कोमल बनी गरमा-गरम मेहमान-3

हेलो दोस्तों,, मैं आपकी प्यारी भाबी कोमलप्रीत कौर,, जैसे की आप ने मेरी पिछली स्टोरी कोमल बनी गरमा-गरम मेहमान-2 में पढ़ा के मुझे मौसा जी ने कैसे चोदा,, आह्ह्ह्ह  मौसा जी ने नहीं बल्कि मैंने मौसा जी को कैसे चोदा,, अब मैं उसके आगे की स्टोरी आपको बताती हूँ,,,


दिन
की चुदाई  के बाद रात को मुझे भी अच्छे से नींद आयी, अगली सुबह जब मैं उठी तो गोपी और नेहा सो रहे थे,, मैं अपने रूम से बाहर निकली तो मौसी जी किचन में थी,, और मुझे देखती ही बोली - आओ कोमल बेटी,, उठ गई,, अब आई हो तो जाओ जरा संधू भाई साहिब को उनके रूम में चाय दे आओ,,,

मैनें कहा -  संधू अंकल को,, ठीक है लाइए में दे आती हूँ,,,

मैंने मौसी जी से चाय ली और संधू अंकल के रूम की तरफ चली गई,, मैंने दरवाजा खटखटाया,, अंदर से अंकल बोले - आ जाओ,,,,

मैंने अंदर जाते ही मुस्कराते हुए अंकल से कहा - गुड मॉर्निंग अंकल,, कैसे हो आप,,,

अंकल भी मुस्कराते हुए बोले - आओ कोमल,,, गुड मॉर्निंग,, मैं अच्छा हूँ,,, तुम कैसी हो,,,

मैंने कहा - अंकल,, मैं बिलकुल ठीक हूँ,, आप गरम गरम चाय पीजिये,,, (मैंने चाय का प्याला उनकी तरफ करते हुए कहा)

अंकल ने भी मुस्कराते हुए कहा - थैंक्स कोमल,,, सुबह सुबह तुम्हारे हाथ की चाय मिल गई और तुम्हारी प्यारी प्यारी सी सुन्दर सूरत देखने को मिल गई,, मेरा आज का दिन तो बहुत बढ़िया गुजरेगा,,,

मैंने हँसते हुए कहा - ओह्ह्ह अंकल,, आप भी बातें बना लेते हो,,, बिलकुल मौसा जी की तरह,,,

अंकल बोले - हाँ हाँ क्यों नहीं,, हम दोनों दोस्त जो ठहरे,,, और सिर्फ बातें ही नहीं, और भी बहुत कुछ है जो हम एक जैसा करते हैं,, (अंकल ने मेरी तरफ शरारत भरे लहजे में मुस्कराते हुए कहा)

मुझे अंकल की मुस्कराहट से ऐसा महसूस हुआ जैसे उनको मौसा जी ने सब कुछ बता दिया हो,, और वो जानते हैं की कल मौसा जी ने मुझे चोदा है,, मैं कुछ शर्मा सी गई और अपनी नजरें झुका ली,,, 

उसके बाद अंकल बात को बदलते हुए मुझे मेरे बारे में पूछने लगे,, की तुम क्या करती हो,, पति क्या करते हैं,, जब मैंने बताया की मेरे पति आर्मी में हैं तो अंकल बोले - अरे वाह,, इसका मतलब तुम फौजन हो, (पंजाब में अक्सर फौजी की बीवी को फौजन बोलते हैं)

अंकल फिर से बोले - किसी ने सच ही कहा है की फौजी फ़ौज में और फौजन मौज में,,, (साथ ही अंकल फिर से मुस्कराने लगे)

अंकल की ऐसी शरारती बातें सुनकर मुझे यकीन हो गया था की मौसा जी ने अंकल को सब बता दिया है, इसी लिए वो मुझसे ऐसे बात कर रहे हैं,,

मैंने भी कुछ शर्म दूर करते हुए कहा - हाँ अंकल,, फौजन ही हूँ,, मगर जिस ने भी कहा है बिलकुल गलत कहा है,, बिना फौजी के फौजन भला कैसे मौज में रहेगी,,,

अंकल फिर से बोले - हाँ भई, बात तो यह भी सही है,, इस का मतलब हमारी कोमल फौजन बिलकुल भी मौज में नहीं हैं,, बहुत दुखी है बेचारी,,

