कोमल बनी गरमा गरम मेहमान -2

 



लेखिका - कोमल प्रीत कौर
 

हेलो दोस्तों, मैं आपकी प्यारी, सेक्सी और हॉट हॉट भाबी कोमल प्रीत, मुझे पता है की मेरी पिछली स्टोरी कोमल बनी गरमा गरम मेहमान - 1 पढ़ कर मेरे प्यारे प्यारे देवरों के लंड का क्या हाल हुआ होगा,, इस लिए में जल्दी से आपको यह बताने के लिए आ गई हूँ की अगली सुबह क्या हुआ ।


तो दोस्तों, जब मैं राहुल से चुदाई करवा के ऊपर अपने रूम में जा रही थी तो मुझे मौसा जी ने मुझे देख लिया था, और मेरी हालत देख कर उनको शक भी हो गया था की इतनी रात को कोमल नीचे क्या करने गई थी, इस लिए मौसा जी नीचे स्टोर रूम में देखने चले गए .. रात को मैं अपनी पैंटी भी वही भूल आई थी जो मेरे लिए बहुत परेशानी वाली बात थी, की अगर मेरी पैंटी मौसा जी ने देख ली तो वो क्या सोचेंगे ।

मगर अब क्या हो सकता था,, दुबारा पैंटी लेने जाती तो भी पकड़ी जाती,, क्योंकि मौसा जी भी नीचे ही थे, उनके सामने पैंटी कैसे लेने जाती,, इसी सोच में पता नहीं मेरी कब आँख लग गई ।

सुबह आँख खुली तो मैं सबसे पहले स्टोर रूम मैं अपनी पैंटी लेने ही गई.. वहां पर मैंने अपनी पैंटी को बहुत डुंडा, मगर मेरी पैंटी मुझे कही नहीं मिली,, मैं मन ही मन सोचने लगी की मेरी पैंटी पक्का मौसा जी की पास होगी ।

तभी पीछे से मौसा जी की आवाज आई - "क्या ढूंढ रही हो,,,,, कोमल"

मौसा जी की अचानक आई आवाज से मैं घबरा गई और सेहमी सी आवाज में बोली - कुछ नहीं मौ..मौसा जी,, बस वैसे ही आई थी..

मौसा जी ने थोड़ा मुस्कराते हुए और मेरे पास होते हुए कहा - लगता है कुछ खास चीज़ ढूंढ रही हो,, शायद जब तुम रात को नीचे आई थी.. तब कुछ यहाँ भूल गई होगी,,

मैंने फिर से थोड़ा डरते हुए कहा - नहीं,, नहीं मौसा जी,,, रात को मैं बस टहलने आई थी,, और जल्दी ही ऊपर चली गई थी,,

मगर मौसा जी और भी मेरे नजदीक हो गए और मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा - अरे कोमल ,,, तुम इतना घबरा क्यों रही हो,, अगर कुछ ढूंढ रही हो तो मुझे बता दो,, मैं भी तुम्हारी हेल्प कर देता हूँ,, और मुझे सुबह यहाँ एक बहुत ही प्यारी सी चीज मिली भी है,, शायद वो तुम्हारी ही हो,, और इस बारे में किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा,, तुम्हारी मौसी को भी नहीं,, (मौसा जी ने थोड़ा मुस्कराते हुए कहा)

मौसा जी की बात सुनकर मैं समझ गई की पैंटी मौसा जी के पास ही है,, मैंने मौसा जी की तरफ देखा,, उनकी आंखों में काम वासना झलक रही थी,, और उनके होंठों पर मेरे जोबन का रस चूसने की प्यास थी,, और साथ ही एक हलकी सी मुस्कराहट... मैं बहुत सारे गैर मर्दों से चुद चुकी थी,, मगर मौसा जी के बारे ऐसा कुछ सोच नहीं पा रही थी,, मैंने मौसा जी से कहा - नहीं मौसा जी,, मेरी कोई चीज घूम नहीं हुयी है,, और मैं वहां से जाने लगी ।

