकी हूँ,,,, अब तो मैं भी लंड की पूरी दीवानी हो चुकी हूँ,, बिलकुल अपनी माँ की तरह,,, क्योंकि मेरी माँ भी अलग अलग लौड़े से अपनी चूत चुदवाती रहती हैं,, क्योंकि मेरे पापा तो कुछ कर नहीं पाते,, उनकी शराब पीने के आदत ने उनको नामर्द बना दिया है, ऐसा मेरी माँ बोलती हैं,, जब भी कभी उनका आपस में झगड़ा होता है तब,,, 

घर का सारा खर्च भी मेरी माँ ही संभालती है, वो एक कम्पनी में जॉब करती हैं और अपने बॉस की बहुत ही ख़ास हैं,,, वो अक्सर ही मेरी माँ को महंगे महंगे गिफ्ट देते रहते हैं,,  छूटी के बाद भी मेरी माँ अपने बॉस या फिर किसी और मर्द के साथ किसी होटल में चली जाती हैं और फिर देर शाम को ही घर आती है,, अपनी चुदाई करवा कर,, मुझे यह सब इस लिए पता है क्योंकि माँ के बॉस का लड़का भी मेरे ही कॉलेज में पड़ता है,,, और वो भी मुझे चोद चूका है,,

मैं कॉलेज से आकर घर में अकेली ही रहती हूँ या फिर पापा अपने दोस्तों को लेकर घर शराब पीने के लिए बैठ जाते हैं,, खासकर उनके दो दोस्त ही हैं जोगिन्दर अंकल और खन्ना अंकल,, पहले तो वो घर से बाहर ही पीकर आते थे, मगर जब से मैं जवान हुयी हूँ, तब से उनकी महफ़िल ज्यादातर हमारे घर में ही लगती है,, वो इस लिए क्योंकि पापा के दोनों दोस्त मुझे और मेरी माँ को पटाने के चक्कर में हैं,

जब भी वो शराब पीने बैठते हैं तो उनको पानी और नमकीन मैं ही देती हूँ,, और जब मैं झुक कर टेबल पर सामान रखती हूँ तो दोनों अंकल मेरे बूब्स को आँखें फाड़ फाड़ के देखते,, अब मैं कोई छोटी बच्ची तो थी नहीं जो उनका इरादा न समझ पाऊँ,, खैर कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा,,

मगर एक दिन मेरा चुदाई का बहुत मन हो रहा था,, पापा और उनके दोनों दोस्त अलग कमरे में शराब पीने की तैयारी कर रहे थे और पापा ने मुझे नमकीन लाने के लिए कहा,,, मैंने उस दिन बटन वाली शर्ट पहनी हुई थी,, और ऊपर वाला एक बटन भी खुला हुआ था, ब्रा भी टाइट थी, जिस में से मेरे बूब्स उभर कर बाहर आ रहे थे,,  जब मैं नमकीन लेकर गई और झुक कर रखने लगी तो मेरे मन भी एक शरारत सी सूझी,, मैं जानबूझ कर कुछ ज्यादा ही झुक गई और कुछ देर ऐसे ही झुकी रही और फिर खन्ना अंकल की तरफ देखने लगी,, वो तो आँखे फाड़ फाड़ कर मेरी तरफ ही देख रहे थे,, मैंने भी उनकी तरफ देख कर हलकी सी स्माइल दे दी,,, और फिर वहां से चली आई,, दरवाजे पर आकर मैंने फिर से वापिस पलट कर देखा तो दोनों अंकल मेरी तरफ ही देख रहे थे,, मैंने फिर से उनकी तरफ देखकर मुस्करा दिया और अपने कमरे में चली गई,,

मेरी तरफ से ऐसा सिग्नल देखकर दोनों के लंड पेंट में उछलने लगे थे,, अब मैं भी देखना चाहती थी की उनकी तरफ से क्या जवाब मिलता है,, उनका शराब का दौर ख़तम हुआ तो वो उठकर जाने लगे, और जाते जाते खन्ना अंकल ने मुझे आँख मार दी, मैं फिर से मुस्कराने लगी, जोगिन्दर अंकल ने भी यह सब नोट कर लिया था,,, अब वो समझ गए थी की मैं उनसे चुदने के लिए तैयार हूँ,,,