मैंने मुस्कराते हुए कहा - नहीं नहीं अंकल,, ऐसी भी बात नहीं है,, मैं कोई दुखी नहीं हूँ,,, अच्छी भली आपके सामने बैठी हूँ,,

मगर अंकल मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए बोले - अच्छा,, तो फिर कैसी बात है,, क्या तुम मौज कर लेती हो ,,, (अंकल ने शरारत भरे लहजे में कहा)

अंकल की बात सुनकर मैं फिर से  शर्मा गई और मुस्कराती हुयी बोली - अंकल आप भी ना, कुछ भी बोले जा रहे हो, अब मैं जा रही हूँ,, (और मैं मुस्कराती हुयी अंकल के कमरे से बाहर आ गई)

अंकल की बातें सुनकर मैं समझ गई थी की मौसा जी ने अंकल को सब कुछ बता दिया है,, और अब वो भी मेरी चुत लेकर ही मानेंगे,, मैं मन ही मन मौसा जी को कोसने लगी,, के उन्होंने ऐसी बातें संधू अंकल को बता दी,,

खैर,, मैं फिर से मौसी के पास आ गई और मौसी को बोली की अगर आज शॉपिंग करने जाना हो तो मैं भी आपके साथ चल पड़ूँगी,, मगर मौसी जी ने कहा - नहीं कोमल बेटी,, आज कही नहीं जाना है, कल सारी शॉपिंग हो गई थी,,  और अगर तुम को कुछ शॉपिंग करनी है तो किसी को साथ में ले जाओ,,

तभी पीछे से संधू अंकल की आवाज आई - अरे वाह,, किसी को क्यों,, मैं चलता हूँ ना, कोमल के साथ,, और साथ में मैं अपने फ्लैट को भी देख आऊंगा,,, 

मौसी जी भी अंकल की हाँ में हाँ मिलाती हुयी  बोली - हाँ भाई साहिब यह ठीक रहेगा,, वैसे भी आज कोमल के मौसा जी, गोपी और राहुल बहुत बिजी हैं,,  और नेहा को भी अब ज्यादा बाहर भेजना ठीक नहीं हैं,,, इस लिए कोमल आपके साथ आपको फ्लैट दिखा लाती है,,  और कोमल स्कूटी भी सही से चला लेती है,,,

मैं उनकी बातें सुनकर हैरान होती हुयी बोली - मौसी जी,,, आप क्या बोल रहे हो ,, यह स्कूटी, फ्लैट,, मैं कुछ समझी नहीं (मैंने हैरानी जनक लहजे में पूछा)

मौसी बोली - अरे,, कोमल बेटा मैं समझाती हूँ,, तुम्हारे संधू अंकल का यही दिल्ली में एक फ्लैट है, जो पिछले डेढ-दो महीने से बंद है,, जिसकी चाबी हमारे पास ही रहती है और तुम्हारे अंकल कल से अपने फ्लैट मैं जाने के लिए उतावले हो रहे हैं,, आज भी तुम्हारे मौसा जी के पास टाइम नहीं है,, वर्ना वो ही इनको ले जाते,, और  तुम्हारे अंकल को स्कूटी भी नहीं आती है, वर्ना यह ही स्कूटी पर चले जाते,, इस लिए मैं बोल रही हूँ की तुम को स्कूटी भी आती है और साथ में तुम घूम भी आयोगी,, और कुछ खरीदना हो तो वो भी तुम आते वक़्त ले लेना,,,

मैंने कुछ हिचकिचाते हुए कहा - मगर मौसी जी मैं,,, मुझे तो अच्छे से दिल्ली की सड़कों के बारे में भी पता नहीं है,,

मौसी बोली - अरे बहुत आसान रास्ता है,, और फिर भाई साहिब हैं ना तुम्हारे साथ,, यह सारा रास्ता तुम को अच्छे से समझा देंगे,, 

मैंने फिर से कहा - मगर,,,,

तभी मेरी बात को बीच में ही काटते हुए अंकल बोले - अगर मगर कुछ नहीं,, तुम जल्दी से तैयार हो जायो,, फिर हम चलते हैं,,,

