हाय राम, अब क्या होगा. मुझे तो बहुत शर्म आएगी. बहुत दर्द होगा क्या. क्या मेरा बदन मेरे पति को पसंद आएगा. कहीं पूरे कपड़े तो नहीं उतार देंगे. इस तरह के ख़याल कंचन के दिमाग़ में आने लगे. कंचन के पति पलंग पर उसके पास बैठ गये और उसका घूँघट उठा के बोले, “ कंचन तुम तो बहुत ही सुन्दर लग रही हो.”
कंचन सिर नीचे किए बैठी रही.
राजेश - “ कुछ बोलो ना मेरी जान. अब तो तुम मेरी बीवी हो. और आज की रात तो तुम्हारा ये खूबसूरत बदन भी मेरा हो जाएगा.”
कंचन बोलती तो क्या बोलती. राजेश ने कंचन के मुँह को हाथों में लेकर उसके होंठों को चूम लिया.
राजेश - “ उफफफफफ्फ़! क्या रसीले होंठ हैं. जिस दिन से तुम्हें देखा है उसी दिन से तुम्हें पाने के सपने देख रहा हूँ. मैने तो अपनी माँ से कह दिया था कि शादी करूँगा तो सिर्फ़ इसी लड़की से.”
“ ऐसा क्या देखा आपने मुझमे?” कंचन ने शरमाते हुए पूछा.
राजेश - “ हाए , क्या नहीं देखा. इतना खूबसूरत मासूम चेहरा. बड़ी बड़ी आँखें. लंबे काले बाल. वो कातिलाना मुस्कान. तराशा हुआ बदन. जितनी तारीफ़ करूँ उतनी कम है.”
कंचन - “ आप तो बिकुल शायरों की तरह बोल रहे हैं. सभी लड़कियाँ मेरे जैसी ही होती हैं.”
राजेश - “ नहीं मेरी जान, सभी लड़कियाँ तुम्हारे जैसी नहीं होती. क्या सभी के पास इतनी बड़ी चूचियाँ होती हैं?” राजेश कंचन की चूचिओ पर हाथ फिराते हुए बोला. कंचन मर्द के स्पर्श से सिहर उठी. उसे याद आ गया की पहली बार सुधीर ने कैसे उसकी चूचियाँ दबाई थी,,
कंचन - “ छोड़िए ना, ये क्या कर रहे हैं.?”
राजेश - “ कुछ भी तो नहीं कर रहा. बस देख रहा हूँ कि क्या ये चूचियाँ दूसरी लड़कियो जैसी ही हैं” राजेश कंचन की चूचिओ को दोनो हाथों से मसल रहा था. फिर राजेश ने कंचन के ब्लाउस का हुक खोल कर उसका ब्लाउस उतार दिया. अब कंचन सिर्फ़ ब्रा में थी. राजेश ने कंचन को बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा और उसकी नंगी पीठ सहलाने लागा और फिर उसने कंचन की ब्रा का हुक भी खोल दिया. कंचन की बड़ी बड़ी चूचियाँ आज़ाद हो गयी.
राजेश - “ हाए कंचन क्या ग़ज़ब की चुचियाँ हैं.” काफ़ी देर चुचिओ से खेलने के बाद राजेश ने कंचन की सारी को उतरना शुरू कर दिया. कंचन घबरा रही थी की अब पता नही क्या क्या होने वाला है.
कंचन - “ ये, ये क्या कर रहे हैं प्लीज़ सारी मत उतारिये.”
राजेश कंचन के गालों को चूमते हुए बोला - “ मेरी जान आज तो हमारी सुहाग रात है. आज भी सारी नहीं उतारोगी तो कब उतारोगी? और बिना सारी उतारे हमारा मिलन कैसे होगा? शरमाना कैसा ? अब तो ये खूबसूरत बदन मेरा है. लड़की से औरत नहीं बनना चाहती हो.?” कंचन की सारी उतर चुकी थी और अब वो सिर्फ़ पेटिकोट में थी.
