कंचन -4 घर की बात घर में

उधर विकी भी इसी ताक मे था की कब उसकी दीदी की चुत के दर्शन उसे हो जाएँ, विकी को पता था की कंचन की 
5-6 दिन ही रुकेगी,, इस लिए जो भी करना है जल्दी करना है,, कंचन भी अपने भाई विकी को अपनी चुत दिखाने के लिए उतावली थी, आख़िर एसे ही 2 दिन बीत गये,, मगर घर में मॅमी पापा के होते उनको मौका ही नही मिल रहा था,, फिर विकी ने प्लैन बनाया की वो रात को दीदी के कमरे में जाएगा और जब दीदी गहरी नींद में सो रही होगी तब वो दीदी की चुत के दर्शन करेगा,, 
 
विकी रात को खाना खा कर अपने कमरे में लेटा हुया अपनी दीदी की चूत को याद करते हुए अपने लंड को हिलाने लगा,, और इंतजार करने लगा की जब सब गहरी नींद में सो जाएँगे तब वो अपनी दीदी के रूम में जाएगा,, उधर कंचन की चूत की यहाँ रोज चुदाई होती थी,, अब उसे 2 दिन से लंड नही मिला था,, ऐसे आलम में कंचन को भी कहाँ नींद आने वाली थी,, वो भी अपनी चुत को मसलते हुए अपने पती के लंड को याद कर रही थी,, भले ही हनीमून में कंचन की चूत की जितनी चुदाई हुई थी,, उस से कंचन की चूत में मीठा मीठा सा दर्द अभी भी हो रहा था,, मगर उस से भी ज़्यादा कंचन को अपने पति के लंड की कमी महसूस हो रही थी,, जिसे वो सारी सारी रात अपनी चूत में लिए हुए सो जाती थी,, और सुबह होते ही फिर से उसकी चुदाई शुरू हो जाती थी,,
 
अब तक कंचन की चुत लंड के लिए प्यासी हो चुकी थी,, काफ़ी रात बीत चुकी थी और उसे नींद भी नही आ रही थी,, तभी उसे अपने रूम का दरवाजा खुलने के आवाज़ आई... उसने अंधेरे मे ही दरवाजे की तरफ देखा तो वो विकी की परछाई को पहचान गयी,, कंचन को पता था की विकी इस तरह से रात को उसके कमरे मे क्या करने आया है,, और खुद कंचन भी तो यही चाहती थी,, इस लिए कंचन विकी को डिस्टर्ब नही करना चाहती थी,, वो अपनी टाँगे चौड़ी करके सोने का नाटक करने लगी,, कमरे मे हल्की सी रौशनी बाहर से आ रही थी,, विकी का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था,, उसे डर था की कही उसकी दीदी जाग ना जाए,, मगर उसको अपनी दीदी की चुत भी ज़रूर देखनी थी,, उसे हल्की सी रौशनी मे कंचन की गोरी गोरी टाँगे चौड़ी हुई नज़र आई,, और कंचन का गाउन भी उपर उठा हुया था ,, 
 
विकी ने कंचन की ओर देखा,, उसे लगा की कंचन गहरी नींद में सो रही है,, उसने फिर कंचन की चुत की तरफ देखा.. कंचन की चुत एक छोटी सी पैंटी से ढकी हुई थी और उस पैंटी से पहले की तरह ही काली लंबी झांट के बाल बाहर की तरफ निकले हुए थे,, विकी कंचन की टाँगों के पास आकर बैठ गया,, कंचन की टांगे तो पहले से ही खुली हुई थी,, कंचन भी बंद आँखों से देख रही थी की विकी क्या करता है,, विकी ने अपनी नाक कंचन की चुत के पास की और उसे सूंघने लगा,, कंचन को पता था की अभी कुछ देर पहले ही तो वो राजेश को याद करके अपनी चुत मसल रही थी,, और उस दौरान उसकी चुत गीली भी हो गयी थी,, इस लिए विकी को उसके वीर्य की खुसबु ज़रूर आएगी,, वैसा ही हुया,,,, विकी ने जैसे ही अपनी नाक कंचन की चूत के पास की,, तो उसे मन को मोह लेने वाली खुसबु आई,,  विकी ने एक ज़ोर की सांस खींची,, जैसे वो कंचन की चूत को महक अपने रोम रोम में बसा लेना चाहता था,,
 