अगले दिन फिर से जब मैं कॉलेज से लोटी तो घर पर कोई नहीं था,, मैंने अपने कपडे बदले और टीवी देखने लग गई,, तभी दरवाजे की घंटी बजी,,, मैं समझ गई की जरूर पापा और उनके दोनों दोस्त होंगे,, मैंने जल्दी से अपने बूब्स को सैट किया और दरवाजा खोला,, वो तीनों अंदर आ गए,, मैंने दोनों को मुस्कराते हुए नमस्ते की और उनहोंने भी मुस्कराते हुए नमस्ते कहा,,,

फिर वो अपने कमरे में चले गए और मैं भी उनके लिए पानी और नमकीन का इंतजाम करने लगी,, तभी जोगिन्दर अंकल जोर से बोले - अरे यार,, दारु लाना तो भूल ही गए,,,

पापा बोले - अरे क्या करते हो यार,, खास चीज तो लाये ही नहीं हो तुम,,,

फिर खन्ना अंकल की आवाज आई - क्या करते हो यार तुम,, अब जाओ जल्दी से लेकर आओ,, मैं यहाँ बैठकर तुम्हारा इंतजार करता हूँ,,,

पापा फिर से बोले - हाँ हाँ ,,, ठीक है तू बैठ यार,, हम दोनों लेकर आते हैं,, चल यार जोगिन्दर लेकर आते हैं दारु,,,

और फिर पापा और जोगिन्दर अंकल दोनों घर से बाहर चले गए,,,

मैं उनकी बातें सुनकर समझ चुकी थी  की यह पक्का मेरी चुदाई के लिए ही प्लैन बनाया गया है,, और खन्ना अंकल मुझे अब चोदने वाले हैं,,, 

मैं खन्ना अंकल के लिए पानी का गिलास लेकर कमरे में गई तो वो भी जैसे मेरे ही इंतजार में बैठे थे,, मुझे देखते ही मुस्कराने लगे,, मैंने भी उनकी तरफ देखकर मुस्करा दिया और फिर खन्ना अंकल ने पानी का गिलास पकड़ते हुए कहा - आओ शालू,,, यहाँ बैठो न मेरे पास,,

मैंने कहा - नहीं अंकल आप बैठो,, मुझे कुछ काम है,,,

तो अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास बिठा लिया और बोले - अरे काम तो होते रहते हैं शालू,, यह बताओ तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है,,

मैंने कहा - पढाई तो ठीक चल रही है अंकल,,

अंकल ने मेरा एक हाथ पकड़ा  और अपना दूसरा हाथ मेरे कंधे पर रखते हुए बोले - तुम तो बहुत जवान हो गई हो और खूबसूरत भी,,, कोई भी तुमको देखकर पागल हो जाये,,, (बातें करते हुए अंकल धीरे धीरे मुझे अपनी ओर खींचने लगे) मैं चुप बैठकर उनकी बातें सुन रही थी और उनकी तरफ देख कर हल्का सा मुस्करा देती,,

अंकल खुद भी मेरे साथ सट कर बैठ गए और मेरा मुंह अपनी तरफ घुमा कर मेरे होंठों को चूमने लगे,,, मैंने कुछ डरते हुए कहा - अंकल,, पापा आ जायेंगे ,,

तो अंकल बोले - अरे इतनी जल्दी नहीं आने वाले वो,, कम से कम आधा घंटा लगेगा उनको आने में,, और आने से पहले जोगिन्दर मुझे फ़ोन भी कर देगा,, इस लिए तुम बेफिक्र होकर हो जाओ,,,

मैंने कहा - अच्छा अंकल,, तो यह प्लैनिंग पहले से ही कर रखी थी आपने,, (मैंने मुस्कराते हुए कहा )

अंकल बोले - और नहीं तो क्या,,, कल से ही तुम्हारे लिए तड़प रहे हैं हम दोनों,, हम तो समझे  थे की तुमको पटाने में बहुत टाइम लग जायेगा,, और पता नहीं तुम हम से पट भी पयोगी या नहीं,,,

मैंने कहा - अच्छा जी,, मुझे नहीं पता था की आप मुझे पटाने के चक्कर में हो,, मैंने तो कल ऐसे ही मुस्करा दिया था,,,

