अब आगे - कहानी की दूसरा भाग
पहला भाग - चाची की चुदाई (चाची के भाई ने की)
चाची को आता देख मैं जल्दी से सीढ़ियों के नीचे छिप गया,,, चाची बिलकुल
नंगी ही बैडरूम से बाहर आई और अपने गोल मटोल बड़े बड़े चूतड़ मटकाती हुई रसोई
में चली गई,, चाची का भाई भी अपने लंड से कंडोम उतारता हुआ बाहर आ गया और
लॉबी में पड़े डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ गया,, थोड़ी देर बाद चाची भी
रसोई से जूस के दो गिलास लेकर आई और टेबल पर रखते हुए अपने भाई के पास ही
बैठ गई ।
दोनों की पीठ मेरी तरफ थी और मैं
चाची के मोटे मोटे चूतड़ बिलकुल साफ़ देख रहा था,, उनकी गोरी गोरी पतली कमर
और उस पर काले रेशमी बाल बिखरे हुए क्या गजब डा रहे थे,,
चाची अपने भाई को जूस का गिलास पकड़ाते हुए बोली - लो भैया,, पहले जूस पियो,, फिर मैं चाय भी बनाती हूँ,,
चाची
का भाई चाची के कंधे के ऊपर से हाथ घुमाता हुआ चाची के कान और गाल को
सहलाता हुआ बोला - अरे नहीं कामिनी,, चाय को छोड़ो,, आज तो कुछ और पीने का
मन है,,,,
चाची भी अपने भाई की तरफ झुक कर मुस्कराती हुई बोली - क्या पीने का मन है आज भैया,,
चाची का भाई बोला - सोच रहा हूँ की अब ख़ुशी भी जवान हो गई है,, और देखने में भी जबरदस्त माल है,, और तो और मैंने उसको कई बार लड़कों के साथ होटल में घुसते और बाहर निकलते देखा है,, बस बहना,, आज तो उसी का रस पीने की तम्मना है ,, बस उसकी चुत चोदने को मिल जाये फिर तो मजा आ जाये,,, (अब तक चाची के भाई का हाथ चाची की चूची तक पहुँच चूका था और वो उस से खेल रहा था)
चाची
बोली - अरे भैया,, उसको चोदना कौन सा मुश्किल काम है,, बस जरा सी गरम करने
की देरी है,, मेरी तरह वो भी तुम्हारे नीचे होगी, और मुझे मेरे ससुर जी
बता रहे थे की जैसे कमर हिला हिला कर ख़ुशी चुत देती है,, वैसे तुम और
शालिनी भी नहीं देती,,, (चाची ने एक हाथ से अपने भाई के लंड को पकड़ते हुए कहा)
चाची का भाई - अच्छा,, तो इसका मतलब तुम्हारा ससुर,, तुम तीनों को चोद चूका है,, वो बूढ़ा अपनी पोतियों की चुत का स्वाद भी चख चूका है,, (चाची के भाई ने चाची की चूची को जोर से दबाते हुए कहा)
चाची
फिर से बोली - सिर्फ ससुर ही नहीं,, मेरा जेठ भी शालिनी और ख़ुशी को चोद
चूका है, और हम तीनों एक साथ उसके लंड से चुद चुकी हैं,, बड़ा ही दमदार लंड
है मेरे जेठ का,, एक बार खड़ा हो जाये तो दुबारा बैठने का नाम नहीं लेता,, (चाची ने भी अपने भाई के लंड को खींचते हुए कहा)
अपने पापा के लंड की तारीफ सुनकर मैं बहुत खुश हो रहा था,, मगर मुझे तो अब
तक यह पता ही नहीं था की मेरे पापा इतने मजे लूट रहे हैं और मैं हाथ से
हिला हिला कर लंड को शांत करता हूँ,,
चाची का भाई फिर से बोला - तो ठीक है कामिनी,, फिर तो आज रात को ही ख़ुशी की चुत का सवाद चख लेता हूँ,, बस तुम अपने नामर्द पति को आज छत पर सुला देना,, बाकि का काम मैं खुद कर लूंगा,,
चाची फिर से बोली - अरे उस नामर्द की तुम चिंता मत करो, वो तो वैसे ही आज रोहन के साथ दुकान के किसी काम से दिल्ली जा रहे हैं,, बस तुम ख़ुशी को पेलने की तैयारी करो,, और फिर देखना की पूरी रात वो तुमको कैसे खुश करती है,,