विकी ने एक बार फिर से कंचन की ओर देखा,, और कंचन की गीली हुई पैंटी के उपर अपनी एक उंगली घुमा दी,, उंगली का स्पर्श लगते ही कंचन के बदन में एक बिजली सी दौड़ गयी, उसका मन तो कर रहा था की अपनी चूत उपर को उठा कर विकी की उंगली अपनी चूत में घुसा ले,, उधर विकी का भी एसा ही हाल था,, गीली पैंटी का स्पर्श देख कर उसका भी मन कर रहा था की उंगली को पैंटी के अंदर डाल कर दीदी की चूत को मसल दे,, मगर विकी डर भी रहा था,, वो अपनी उंगली को पैंटी के उपर से ही कंचन की चूत वाली जगह पर उपर नीचे करने लगा,,  कंचन को भी मज़ा आने लगा था,, मगर वो खामोशी से और बहुत ही मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल किए हुए लेटी रही,,, विकी जैसे जैसे कंचन की चूत पर उंगली घिसा रहा था, उसका अपना लंड भी टाइट होता जा रहा था,,, विकी पहले भी एक बार अपना लंड कंचन की नंगी चूत पर रगड़ चुका था,, और अब भी उसकी यही इच्छा थी की वो अपनी दीदी की चूत के अंदर ना सही,, कम से कम दीदी की नंगी चूत के उपर अपना लंड ज़रूर रगड़ेगा,,, उधर कंचन का भी बुरा हाल हो रहा था,,, जैसे जैसे विकी उसकी चूत पर अपना हाथ रगड़ रहा था,, उसकी चूत और गीली होती जा रही थी,, और वही गीलापन विकी को भी उतेज़ित कर रहा था,,

विकी ने अपनी एक उंगली कंचन की पैंटी में घुसा कर उसकी पैंटी को एक साइड पर हटाना चाहा ,, उफफफ्फ़ पैंटी के नीचे तो कंचन का डेर सारा माल चिपका हुया था,,, और उसकी पैंटी चूत की दोनों होंठों के बीच घुसी हुई थी,,, जिसको पहले वो अंधेरे और लंबी झांटके कारण देख नही पाया था,, चूत का ऐसा मदमस्त हाल देखकर विकी समझ गया की उसके जीजाजी ने उसकी दीदी की चूत को खूब रगड़ रगड़ कर चोदा है,, क्योंकि शादी से पहले कंचन की चूत के होंठ इतने खुले हुए नही थे, विकी को अपने दोस्त सुधीर की कही हुई बात याद आ गयी,, की जब एक बार चूत की चुदाई अच्छे से हो जाए तो उसके बाद चूत खुद लंड के लिए तड़पती है,, 

विकी भी समझ गया था की उसकी दीदी की चूत का जो हाल बन गया है,, ज़रूर वो भी लंड के लिए तड़प रही होगी,, और वैसे भी जिस चूत में रोज लंड घुसता हो,,, उस चूत में उंगली घुसाने से चूत को कुछ पता नही चलेगा,, विकी ने यही सोचते हुए अपनी एक उंगली कंचन की चूत के अंदर घुसा दी,, गीली और खुली हुई चूत में विकी की उंगली झट से घुस गयी,,
मगर अचानक से उंगली कंचन की चूत में घुसने से कंचन अपने आप पर काबू नही रख पाई और उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी और उसका सारा बदन अपने आप अकड़ने लगा,, जिस से कंचन की चूत ने विकी की उंगली को अपने अंदर ही भींच लिया... कंचन की सांसे तेज होने लगी,, मगर कंचन ने सोने का बहाना करते हुए अपनी टाँग को और ज़्यादा खोल दिया और अपनी एक टाँग को विकी की झांग पर टिका दिया,,
कंचन के अचानक हिलने से विकी एक बार तो डर गया और उसने अपनी उंगली को भी जल्दी से बाहर खींच लिया,, मगर उंगली चूत में डालने से उसे मज़ा बहुत आया था, गरम भट्ठी की तरह दहक रही गर्म चूत की गर्मी उसे अपनी उंगली पर अब भी महसूस हो रही थी,,, और जिस तरह से अब कंचन ने अपनी टाँग विकी की झांग पर टिका दी थी,, उस से विकी को और भी यकीन हो गया था की कंचन गहरी नींद में सो रही है.

