कंचन भी विकी के इस उतावलेपन को अच्छे से पहचानती थी,, बल्कि उसका इरादा तो अब कुछ और था,, कंचन आज तक काई बार विकी को अपनी पैंटी के दर्शन करा चुकी थी, कंचन सोचने लगी थी की क्यों ना इस बार अपनी नंगी चूत के भी दर्शन करा दूं. विकी को इस प्रकार तड़पाने में कंचन को बहुत मज़ा आने लगा था. उसे मालूम था विकी उसे चोदने के ख्वाब देखता है. और जब से कंचन ने उसका लंड देखा था तभी से कंचन ने भी ठान लिया था कि शादी के बाद विकी से ज़रूर चुदुन्गी.
शादी से पहले वो अपना कुँवारापन नहीं खोना चाहती थी. इसके इलावा किसी भी कुँवारी चूत के लिए विकी का मूसल लंड बहुत ख़तरनाक था और उसकी कुँवारी चूत बुरी तरह से फॅट सकती थी, और अगर नहीं भी फटती तो इतनी चौड़ी हो जाती की उसके होने वाले पति को पता चल जाता की कंचन कुँवारी नहीं है. क्योंकि वो जानती थी के पापा के मोटे लंड ने मम्मी की चूत का क्या हाल कर रखा था वो तो कंचन खुद ही देख चुकी थी.
क्योंकि विकी का लंड देखने का बाद कंचन की रातों की नींद उड़ गयी थी और इस दौरान रात को मम्मी पापा के कमरे से आती हुई आवाज़ों को देखने के लिए वो एक दो बार अपने मम्मी पापा की चुदाई खिड़की से चोरी चोरी देख चुकी थी,, जब उसकी मम्मी उसके पापा का मोटा सा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी तो वो देख कर दंग रह गयी थी,, और फिर जब उसके पापा ने अपना लंड उसकी मम्मी की फटी हुई चूत में डाला था तो उसने साफ साफ देखा था की उसकी मम्मी की चूत कैसे फूली हुई थी और उसके दोनों होंठ कैसे बाहर को खुले हुए थे,, कितनी भयंकर लग रही थी मम्मी की चूत,,, उसकी अपनी चूत तो उसकी मम्मी की चूत के सामने बच्ची थी अभी..
आख़िर एक दिन कंचन को मौका मिल ही गया विकी को अपनी चूत दिखाने का,, उसके मम्मी पापा को कंचन की शादी की तैयारी के लिए कंचन के मामा के यहाँ जाना था,, और वो रात को वहीं रुकने वाले थे,, कंचन और विकी घर पर अकेले ही थे,, इस से अच्छा मौका कंचन को कभी नही मिलने वाला था और वो इस मौके का पूरा फ़ायदा लेना चाहती थी,, कंचन ने अपना घागरा पहन लिया और नीचे से पैंटी भी उतार दी,,,
विकी कमरे में बैठा टीवी देख रहा था,, कंचन उसके सामने वाले सोफे पर बैठ गई और अपनी टाँगे फैलाते हुए सामने वाले टेबल पर रख दी,, जिस से विकी के सामने उसकी टाँगे खुल गई और उसको घागरे के बीच में से कंचन की टाँगे दिखने लगी,, हलाकि कंचन ने अपना घागरा नीचे को लटका रखा था,, जिस से विकी को कंचन की चूत तो दिखाई नहीं दे रही थी,, फिर भी जिस तरह से कंचन बैठी थी, उस से विकी को कुछ दिखने की उम्मीद जरूर हो गई थी.
अगर वो अपना घागरा थोड़ा भी ऊपर उठाती तो विकी टाँगों के बीच में झाँक सकता था. कंचन भी टीवी देखने के बहाने उसी तरह से बैठी रही,, मगर विकी की नजरें तो कंचन के घागरें में ही अटकी पड़ी थी. वो बेचारा तो कंचन की पैंटी की झलक पाने की उम्मीद में था. मगर उसे क्या पता था की आज उसको कंचन की चूत का खुला मैदान ही देखने को मिल जायेगा.