मगर मौसा जी बोले - अच्छा ,, तो ठीक है,, फिर यह चीज़ मैं तुम्हारी मौसी को दे देता हूँ,,, वो खुद ही तुमसे पूछ लेगी,, की तुम रात नीचे स्टोर रूम में क्या करने आयी थी.. और किसके साथ आई थी

मौसी जी का नाम सुनते ही मैं घबरा गई,, अगर मौसी जी को पता चल गया तो वो सीधा मेरी माँ को ही बताएंगी,, इस से अच्छा है की मैं मौसा जी से माफ़ी मांग कर बात को यही ख़तम कर दूँ.. (मैं वही खड़ी होकर सोचने लगी)

फिर मैंने कहा - मौसा जी आप मौसी को कुछ नहीं बताना,, और आप भी मुझे माफ़ कर दो ,, वो चीज़ जो आपको मिली है वो मेरी ही है, जो गलती से नीचे रह गई थी

मेरी बात सुनकर मौसा जी मुस्कराने लगे और मेरी पीठ के पीछे से हाथ घुमाते हुए मेरे कंधे पर रखते हुए मुझे अपनी और खींच लिया और फिर मुझे स्टोर रूम के ही एक साइड में ले गए और बोले - हम्म्म,, वो बात तो ठीक है कोमल,, यह चीज़ रही तो गलती से ही है,, मगर यह गलती हुयी किसके साथ है,,, राहुल के साथ या गोपी के साथ,, (मौसा जी ने साथ ही मेरे कंधे को मसल दिया)

मैंने अपना सर झुकाते हुए कहा - रा,, रा,, राहुल के साथ (मैं इतना बोल कर ही चुप हो गई)

मौसा जी ने फिर से पूछा - ओह्ह,, अच्छा,, कब से चल रहा है यह चकर,, क्या रोज रात को यह गलती करती हो तुम,, (साथ ही मौसा जी ने मेरी ठोड़ी को पकड़ कर मेरे चेहरे को ऊपर उठा दिया)

मैंने मौसा जी की आँखों में देखा,, उनकी आँखों में काम वासना साफ़ साफ़ देख रही थी मैं,, जिस तरह से वो मुझे स्टोर रूम की एक साइड में ले आये थे और जिस तरह से वो मेरा कन्धा मसल रहे थे,, और अपनी ऊँगली मेरे बूब्स को भी टच कर रहे थे,, उस से मैं उनकी नियत साफ़ साफ़ समझ रही थी,, की वो भी मेरी चुदाई करना चाहते हैं । मैंने मौसा जी की बात का जवाब देते हुए कहा - नहीं,, नहीं,, मौसा जी,, वो तो सिर्फ कल रात को ही ,,, (इस से आगे में कुछ नहीं बोल पाई और फिर से अपना सर झुका लिया)

मौसा जी का एक हाथ अभी भी कंधे पर था और दूसरा हाथ मेरी ठोड़ी पर,, जिसे वो मेरी गाल पर मसलने लगे और अपने अंगूठे को मेरे होंठों पर मसलते हुए बोले - ओह्ह्ह,, सिर्फ कल रात को ही,,, मगर फिर भी गलती तो हुयी है तुमसे,, अब इस की सजा भी तुमको मिलनी चाहिए..

मौसा जी की बात सुनकर मैं चुप चाप खड़ी रही,, क्योंकि मुझे पता था की  मुझे क्या सजा मिलने वाली है,, और यह बात तो मैं मौसा जी के खड़े हो लंड को देख कर समझ गए थी.. 

मौसा जी ने फिर से मेरी गालों को अपने हाथ की उँगलियों में दबाते हुए मेरे चेहरे को ऊपर उठाते हुए कहा - बोलो कोमल,, चुप क्यों हो गई,,, तुम को थोडी सी सजा तो देनी ही चाहिए,,,

मैंने कहा - "ठीक है मौसा जी,, आपका जो मन करता है वोही सजा दे दीजिये,, मगर इस के बारे में आप मौसी जी को मत बताना"