कंचन ने भी अपनी टाँग विकी की झांग पर इसी लिए रखी थी ताकि वो यही समझे की कंचन गहरी नींद में सो रही है,, और कही वो डर के वापिस ना चला जाए,, और वैसे भी अगर विकी इतना कुछ कर रहा था तो उसे भी तो कुछ ना कुछ करना चाहिए था,, और सच तो यह था की अब कंचन की चूत में भी आग लग चुकी थी और वो भी अब विकी के लंड से चुदने को तैयार हो रही थी,, विकी का हौंसला फिर से बढ़ने लगा,, वो धीरे से कंचन की दोनों टाँगों के बीच में आ गया,, और कंचन की चूत को फिर से पैंटी के उपर से ही मसलना शुरू कर दिया,, कंचन की साँसे तेज होने से उसकी चूत कभी फुल्ती तो कभी सिमट जाती,, जिस से विकी को और भी मज़ा आ रहा था,,,, कंचन ने अपनी टांगे पूरी खोल रखी थी,, जिस से विकी को कोई प्रेशानी ना हो,,, मगर दोनों के बीच मे अब भी एक समस्या थी,, वो थी कंचन की पैंटी.. जिस को उतारे बिना कंचन की चूत की चुदाई नही हो सकती थी,,
विकी भी मन ही मन यही सोच रहा था की काश आज उसकी दीदी ने पैंटी ना पहनी होती,,, इस लिए अब कंचन को ही कुछ ना कुछ करना था,, जब तक कंचन खुद पैंटी ना निकालती,, तब तक पैंटी नही निकलने वाली थी,, कंचन सोच ही रही थी की अब उसे सोने का नाटक बंद करके खुद ही अपनी पैंटी उतार देनी चाहिए,, और अपने भैया से चुदवा लेना चाहिए,,
उधर विकी एक बार फिर से कंचन की गीली पैंटी में अपनी उंगली डाल कर पैंटी को हटाने की कोशिश करने लगा,, मगर इस बार कंचन से रहा नही गया और उसने अपनी गांड को हल्का सा उपर उठाते हुए अपने दोनों हाथों से अपनी पैंटी को उठाते हुए चुपचाप नीचे सरका दिया,, कंचन के ऐसा करने से विकी हक्का बक्का रह गया,,
उसे बिलकुल भी समझ में नहीं आया था की उसकी दीदी जाग रही है या सोते हुए यह सब कर रही है,, कंचन ने अपनी एक टाँग को फोल्ड किया और उस टाँग से पैंटी को उतार दिया,, विकी कुछ देर के लिए सहम गया,, मगर जब उसने देखा की उसकी दीदी खुद ही पैंटी उतार रही है तो वो समझ गया की शायद दीदी भी अपनी चुदाई के लिए राज़ी है,, कंचन ने पैंटी उतारते ही विकी का हाथ पकड़ा और उसे अपनी ओर खींच लिया,, विकी कंचन के उपर ही लेट गया, कंचन ने अपनी दोनों बाहें विकी के गले में डाल दी और उसकी पीठ को सहलाने लगी,,,
विकी अपनी दीदी के बदन पर जिस तरह से लेटा हुया था,, एसा मौका उसे जिंदगी में पहली बार मिला था,, मगर अभी भी वो पूरी तरह से समझ नही पाया था की उसकी दीदी सोते हुए अपना पति समझ कर उसकी पीठ सहला रही है या फिर सच में वो अपने भाई से चुदाई के लिए राज़ी हो गयी है,, खैर जो भी था विकी के लिए यह मौका एक लॉटरी से कम नही था,, 
विकी ने भी कंचन के बदन को सहलाना शुरू कर दिया और कंचन के होंठों को चूसने लगा... साथ ही उस की गर्दन, कान और गालों को भी चूमने लगा,, कंचन भी उसी तेज़ी से विकी की बदन को चूमने लगी,, दोनों भाई बहन बिना कुछ बोले, एक दूसरे से अपना बदन रगड़ रहे थे और एक दूसरे के मुँह में ज़ुबान डाल कर ज़ोर ज़ोर से चूस रहे थे,, विकी का लंड अकड़ कर कंचन की चूत से रगड़ने लगा और कंचन भी अपनी दोनों टाँगों को विकी के उपर से लिपटा कर उसके लंड का दबाव अपनी चूत पर डालने लगी,, दोनों तरफ से कामवासना पूरी तरह से भड़क चुकी थी और उनकी गर्म सांसे एक दूसरे से टकरा रही थी,,


फिर कंचन ने विकी की पीठ पर हाथ फिराते हुए उसकी बनियान को उतार फेंका और विकी ने भी कंचन के गाउन को उपर उठा कर उसके गले से निकाल दिया,,, अब कंचन पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी, कंचन के गोरे और मखमली बदन से विकी अपने चेहरे को रगड़ रगड़ कर चूमने लगा,, कंचन की उभरी हुई नंगी छाती विकी के दोनों हाथों में आ चुकी थी और विकी उन मोटे चुचों को अपने हाथों की उँगलियों में दबा दबा कर उनका दूध निकालने में लगा हुआ था,,, कंचन की रेशमी और काली जुल्फें खुलकर बिस्तर पर बिखरी पढ़ी थी,, जिस में से मदहोश कर देने वाली खुसबू आ रही थी..,

विकी ने अभी भी अंडरवेर पहना हुया था,, कंचन ने लेटे हुए ही विकी के अंडरवेर को नीचे सरका दिया और विकी ने भी अपनी टाँगे मोड़ते हुये अपना अंडरवेर निकाल फेंका.. अंडरवेअर निकलते ही विकी का तना हुआ लंड कंचन की रस से भरी हुयी चूत पर जा टकराया,,  10 इंच का लम्बा लंड चूत पर गिरते ही कंचन की चूत के होंठ फड़फड़ाने लगे,, उसकी चूत लंड को अपने अंदर समा लेने के लिए तड़पने लगी,, कंचन हवस के नशे में चूर हुयी अपनी गांड उठा कर विकी के लंड से अपनी चूत रगड़ने लगी,