अंकल बोले - क्या बात है जानेमन,,,, तुम्हारा ऐसे ही मुस्कराना,, हमारी तो रातों की नींद उड़ा गया ना,,,, (साथ ही अंकल ने मुझे खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया.. और फिर से मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया)

मैं भी दिल खोल कर अब उनका साथ देने लगी,,, अंकल मेरी चूचियों को दबाने लगे और मैं मचलने लगी,,, अंकल ने मेरी टी-शर्ट को ऊपर उठा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को दबाने लगे,,, मेरी सांसे तेज हो गई थी,,, अंकल मेरे होंठ और मेरी जुबान को अपने मुंह में खींच कर चूस रहे थे,,, फिर उनहोंने मेरी ब्रा को भी खींच कर ऊपर कर दिया और मेरे सख्त हो चुकी चूचियों को अपने मुंह में भर लिया,,,, मैं भी पूरी गरम हो चुकी थी और अंकल के सर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाने लगी,,,

अब अंकल का एक हाथ मेरे लोअर में घुस चूका था और उनकी उँगलियाँ पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत को मसल रही थी,, हाथ लगते ही मेरी चूत फड़फड़ाने लगी,, फिर अंकल ने मुझे वही सोफे के ऊपर लिटा दिया और मेरे लोअर और मेरी पैंटी को नीचे सरका दिया,,, मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी,,, अंकल ने मेरी पैंटी और लोअर दोनों को खींच कर मेरी टांगों से अलग कर दिया,, और फिर खुद भी जल्दी से अपने कपडे निकाल दिए,, अंकल का 7 इंच का तना हुआ लंड मेरे सामने फुंकारे मारने लगा था,,

अंकल ने मेरी दोनों टांगों को पकड़ मुझे एडजस्ट किया और फिर अपना तना हुआ लंड मेरी चुत के मुंह पर रख दिया,, मेरी चिकनी चूत को देखकर अंकल ने मेरी चूत को अपनी मुठी में भर लिया,,, अभी एक दिन पहले ही तो मैंने अपनी झाटों को साफ़ किया था,,, मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी,,,जिसे देखकर अंकल ने पहले अपनी एक ऊँगली मेरी चूत में घुसाई और चूत के रस से भीगी हुयी ऊँगली को अंकल ने अपने मुंह में लेकर चाट लिया और फिर से अपना लंड मेरी चूत के मुंह पर रगड़ने लगे,,,, मैं तो बस इस इंतजार में थी की कब अंकल अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत में घुसाते हैं,, मेरी चूत के होंठ लंड को अपने भीतर समा लेने के लिए तड़प रहे थे,,


आखिर अंकल ने अपने लंड को मेरी चूत पर दबाते हुए अपने लंड का सुपाड़ा  मेरी चूत के दोनों होठों में घुसा दिया,, आअह्हह्ह्ह्ह ,,,,आआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह मेरे मुंह से आवाज निकल गई,,, मेरी चूत तो गरम भठी की तरफ दहक रही थी,,, मैंने भी अपनी कमर को उठा कर अंकल का लंड अपनी चूत में घुसवा लिया,, मुझे इतना मजा आ रहा था की मैंने अपनी दोनों आँखें बंद कर रखी थी और बस अपनी चुदाई का मजा ले रही थी,, अंकल धीरे धीरे से अपने लंड का दबाव बढ़ाते जा रहे थे और उनका लंड मेरी चूत में घुसता रहा था,,, शायद वो मुझे छोटी बच्ची समझ कर धीरे धीरे मेरी चुदाई कर रहे थे,, मगर उनको क्या पता था की मैं पहले भी 3-4 लड़कों से चुदवा चुकी हूँ,,,

अंकल का आधा लंड मेरी चूत में उतर चूका था और मेरी चूत की दीवारें पूरी फ़ैल चुकी थी और अब तो वो फटने को हो रही थी,, मैंने अब तक जितने भी लड़कों से चुदवाया था वो सारे 21-22  साल के थे और उनके लंड भी इतने मोटे नहीं थे जितना मोटा अंकल का लंड था,,, अब मैं समझ गई थी क्योंकि अंकल धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहे थे,, सच में उनके सामने मैं अभी छोटी बच्ची ही थी,,,