मौसा जी फिर से मुस्कराते हुए बोले -  उसकी तुम चिंता मत करो,,, तुम्हारी मौसी को कुछ पता नहीं चलेगा,, बस तुमको एक काम करना होगा,, आज जब तुम्हारी मौसी और नेहा शॉपिंग के लिए जाएँगी तो उनको बोल देना की मेरी तबियत ठीक नहीं है,, और तुम घर पर ही रुक जाना,,

मैंने बड़ी ही मासूमियत सी शकल बनाते हुए अपने सर को हाँ में हिला दिया और बोली - ठीक है मौसा जी,, आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करुँगी,,


मेरी बात सुनकर मौसा जी मुस्कराने लगे और बोले - तुम्हारी घूम हुयी चीज़ भी तुमको उनके जाने के बाद ही दूंगा,, (साथ ही मौसा जी ने अपनी ओर  खींच कर मेरे बूब्स को अपनी छाती से लगा लिया और उनका खड़ा हुआ लंड भी मेरी चूत से टकरा गया,, उनकी मुस्कराहट के साथ में भी मुस्करा पड़ी, जो मौसा जी के लिए ग्रीन सिग्नल था ।

फिर मैंने कहा - ठीक है मौसा जी, तो अब मैं ऊपर जाओं,, (मौसा जी का मन अभी भी मुझे छोड़ने का नहीं कर रहा था,, फिर भी उन्होंने मुझे जाने का इशारा करते हुए सर को हिलाया और साथ ही मुझे कस के अपनी बाहों में ले लिया और मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगे,, ओह मौसा जी ने जिस तरह से मेरे होंठों को अपने होंठों में लिया था, मन तो मेरा भी कर रहा था की उनकी कमर में बाहें डाल कर उनके चुम्बन का साथ दूँ ,, मगर फिर भी इस वक़्त मैंने मौसा जी के सामने थोडी सी शर्म रखना ही ठीक समझा,,

मौसा जी ने अपनी पकड़ ढीली की तो मैं उनकी बाहों से निकल कर ऊपर आ गई । मैंने मौसी जो को देखा तो वो किचन में चाय बना रही थी,, मैं भी उनके पास खड़ी हो गई,, मेरे पीछे पीछे मौसा जी भी ऊपर आ गए,, मौसी मुझसे इधर उधर की बातें करनी लगी और फिर चाय बन जाने के बाद चार कप लेकर अपने रूम में चली गई और सब को जगा कर चाय पीने के लिए कहा,,सभी अपनी आँखें मलते हुए उठ कर बैठ गए ।

मैंने भी चाय पी और फिर नहाने चली गई और फिर से आकर बैड पर लेट गई,, मेरे बाद नेहा, मौसी जी और गोपी भी नहा कर तैयार हो गया,, राहुल भी अपने घर चला गया ,,

फिर खाना खाने के बाद मौसी जी ने कहा - कोमल,, आज नेहा के ससुराल वालों के लिए कुछ कपड़े खरीदने हैं,, इस लिए तुम और नेहा जल्दी से तैयार हो जाओ ,,

उस वक़्त मौसा जी भी पास ही खड़े थे,, मैंने अपने हाथ से सर को दबाते हुए कहा - मौसी जी,, आज मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है, रात भर सो भी नहीं पाई,, 

मौसी जी ने कहा - अरे कोमल बेटा,, कया हुआ तुम्हारी तबियत को,, तुमने पहले क्यों नहीं बताया,, मैं अभी गोपी को बोलती हूँ की तुमको डॉक्टर के पास ले जाये,,

मगर मैंने कहा - नहीं मौसी जी,, इतनी ज्यादा भी बीमार नहीं मैं ,, बस कुछ देर लेट लूँ,, फिर आपके साथ चली जाउंगी,,

तभी मौसा जी बोले - अरे नहीं.. नहीं.. कोमल बेटा,, तुम ऐसा करो, आज घर पर आराम करो,, बाहर गर्मी में घूमने से तुम और बीमार हो जाओगी ,, और रही बात डॉक्टर की तो मैं तुमको किसी अच्छे डॉक्टर से दवाई दिला लाऊंगा,,