कंचन की चुचियाँ सखत हो चुकी थी और उसके निपल भी तन चुके थे,, कंचन सिसकारियां भरते हुये विकी के नीचे दबी हुयी मचल रही थी,, और विकी की कमर को पकड़ कर उसके लंड का दबाव अपनी चूत पर डालने लगी,,, उधर विकी का लंड भी लोहे की लठ की तरह सख्त होकर चूत में घुसने के लिए छलांगे लगा रहा था ,, 

विकी ने अपना मोटा लौड़ा हाथ में पकड़ा और कंचन की गीली चूत के साथ रगड़ने लगा ,, मगर कंचन तो जल्दी से जल्दी अपनी चूत में लंड घुसवाने के लिए बेकरार हो रही थी,, उसने खुद अपना हाथ आगे बढ़ाते हुये विकी के लंड को हाथ में थामा और अपनी चूत के दोनों होंठों के बीच में रख दिया,, मगर विकी के लंड को हाथ में पकड़ते ही कंचन को पता चल गया की यह लंड राजेश के लंड से कही ज्यादा बड़ा है,

कंचन एक बार तो सोचने को मजबूर हो गई की राजेश का लंड ही उसकी चूत में बड़ी मुश्किल से घुसता है,, तो यह इतना बड़ा मुसल लौड़ा उसकी चूत को फाड़ कर रख देगा,, मगर अब जिस तरह से उसकी चूत लंड को अपने अंदर घुसवाने के लिए तड़प रही थी,, और उसके तन बदन में जो आग लगी हुयी थी उसे बुझाने के लिए वो कुछ भी सहने को तैयार थी,,

कंचन ने विकी के लंड को अपनी चूत के दोनों होंठों के बीच में रखते हुये विकी के कान में धीर से फुसफसाते हुये कहा -आह्ह्ह्ह,,, धीरे धीरे से अंदर डालो,, विकी,,,

कंचन के मुँह से अपना नाम सुनकर विकी को यकीन हो गया की उसकी बहन सच में अपने भाई से चुदवाने को तैयार है,, विकी ने लंड पर हल्का सा दबाव डालते हुए कहा - हा,,, ठीक है दीदी,, यह लो,,,, धीरे धीरे से ही डालूंगा
(विकी के मुँह से दीदी लफज सुनकर कंचन थोड़ी सी हँसने लगी, और साथ ही विकी भी हंस दिया,,)
कंचन ने विकी का लंड चूत के अंदर लेते हुए मुस्कराते हुए कहा - दीदी भी बोलते हो और दीदी की चूत में लंड भी घुसाते हो,, (साथ ही विकी के लंड का सूपड़ा चूत में घुसने से कंचन की
हलकी सी चीख निकल गयी )

,, तो क्या करता दीदी,, आप हो ही ऐसी कमसिन सुंदरी की हर कोई आपको चोदना चाहता है,, (विकी अपने लंड को और अंदर घुसेड़ता हुआ बोला)

जैसे जैसे कंचन की चूत में लंड घुस रहा था, उसकी टाँगे अपने आप खुलती जा रही थी,,

कंचन सिसकियाँ भरती हुयी बोली - आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,,, आह्ह्ह्ह्ह,, आअहह,, हर कोई चोदना चाहता होगा,,, विकी,, मगर तुम भी अपनी दीदी को चोदना चाहते थे, यह मैं नही जानती थी,, (साथ ही कंचन ने अपनी टाँगो उपर उठाते हुए अपनी चूत को और फैला दिया)  

कंचन की टाइट और गरम चूत में लंड घुसेड़ते हुये विकी बोला  - आहह,,, दीदी,,, बहुत बार आपको सोते हुए नंगा देखा है ,,, और जब से आपकी बालों से भरी हुई चूत देखी थी,,, तब से मेरा लंड बस आपके नाम की ही मूठ मारता था,,,,, दिन रात बस आपकी चूत के ही सपने लेता था,,,,, (विकी ने कंचन की टाँगो को पकड़ कर एक और हल्का सा झटका ल्गा दिया)

विकी का मोटा लंड चूत में घुसने से कंचन और क्राहने लगी - आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह विकी,, तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है,, धीरे धीरे घुसेड़ना मेरी चूत में..,, कही एसा ना हो की तुम्हारे जीजा का लंड लेने के काबिल ही ना रहे मेरी चूत,,,,आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

विकी कंचन की मदमस्त आवाज़ें सुनकर बेकाबू हो रहा था,, उसका मन तो कर रहा था की एक ही झटके में पूरा लंड चूत में घुसेड दे,, मगर क्या करता उसके सामने उसकी अपनी दीदी थी,, जिस को वो तकलीफ़ नही देना चाहता था,, 

इस लिए वो बड़े आराम से चूत में लंड घुसेड़ता हुया बोला - हा दीदी, धीरे धीरे ही घुसेड रहा हूँ,, मगर दीदी अब तो आपकी चूत बहुत खुल चुकी है,, अभी भी आपको दर्द हो रहा है,,,, 