पहले
तो कंचन उसे कुछ देर तक ऐसे ही तड़पाती रही,, मगर फिर उसे विकी पर तरस आने
लगा और उसने अपनी चूत विकी के सामने पेश करने का मन बना लिया,, कंचन ने
अचानक से टेबल से अपनी टाँगे उठाई और सोफे पर अपने पैर रख कर बैठ गई,, उसने
अपने घुटनों को भी चौडा कर लिया,, अब कंचन के
घागरे का नीचे वाला हिस्सा नीचे था और ऊपर वाला हिस्सा उसके घुटनों के ऊपर
था, और उसकी झांटों से भरी हुयी चूत बिलकुल नंगी विकी के सामने थी,,,
विकी की आँखें फटी की फटी रह गयी,, कंचन की नंगी चूत विकी की आँखों के सामने थी. विकी ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की की चूत देख रहा था. गोरी गोरी मांसल जांघों के बीच में लंबी काली झांटेँ और उनके बीच में से झाँकती हुई कंचन की डबल रोटी के समान फूली हुई चूत,,,
विकी
का लंड उसकी पैंट में ही छलांगे लगाने लगा था,, विकी ने आज वो देख लिया था
जिस की उसको उम्मीद भी नहीं थी,, कंचन की चूत के ऊपर लहराते हुए घुंगराले
बाल देख कर विकी पागल हुए जा रहा था,,, कंचन से नजरें बचा कर विकी अपने
मुसल लंड को सहलाने लगा,, कंचन भी आज विकी को अपनी चूत देखने का पूरा मौका
देना चाहती थी, वो काफी देर तक ऐसे ही घुटने उठाये हुए अपना सर घुटनों के
ऊपर रख कर टीवी देखती रही और फिर अचानक से खड़ी हो गई
"कंचन के अचानक उठ जाने से विकी हड़बड़ा कर सीधा हो गया"
“अरे तुझे इतना पसीना क्यों आ रहा है विकी ? तू ठीक तो है ना ?” कंचन ने विकी के माथे पर हाथ रखते हुए पूछा. पसीना आने का कारण तो कंचन को अच्छी तरह मालूम था. ऐसा ही पसीना उसे भी उस दिन आया था जिस दिन उसने विकी का मोटा लौड़ा देखा था. विकी की पैंट का उभार भी छुप नहीं रहा था.
विकी ने जल्दी जल्दी किसी तरह अपनी पैंट के उभार को छुपाया और हड़बड़ाता हुया कुछ भी सही नही बोल पाया,,
“ अच्छा चल खाना खा लेते हैं.” कंचन ने मन ही मन मुस्कराते हुए कहा.
फिर दोनो ने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे.
कंचन - “ विकी जा कपड़े बदल ले. और आज तुम मेरे साथ ही लेट जाना.”
विकी - “ दीदी आपके साथ क्यों?”
कंचन - “ क्यों तू मेरे साथ नहीं लेट सकता और वैसे भी आज तुम्हारी तबीयत कुछ ठीक नही लग रही, इस लिए मेरे पास रहेगा तो मैं तेरा अच्छे से ध्यान रखूँगी?”
वैसे तो विकी अपने कमरे में जाकर कंचन की चूत को याद करते हुए अपने लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाने के बारे में सोच रहा था,, मगर वो कंचन के साथ सोने का मौका भी नहीं खोना चाहता था,, मगर फिर भी उसने नाटक करते हुए कहा - “ नहीं नहीं दीदी, अब आप जवान हो गयी हो. आपके साथ सोने में मुझे शरम आती है.”
कंचन - “ ओ ! तो तुझे मेरे साथ सोने में शर्म आ रही है. ठीक है,, मैं तो चली सोने.” अगर मेरे साथ सोना हो तो अपने कपडे बदल कर आ जाना," ये कह कर कंचन अपने रूम में जाकर लेट गयी.
विकी काफ़ी देर तक बैठा सोचता रहा और फिर उठ के बाथरूम चला गया और लूँगी पहन ली,,. फिर विकी कंचन के रूम में आ कर उसके पास बैठ गया. कंचन चुप चाप सो रही थी,
विकी ने लाइट बंद करदी , कंचन विकी की तरफ पीठ करके लेटी हुई थी. और विकी के लेटने की जगह भी छोड़ रखी थी. विकी ने देखा की कंचन ने अभी भी घागरा पहना हुया था, आज उसने अपने कपड़े नही बदले थे,, विकी सोचने लगा शायद आज दीदी ज़्यादा काम करने की वजह से थक गयी हो और इसी लिए जल्दी सो गयी है,,
विकी सोचने लगा की चलो अछा है,, गहरी नींद में सो रही दीदी की चूत को वो अच्छे से देख पाएगा,,
कंचन भी सोने का बहाना करते हुए कुछ ऐसा ही सोच रही थी,, की जब विकी गहरी नींद में होगा तो वो उसका बड़ा लौड़ा अच्छे से हाथ में पकड़ कर देखेगी.. वैसे वो यह भी जानती थी की विकी को आज नींद कहाँ आने वाली थी, विकी कंचन के साथ ही लेट गया,, क्योंकि कमरे में एक ही बिस्तर था,, काफ़ी देर तक सोने का बहाना करते हुए कंचन ने अपना घागरा घुटनों से ऊपर तक खींच लिया था. कमरे में हल्की हल्की लाइट में मेरी गोरी गोरी झांघे चमक रही थी. करीब एक घंटे तक विकी ऐसे ही लेटा रहा और कंचन की टाँगों और झांघों को घूरता रहा, फिर वो धीरे से कंचन को हिला के फुसफुसाया, “ दीदी ! दीदी!. सो गयी क्या?