मौसा जी की बात सुनकर मौसी भला कैसे ना मानती, मौसी जी बोले - ठीक है,, तुम घर पर ही आराम करो,, मैं और नेहा गोपी के साथ चली जाती हैं ।

फिर वो कुछ देर के बाद तीनो चले गए, घर में मैं और मौसा जी ही रह गए थे,, मैं अपने कमरे में ही लेटी रही,, कुछ देर के बाद ही मौसा जी भी मेरे वाले कमरे में आ गए,, मैं लेटे लेटे ही उनकी तरफ देखने लगी । मौसा जी मेरी पैंटी को अपनी ऊँगली में घुमा रहे थे, मैं उनको देखकर मुस्कराने लगी और वो भी हँसते हुए मेरी तरफ बढ़ने लगे,, वो मेरी पैंटी को सूंघते हुए बोले - आआआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह कोमल,, क्या खुसबू है तुम्हारी,, मैंने तो जब से तुम्हारी इस नायाब चीज की महक ली है ,,, मैं तो पागल हुए या रहा हूँ,,

मैं उठ कर बैठ गई और मौसा जी के हाथ से अपनी पैंटी छीनते हुए कहा - लाइए मौसा जी,, हमारी चीज हमें दीजिये,, यह आपके किसी काम की नहीं है,,

मौसा जी हँसते हुए बोले - अरे नहीं कोमल,,, यह चीज़ मेरे तो बहुत काम की निकली,, इसी चीज़ के जरिये मैं आज बहुत कुछ हासिल करने वाला हूँ,,, (साथ ही मौसा जी ने मेरे पास बैठते हुए मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे किस करने लगे,,

मुझे पता था मौसा जी इसी मौके के इंतजार में थे, की कब मैं उनकी बाहों में आऊं,, और अब मौसा जी से भी यह सब तो करना ही था, इस लिए मैंने भी ज्यादा शर्माना छोड़ कर मौसा जी के गले में बाहें डाल दी..

मौसा जी ने मुझे बैड पर ही लिटा दिया और फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे बदन को मसलने लगे, मैं भी उनके नीचे उनके शरीर  की गर्मी महसूस करने लगी,,

मैंने मौसा जी से कहा - मौसा जी बाहर का दरवाजा तो बंद कर दिया था ना,,

मौसा जी बोले - हाँ जानेमन,,, अच्छे से बंद कर दिया था,, उसके बाद ही तुम्हारे पास आया हूँ..

मौसा जी मेरे होंठों को चूसने लगे और फिर लेटे लेटे ही बिस्तर पर पलटी मारने लगे,, कभी वो मेरे ऊपर और कभी मैं उनके ऊपर,,, वो मेरे बदन को जोर जोर से मसल रहे थे और मेरे बूब्स को भी कभी अपने हाथों से दबाते और कभी अपने मुंह में भर लेते,, हालाकि मैंने कमीज पहना हुआ था मगर वो कमीज के ऊपर से ही मेरे बदन को मसले जा रहे थे,,

मैं भी मौसा जी का साथ देने लगी,, उनकी कमर में बहन डाल कर उनकी पीठ को मसलने लगी, मौसा जी का लंड खड़ा होकर मेरी झांगों के बीच टकरा रहा था.. 

फिर मौसा जी लेटे लेटे ही मेरी कमीज उतर दी और मैंने उनकी,,, फिर मौसा जी ने मेरी ब्रा को भी उतर फेंका,, मौसा जी का लंड उनके पजामे को  टैंट बनाये खड़ा था,, मौसा जी ने जल्दी से मेरी सलवार का नाडा खोला और खींच कर मेरी टांगों से निकाल फेंकी, मेरी क्रीम रंग की पैंटी को देखकर वो मुस्कराते हुए बोले - क्या बात है कोमल,, तुम्हारी सारी की सारी पैंटी ही बहुत खूबसूरत है,, (साथ ही उन्होंने ने मेरी पैंटी को उतार दिया और मैं पूरी नंगी हो गई )

मैनें मुस्कराते हुए कहा - हाँ,, क्यों नहीं,, आज इसी पैंटी की वजह से ही तो आपके नीचे हूँ,,, वर्ना आपको कहा पता चलने वाला था,, 