अंकल के मोटे लंड से मेरी चूत के दोनों होंठ चौड़े हो चुके थे,,, मैं अपनी चूत और अंकल के लंड की तरफ देखने लगी,,, अंकल भी मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगे और बोले - बहुत ही मस्त माल है तू शालू,,, और तेरी चूत तो लाजवाब है मेरी जान,,, मगर अभी तक किसी ने इसे अच्छी तरह से चोदा नहीं है,,, (अंकल ने अपने लंड का एक हल्का सा झटका मारते हुए कहा)

मैं भी अंकल की तरफ देखकर मुस्कराते हुए बोली - तो आप चोद दो न अच्छे से अंकल,, अच्छे से चुदने के लिए ही तो आपका इतना मोटा लंड अपनी चूत में लिया है,,, (और साथ ही मैंने अपनी चूत और अंकल के लंड को अपने हाथ में ले लिया)

अंकल बोले - हां बिलकुल जानेमन,,,, अच्छे से ही चोदुँगा,, आज तेरी चूत का मुंह चौड़ा कर के ही दम लूंगा,,, और फिर से अंकल ने अपने लंड को मेरी चूत में धकेलना शुरू कर दिया,,, मेरे मुंह से हलकी हलकी चीखें निकलने लगी थी,,, सच में अंकल का लंड एक असली मर्द का लंड था,, मैं तो अभी तक छोटे छोटे लंडों से चुदवा कर ही खुश हो रही थी,,, अंकल का लंड मेरी चूत की दोनों दीवारों को फाड़ता हुआ मेरी चूत में घुस गया,, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे एक बार फिर से मेरी चूत की सील टूटने वाली है,,, दर्द के मारे मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मैं अपनी टांगों और बाँहों से अंकल को जकड़े हुयी थी,, अंकल भी मुझे अपनी बाहों में कस कर  मेरे बदन को चुम और चाट रहे थे,,,

फिर अंकल ने अपने लंड को बाहर खींचा और आधा लंड बाहर निकलते ही अंकल ने फिर से एक तेज झटके से अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया,,, मेरे मुंह से एक चीख निकल गई,, अंकल ने जल्दी से मेरे मुंह पर अपना हाथ रखते हुए मुझे चुप कर दिया और बोले  - क्या कर रही हो शालू,,, ऐसे चिलाओगी तो पुरे मोहल्ले वाले इकठा हो जायेंगे,,,

मैंने दर्द से कराहते हुए कहा - अंकल आप भी तो मेरी चूत को फाड़ने में लगे हो ,,, थोड़ा धीरे धीरे करो न,,,

अंकल बोले - हां हां ठीक है,, धीरे धीरे ही करूँगा,, और दर्द भी तुमको थोड़ी देर ही होगा,, फिर देखना तुम कैसे खुद मेरे लंड पर बैठ कर उछल कूद करोगी,,

मैंने कहा - हां अंकल,, वो तो मैं करुँगी ही ,,, आपके जैसा लंड तो मुझे पहली बार ही मिला है,,,

अब अंकल ने फिर से अपना लंड धीरे धीरे मेरी चूत के अंदर बाहर करना चालू कर दिया, मेरी चूत भी अब अंकल का लंड लेने को पूरी तैयार हो चुकी थी,, और फिर अंकल का लंड आसानी से मेरे अंदर बाहर होने लगा,, मैं भी अपनी टाँगे उठाए हुए नीचे से अपनी चूत उचका उचका कर अंकल से चुदने लगी,, 

अंकल की झांघें मेरे चूतड़ों पर जोर जोर से बजने के कारण कमरे में थप थप की आवाजें गूंज रही थी,,, वो जोर जोर के धक्कों से मुझे पेले जा रहे थे,, मेरी गीली चुत से  रस की फुहारें फूटने लगी थी,, अंकल भी अब झड़ने वाले थे, उनहोंने अपनी स्पीड बड़ा दी और जोर जोर से अपना लंड जड़ तक मेरी चूत में ठूसने लगे,,, मैं जोर जोर से आहें भरती हुयी अंकल को अपनी बाहों में कसने लगी,, फिर एक झटके से अंकल ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और अपना सारा लावा मेरे पेट और मेरे बूब्स पर गिरा दिया,,, उनकी बड़ी बड़ी पिचकारियों से मेरा पूरा बदन भीग गया,,