कंचन फिर से क्राहते हुए बोली - आअह्ह्ह्ह,,, हा विकी,, दर्द तो होगा ही,,,तुम्हारा लंड भी तो तुम्हारे जीजू से कितना बड़ा है,, और मेरी तो अभी नयी नयी चुदाई शुरू हुई है,,, और पहले पहल तो दर्द होता ही है,,, आअह्ह्ह्ह,,,

जैसे जैसे विकी का मूसल लंड कंचन की टाइट चूत में घुसता जा रहा था,,, कंचन को अपनी चूत फटती हुई मालूम हो रही थी,, कंचन ने विकी के लंड को हाथ से पकड़ते हुए देखा की अभी तक विकी का आधा लंड ही उसकी चूत में घुसा था,,

कंचन ने विकी को कुछ देर ऐसे ही रुकने के लिए कहा,, टाइट चूत में मोटा लंड घुसेड़ने से विकी के लंड में भी दर्द हो रही थी ,,, इस लिए विकी भी कुछ देर के लिए कंचन की चूत में लंड घुसेडे हुए वही रुक गया,, 

कंचन फिर से विकी से बातें करने लगी - विकी तुम को मेरे रूम में आकर और यह सब करते हुए डर नही लगा,, अगर में इस सब के बारे में मम्मी पापा को बता देती तो... (कंचन ने विकी बालों में हाथ घूमाते हुए कहा)

विकी - डर तो लग रहा था दीदी,,, मगर जब से मैने आपकी चूत को देखा था,, मेरी तो रातों की नींद उड़ गयी थी,, और दीदी आपकी चूत पर तो में एक बार पहले भी लंड रगड़ चुका हूँ,, तब भी आप सो रही थी,,

कंचन तो उस बारे में सब जानती थी मगर फिर भी उसने हैरान होते हुए कहा - क्या,,, विकी,,, तुम पहले भी मेरी चूत पर अपना यह मूसल लंड रगड़ चुके हो ,,, बड़े हरामी भैया हो तुम,, (कंचन ने साथ ही विकी के लंड को अपने हाथ से दबा दिया,,)  और फिर बोली - लंड को सिर्फ़ चूत के उपर रगड़ा था या चूत के अंदर भी घुसाया था,,

विकी ने शरारती हँसी हंसते हुए - नही,,, दीदी अंदर तो नही घुसाया था,,, क्योंकि उस वक़्त आपकी चूत अब की तरह खुली हुई नही थी,, मगर काश में उस वक़्त भी आपकी चूत में लंड घुसेड देता,,, तो अब तक मैं मूठ मार मार के रातें नही गुज़ारता,, क्यों दीदी,, आप उस वक़्त भी मुझसे चुदवा लेती ना... (विकी ने उत्सुकता से पूछा )

कंचन - नही... विकी,,, मैं उस वक़्त तुमसे बिल्कुल भी नही चुदवाती,, और अगर मैं उस वक़्त तुमसे चुदवा भी लेती तो,, तुम्हारा यह मूसल लंड पता नही मेरी कुँवारी चूत का क्या हाल बना देता,, और फिर तुम्हारे जीजा जी मेरी चूत देखते ही पहचान जाते की यह तो पहले से ही किसी बड़े लंड से चुदी हुई है,,

बातें करते हुए कंचन एक हाथ से अपनी चूत और विकी को लंड को सहला रही थी और दूसरे हाथ से विकी के बालों को सहला रही थी,, जिस से विकी को भी बहुत मज़ा आ रहा और वो भी अपनी दीदी के उपर लेटा हुया उसके बड़े बड़े मम्मो से अपने मुंह के साथ खेल रहा था.

विकी फिर से कंचन के बदन को सहलाते हुए बोला - अच्छा दीदी,, जीजा जी को तुम्हारी कुँवारी चूत की सील तोड़ने में तो बड़ा मज़ा आया होगा,,, बहुत बार चोदा होगा जीजा जी ने तुमको ,,, और खूब रगड़ के चोदा होगा,,,, तुम्हारे जैसी चूत देखकर तो वो पागल हो गये होंगे,,

कंचन (मुस्कराते हुए) - हा,,,विकी,,, वो तो सच में पागल हो गये थे,, मेरी सील तोड़ कर,,,,, बहुत बार चोदा था उन्हुने मुझे ,,, हनीमून में भी दिन रात मेरी चुदाई ही करते थे वो,,,, देखो ना ऐसे ही थोड़ा ना मेरी चूत की यह हालत हो गयी है,, (ऐसा बोलते हुए साथ ही कंचन ने अपनी चूत का विकी के लंड पर एक हल्का सा झटका भी दे दिया,,, जिस से कंचन की गीली चूत में विकी का लंड और थोड़ा सा घुस गया)

विकी ने भी इस झटके को फिर से चुदाई शुरू करने का इशारा समझते हुए कंचन की चूत में अपने लंड का दबाव बड़ा दिया,, और साथ ही विकी कंचन की होंठों को भी चूसने लगा,,