मौसा जी बोले - सिर्फ पैंटी की वजह से नहीं,, तुम जो बैंच और टेबल पर अपना सफ़ेद सफ़ेद माल निकाल कर आई थी,, उसकी वजह से भी तुम मेरे नीचे हो,, क्या खुसबू थी उस माल की,,, जो तुम्हारी पैंटी से अभी भी आ रही है (मौसा जी ने मेरी पैंटी को सूंघते हुए कहा)

मैंने मुस्कराते हुए मौसा जी की तरफ देखा और अपने एक पैर से मौसा जी के लंड को पजामे के ऊपर से ही दबा दिया,, मौसा जी का लंड तो पहले ही फनफना रहा था,,, एकदम सख्त जैसे लोहे के रॉड हो,, मेरा पैर लंड पर लगते ही मौसा जी समझ गए की अब मैं ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहती और उनहोंने जल्दी से अपना पजामा और कच्छा उतार फेंका और अपना काला नाग फुंकारता हुआ मेरी चुत के सामने कर दिया,, 

ओह्ह्ह्हह,, क्या लंड था मौसा जी का,, काले रंग का चमकता हुआ सांप,, जैसे मौसा जी ने आज ही तेल की मालिश की हो,, क्योंकि उनको पता तो था आज उनका सांप कोमल की गुफा में घुसने वाला है ।


मैं मौसा जी के लंड को देखकर मुस्कराने लगी और मौसा जी मुझे देखकर,,, फिर मौसा जी ने अपने कमीज की जेब में से कंडोम निकाला और मुझे बोले - यह लो कोमल,, अपने हाथों से पेहना दो,, 

मैं उठ कर बैठ गई और मौसा जी के हाथ से कंडोम पकड़ा,,, पहले तो मौसा जी के लंड को अपने हाथ से सहलाया और फिर कंडोम को लंड के सुपाड़े के ऊपर रख कर गोल गोल नीचे घुमाने लगी,, कंडोम धीरे धीरे पुरे लंड पर चढ़ गया,,

मौसा जी ने कहा - ओह्ह्ह्ह,,, कोमल,,,, बहुत जादू है तुम्हारे हाथों में,, देखो न तुम्हारे हाथों के स्पर्श से मेरा लंड कैसे उछलने लगा है,,,

मैंने कहा - मौसा जी,, इस में भी तो बहुत जादू है,,, देखिये ना, बिना हड्डी के कैसे अकड़ा खड़ा है,,,

मौसा जी ने कहा - यह तुमको देखकर ही खड़ा हो गया है कोमल,,, वर्ना आज से पहले ऐसे कभी खड़ा नहीं हुआ,,,  (साथ ही मौसा जी ने मुझे फिर से बैड पर लिटा दिया और खुद भी मेरे ऊपर चढ़ गए,,, और फिर अपने लंड को मेरी चुत पर सैट करने लगे,,, मेरी चुत तो अब तक पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,, जैसे ही मौसा जी ने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चुत पर रखा,,, मैंने भी अपनी गांड को उठा कर मौसा जी का लंड अपनी चुत में ले लिया,,, लंड का सुपाड़ा मेरी चुत में जाते ही मौसा जी मेरे ऊपर लेट गए और अपने लंड को मेरी चुत के अंदर तक घुसेड़ने लगे,,

मौसा जी का भारी पेट मेरे छोटे से पेट को दबा रहा था,, मगर फिर भी उनका लंड मेरी चुत में जड़ तक नहीं घुस रहा था,, वो अपने आधे लंड को ही मेरी चुत में अंदर बाहर किये जा रहे थे,, मौसा जी का पेट ज्यादा बढ़ा भी नहीं था,, मगर फिर भी चुत में लंड घुसने में अड़चन तो आ रही थी,,