अब मैं क्या करती,, मौसी जी भी इतना जोर डाल रही थी,, तो मैंने भी कहा - ठीक है, अंकल मैं नहा लेती हूँ और फिर ब्रेक फ़ास्ट करके चले जाते हैं,,

संधू अंकल ने मेरी गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा - यह हुयी ना बात,,,

फिर मैं तैयार होने के लिए अपने कमरे में चली गई,,

मैं अपने मन में सोच रही थी की यह प्लान पक्का मौसा जी और अंकल ने मिलकर ही बनाया होगा,, क्योंकि अंकल मुझे फ्लैट में लेकर जायेंगे और वहां पर मौसा जी भी आ जायेंगे और फिर दोनों मिलकर मेरी चुदाई करेंगे,,

अब चुदाई के बारे में सोच कर तो मेरी चुत वैसे ही गीली होने लगी थी,, और वो भी एक साथ दो दो लौडों से,,, मैं मन ही मन मुस्करा कर चुदने के लिए तैयार होने लगी,, 

फिर खाना खाने के बाद हम लोग अंकल के फ्लैट के लिए निकल पड़े,,

अंकल मेरी पीछे बैठ गए और मैं स्कूटी चलाने लगी, अंकल मुझे रास्ता बताने के बहाने मुझे बीच में छू लेते और कभी कभी अपना हाथ मेरी कमर पर भी रख देते,, मेरे बदन में भी करंट सा दौड़ने लगा था,,

अब मैं अंकल को हाथ लगाने से मना भी नहीं कर सकती थी,, क्योंकि मैं जानती तो थी की फ्लैट में जाते ही मौसा जी सामने आ जायेंगे और फिर मेरी और मौसा जी की चुदाई की सारी बात अंकल के सामने खुल जाएगी, और उसके बाद अंकल पता नहीं मुझे कहाँ कहाँ हाथ लगाएंगे, और हाथ ही नहीं कुछ और भी लगाएंगे,,

सड़क पर बने खड्डों और स्पीड ब्रेकर की वजह से कभी कभी अंकल फिसल कर मेरे साथ चिपक जाते,, और अपने दोनों हाथों से मेरी पतली कमर को पकड़ लेते,,

मेरी पतली कमर पर उनके हाथ पड़ते ही मुझे ऐसा महसूस होता जैसे कोई मुझे कमर से पकड़ कर घोड़ी बना कर चोदने वाला है,, मेरी चुत के होंठ फड़फड़ाने लगे थे और दिल जोर जोर से धड़क कर यही बोल रहा था की जल्दी से फ्लैट आ जाये और फिर मौसा जी और अंकल मिलकर मेरी चुदाई शुरू करदें,,

और यहाँ तक मेरा ख्याल था अंकल भी मेरी कमर को पकड़ मेरी चुदाई के बारे में ही सोच रहे थे,, क्योंकि उनका सख्त लौड़ा मेरे मोटे चूतड़ों से टकरा रहा था,, जब भी अंकल मुझे रास्ता बताने के लिए थोड़ा आगे को झुकते तो उनका लौड़ा मुझे मेरे चूतड़ों पर रगड़ता महसूस हो जाता,,

मैं इन्ही सोचों में खोई थी की अचानक से स्पीड ब्रेकर आ गया और मैंने जल्दी से ब्रेक लगाई,, मगर फिर भी स्कूटी तेज होने के कारन मैं अपनी सीट पर से उछल गई,, अंकल भी अपने आप को सँभाल नहीं पाए और वो भी आगे को फिसल गए और मेरे साथ चिपक गए,, मगर मैं अपने आप को जल्दी से सँभालते हुए जैसे ही सीट पर बैठी,, मुझे अपनी गांड के नीचे एक सख्त और मोटा सा डंडे जैसा कुछ महसूस हुआ,, 

मुझे एक पल भी नहीं लगा यह समझने के लिए की वो मोटा सा डंडे जैसा कुछ और नहीं बल्कि  अंकल का लंड है,,, जो मेरी गांड की दरार के बीच में दब चूका था,, अभी तो में अच्छी तरह से संभल भी नहीं पायी थी,, इस लिए फिर से उछल पाना मेरे लिए मुश्किल था,, और ऊपर से अंकल भी मेरी कमर को जकड़े हुए सम्भलने की कोशिश कर रहे थे,, मगर अब तो उनका रिमोट कंट्रोल भी मेरे नीचे दब चूका था,, जिस वजह से वो और भी परेशान हो गए थे,,