चूत में लंड घुसता देख कंचन के मुँह से फिर से सिसकारियाँ निकलने लगी,,, और वो भी विकी का साथ देने लगी,, धीरे धीरे विकी का लंड कंचन की चूत की दीवारों को फैलाता हुए कंचन की चूत में घुसने लगा,, कंचन पूरी मस्ती में सिसकारियाँ भर भर कर विकी की पीठ दबा रही रही थी ,,, और अपनी टांगे उठाए हुए नीचे से अपनी चूत का दबाव वी विकी लंड पर बड़ा रही थी,,,,,

इस सब में विकी के लंड में भी तेज दर्द हो रहा था,,, ,,विकी को ऐसा लगा जैसे टाइट चूत की वजह से उसके लंड का सूपड़ा खिंच रहा हो,,, मगर वो बिना दर्द की परवाह किए अपने लंड को कंचन की चूत में घुसाता जा रहा था,, कंचन और विकी मदहोश हो कर एक दूसरे के बदन से चिपकते जा रहे थे,,, और एक दूसरे में समा जाने के लिए अपनी चूत और लंड का ज़ोर लगा रहे थे,,,

देखते ही देखते विकी का पूरा लंड कंचन की चूत में घुस गया,, पूरा लंड अंदर घुसते ही कंचन ने अपनी उठी हुई टाँगों को विकी की कमर से लपेट लिया,,और अपनी चूत को उपर उठाते हुए विकी के साथ चिपक गयी,, जैसे वो चाह रही थी की विकी का थोड़ा सा भी लंड उसकी चूत से बाहर ना रह जाए,,,, विकी भी यही चाहता था की वो लंड को जड़ तक कंचन की चूत में पेल दे,,, उसने भी अपने घुटनों को अड्जस्ट करते हुए एक तगड़ा झटका कंचन की चूत पर दे मारा,,,,

लंड तो पूरा का पूरा कंचन की चूत में घुस ही चुका था, अब तो ऐसे झटकों से कंचन को मज़ा ही आने वाला था,, मगर फिर भी उसके मुँह से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,,,आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ें निकल रही थी ,,,, जिसका मतलब था की अब कंचन लंड की पेलाई का मज़ा लेना चाहती थी,,, वो नीचे से अपनी गांड को गोल गोल घुमा कर विकी के लंड को अपनी चूत में अड्जस्ट करने लगी,,, विकी भी कंचन का साथ देते हुए उसकी चूत में अपने लंड को घुमाने लगा,,,

काफ़ी देर तक ऐसे ही लंड चूत की रगड़ाई का मज़ा लेने के बाद विकी ने अपना लंड कंचन की चूत से बाहर खींचा और एक ही झटके में फिर से अंदर घुसेड दिया,,, जिस से कंचन को एक हल्का सा झटका तो ज़रूर लगा,, मगर अब तक उसकी चूत की दीवारें इतनी फैल चुकी थी की विकी का मोटा लंड भी उनमें आसानी से समा गया,,, अब विकी फिर से लंड को बाहर खींचता और जल्दी से चूत के अंदर घुसेड देता,,, कंचन भी विकी के लंड को नीचे से ही उछल उछल कर लेने लगी,,,
 
कंचन की चूत में विकी का लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा था, कंचन की चूत में जब विकी का लंड घुसता तो चूत की दीवारों से रगड़ता हुया अंदर घुस जाता,, जिस से कंचन को बहुत मज़ा आ रहा था,,,, उसकी चूत से पानी की फुहारें छूटने लगी थी,,, 
 
विकी के लिए तो यह सब कुछ एक सपने से कम नही था,, वो बड़ी शिदत से कंचन के चूत को पेल रहा था और साथ ही कंचन की चुचियों को भी दबा रहा था,, अब विकी भी झड़ने की कागार पर आ चुका था,, उसने कंचन को और ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू कर दिया,,, कंचन के लिए यह ताबड़तोड़ चुदाई सहनी मुश्किल थी,, मगर फिर भी वो अपने भाई को पूरा मज़ा देना चाहती थी,,  इस लिए वो विकी के नीचे पड़ी बस मचल रही थी और सिसक रही थी ,,,
 

आख़िर विकी के लंड ने भी अपना लावा उगलना शुरू कर दिया,,, वीर्य की बौछाड़ कंचन की चूत में ही शुरू हो गयी,, विकी तेज तेज झटकों से कंचन की चूत में धके लगाने लगा,, कंचन हर धके से उपर की ओर खिसक जाती,,, उसकी नाज़ुक चूत अभी इतनी भी 
चुदकड़ नही हुई थी की वो एक बड़े लंड से जबर्दसत चुदाई करवा ले,,, विकी के आखिरी धक्के के साथ उसके वीर्य की आखिरी बून्द भी कंचन के चूत में निकल गई,, दोनों एक दूसरे के साथ कसके लिपट गए,, दोनों ही इस जबरदस्त चुदाई के मजे में खो चुके थे और अपनी कामयाबी पर खुश हो रहे थे,, धीरे धीरे विकी का लंड ढीला होने लगा और कंचन की चूत से बाहर निकल गया,,
 