चाची का भाई बोला - हाँ वो तो ठीक है,, मगर समझ नहीं आ रही की उस से शुरुआत कैसे करूँ,, कैसे पटाऊँ उसको,,,
चाची
बोली - अरे भैया पटाने की क्या जरूरत है,, बस तुम सीधा चोदने के तैयारी करो ,,, मैं शालिनी को समझा दूंगी,, आज वो मेरे
कमरे में सो जाएगी,, ख़ुशी अपने कमरे में अकेली रह जाएगी, और तुम उसके साथ
जाकर लेट जाना,, उसके बाद तुम को क्या करना है वो बताने की जरूरत नहीं ,,,,
चाची का भाई बोला - हाँ यह सही
रहेगा,, रात को सोते वक़्त जब उसकी गांड से अपना लंड रगडूंगा तो वो खुद ही
मचलने लगेगी मेरा लंड लेने के लिए,,
चाची फिर से बोली - हाँ भैया , मगर एक बात का ख्याल रखना,, तुम्हारा यह मुसल लंड बहुत बड़ा है,, पता नहीं अभी तक उसने ऐसा लंड लिया भी है या नहीं,, थोड़ा ध्यान से चोदना उसको,,,
चाची का भाई बोला - अरे कामिनी,, इस बात की तुम चिंता मत करो, आराम से चोदुँगा ख़ुशी को,, आखिर वो मेरी बहन की बेटी है,, (और फिर से वो दोनों हँसने लगे)
जिस तरह से चाची अपनी बेटियों को ही खुद चुदवाने की बात कर रही थी,, उस से मैं बहुत हैरान हो रहा था,, मगर फिर सोचा की अच्छा ही है ना, अब मेरा लंड चुत के लिए ज्यादा देर नहीं तड़पेगा,, मैं भी आज रात को ही प्लैन बना कर चाची और शालिनी की चोदने की तैयारी करता हूँ ,, क्योंकि ख़ुशी तो आज अपने मामा से चुदने के लिए बुक हो गई है (मैं फिर से मन में सोचने लगा)
चाची का भाई फिर से बोला - कामिनी देखो ना,, ख़ुशी की चुत की ख़ुशी में मेरा लंड कैसे फनफना उठा है,,
चाची भी लंड को सहलाती हुई बोली - क्या करें,,, ख़ुशी है ही ऐसी,, वो तो बूढ़ों का लंड भी खड़ा कर दे,,, मगर अभी तो इसे ख़ुशी की माँ चोदनी है,,, ख़ुशी की बारी तो रात को आएगी,,
चाची
का भाई बोला - आये हाय,, तो आजा फिर कामिनी,, पहले ख़ुशी की माँ को चोद
देता हूँ,, अब तो मैं ख़ुशी की माँ की गांड मरूंगा,,, (साथ ही उसने चाची की
कमर में हाथ डालकर खींचते हुए चाची को अपने लंड पर बैठा लिया )
चाची भी
हँसते हुए फुदक कर लंड पर बैठ गई और फिर चाची के भाई ने कुर्सी पर बैठे
बैठे ही चाची की गांड में अपना लंड घुसेड़ना शुरू कर दिया,
चाची बोली - क्या कर रहे हो भैया,, धीरे धीरे घुसेड़ो मेरी गांड में,, बहुत मोटा लौड़ा है तुम्हारा ,,, मुझे दर्द होता है,,
चाची
का भाई गांड में लंड घुसेड़ता हुआ बोला - आह्ह कामिनी,,,, यह लौड़ा तो
कितनी बार घुसा है तेरी गांड में,, अब इसको सही से पता है की कैसे घुसना
है तुम्हारी गांड में,,
चाची
बोली - ओह्ह्ह्ह भैया,,, सूखा ही घुसा दिया मेरी गांड में, कुछ तेल या
क्रीम लगा लेते तो अच्छे से घुस जाता,,,, (चाची आँखें बंद करके ऐसे मुंह
बनाते हुए बोली जैसे उसको बहुत दर्द हो रहा हो)
चाची का भाई चाची की गांड में लंड घुसेड़े हुए ही खड़ा हो गया और साथ में ही चाची को उठा लिया,, उसने चाची की टांगों को घुटनों के नीचे से पकड़ा हुआ था और चाची की पीठ उसके पेट के साथ लगी हुई थी,,
मैं सीढ़ियों के नीचे से यह नजारा देख रहा था,, चाची