अंकल ने अपने लंड को फिर से मेरी चूत में घुसेड़ दिया और फिर वो मेरे ऊपर ही लेट गए,, हम दोनों जोर जोर की साँसें ले रहे थे और थक भी चुके थे,,, ऐसे ही पड़े पड़े हम एक दूसरे के बदन चूमने और चाटने लगे,,,

फिर अंकल बोले - क्यों जानेमन,,,,  मजा आया या नहीं,,,,

मैंने मुस्कराते हुए कहा - बहुत मजा आया अंकल,,, आपने तो मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दी,,,(साथ ही मैं अंकल को अपनी बाहों में कस्ते हुए अंकल के बदन को चूमने लगी)

अंकल भी मुझसे लिपट गए,, तभी अचानक अंकल के फ़ोन की घंटी बजी और अंकल मेरे ऊपर से उठ कर अपना फ़ोन लेकर सोफे पर बैठ गए,, मुझे पता था फ़ोन जोगिन्दर अंकल का ही आया होगा,, इस लिए मैं भी उनकी बातें सुनने के लिए खन्ना अंकल की गोदी में बैठ गई,,

फ़ोन पर जोगिन्दर अंकल बोले - हाँ भी खन्ना,,, हम 5 मिंट में घर पहुँच रहे हैं,, तू अपनी तैयारी कर के रख,,,,,,

खन्ना अंकल बोले - हाँ हाँ भई,, मैंने तो पूरी तैयारी कर रखी है,,, अभी अभी नमकीन को चख कर हटा हूँ,,,, (खन्ना अंकल की यह डबल मीनिंग बात सुनकर मैं अंकल की तरफ देखकर मुस्कराने लगी और उनकी छाती पर हलकी सी मुकी लगा दी)

उधर से जोगिन्दर अंकल बोले - क्या बात है यार,, तो फिर तुमने नमकीन का पैकेट खोल ही दिया,,

खन्ना अंकल फिर से बोले - अरे यार,,, पैकेट तो पहले से ही खुला हुआ था,, मैंने तो पैकेट के मुंह को थोड़ा और चौड़ा कर दिया है,,, बस तू आजा जल्दी से बड़ी ही स्वादिष्ट नमकीन है,,, (साथ ही अंकल ने मुझे अपनी ओर खींच कर अपने साथ चिपका लिया)

उधर से जोगिन्दर अंकल बोले - हां हां,, बस पहुंच रहे हैं हम थोड़ी देर में,,, मगर मेरे लिए नमकीन जरूर रख लेना,, मुझे भी सवाद चखना है ऐसी स्वादिष्ट नमकीन का,,,, (और फिर अंकल ने फ़ोन काट दिया)

अब हम भी खड़े हो गए और अपने बदन को साफ़ करके अपने कपडे पहन लिए,,, खन्ना अंकल मुझे फिर से अपने झांघों पर बिठा कर मेरे गालों और मेरी गर्दन को चूमने लगे,, मैं भी उनके साथ चूमा चाटी करने लगी,,,, अंकल का लंड फिर से पेंट के अंदर टाइट होने लगा था,,,

अंकल बोले - शालू मेरी जान,,, जब तक वो नहीं आते,, तब तक मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चुसो,,, मैं अंकल की बात मानते हुए अंकल की टांगों के बीच बैठ गई और अंकल ने पेंट की जिप खोलकर अपना लंड बाहर निकाल दिया, मैं अंकल के मोटे लंड को अपने नरम नरम होंठों में लेकर चूसने लगी,,, अंकल का लंड मुंह में लिए अभी थोड़ी देर ही हुयी थी की दरवाजे के घंटी बजी,, और हम जल्दी से अलग हो गए,,

मैं अपने बाल और कपड़ों को संवारते हुए दरवाजा खोलने के लिए चली गई और अंकल भी आपने खड़े लंड को पेंट में छुपाने में लग गए,,,  मेरे दरवाजा खोलते ही पहले पापा अंदर आये और फिर जोगिन्दर अंकल,,, जोगिन्दर अंकल ललचाई नजरों से मेरी तरफ देखते हुए मुस्कराने लगे और पापा की नजर से बचा कर उन्होंने मेरे चूतड़ पर अपना हाथ घुमा दिया,,, मैंने भी अंकल की तरफ शरारती नजरों से देखते हुए अपने होंठों को दाँतों के नीचे चबा लिया,,,