फिर  मैंने जल्दी से स्कूटी रोकी और झट से अंकल के लंड से उठ गई, मगर फिर भी कम से कम एक मिंट तक अंकल का लंड मेरी गांड के नीचे दबा रहा,,, इस बात से अंकल भी शायद कुछ परेशान से हो गए थे,, और उनका लंड भी कुछ ढीला हो गया था, शायद वो सोच रहें होंगे की मैं इस बात से नाराज हो जाउंगी,,

मेरे उठते ही अंकल भी थोड़ा पीछे हो गए और ठीक से बैठ गए,, मैं भी बिना कुछ बोले फिर से स्कूटी चलाने लगी,, जो भी था इस बात से एक बात का तो पता चल गया था की अंकल का लंड दमदार था,, और मेरी चुत की प्यास बुझाने के काबिल था,,

अब अंकल मुझसे कुछ दूरी बना कर बैठ गए थे और बहुत ही संभल कर मुझे रास्ता बता रहे थे, मगर मेरी चुत में तो पहले से भी ज्यादा आग भड़क चुकी थी,, मैंने जानबूझ कर एक दो जगह पर जोर जोर से ब्रेक लगाई, जिस कारन अंकल फिर से मेरे साथ चिपक जाते,, मैं इस लिए भी ब्रेक लगा रही थी की शयद अंकल समझ जाएँ की मैं उनसे नाराज नहीं हूँ,,,

अब हम उस सुसाइटी में पहुँच चुके थे जिस में अंकल का फ्लैट था,, हमने स्कूटी खड़ी की और नीचे दुकान से ही अंकल ने कोल्ड ड्रिंक्स और कुछ चिप्स लिए और फिर हम फ्लैट में चले गए,, मैं तो सोच रही थी की फ्लैट में घुसते ही मौसा जी अंदर बैठे होंगे मगर अंकल ने चाबी से दरवाजा खोला और फिर हम लोग अंदर घुस गए,

अंदर घुसते ही अंकल ने फिर से दरवाजा बंद कर दिया,, और मुझसे बोले -  हाँ तो कोमल,, यह है हमारा एक छोटा सा फ्लैट,,, कैसा लगा तुमको,,


मैंने इधर उधर घूमते हुए कहा - फ्लैट तो बहुत बढ़िया है अंकल,, और यह छोटा भी नहीं काफी बड़ा है,,, (मैं इधर उधर नजर घुमा कर मौसा जी को ढूंढ़ने की कोशिश भी कर रही थी)

अंकल फिर से बोले - हां बड़ा ही समझ लो,, बस कुछ दिनों में यहाँ किरायेदार रहने आ जायेंगे,,,,

मैंने कहा - ओह्ह्ह फिर तो बहुत बढ़िया बात है,, फ्लैट की सफाई भी रहेगी और कमाई भी शुरू हो जाएगी,,, (मैंने हँसते हुए कहा)

मेरी बातों से अंकल अब तक समझ चुके थे की मैं उनसे नाराज नहीं हूँ,,, अंकल भी मुस्कराते हुए बोले - हां,, यह तो है कोमल,, और अब तो तुम्हारे खूबसूरत पाँव भी पड़ गए हैं इस फ्लैट में,,, अब तो वैसे ही इसकी किस्मत बदल जाएगी,,, (अंकल ने फिर से शरारती लहजे में कहा)

मैंने भी हँसते हुए कहा - तो बस अंकल समझ लो की आज से ही इस फ्लैट की किस्मत खुल गई (और फिर हम दोनों जोर जोर से हंसने लगे)

अंकल मुझे फ्लैट में घूम कर सारे कमरे दिखाने लगे,, सारे कमरे साफ़ सुथरे और बढ़िया तरीके से सजाये हुए थे,,, शायद मौसा जी रोज यहाँ आते होंगे ,,, और वो पक्का यहाँ रंगरलिया मनाते होंगे (मैंने अपने मन में सोचा)

सारे कमरे तो मैं घूम कर देख चुकी थी जिस से पता चलता था की मौसा जी फ्लैट मैं तो नहीं हैं, अब मैं सोच रही थी की शायद वो बाद में आएंगे,,