कंचन - “ लेकिन आप क्या करना चाहते हैं? ऊऊओई मा!” राजेश का एक हाथ पेटिकोट के ऊपर से उसकी चूत सहलाने लगा.
राजेश कंचन की चूत को मुट्ठी में भरते हुए बोला - “ तुम्हें औरत बनाना चाहता हूँ.” ये कह कर राजेश ने कंचन के पेटिकोट का नाडा खींच दिया. अब तो कंचन के बदन पे सिर्फ़ एक पैंटी ही बची थी. राजेश ने कंचन को अपनी बाहों में ले कर उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी पेंटी भी उतार दी. अब कंचन बिल्कुल नंगी हो चुकी थी. शर्म के मारे उसका बुरा हाल था. वो जांघों के बीच में चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी.
राजेश - “ बाप रे कंचन, ये झांटें हैं या जंगल. मेरा अंदाज़ा सही था. तुम्हें पहली बार देख के ही समझ गया था कि तुम्हारी टाँगों के बीच में बहुत बाल होंगे. लेकिन इतने लंबे और घने होंगे ये तो कभी सोचा भी नहीं था.”
कंचन ने शरमाते हुए कहा - “ हाए,,,, लाइट बंद कर दीजिए प्लीज़.”
राजेश - “ क्यों मेरी जान. इस खूबसूरत जवानी को देखने दो ना.” राजेश ने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया. राजेश का तना हुआ लंड देख कर कंचन की साँस रुक गयी. क्या मोटा और लंबा लंड था. मगर फिर भी उसके भाई विकी की लंड जैसा मोटा और लम्बा नहीं था,, राजेश का लंड देखते ही उसे विकी कल लंड याद आ गया,, . राजेश ने कंचन का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रख दिया.
राजेश - “ देखो मेरी जान ये ही तुम्हें औरत बनाएगा. 8 इंच का है. छोटा तो नहीं है?”
कंचन - “ जी, ये तो बहुत बड़ा है” कंचन घबराते हुए बोली. (हालाकी वो जानती थी की विकी का लंड इस से बड़ा है)
राजेश - “ घबराओ मत, एक कच्ची कली को फूल बनाने के लिए मोटे तगड़े लंड की ज़रूरत होती है. सब ठीक हो जाएगा. जब ये लंड तुम्हारी इस सेक्सी चूत में जाएगा तो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा.”
कंचन - “ छी.... कैसी गंदी बातें करते हैं आप ?”
राजेश - “ इसमे गंदी बात क्या है? इसको लंड ना कहूँ और तुम्हारे टाँगों के बीच के चीज़ को चूत ना कहूँ तो और क्या कहूँ ?. पहली बार चुदवा रही हो. तीन चार बार चुदवाने के बाद तुम्हारी शरम भी दूर हो जाएगी. आओ बिस्तर पर लेट जाओ” राजेश ने कंचन को बिस्तर पे चित लिटा दिया और कंचन की टाँगों के बीच में बैठ कर टाँगों को चौड़ा कर दिया. अब तो कंचन की चूत बिल्कुल नंगी राजेश के सामने थी.
राजेश “ ऊफ़ कंचन! क्या फूली हुई चूत है तुम्हारी. अब तो तुम्हारे इस जंगल में मंगल होने वाला है.” राजेश ने कंचन की टाँगें मोड़ के घुटने उसके सीने से लगा दिए. इस मुद्रा में तो चूत की दोनो फाँकें बिल्कुल खुल गयी थी और दोनो फांकों के बीच में से चूत के गुलाबी होंठ झाँक रहे थे. राजेश अब कंचन की फैली हुई टाँगों के बीच में उसकी चूत को और यहाँ तक की गांड के छेद को भी आसानी से और खूब अच्छी तरह से देख रहा था.