कंचन देखना चाहती थी की विकी क्या करता है,, इस लिए वो गहरी नींद में सोने का बहाना करती रही.
“ दीदी ! दीदी !” विकी इस बार थोड़ा और ज़ोर से हिलाता हुआ बोला. लेकिन कंचन ने कोई जबाब नहीं दिया. अब उसे विश्वास हो गया कि कंचन गहरी नींद में सो रही है. फिर अचानक कंचन को महसूस हुआ जैसे उसका घागरा ऊपर की ओर सरक रहा हो. कंचन का दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. वो विकी का इरादा अच्छी तरह से समझ रही थी.
विकी
ने धीरे धीरे से कंचन का घागरा उसके चूतड़ों तक उठा दिया,, कंचन के गोल
मटोल चूतड़ विकी के सामने नंगे हो गए थे, उफ्फ्फ क्या नजारा था,, इसी बदन को
देखने के लिए विकी कब से तरस रहा था,, आज तो विकी किस्मत उस पर बहुत
मेहरबान थी,, आज उसे वो सब मिल रहा था जिस की उसने कभी कल्पना भी नहीं की
थी,, उधर कंचन का भी बुरा हाल हो रहा था,, उसने तो आज पैंटी भी नहीं पहनी
थी और इस वक़्त वो नीचे से बिलकुल नंगी थी, उसकी चूत में कुछ कुछ होने लगा
था,,
“ दीदी ! दीदी!” विकी एक बार फिर फुसफुसाया. मगर कंचन सोने का बहाना किए पड़ी रही. उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ. काफ़ी देर तक मोटे चूतड़ों के देखने के बाद विकी आहिस्ता से सरक के कंचन के साथ चिपक गया. कंचन के बदन में तो मानो बिजली का करेंट लग गया हो. विकी का तना हुआ लौड़ा कंचन के चूतड़ों से चिपक गया. कंचन को भी विकी के लंड की गर्मी अपने चूतड़ों पर महसूस होने लगी. विकी धीरे धीरे अपना लौड़ा कंचन के चूतड़ों से रगड़ने लगा.
कंचन की चूत के होंठ फड़फड़ाने लगे थे और उसकी चूत बुरी तरह से गीली होने लगी थी. कंचन की सांसे भी तेज होने लगी थी मगर वो किसी न किसी तरह अपने आप को संभाले हुए थी,,, विकी ने अपना लंड कंचन के चूतड़ों की दरार के बीच में रख दिया,,, और उसे आगे पीछे करके हिलाने लगा,,
उफ्फ्फ कंचन को ऐसा मजा पहले कभी नहीं
आया था,, "जो लंड चूतड़ों पर रगड़ने से इतना मजा दे सकता है वो चूत और गांड
के अंदर घुस कर कितना मजा देता होगा "- कंचन मन ही मन सोच रही थी,, मगर अब
उससे अपनी सिसकारियां और तेज सांसे कंट्रोल नहीं हो रही थी,,, वो ना चाहते
हुए भी थोड़ा सा हिल कर बिस्तर पर उलटी लेट गई और अपनी दोनों टांगों को भी
खोल दिया,, कंचन भी यही चाह रही थी की विकी उसके चूतड़ों की दरार के अंदर तक
अपना लंड रगड़ सके ,,
मगर कंचन के अचानक हिलने से विकी सेहम गया और उसने अपना लंड झट से लुंगी में छिपा लिया,, मगर जब उसने देखा की कंचन फिर से सो गई है तो उसने फिर से कंचन के चूतड़ों को अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया,, जैसे जैसे विकी उसके चूतड़ों को मसल रहा था, कंचन की टाँगे भी उतनी ही खुलती जा रही थी,, एक बार तो उसका मन किया की वो विकी का लंड पकड़ कर अपनी चूत के उपर दबा दे,, और कस के विकी से लिपट जाए,, मगर फिर वो यह सोच कर बिना हिले जुले लेटी रही की कुछ ही महीनों में उसकी शादी होने वाली है,, अगर आज विकी के मोटे लंड ने उसकी नाज़ुक चूत को फाड़ दिया तो पता नही सुहाग रात तक उसकी चूत ठीक हो पाएगी या नही.