मैंने मौसा जी से कहा - मौसा जी आप नीचे आ जाइये,, मैं आपके ऊपर आती हूँ,,

मौसा जी मेरी बात मान कर बैड के ऊपर अपना लंड खड़ा करके लेट गए और फिर मैं उनके लंड पर उनके पैरों की तरफ अपना चेहरा करके बैठ गई,,, और उनका लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चुत पर सैट किया और लंड के ऊपर बैठ गई,,, और फिर जोर जोर से अपनी कमर को ऊपर नीचे हिलाने लगी,,,, अब उनका पूरा लंड मेरी चुत में जड़ तक घुस रहा था और मौसा जी मेरी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर आह्ह्ह्हह्ह आआह्ह्ह आआह्ह्ह्हह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह कोमल,,, कर रहे थे । 

मैं अपनी कमर गोल गोल घुमा कर मौसा जी का लंड अपनी चुत के अंदर बाहर कर रही थी,, और मौसा जी मेरे गोल मटोल गोर गोर चूतड़ों  को पकड़ कर दबा रहे थे और मेरी गांड के सुराख़ को अपनी उँगलियों से मसल रहे थे.. 

अब तक मैं समझ चुकी थी की मुझे चोद पाना मौसा जी के बस की बात नहीं थी,, उल्टा मुझे ही उनको चोदना पड़ेगा,, वो तो बस नीचे लेटे लेटे मेरी गरम गरम चुत का मजा ले सकते थे,, अब मौसा जी की टाँगें अकडने लगी और वो मेरी गांड को पकड़ कर जोर जोर से अपने लंड पर पटकने लगे,, जिस से मैं समझ गई की मौसा जी का माल अब छूटने वाला है,, मैं भी जोर जोर से अपनी कमर हिलाने लगी और फिर थोड़ी देर में ही मौसा जी का माल निकल गया,, आहें तो उनकी ही निकल रही थी अब वो थक कर चकनाचूर हो चुके थे और जोर जोर से हांफने लगे,,

मेरा वीर्य तो अभी तक नहीं निकला था,, क्योंकि रात को ही मैं बहुत बार वीर्य निकाल चुकी थी,, और अब इतनी जल्दी मेरा माल नहीं छूटने वाला था,, मौसा जी का लंड ढीला होने लगा था और फिर मेरी चुत से बाहर आ गया,, उनका कंडोम उनके वीर्य से भर चूका था,,, जिस को मौसा जी ने निकाल कर नीचे फेंक दिया,,,

मेरा मन अभी भरा नहीं था,, क्योंकि में अभी तक चरमसीमा तक नहीं पहुंची थी,, मैं उठी और मौसा जी के चेहरे की दोनों तरफ अपने घुटने लगा कर उनके मुंह पर बैठ गई,, और अपनी चुत को मौसा जी के मुंह पर लगा दिया,,, मौसा जी कोई अनाड़ी तो थे नहीं,, वो भी मेरी दोनों  झांगों को पकड़ कर  मेरी चुत चाटने लगे,, मैं दबा दबा कर अपनी चुत उनके मुंह पर रगड़ रही थी,, और वो मेरी चुत के अंदर तक अपनी जीभ घुसा रहे थे,,

चुत चटवाने से मुझे बहुत मजा आ रहा था, ,, मेरा बदन अकड़ रहा था और चुत फड़फड़ा रही थी,, अचानक से मेरी चुत ने अपना सारा लावा मौसा जी के मुंह पर निगल दिया,, मौसा जी कुत्ते के जैसे मेरी चुत अपनी जुबान से चाटने लगे,,, उनकी दाढ़ी और मूंछ मेरे वीर्य से भर गई थी,, 

मैं भी थक हार कर वही बिस्तर पर ढेर हो गई,, पूरी रात भी चुदी थी और अब दिन चढ़ते ही मुझे मौसा जी को चोदना पढ़ रहा था,, मैं भी जोर जोर से हांफ रही थी और मौसा जी भी,, मेरी दोनों टांगें मौसा जी की छाती पर थी और वो अपने हाथ मेरी झांगों पर घुमा रहे थे..  