तो उसकी बाहों में ऐसी लग रही थी जैसे कोई छोटी सी गुड़िया हो,, उसका लंड
अभी भी चाची की गांड में आधा घुसा हुआ था,, और चाची दर्द के मारे आह्ह्ह्ह
आआह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह भैया चिला रही थी,,,
चाची
का भाई चाची को ऐसे ही उठाये हुए फिर से बैडरूम में ले गया,, मैं भी जल्दी
से सीढ़ियों के नीचे से निकल कर खिड़की से अंदर देखने लगा,,
चाची
का भाई चाची को वैसे ही उठाये हुए एक अलमीरा के पास ले गया और दराज खोलते
हुए बोला - चल ले बहना,, जो भी क्रीम लेनी है गांड में लगाने के लिए,,,
चाची ने वैसे ही हवा में लटके हुए दराज में से एक क्रीम निकाली और अपने हाथ पर ढेर सारी क्रीम लगा ली,, और फिर अपना हाथ नीचे लीजाते हुए अपने भाई के आधे लंड पर जो अभी तक उसकी गांड से बाहर था, उस पर क्रीम लगा दी,,, चाची लंड पर क्रीम लगाते हुए भी चिला रही थी,,
फिर चाची के भाई ने अपने लंड पर चाची को दबाना शुरू कर दिया और उसका लंड
चाची की गांड में और ज्यादा घुसने लगा,, चाची अभी भी आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह
करते हुए चिला रही थी,,, चाची का भाई चाची को वैसे ही उठाये हुए ऊपर नीचे
करने लगा और साथ में अपनी गांड को हिला हिला कर भी अपना लंड चाची की गांड
के अंदर बाहर करने लगा,,,
ओह्ह्ह यार, ऐसी चुदाई देखकर मेरे लंड
से रहा नहीं जा रहा था,, मैंने भी अपना लंड अपनी पेंट से बाहर निकाला और
मुठ मारने लगा,, धीरे धीरे चाची की गांड में उसके भाई का सारा लंड घुस चूका
था,, चाची का भाई अब और भी स्पीड से चाची की गांड मारने लगा था,, और उसका
लंड भी अब चाची की गांड में आसानी से अंदर बाहर हो रहा था,, मगर चाची अभी
भी मजा लेते हुए जोर जोर से चिला रही थी,, आअह्ह्ह्ह चोद मेरे बहनचोद
भैया,, अपनी बहन की गांड को अच्छे से चोद,,, बहुत मजा आ रहा है भैया,,, ओह
भैया,,,, चोद जोर जोर से चोद,,,,,, आअह्हह्ह्ह्ह,,,
चाची
का भाई भी जितनी तेजी से चाची को चोद रहा था, उतनी ही तेजी से मैं भी अपने
लंड की मुठ मार रहा था,, अचानक से मेरी नशों में कसावट आने लगी और मेरे
लंड से वीर्य की पिचकारी निकल कर खिड़की पर जा
गिरी,, और बाकि की कुछ पिचकारियां नीचे टाइलस पर गिर गई,, मैंने अपने लंड
को जोर जोर से झटका ताकि वीर्य की जितनी भी पिचकारियां निकलनी है निकल
जाएँ,,,
अंदर का माहौल अभी भी वैसे ही चल रहा था,, चाची और चाची के भाई की चुदाई जोरों पर चल रही थी,, मगर मेरी सारी की सारी आग अब निकल चुकी थी,, और लंड एकदम से मुरझा चूका था,, इस लिए मैं वहां से पीछे के रास्ते से ही निकल आया,, और सीधा अपने घर आ गया,,,
तो दोस्तों,, उम्मीद है की आपको मेरी यह कहानी जरूर पसंद आई होगी,,, मुझे कमेंट करके जरूर बताना,,,
अभी इसके आगे का किस्सा भी आपको सुनाऊंगा,, क्योंकि इतनी चुदकड़ चाची और उसकी बेटियों को चोदे बिना भला मैं कैसे रह सकता था,, और मैंने कैसे उन तीनों को चोदा वो कहानी लेकर भी जल्द ही आपकी सेवा में हाजिर हूँगा
धन्यवाद

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