खैर मैं और अंकल ऐसे ही हँसते हुए और बातें करते हुए सोफे पर बैठ कर कोल्ड ड्रिंक पीने लगे,,, अंकल बोले - कुछ भी कहो कोमल, तुम जितनी खूबसूरत हो उतनी ही खुश मिजाज भी हो,,,

मैंने कहा - अंकल, मैं इतनी भी ज्यादा खूबसूरत नहीं हूँ,,, जितनी बार आपने सुबह से मुझे बोल दिया है,,,

अंकल बोले - अरे कोमल, अभी तक तो मैंने तुम्हारी तारीफ कुछ भी नहीं की,, मैं तुम्हारी तारीफ इस लिए नहीं कर रहा की कही तुम नाराज मत हो जायो,, (अंकल ने मुस्कराते हुए कहा)

मैंने कहा - अंकल, भला कोई ऐसी लड़की भी होगी जो अपनी तारीफ सुनकर नाराज हो जाएगी,, बल्कि मैं तो अपनी तारीफ सुनकर और भी खुश हो जाउंगी,, (मैं अंकल के मुंह से अपनी तारीफ सुनने के लिए उतावली थी,,, और मैं तो कब से चाह रही थी की अंकल कुछ रोमांटिक मूड में आ जाएँ) 

मैंने फिर से हँसते हुए कहा - अंकल,, आप जितनी भी तारीफ करनी चाहते हो कर लो,, मैं जरा भी नाराज नहीं होंगी,,,

अंकल बोले - अच्छा,, तो सच बताओं तो कोमल,, तुम इतनी खूबसूरत हो की तुमसे नजर हटाने के मन नहीं करता,,, जब तुम हंसती हो तो और भी खूबसूरत लगती हो,,, और तुम्हारी यह काली लम्बी जुल्फें इतनी खूबसूरत हैं की इनके आगोश में खो जाने का मन करता है (साथ ही अंकल ने मेरे कंधे पर लटक रही मेरी पोनी में अपनी उँगलियाँ घुमाते हुए कहा)

अंकल फिर से बोले - कोमल, तुम्हारी यह आँखें इतनी सुन्दर हैं की इनकी गहराई में डूब जाना चाहता हूँ,, तुम्हारे यह होंठ,, यह गाल और यह ठोड़ी,, सब कुछ तो खूबसूरत है,,, (अंकल मेरे और भी करीब आ चुके थे और उनकी उँगलियाँ  भी मेरे चेहरे और मेरे होंठों पर घूम रही थी)

मैं अंकल की हर बात सुन रही थी मगर ना तो उनको रोक रही थी और ना ही कुछ बोल रही थी,, अंकल ने फिर से मेरे बालों की तारीफ करते हुए कहा - अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं इन जुल्फों को खोल कर इनसे प्यार करना चाहता हूँ,,,, मैं अंकल को कुछ बोल पाती उस से पहले ही अंकल ने मेरी पोनी से हेयर रिंग निकाल दी और मेरी जुल्फें खुलकर मेरे कंधे पर ही बिखर गई,,, अंकल मेरे बालों के नजदीक अपना चेहरा करते हुए उनकी खुसबू लेने लगे और अपने एक हाथ से मेरे गाल को मसलने लगे,,, मानो की अंकल मदहोश होकर मुझसे प्यार करने लगे थे,,

मैं भी अंकल की इस मदहोशी में उनका साथ देने लगी और अपना एक हाथ उनकी जांघ पर रख दिया,, अंकल मेरे बालों में अपनी नाक घुसाते हुए मेरी गर्दन तक पहुँच चुके थे और मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया,, मेरी गर्दन पर उनका उनका चुम्बन क्या हुआ,,, मेरे मुंह से हलकी से आअह्ह्ह्ह निकाल गई,, जो अंकल के कानों में खो गई,,, अंकल भी शायद इसी ग्रीन सिग्नल के इंतजार में थे,, उन्होंने मेरी गर्दन और मेरी गाल पर चुंबनों की बौछाड़ कर दी,, और फिर एक ही झटके में सोफे से उठ कर मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे होंठों को अपने मुंह में ले लिया,,, मैं भी अंकल का साथ देने लगी,,, अंकल का लंड उनकी पेंट खड़ा होकर मेरे बूब्स से टकराने लगा था,, और अंकल भी उसे मेरे बूब्स पर रगड़ रहे थे,,