कुछ देर के बाद मौसा जी बोले- वाह कोमल,, क्या मजा दिया तुमने आज,,, ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला,, तुम्हारी मौसी तो चुत देने से पहले ही मना करने लग जाती है,, मगर तुम्हारी चुत चोदने में तो मजा आया ही है ,, जो मजा तुमने चुत चटवा कर दिया है वो मैं कभी नहीं भूलूंगा,,, 

मैं हँसने लगी और बोली - मौसा जी अभी तो पूरा दिन पढ़ा है,, आज का सारा दिन आपको ऐसा ही मजा दूंगी,, 

मौसा जी बोले - आज का दिन तो ठीक है,, मगर बाकी के दिन क्या करेंगे,, ऐसा मजा तो मैं हर रोज लेना चाहता हूँ,,

मैनें कहा - क्यों नहीं मौसा जी,, आप हर रोज मजा लेना,, बस ऐसा मौका ढूंढ़ना आपका काम होगा,,

मौसा जी हँसने लगे और बोले - अरे यार,,, बस मौका ढूंढ़ना ही तो मुश्किल काम है,,,,,

मैं उठ कर मौसा जी छाती के ऊपर सर रखती हुयी बोली - बाद के मौके की फिर सोचेंगे,,, जो मौका आज मिला है,, पहले उसका फायदा तो उठा लें,, (साथ ही मैं मौसा जी के सोये हुए लंड को सहलाने लगी)

मगर मौसा जी अभी दुबारा चुदाई के लिए तैयार नहीं हुए थे,, वो कुछ देर अभी और आराम करना चाहते थे,, मौसा जी मेरे गले में बाहें डालते हुए बोले - यार कोमल, बहुत थक गया हूँ,,, तुम तो अभी जवान हो,, तुम्हारा मुकाबला मैं नहीं कर सकता,,, पहले कुछ खिला पिला दो ,, उसके बाद मैं तुम्हारे ऊपर चढूँगा,,

मैं हँसने लगी और कहा - ठीक है मौसा जी,, आप आराम करो मैं अभी लाती हूँ कुछ खाने के लिए,, मैं बिना कपड़े पहने नंगी ही किचन में गई और मैगी के दो पैकेट बनाने लगी, मौसा जी भी मेरे पीछे पीछे नंगे ही किचन में आ गए और मुझे पीछे से पकड़ कर मेरे बूब्स को दबाने लगे,, जब तक मैगी नहीं बनी मौसा जी ऐसे ही मेरे बदन से खेलते रहे,, फिर मैंने मौसा जी को फ्रिज में से कोल्ड ड्रिंक्स निकालने के लिए कहा और हम लोग मैगी और कोल्ड ड्रिंक्स लेकर कमरे में आ गए,,

हम लोग एक ही प्लेट में मैगी खाने लगे और एक ही गिलास में कोल्ड ड्रिंक्स पीने लगे,, मौसा जी कुर्सी पर बैठे थे तो उन्होंने ने मुझे अपनी गोद में बैठने के लिए कहा,,, मैं भी बैड से उठकर कर उनकी गोद में जाकर बैठ गई और उनकी गोद में ही बैठकर मैगी खाने लगी और मौसा जी की मुंह में भी मैं ही मैगी डालने लगी,, मौसा जी का एक हाथ मेरी पीठ के पीछे और दूसरे हाथ में गिलास था,, जिस से वो खुद भी पी रहे थे और मुझे भी पिला रहे थे,,

जब मैं मौसा जी के मुंह में चमच से मैगी डालती तो कुछ मैगी मेरे बूब्स पर गिर जाती जिस को मौसा जी अपनी जीभ से उठाते और मुंह में खींच लेते,, और कभी कभी मौसा जी के मुंह से लटक रही मैगी को दूसरी तरफ से मैं पकड़ लेती और उसे खाते खाते हमारे दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़ जाते और फिर एक दूसरे के होंठों को ही दबाने लग जाते,,,