फिर वो दोनों अंदर चले गए और मैं उनके लिए पानी, गिलास और नमकीन लेकर पहुँच गई,, जोगिन्दर अंकल और खन्ना अंकल दोनों मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगे और मैं भी,,, पापा की दरवाजे की तरफ पीठ थी,, और वापिस आते वक़्त मैंने फिर से उनकी तरफ देखकर एक फ्लाइंग किश कर दी,,, और मुस्कराते हुए अपने कमरे में आ गई,,, 

मैं अपने कमरे में बैठ कर अपनी चूत को मसलने लगी,, अरे यार अंकल के मोटे लंड से चुद कर मेरी चूत फूलने लगी थी,,, ऐसा लग रहा था जैसे किसी मधु मखी ने  काट लिया हो,, मगर जो भी था मेरी चूत मुझे पहले से ज्यादा सुन्दर दिख रही थी,,

तभी दूसरे कमरे से जोगिन्दर अंकल की आवाज आई - अरे यार,, तुम लोग बैठो,, में एक जरूरी फ़ोन करके आता हूँ,,,

फिर पापा की आवाज आई - यार बैठ न कहा जा रहा है,,, बाद में फ़ोन कर लेना,,,

जोगिन्दर अंकल फिर से बोले - मैं अभी पांच मिंट में आया यार,,, बहुत जरूरी काम है ऑफिस का,,,

और फिर जोगिन्दर अंकल कमरे से बाहर आ गए और इधर उधर देखने लगे,, मैं उनको खिड़की से देख रही थी,, मैं समझ गई की वो मुझे ही ढूंढ रहे हैं,, मैं दरवाजे के सामने हो गई और वो मुझे देखकर मेरी तरफ आ गए,,,

कमरे में आते ही जोगिन्दर अंकल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया,,, मैंने डरते हुए धीमी सी आवाज में कहा - क्या कर रहे हो अंकल,,,, पापा ने देख लिया तो गजब हो जायेगा,,,,,

जोगिन्दर अंकल बोले - हाय शालू जान,,,,  बस मिंट तुम्हारे बदन का मजा ले लूँ,, फिर चला जाऊंगा,, और वैसे भी तुम्हारा पापा इतनी जल्दी उठने वाला नहीं है,,,, (वो तो मुझे भी पता था की पापा जब दारु पीने बैठ जाते हैं तो उनको किसी की खबर नहीं रहती,, और जोगिन्दर अंकल तो बस पांच मिंट के लिए ही बोल रहे थे,, इस लिए मैं चुप रही और अंकल का साथ देने लगी)

जोगिन्दर अंकल ने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे होंठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगे,,, और अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और मेरे चूतड़ों को दबाने लगे,,, मैंने भी अपने मोटे मोटे बूब्स उनकी छाती के साथ चिपका दिए और उनसे लिपट कर चूमा चाटी का मजा लेने लगी,, साथ ही मैं खिड़की से बाहर की तरफ भी देखे जा रही थी,,

जोगिन्दर अंकल का लंड उनकी पेंट में खड़ा हो चूका था,, जो मेरी झांघों के साथ टकरा रहा था,, और वो अपने लंड को मेरी चूत पर दबा दबा कर रगड़ रहे थे,,, अंकल ने मेरी टी-शर्ट और ब्रा को भी ऊपर उठा दिया और मेरी चूचियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगे,,

दूसरे कमरे से फिर से पापा की आवाज आई - अरे जोगिन्दर यार,, कहा रह गया,, जल्दी आ यार,, इतनी लम्बी बात कौन करता है,, (हम दोनों खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगे,, की कही पापा बाहर तो नहीं आ गए)

मगर तभी खन्ना अंकल की आवाज आई - अरे यार,, उसे करने दे बात,,, मैं बैठा हूँ ना तेरे साथ,,, क्यों घबरा रहा है तू,,,, (खन्ना अंकल की आवाज सुनकर हमारे सांस में कुछ साँस आयी)

जोगिन्दर अंकल फिर से मुझे चूमने चाटने लगे,, मगर मैंने कहा - अब जाईये अंकल,,, पापा बाहर आ जायेंगे,,, (मैंने डर के लहजे में कहा)

जोगिन्दर अंकल बोले - शालू,,, मेरी जान,,, तुझे छोड़ने का मन नहीं करता,,, बस एक बार अपनी चूत के दर्शन करवा दे,, फिर चला जाता हूँ,,,,