मैंने पेंट के ऊपर से ही एक हाथ से अंकल का लंड पकड़ लिया और दूसरा हाथ अंकल की छाती और उनके चेहरे पर घुमाने लगी,, अंकल का एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे और दूसरा हाथ मेरी पीठ को सेहला रहा था और जिस से अब वो मेरे एक मंमे को (चुची को) दबा रहे थे,,,

अंकल का लंड पेंट के बीच में से ही उछल उछल कर मेरे दोनों मंमों को चुम रहा था,,, और मैं भी उसे अपने हाथ में लिए अच्छे से मसल रही थी,,, पता नहीं कितनी देर तक अंकल मेरे होंठों को चूसते रहे और फिर मेरी आँखों में ऑंखें डाल कर मुस्कराने लगे,, मैं भी उनकी तरफ देखकर मुस्कराने लगी,, अंकल का लंड अभी भी मेरे हाथ में था,, अंकल ने अपने लंड की तरफ देखते हुए कहा - क्यों कोमल,, पसंद आया मेरा लंड,,,,

मैंने कहा - पसंद तो रास्ते में ही आ गया था,,, जब आपने मुझे इस पर बिठा दिया था,,,

अंकल बोले - अगर उसी वक़्त पसंद आ गया था तो फिर उठ क्यों गई थी,,, बैठी रहती ना,,,

मैंने कहा - उठने का मन तो मेरा उस वक़्त भी नहीं था,,, और आप कहते हो तो अब बैठ जाती हूँ,,,

अंकल बोले - क्यों नहीं जानेमन,,, मैं तो कल से ही तुम्हें अपने लंड पर बिठाना चाहता हूँ,, जब से तुमको देखा है,, आ जाओ बैठ जाओ मेरे लंड पर (अंकल ने सोफे पर बैठते हुए कहा)

अंकल का लंड अभी भी पेंट में ही था,, मैं भी सोफे से उठ कर अंकल की गोद में उनकी छाती से अपनी पीठ लगाकर बैठ गई,, उनका लंड फिर से मेरी गांड की दरार में एडजस्ट हो गया,, अंकल ने अपने दोनों हाथों से मी मंमे पकड़ लिए और जोर जोर से मसलने लगे,, साथ ही नीचे से अपने लंड के झटके मेरी गांड पर मारने लगे,, 

अंकल अपनी नाक और होंठ मेरे बालों में घुमाने लगे और साथ ही मेरी गर्दन को चूमने लगे,, अंकल ने मेरी कमीज को ऊपर उठाया और उतार फेंका,, मेरी ब्रा में से मेरे गोल मटोल मंमे आधे बाहर झलक रहे थे,, अंकल मेरे गोरे मंमों को दबा दबा कर उनके साथ खेलने लगे और फिर मेरी ब्रा को भी उतार फेंका,, अब तो मेरे दोनों मंमे बिलकुल आजाद हो चुके थे,, अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा - यही सही रहेगा या अंदर बैडरूम में चलें,,, 

मैंने कहा - अब यही पर,, दूसरी बार बैडरूम में,,,,,

अंकल बोले - क्या बात है कोमल,, तीसरी बार किचन में और चौथी बार बाथरूम में,,,,

मैं हंसने लगी और कहा - हर कमरे में एक एक बार,,,, अंकल भी मेरी बात को सुनकर हंसने लगे और फिर अंकल ने मुझे सोफे पर ही लिटा दिया और खुद मेरे पाँव के पास बैठकर मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और फिर उसे भी उतार दिया,,, अब मेरे जिस्म पर एक पैंटी ही बची थी,, उसे भी अंकल ने अपने हाथों से निकाल दिया,,,

फिर अंकल ने झट से अपने कपडे भी उतार दिए,, उनका काला मुसल लंड मेरी चुत में घुसने के लिए फुंकारे मार रहा था,, 