अब मौसा जी का लंड फिर से खड़ा होने लगा था,,

जैसे जैसे मैगी ख़तम हो रही थी,, वैसे वैसे मौसा जी के लंड का अकार बड़ा होता जा रहा था,, मौसा जी वैसे बैठे बैठे ही अपना लंड मेरी चुत में घुसाने की कोशिश कर रहे थे मगर फिर से वही प्रॉब्लम थी उनका पेट,, जिस की वजह से बैठे बैठे लंड चुत में घुसना मुश्किल था,,, मगर फिर भी मैंने किसी तरह से एडजस्ट करके मौसा जी लंड के लंड का सुपाड़ा अपनी चुत में घुसवा लिया,,, हलाकि पूरा लंड इस पोजीसन में घुस पाना ना-मुमकिन था,,

खैर हम लोगो ऐसे ही बैठ कर मैगी खाते रहे और हलके हलके झटकों से चुदाई का मजा लेते रहे,, मैगी ख़तम होने के बाद मौसा जी ने मेरी पतली कमर को पकड़ लिया और अपना लंड और आगे तक घुसेड़ने की कोशिश करने लगे,, मैं भी उनका साथ देने लगी,, थोड़ा सा लंड और अंदर घुस गया...फिर कुछ देर तक ऐसे ही हलके हलके झटके लगाते रहे,,,

फिर मौसा जी ने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा और मैं बैड के ऊपर जाकर घोड़ी बन गई,, मौसा जी भी मेरे पीछे आ गए और अपना लंड मेरी चुत में घुसा दिया और फिर मेरी पतली सी कमर को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर जोर जोर के झटके मारने लगे,, उनके पेट के झटके भी मुझे मेरी गांड पर लग रहे थे,, इस लिए वो ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे थे,, इस लिए मैं ही अपनी गांड को आगे पीछे करके उनका लंड अपनी चुत में लेने लगी,,,

ऐसे ही मौसा जी रुक रुक कर मुझे दोपहर के 4 बजे तक चोदते रहे और हम दोनों नंगे ही घर में घूमते रहे, मौसी जी अब लौटने वाले थे,, इस लिए हमने कपड़े पहन लिए और अपने आप को और सारी चीजों को अच्छे से सैट कर लिया,, और फिर एक ही बैड पर जफ्फी डाल कर लेट गए,,

कुछ देर बाद बैल बजी और मौसा जी दरवाजा खोलने के लिए चले गए और मैं भी बिस्तर को सही करने लग गई,, मगर जब मौसा जी अंदर आये तो उनके साथ मौसी जी नहीं बल्कि उनके एक पुराने दोस्त थे,, मौसा जी ने मुझे उनसे मिलवाया और बोले की यह मेरे बहुत ही खास दोस्त हैं,, इनका नाम है संधू साहिब,, अपने गाँव के सरपंच रह चुके हैं,, (मौसा जी ने उनकी तारीफ करते हुए कहा)

मैं भी हँसते हुए उनके पास जाकर उनको मिली और उन्होंने मुझे अपनी छाती से लगाते हुए मेरी पीठ को थपथपाया,, फिर मौसा जी उनको मेरे बारे में बताने लगे की यह हमारी साली की बेटी है,, कोमल,,, और अपने नाम के जैसे ही कोमल और प्यारी है,, (मौसा जी ने मेरे बारे में भी तारीफ करते हुए कहा)

संधू एंकल ने फिर से मुझे अपनी छाती से दबाते हुए और मेरे कंधे को मसलते हुए कहा - हाँ हाँ, भई,, वो तो देखते ही पता चलता है,, की कितनी प्यारी है कोमल,,

उन दोनों के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर मैं हँसने लगी, और कहा की आप लोग बैठिये मैं चाय बनाकर लाती हूँ,, और फिर मैं चाय बनाने के लिए किचन में चली गई,, चाय बनाते बनाते मौसी जी, नेहा और गोपी भी आ गया,, और फिर मैंने उनको भी चाय पानी दिया,, और मौसी जी मेरी तबियत के बारे में पूछने लगी,, मैं कुछ बोल पाती,, उस से पहले ही मौसा जी ने कहा - अब तो बिलकुल ठीक है कोमल,, मैंने इसको थोड़ी देर पहले ही ताकत के इंजेक्शन और डोज दिए हैं ,,,

तो दोस्तों,, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी ,, मुझे मेल और कुमेंट करके जरूर बताना,,,

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