मैंने कहा - नहीं अंकल,, बाद में किसी दिन,,, अभी जायो आप,,,

अंकल फिर से बोले - बस एक बार जानेमन,,, तुम्हारी चूत को एक बार चुम कर चला जाऊंगा,,, (अंकल ने मिन्नत करते हुए कहा)

मैंने कहा - ठीक है अंकल,,, देख लो जल्दी से,,,, मगर आप कुछ करोगे नहीं,,, ( मैंने फिर से खिड़की की तरफ देखते हुए कहा)

अंकल खुश होते हुए बोले - हाँ हाँ,,, ठीक है मेरी शालू रानी,,, कुछ नहीं करूँगा,, बस एक बार तुम्हारी चूत को चूमना है,,,, और फिर अंकल ने मेरी लोअर और पैंटी को एक साथ नीचे सरका दिया,, और मुझे बैड पर लिटा दिया,, अंकल ने मेरी लोअर और पैंटी को मेरे घुटनों तक करके मेरी टांगों को फोल्ड कर दिया,,, अब मेरी फूली हुयी चूत अंकल के बिलकुल सामने थी,,


अंकल बोले - वाह शालू,,,, क्या चूत है तुम्हारी यार,,,, एकदम चिकना माल हो जानेमन,,, ऐसा बोलते हुए अंकल ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए,, ओह्ह्ह्ह यार,,, क्या मजा था अंकल के होंठों में,,, मेरी गरम गरम चूत एक बार फिर से फड़कने लगी,,, अंकल ने मेरी फूली हुयी चूत के होंठों को अपने मुंह में भर लिया और जोर से चूसने लगे,,, मेरे मुंह से हलकी हलकी सिसकारियां निकलने लगी ,, सच में ऐसा मजा तो मुझे आज तक किसी लड़के ने नहीं दिया था,,, जिसने भी मेरी चूत चोदी थी, उसने जल्दबाजी में बस मेरा और पानी ही निकाला था,, और कॉलेज के लड़कों से चुदी भी तो मैं जल्दबाजी में ही थी,,, कभी कॉलेज के बाथरूम में तो कभी क्लास चालू होने से पहले क्लासरूम में,,, मगर जो मजा आज मुझे खन्ना अंकल और जोगिन्दर अंकल दे रहे थे,,, वो मेरे लिए जन्नत में पहुँचने के बराबर था,,,

अंकल ने अपनी जीब को मेरी चूत के अंदर तक घुसेड़ दिया था,, और मैं अपनी टांगें उठाये हुए अंकल के सर को अपनी चूत पर दबा रही थी,,, सच पूछो तो अब मैं अंकल से चुदे बिना नहीं रहने वाली थी,,, बस मुझे पापा का डर था,, इस लिए मैं अभी भी बीच बीच में खिड़की की तरफ देख रही थी,, जोगिन्दर अंकल ने मेरी चूत को एक बार फिर से गीला कर दिया था,,, मैं अपनी चूत को उठा उठा कर अंकल के मुंह पर मार रही थी,,,

अंकल ने भी मेरी दहकती हुयी चूत देख मौके का फायदा उठाते हुए जल्दी से अपनी पेंट में से लंड निकाला और फिर सीधा मेरी चुत के मुंह पर दे मारा,,, मैं सब कुछ देखते हुए भी चुप रही,,, क्योंकि अब लंड की बिना रहना मेरे लिए भी मुश्किल हो गया था,, 

अंकल ने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत में घुसा दिया,,, और फिर एक हल्का सा धक्का लगा दिया,,,, मेरी गीली और फूली हुयी चूत में अंकल का लंड झट से आधा घुस गया,,, अभी कुछ देर पहले ही तो खन्ना अंकल ने मेरी चूत को अच्छी तरह से खोला था,,, मगर फिर भी मेरी टांगों में पैंटी होने के कारण मैं अपनी टाँगे चौड़ी नहीं कर पा रही थी,,,, जिस कारन मेरी चूत कसी हुयी थी,,,, मैंने जल्दी से अपने एक पाऊँ से अपनी लोअर और पैंटी को निकाल दिया,,, और फिर अपनी दोनों टांगों को चौड़ा कर दिया,, जिस से मेरी चूत का मुंह और भी खुल गया,,,, अंकल ने झट से एक और झटका लगाया और अंकल का पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया,,, मेरे मुंह से आह्ह उफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह जैसी आवाजें निकल रही थी,,, जिनको में बड़ी मुश्किल से अपने मुंह में ही दबा लेती,,,