विकी को ऐसा मौका फिर कहाँ मिलने वाला था,, वो इस मौके का पूरा फ़ायदा लेना चाहता था,, हालाकी उसको यह तो पता था की उसको दीदी की चूत तो नही मिलने वाली,, मगर वो अपनी दीदी की चूत पर अपना लंड रगड़ कर ही मज़ा लेना चाहता था,, विकी उठ कर कंचन की दोनों टांगों के बीच में आ गया और कंचन के ऊपर झुक कर फिर से अपना लंड कंचन के चूतड़ों की दरार में रगड़ने लगा,, अब
तो कंचन ने भी अपनी टाँगे खोल रखी थी और विकी भी जिस तरह से कंचन के ऊपर
झुक कर उसके चूतड़ों पर लंड रगड़ रहा था उस से विकी का लंड कंचन की गांड के
छोटे से सुराग पर भी रगड़ खाने लगा और उसकी फूली हुयी गीली झांटों के साथ भी
रगड़ने लगा,
कंचन
की चूत और भी गीली होने लगी,, और विकी का लंड भी कंचन की चूत के रस से भीग
कर और भी सख्त होने लगा ,, दोनों भाई बहन के लिए यह पहला मौका था और दोनों
ही इस मौके का पूरा पूरा मजा लेना चाहते थे,,
विकी लंड रगड़ने के साथ साथ कंचन के मुलायम चूतड़ों को अपने हाथ से मसलने लगा और फिर धीरे धीरे से उसका हाथ कंचन की चूत की तरफ बढ़ने लगा,, कंचन को कुछ भी नही सूझ रहा था की अब वो क्या करे,, उसे तो डर लगने लगा था की कहीं विकी जोश जोश में उसकी चुदाई ही ना कर डाले.
आख़िर विकी का हाथ कंचन की चूत पर उसकी गीली झांट में पहुँच गया,, विकी को अपनी उंगलियों पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुया,, मगर वो समझ नही पाया की यह दीदी की चूत से रस टपक रहा है,, विकी ने चूत गीले बालों में अपनी उंगलियाँ घुसेड़ते हुए कंचन की फूली हुई चूत को सहला दिया,, उफ़फ्फ़ कंचन के मुँह से हल्की सी आह्ह्ह्ह निकल गयी,, जिसे विकी सुन नही पाया,, या फिर उसके अपने ही मुँह से निकल रही तेज सासों में उसे सुनाई नही दी.
चूत को सहलाते हुए विकी ने अपने लंड का सुपाड़ा भी अपने हाथ से कंचन की चूत पर दबा दिया,, लंड का दबाव चुत पर पड़ते ही कंचन को ऐसा लगा जैसे उसकी चूत भी उस मोटे लंड को अपने भीतर समा लेने के लिए अपने होंठ खोल रही हो,,, उसने अपनी चूत को एकदम से भींच लिया,, इस सारी हरकत से विकी का लंड भी इतना ज़्यादा अकड़ गया था की जोश जोश में विकी ने अपने लंड का एक झटका कंचन की चूत के छेद पर दे मारा..