घनी झांटों को चूत पर से हटाते हुए राजेश काफ़ी देर तक कंचन की जवानी को आँखों से चोदता रहा. शरम के मारे कंचन पागल हुई जा रही थी. कंचन ने दोनो हाथों से अपना चेहरा ढक लिया. किसी अजनबी के सामने इस प्रकार से चूत फैला के लेट्ना तो दूर आज तक नंगी भी नहीं हुई थी वो. कंचन शरम से पानी पानी हुई जा रही थी. राजेश ने अपने तने हुए लंड का सूपड़ा कंचन की चूत के खुले हुए होंठों के बीच छेद पे टीका दिया. कंचन सिहर उठी और उसके मुँह से एक कातिलाना आवाज़ में सिसकारी निकल गयी,, कंचन ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. वो सोच रही थी की उसकी कुँवारी चूत में एक ही पल में लंड घुस जाएगा और वो एक कची कली से खिला हुया फूल बन जाएगी.
राजेश ने हल्का सा धक्का लगा के लंड के सूपड़े को कंचन की चूत के होंठों के बीच फँसाने की कोशिश की,,
कंचन - “ आअहह उउउइई,,. धीरे प्लीज़.” कंचन इतना ज़्यादा शर्मा गयी थी कि उसकी चूत भी ठीक से गीली नहीं थी. राजेश ने दो तीन बार फिर अपना लंड चूत में घुसेड़ने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहा, राजेश ने भी पूरी तैयारी कर रखी थी. पास में ही तेल का डब्बा पड़ा हुआ था. राजेश ने अपना लंड तेल के डब्बे में डूबा दिया. और तेल में सने हुए लंड को एक बार फिर कंचन की चूत पे रख के ज़ोर का धक्का लगा दिया.
कंचन - “ आआआअ…………….ईईईईईईई. ऊऊऊ….फ़.ह. ऊ..ओह. बहुत दर्द हो रहा है.” राजेश का लंड कंचन की चूत के छेद को चौड़ा करता हुआ 2 इंच अंदर घुस चुक्का था. आज ज़िंदगी में पहली बार कंचन की चूत का छेद इतना चौड़ा हुआ था.
राजेश -“ बस मेरी रानी, थोड़ा सा और सह लो फिर बहुत मज़ा आएगा.” ये कहते हुए राजेश ने लंड बाहर खीचा और फिर से एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया.
कंचन - “ उूऊउईईईईईईई म्म्माअम्माआअ माआआआ………..! मर गयी………मैं. ईइसस्स्स्स्स्सस्स…….. आआआआआआ…ऊऊऊऊहह. प्ली…….से, छोड़ दीजिए. और नहीं सहा जा रहा.” राजेश का मोटा लंड इस धक्के के साथ 4 इंच और अंदर जा चुक्का था.
राजेश - “अच्छा ठीक है अब कुच्छ नहीं करूँगा बस!” वो बिना कुच्छ किए कंचन के होंठों का रस चूसने लगे और चूचिओ को मसल्ने लगा. जब कुछ राहत मिली और कंचन का कराहना बंद हुआ तो राजेश ने धीरे से लंड को पूरा बाहर खींचा और कंचन की टाँगों को उसके सीने पे दबाते हुए बिना बताये पूरी ताक़त से ज़ोर का धक्का लगा दिया.
“आआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईई……………आआहह. ऊऊऊऊऊऊऊओह, ऊओफ़…. आआअहगह……….मुम्मय्ययययययययययययी……………मा छोड़ दीजिए एयाया…ह प्लीईआसए….हाथ जोड़ती हूँ. ऊऊओिईईईईईईईईईईई…… माआ…….” इतना भयंकर दर्द ! बाप रे ! कंचन को ऐसा लगा जैसे उसकी चूत के अंदर कुच्छ फॅट गया था. राजेश का लंड पूरा का पूरा कंचन की चूत में जा चुक्का था और राजेश के बॉल्स कंचन की गांड पे टिक गये थे. कंचन की आँखों में आँसू आ गये थे. दर्द सहा नहीं जा रहा था. राजेश ने कंचन के होंठ चूमते हुए कहा,- “ कंचन, मेरी रानी, बधाई हो. अब तुम कच्ची कली नहीं रही, फूल बुन चुकी हो.”