कंचन की चूत विकी के रस से भर चुकी थी और अब उसका वीर्य चूत से बाहर बहने लगा था,,, दोनों ही बुरी तरह से थक चुके थे,, और फिर दोनों एक साथ बिस्तर पर लेट गए,,, दोनो भाई बहन बुरी तरह से हाँफ रहे थे,, और दोनों के बदन से पसीना निकल रहा था,,
कंचन ने अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए अपनी चूत की हालत को देखना चाहा,, कंचन की चूत का मुँह बुरी तरह से फैला हुया था,, जिस के अंदर एक साथ ही उसकी 3 उंगलियाँ आसानी से घुस गयी,, उसकी उंगलियाँ भी उसकी चूत से निकल रहे पानी से लपालप हो गयी,,,, उसकी चूत के जो हाल बन गया था उस को देखकर वो प्रेशान भी थी,,,,,, मगर आज जिस तरह से वो अपने भाई से चुदी थी,, उस से वो खुश भी बहुत थी,, उसने एक कपड़ा उठाया और अपनी चूत को सॉफ करने लगी, चूत को सॉफ करते हुए उसने कपड़े को देखा तो कपड़े पर कुछ लाल रंग का उसे दिखाई दिया,,
कंचन एक दम से घबरा कर उठी,, और अपनी चूत की तरफ देखने लगी, उसकी चूत के आस पास सच में खून फैला हुया था,, उसने डरी हुई आवाज़ में विकी को कहा - ओह्ह्ह विकी,,,, यह तुमने क्या कर दिया,,, देखो ना तुमने तो मेरी चूत ही फाड़ दी...,,,
विकी भी जल्दी से घबरा कर उठा - क्या दीदी,,, चूत कैसे फट गयी,, मैनें तो बहुत धीरे धीरे किया था,,
कंचन फिर से घबराए हुए बोली - पता नही,,,कैसे फट गयी,,, यह देख मेरी चूत कैसे खून से लथपथ है,,, विकी अगर तुम्हारे जीजाजी को पता चल गया तो मेरा क्या होगा,,, ओह्ह्ह्ह्ह विकी,,, लाइट जला कर देखो,, पता नही कहाँ से फटी है,, (कंचन ने अपनी चूत के होंठों को फैलाते हुए कहा,,,

हा,, जलाता हूँ दीदी,,,, - विकी ने बिस्तर से उतरते हुए कहा,, विकी ने जल्दी से लाइट जलाई और कंचन की चूत की तरफ देखने लगा,, सच में कंचन की चूत पर कुछ खून लगा हुया था,, तभी कंचन की नज़र विकी के लंड पर पड़ी,, तो विकी की लंड पर भी खून लगा था,,,
कंचन घबराते हुए बोली,,, ओह्ह्ह्ह विकी देखो ना तुम्हारे लंड पर भी खून लगा हुया है,, मतलब की तुमने अंदर से मेरी चूत फाड़ दी है,,,,
विकी भी घबरा कर अपने लंड की ओर देखने लगा,, सच में उसके लंड पर भी खून लगा हुया था,, विकी ने अपने लंड को पकड़ते हुए देखा,,, अभी विकी कुछ बोलने वाला ही था की विकी के लंड से खून के कुछ तुप्के बिस्तर पर गिर गये,,,
जिस से कंचन बोली -  अरे विकी यह खून तो तुम्हारे लंड से बह रहा है,,,,
विकी घबरा कर बोला - क्या मेरे लंड से,,, खून,, हा दीदी,, यह तो सच में मेरे ही लंड से बह रहा है,, और मेरे लंड में हल्की हल्की दर्द भी हो रही है,, और जब मेरा लंड आपकी चूत में था,, तो उस वक़्त मेरे लंड में दर्द भी बहुत ज़्यादा हुया था,,,
कंचन मुस्कराते हुए बोली,, - ओह्ह्ह शूकर है भगवान का,,, मतलब सब कुछ ठीक है,,,  मेरी चूत नही फटी,,, यह तो तुम्हारे लंड का टांका टूटा है,,,
विकी फिर से घबराते हुए बोला - क्या दीदी,, मेरे लंड का टांका,,, वो कैसे....
कंचन ने लंबी सांस लेते हुए कहा - बताती हूँ,,, पहले लाइट बंद करके बिस्तर पर आ जाओ,, फिर बताती हू,,,
विकी ने जल्दी से उठकर लाइट बंद करदी और फिर कंचन के साथ आकर लेट गया,, और बोला - हा अब बताओ दीदी,,, मेरे लंड से क्यों खून बह रहा है,,
कंचन ने कपड़ा लिया और विकी के लंड को साफ करते हुए बोली- विकी ,, जैसे पहली चुदाई में लड़की की सील टूटती है उसी तरह से लड़के के लंड में भी एक टांका होता है,, उसे भी तुम सील ही समझ लो,, बस वो ही सील तुम्हारी आज टूटी है,, और जिस को मैंनें तोड़ा है,,, साथ ही कंचन मुस्कराने लगी,,
कंचन की बात सुनकर विकी भी मुस्कराने लगा और बोला,, - दीदी,,, मैनें यह तो सुना है की लड़के लड़कियों सील तोड़ते हैं,, मगर एह नही सुना था की किसी लड़की ने लड़के की सील तोड़ी हो,,,
कंचन फिर से मुस्कराती हुई बोली - तो आज देख लिया ना,,, की लड़कियाँ भी किसी से कम नही हैं,,
विकी कंचन के बदन पर हाथ घूमता हुया बोला - मगर दीदी,, यह सब कुछ तुमको कैसे पता,, कही उस दिन जीजा जी की भी सील तुमने ही तो नही तोड़ी थी,,,
कंचन हल्का से मुस्कराते हुए बोली - उस दिन तो मेरी चूत से ही इतना खून निकल रहा था की मैनें तुम्हारे जीजा जी के लंड की तरफ ध्यान ही नही दिया,, मगर मैनें से यह सब स्कूल में अपनी सहेलियों से सुना था,,
अछा दीदी,,,,, तो तुम स्कूल में यह सब बातें भी करती थी,, (विकी ने कंचन के मोटे मोटे मम्मों को दबाते हुए कहा)
कंचन ने भी विकी के लंड को हाथ से टटोलते हुए और मुस्कराते हुए कहा - ,, हाँ,, तुम लड़के ऐसी बातें नही करते हो क्या,,, और फिर एक साथ ही दोनों धीमी आवाज़ में हँसने लगे,, 