ऊवई मा...विकी तो सच में मेरी चुदाई पर उतर आया है,, कंचन विकी के इस धक्के से घबरा गयी और उसने नींद टूट जाने का बहाना करते हुए एक अंगड़ाई ली,, वैसे भी अब उसके लिए ज़्यादा नाटक कर पाना मुश्किल हो रहा था,, विकी ने झट से अपना लंड पीछे हटा लिया और कंचन का घागरा भी उसके चूतड़ों पर डाल दिया और फिर कंचन की तरफ पीठ करके लेट गया,,
कंचन ने भी करवट लेते हुए विकी की तरफ देखा तो वो विकी दूसरी तरफ चेहरा करके लेटा हुया था,, कंचन ने अपनी चूत पर हाथ लगाया तो उसकी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी,, कंचन को पता था की उसकी चूत से बहुत ज़्यादा पानी छोड़ेगी,, जो इस वक़्त उस से संभाला नही जाएगा,, क्योंकि भले ही कंचन ने अपनी चूत में अभी तक लंड नही घुस्वाया था,, लेकिन अपनी उंगली से अपनी चूत का पानी बहुत बार निकाला था,,,
कंचन जल्दी से उठी और बाथरूम मे घुस गयी,, जल्दी से भागते हुए भी उसकी चूत से निकलता पानी उसकी झांघों तक आ गया,, फिर उसने खुद ही अपनी उंगली चूत में घुसाते हुए अपना ढेर सारा पानी बाथरूम के फर्श पर ही गिरा दिया. जब कंचन शांत हो कर बाथरूम से बाहर निकली तो विकी भी बिस्तर पर नही था,, कंचन समझ गयी की वो भी अपने बाथरूम में अपने लंड का पानी निकाल रहा होगा. कंचन अपने बिस्तर पर सो गयी,, मगर काफ़ी देर तक जब वो नही आया तो कंचन समझ गयी की विकी अपने रूम में सो गया होगा.
किसी ना किसी तरह रात गुजर गयी और अगले दिन उनके मम्मी पापा भी आ गया,,,
कंचन को मालूम था कि यह बात विकी के पेट में रहने वाली नहीं है. जैसे ही उसका दोस्त सुधीर घर पे आया दोनो में ख़ुसर पुसर शुरू हो गयी. कंचन कान लगा कर उनकी बातें सुनने लगी.
सुधीर - “ क्या हाल है यार,,, सुना है तुम्हारी दीदी की सगाई हो गयी”
विकी - “ हाँ यार,, हो गयी है,, कुछ ही महीनों में उसकी शादी होने वाली है”
सुधीर - “ दिल मत तोड़ विकी. तेरी दीदी की शादी हो गयी तो मेरा दिल टूट जाएगा. किस्मत वाला होगा जो तेरी दीदी की जवानी से खेलेगा. अपनी दीदी से एक बार बात तो करवा दे. हम भी अपनी किस्मत भी आजमा लें.”
विकी - “तेरी किस्मत का तो पता नही पर मेरी किस्मत ज़रूर खुल गयी.”
सुधीर - “ वो कैसे ? नंगी देख लिया या चोद ही दिया अपनी दीदी को?”
विकी - “ चोदना अपनी किस्मत में कहाँ? लेकिन काफ़ी कुछ कर लिया.”
सुधीर - “ पूरी बात बता ना यार. पहेलियाँ क्यों बुझा रहा है?”
विकी - “ हाय यार क्या बताऊ, मेरा लंड तो सोच सोच के ही खड़ा हुआ जा रहा है. एक दिन दीदी जब सोफे पर टाँगे चौड़ी करके बैठी थी तो उनकी चूत देखने का मौका मिल गया यार,, क्या गजब की चूत थी,, दिल पे छुरियाँ चल गयी. गोरी गोरी मोटी मोटी जांघों के बीच में से दीदी की चूत बिल्कुल नंगी झाँक रही थी. ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की की चूत देखी और वो भी इतने करीब से. इतनी घनी और काली झांटें थीं. कम से कम 3 इंच लंबी तो होंगी ही. पूरी चूत झांटों से ढकी हुई थी. लेकिन दीदी की टाँगें मूडी हुई थी इस लिए चूत की दोनो फाँकें फैल गयी थी. ऊफ़ क्या फूली हुई चूत थी! फैली हुई फांकों के बीच में से चूत के दोनो होंठ मेरी ओर झाँक रहे थे. इतने बड़े होंठ थे जैसे तितली के पंख हों. मन कर रहा था उन होंठों को चूम लूँ. चूत के होंठों का ऊपरी सिरा इतना उभरा हुआ था मानो छोटा सा लंड खड़ा हो गया हो. चूत के चारों ओर के घने बाल ऐसे चमक रहे थे जैसे चूत के रस में गीले हों. मेरी दीदी ना होती तो आगे सरक कर अपना तना हुआ लौड़ा उस खूबसूरत चूत के होंठों के बीच में पेल देता.”
सुधीर - “ यार तूने तो बहुत सुन्दर मौका खो दिया. यही मौका था चोदने का.”