अंकल फिर से पाँव के बीच बैठ गए और बिना वक़्त गवाए अंकल ने मेरी दोनों टांगों को फोल्ड करते हुए अपना लंड मेरी चुत के मुंह पर रख दिया,,, ओह्ह्ह्ह मेरी फुद्दी तो लंड को देखते ही पानी छोडने लगी थी,, मेरी फुद्दी के दोनों होंठ खुलने मिलने लगे थे जैसे वो लंड को अपने अंदर समां लेने के लिए बेकरार हो,,, अंकल ने अपने लंड का सूपड़ा मेरी फुद्दी में रखते ही अपने लंड को अंदर धकेल दिया,, आआह्ह्ह्हह्ह आअह्ह्ह्हह क्या मस्त लंड था,,,, मेरे मुंह से सिसकारियों को बारिश शुरू हो गई,,, मेरी गीली फुद्दी में अंकल का लंड घुसता ही चला जा रहा था,, कुछ ही पलों में अंकल ने जड़ तक अपना लंड मेरी फुद्दी में पेल दिया था और अब वो मेरे ऊपर लेट कर जोर जोर के धक्के लगा रहे थे,,

मेरी दोनों टाँगें हवा में उठी हुयी अंकल के धक्कों के साथ आगे पीछे हो रही थी,, मैं तो जैसे सोफे के गद्दे में धसी पड़ी थी,, और अंकल मुझ पर अपना सारा वजन डाल कर मेरी फुद्दी को और चौड़ा करने में लगे थे,,, अभी एक दिन पहले ही तो मौसा जी ने मेरी फुद्दी को चौड़ा किया था,, अंकल का लंड मेरी फुद्दी के रस से पूरा भीग चूका था और जड़ तक मेरे अंदर घुस रहा था,, सच में जब मैं किसी मर्द के नीचे ऐसे ही दबी पड़ी होती हूँ तो उस से बढ़िया पल और मेरे लिए कोई नहीं होता,,, मेरी सिसकारियां अब और भी ज्यादा आवाज में गूंज रही थी,, 

लगातार 15 मिंट से अंकल मुझे ऐसे ही चोद रहे थे,, मेरी फुद्दी में से वीर्य निकल चूका था और अब अंकल भी झड़ने के कगार पर ही थे, क्योंकि वो पहले से ज्यादा तेजी से अपना लंड मेरी फुद्दी में घुसा रहे थे

फिर अंकल ने एक झटके से अपने लंड को मेरी फुद्दी से बाहर निकाला और सीधा मेरे चेहरे की तरफ कर दिया,, मैं लंड को अपने मुंह में ले पाती उस से पहले ही लंड से निकली पिचकारी ने मेरे मुंह को भिगो कर रख दिया,, एक के बाद एक पिचकारी मेरे मुंह पर, मेरे बालों में और मेरे मंमों पर गिरने लगी,, अंकल के वीर्य से मेरा पूरा बदन भर चूका था

इस चुदाई के बाद हम दोनों ही थक चुके थे,, मैं जैसे सोफे पर लेटी हुई थी वैसे ही लेटी रही और सोफे के दूसरी तरफ अंकल भी लेट गए,,, मैं अपने चेहरे और मंमों से अंकल का वीर्य साफ करने लगी,, अंकल का लंड ढीला पड़ चूका था,,  

करीब 10  मिंट के बाद एंकल का लौड़ा फिर से सख्त होने लगा, एंकल ने मुझे अपने ऊपर आने के लिए कहा,, मगर मैंने कहा - नहीं,, यहाँ नहीं,, अब दूसरे रूम में,,  (और मैं हंसने लगी और मेरी बात सुनकर एंकल भी हंसने लगे)


फिर हम लोग दूसरे रूम में चले गए और एंकल नीचे लेट गए और मैं एंकल के ऊपर चढ़ गई,, ऐसे ही अलग अलग कमरों में अलग अलग पोज़ बना कर एंकल ने मुझे चोदा,, किचन में भी घोड़ी बना कर चोदा एंकल ने मुझे,,, पूरी दुपहर हम दोनों ने वहां पर चुदाई की, और फिर एंकल मुझे बोले की अब मार्किट चलते हैं,, तो हम दोनों मार्किट में चले गए,, वहां से एंकल ने मुझे कुछ  ब्रा-पेंटीस और कुछ मेकअप का सामान लेकर दिया,,, और बोले के घर वापिस जाने से पहले एक फिर से वो मुझे चोदेगे ,,

मैंने कहा - ठीक है एंकल,,, फिर से हर कमरे में एक एक बार,, और फिर हम दोनों हॅसने लगे,,,