कंचन कुच्छ नहीं बोली. राजेश ने काफ़ी देर तक लंड को अंदर ही पेले रखा और कंचन की चूचिओ और होंठों को चूमता रहा. जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो राजेश ने लंड पूरा बाहर खींच के पास पड़े तेल के डब्बे में फिर से डूबा दिया. उसके बाद तेल टपकता हुआ लंड कंचन की चूत के छेद से टीका कर एक और ज़ोर का धक्का लगा दिया. लंड कंचन की चूत को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर धँस गया.
“ आआआहा…..ईईईईईईईई. ऊऊओफ़.”
“ बस मेरी जान, पहली बार तो थोड़ा दर्द होता ही है. इसके बाद पूरी ज़िंदगी मज़े करोगी.” ये कहते हुए राजेश ने धक्के लगाने शुरू कर दिए. लंड कंचन की चूत में अंदर बाहर हो रहा था. दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था. कंचन ज़ोर ज़ोर से कराहती जा रही थी लेकिन वो बिना परवाह किए धक्के लगाते जा रहा था. अब तो राजेश ने पूरा लंड बाहर निकाल के एक ही धक्के में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया था. कंचन की चूत तो बिल्कुल चरमरा गयी थी. बहुत दर्द हो रहा था. इतने में राजेश के धक्के एकदम से तेज़ हो गये और फिर राजेश कंचन के ऊपर ही ढेर हो गया.
कंचन को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई उसकी चूत में पिचकारी चला रहा हो. राजेश झाड़ चुका था और कुछ देर उसके उपर ही लेटे रहने के बाद वो वॉशरूम चला गया. कंचन के अंग अंग में दर्द हो रहा था. कंचन ने उठ के अपनी टाँगों के बीच में देखा तो बेहोश होते होते बची. उसकी चूत बुरी तरह से सूजी हुई थी और उसमे से खून और राजेश के वीर्य का मिश्रण निकल रहा था. बेड शीट भी खून से लाल हो गयी थी. कंचन की चूत के बाल तेल, वीर्य और खून से चिप चिप हो रहे थे.
अपनी चूत की ये हालत देख के कंचन एक बार तो रो पड़ी. उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे. इतने में राजेश बाथरूम से बाहर निकल आया. उसका लंड सिकुड के लटक रहा था लेकिन अभी भी काफ़ी ख़तरनाक लग रहा था. कंचन को रोते देख वो कंचन के पास आ कर बोला,“ क्या बात है कंचन ? बहुत दर्द हो रहा है?”
राजेश कंचन की टाँगें चौड़ी करके उसकी चूत की हालत देख कर मुकुराते हुए बोले, - “ पहली, पहली चुदाई में ऐसा ही होता है मेरी जान. मेरा लंड भी तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदते हुए छिल गया है. आओ बाथरूम में चल के सॉफ कर लो.”
राजेश ने कंचन को उठा के खड़ा किया और बाहों में भर के चूम लिया. उसके बाद कंचन को नंगी ही अपनी बाहों में उठा कर बाथरूम में ले गया और एक स्टूल पे बैठा दिया. फिर कंचन की टाँगें चौड़ी करके उसकी चूत पे पानी डाल के धोने लगा. कंचन को बहुत शर्म आ रही थी और दर्द भी हो रहा था. राजेश ने खूब अच्छी तरह से कंचन की झांटें और चूत सॉफ की और फिर कपडे से पोंछ भी दिया. कंचन की झाँटें सुखाने के बाद राजेश बड़े ध्यान से उसकी फैली हुई टाँगों के बीच देखने लगे. कंचन तो शरम से पानी पानी हो गयी,
कंचन -“ अब हमे छोड़िए ना.. ऐसे क्या देख रहे हैं ?”


Social Plugin