विकी - “ छोड़ यार कहना आसान है. रात को दीदी जब गहरी नींद में सो रही थी
तब
मैंने दीदी के चूतड़ों को नंगा करके उनके चूतड़ों की दरार में अपना लंड रगड़
दिया था,,, दीदी ने भी सोते हुए अपनी टाँगे चौड़ी कर दी थी,, जैसे उनको भी
कोई खवाब में चोद रहा हो,, पता है उनकी चूत से पानी बहने लगा था यार और
उनकी झांटें भी भीग चुकी थी, बस एक गलती हो गई मुझसे,,, वर्ना उस दिन दीदी
की चूत में अपनी ऊँगली घुसा देता,,,
"अरे क्या गलती हो गई तुझसे " - सुधीर ने उत्सुकता से पूछा,,
बस
यार जोश जोश में ऊँगली की जगह अपना लंड घुसेड़ दिया दीदी की चूत में,, जिस
की वजह से उनकी आँख खुल गई और मैं डर के अपने कमरे में भाग गया ,, -विकी ने अपने लंड को सहलाते हुए कहा
सुधीर - “ वाह बेटे विकी तू तो बहुत आगे निकल गया. तूने तो अपनी दीदी की चूत पे लंड भी टीका दिया. डर क्यों गया पेल देना था.”
विकी - “ यार मन तो बहुत कर रहा था. लेकिन यार मेरी दीदी की चूत का छेद इतना बड़ा नहीं था जिसमे मेरा लंड घुस जाए.”
सुधीर - “ विकी तू बहुत भोला है. लड़की की चूत है ही ऐसी चीज़ जो आदमी का तो क्या घोड़े का लंड भी निगल जाती है. तू भी तो उसी छोटे से छेद में से बाहर निकला है. तो क्या तेरा लंड इतना बड़ा है जो उस छेद में ना जाए? लड़की की चूत होती ही चोदने के लिए है ”
कंचन विकी की बातें सुन के शर्म से लाल हो गयी थी और साथ ही उसकी चूत भी खूब गीली हो गई थी. उसका सगा भाई उसे चोदने लिए पागल है यह सोच कर वो बहुत खुश भी थी.
इस घटना के बाद से दोनो भाई-बहन में हँसी मज़ाक बहुत बढ़ गया था और विकी अपना लंड कंचन के जिस्म से रगड़ने का कोई मौका नहीं गँवाता था. लेकिन आज तक कंचन को विकी का खड़ा हुआ लंड देखने का मौका नहीं मिला था. अब तक कंचन की हिम्मत और बढ़ गयी थी. एक दिन वो सवेरे चार बजे उठ कर विकी के कमरे में गयी. विकी गहरी नींद में सो रहा था. उसकी लूँगी जांघों तक ऊपर चड़ी हुई थी. विकी पीठ के बल लेटा हुआ था और उसकी टाँगें फैली हुई थी. कंचन दबे पावं विकी के बिस्तर की ओर बढ़ी और बहुत ही धीरे से लूँगी को उसकी कमर के ऊपर सरका दिया.
सामने का नज़ारा देख के उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी. पहली बार जब उसका लौड़ा देखा था तो इतनी घबराई हुई थी कि ठीक से देख भी नहीं पाई थी. दूसरी बार तो विकी का लंड उसकी चूत के उपर था,, मगर वो लंड को देख नही पाई, लेकिन अब ना तो कोई जल्दी थी ओर ना ही कोई डर. इतनी नज़दीक से देखने को मिल रहा था विकी का लंड. सिकुड़ी हुई हालुत में भी इतना लंबा था की पीठ पे लेटे होने के बावजूद भी लंड का सूपड़ा बिस्तर पर टीका हुआ था. इतना मोटा था कि कंचन के एक हाथ में तो नहीं आता. ऐसा लग रहा था जैसे कोई लंबा मोटा, काला नाग आराम कर रहा हो.
कंचन ने धीरे से अपना हाथ विकी के काले मोटे लंड पर रख दिया,, और विकी की ओर देखने लगी, विकी गहरी नींद में सो रहा था,, कंचन का मन कर रहा था की सहला दूं और मुँह में डाल के चूस लूँ, लेकिन वो डर रही थी की कही विकी उठ गया तो,, कंचन की चूत बुरी तरह से रस छोड़ रही थी और पैंटी पूरी गीली हो गयी थी. अब तो कंचन का इरादा और भी पक्का हो गया था कि एक दिन इस खूबसूरत लंड का स्वाद मेरी चूत ज़रूर लेगी. कंचन काफ़ी देर उसकी बिस्तर के पास बैठी उस काले नाग को निहारती रही. फिर हिम्मत कर के कंचन ने विकी के लंड को हल्के से चूमा और मोटे सूपड़े को जीभ से चाट लिया. फिर जल्दी से अपने कमरे में चली गयी
आगे जारी.....



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