अंकल ने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था,,, और मैं अपनी सिसकारियों को दबाये हुए अंकल के नीचे मचल रही थी,, अंकल ने मेरी दोनों टांगों को अपने बाहों में उठाया हुआ था और मेरी चूत को पेलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे,, उनका लंड भी खन्ना अंकल की तरह मोटा और लम्बा था,, एकदम सख्त और तना हुआ ,, जैसे कोई लोहे की रॉड मेरे अंदर घुस रही हो,,,

तभी पापा की आवाज फिर से आई - अरे जोगिन्दर यार.. कहा है तू,,, (पापा ने शराबी हालत में बोलते हुए कहा)

हम दोनों डर के खिड़की की तरफ देखने लगे,,, पापा कमरे के बाहर ही खड़े थे,, मेरी तो जैसे जान मुठी में आ गई हो,,, जोगिन्दर अंकल भी मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़े हुए पापा की तरफ देखने लगे,,, (हालाकि पापा खिड़की से अंदर कुछ नहीं देख सकते थे,, मगर फिर भी हम डरे हुए थे)

तभी खन्ना अंकल बाहर आये और पापा को वापिस अंदर ले जाते हुए बोले - अरे,, क्या कर रहा है यार,,, उसके करने दे बात,, कोई जरूरी काम होगा उसे,,, तू मेरा मजा क्यों ख़राब कर रहा है,, तू मेरे साथ बैठ कर दारु पी,,,, (और खन्ना अंकल फिर से पापा को खींच कर अंदर ले गए)

हम दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे,,, मैंने कहा - जल्दी से करो अंकल,, वर्ना पापा फिर से बाहर आ जायेंगे,,,


अंकल फिर से मेरी चूत में झटके लगते हुए बोले - हाँ,, हाँ,,, शालू रानी,,, बस जल्दी ही कर रहा हूँ ,, और अंकल फिर से मुझे जोर जोर से पेलने लगे,,, फिर अंकल ने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा और मैं नीचे खड़ी होकर बैड के ऊपर झुक गई,, अंकल ने मेरे पीछे खड़े होकर अपना लंड फिर से मेरी चूत में डाल दिया और मेरी कमर को पकड़ कर मुझे जोर जोर से चोदने लगे,, मैं भी अपनी गांड को हिला हिला कर उनसे अपनी चुदाई करवाने लगी,, फिर कुछ देर बाद अंकल बड़े बड़े झटके मारने लगे और फिर उन्होंने भी अपना लंड बाहर निकाल कर मेरी गांड के ऊपर ही अपना सारा वीर्य गिरा दिया,,, मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी और मेरी चूत से भी पानी निकल कर मेरी झांघों तक बह रहा था,,, अंकल का लंड निकलते ही मैं बैड के ऊपर लेट गई और अंकल भी मेरे साथ ही लेट गए और जोर जोर की साँसे लेने लगे,,, 2-3 मिंट अंकल ने आराम किया और फिर खड़े होकर अपनी पेंट को ऊपर चढ़ा लिया,,,

फिर मेरी गाल पर एक चुम्बन लेकर बोले - मजा आ गया यार,,, तेरी चुदाई करके,,,  

मैं वैसे ही लेटे हुए उनकी तरफ देखकर मुस्कराने लगी और बोली - मुझे भी बहुत मजा आया अंकल,,,

फिर अंकल अपने कपडे सही करते हुए दूसरे कमरे में चले गए,, यहाँ पापा और खन्ना अंकल दारु पी रहे थे,,

मैं कुछ देर तक वैसे ही नंगी लेटी रही और अपनी चूत को सहलाती रही,, फिर खन्ना अंकल और जोगिन्दर अंकल के जाने का टाइम हो गया,,, मैंने अपने कपडे सही किये और फिर उनको बाई करने के लिए दरवाजे में खड़ी हो गई,, दोनों अंकल ने भी पापा से बचते हुए मुझे बाई किया और चले गए,,,

तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी दास्तान,, कुमेंट करके मुझे जरूर बताना,,,