विकी का लंड फिर से सखत हो रहा था,,, कंचन को पता था की विकी का मन अभी एक बार चुदाई करके नही भरा होगा,, और मन तो अभी कंचन का भी नही भरा था,, उसे तो आदत थी सारी सारी रात चुदने की,,, इस लिए कंचन विकी के लंड को सहलाते हुए बोली - विकी,, अब लंड में दर्द तो नही हो रहा,,
 
विकी ने अपने लंड को कंचन की जाँघ पर दबाते हुए कहा - नही दीदी,, दर्द तो उसी वक़्त ख़तम हो गया था,, आपकी गर्म गर्म चूत का रस पीकर,,,,, साथ ही विकी ने कंचन को होंठो को फिर से अपने मुँह में ले लिया और कंचन के उपर आते हुए उसके नंगे बदन को अपनी बाहों में कस लिया,,,

कंचन ने भी अपनी बाहें विकी की कमर से लपेट ली और उसकी पीठ को सहलाने लगी,, जैसे ही विकी कंचन की दोनों टाँगों के बीच में आया कंचन ने अपनी टांगे चौड़ी कर दी,, और विकी कंचन के उपर लेट कर अपना लंड कंचन की चूत के साथ रगड़ने लगा,,, कंचन भी अपनी चूत को विकी के लंड से रगड़ने लगी,, दोनों के बदन फिर से काम की वासना में दहकने लगे,,  अब की बार दोनों पहले से ज़्यादा देर तक चुदाई का मज़ा लेना चाहते थे..
 
विकी ने जैसे ही अपने लंड को पकड़ कर कंचन की चूत पर टीकाया,, कंचन ने भी अपनी कमर को उपर उठाते हुए विकी के लंड का सूपड़ा अपनी चूत में घुसा लिया,, लंड आसानी से कंचन की चूत में घुस गया,, और उसकी चूत तो पहले से ही गीली हो रही थी,, लंड पर थोडा सा वजन डालते ही विकी का लंड कंचन की चूत की गहराई में जाने लगा,, कंचन के मुँह से फिर से सिसकारियाँ निकलने लगी,, विकी भी अपने लंड को तेज़ी से चूत के अंदर बाहर करने लगा,, दोनों के मुँह में एक दूसरे की ज़ुबान घुसकर एक दूसरे को चूसने लगी,, कभी विकी कंचन की एक टाँग उठा कर उसकी चूत को पेलता तो कभी उसकी दोनों टाँगों को उठा कर उसकी चूत में लंड के ज़ोर ज़ोर के झटके मारता,,
 
फिर विकी ने कंचन को घोड़ी बनने के लिए कहा और कंचन झट से घोड़ी बन गयी और अपने मोटे मोटे चूतड़ उपर उठा कर विकी के सामने फैला दिए,, विकी कंचन की मोटी गांड देखकर फूला नही समा रहा था,, उसने झट से अपना लंड हाथ में पकड़ा और कंचन की गीली झाटों में से उसकी चूत को टटोल कर अपना लंड फिर से उसकी चूत में घुसेड दिया.. और कंचन के मोटे मोटे चुतड़ों को पकड़ कर मसल मसल कर उसकी चूत चोदने लगा,, दोनों पूरी रात चुदाई करते रहे,, और आख़िर दोनों थक कर एक ही बिस्तर पर लूड़क गये,, 
आगे जारी...