हैलो दोस्तो, मेरी गर्म गर्म चूत की तरफ से आपके सभी बड़े बड़े, लंबे और मोटे लण्डों को नम्सते..,,
मेरा नाम कोमलप्रीत कौर है, मगर प्यार से लोग मुझे कोमल कहते हैं। मैं शादीशुदा हूँ और मेरे पति आर्मी में हैं। मैं अपने सास-ससुर के साथ अपने ससुराल में रहती हूँ। पति आर्मी में हैं तो इस कारण में कई कई महीने लण्ड को तरसती रहती हूँ। वैसे तो मेरे आसपास गली मोहल्ले में बहुत सारे लण्ड रहते हैं, पर सास-ससुर के होते ये मेरे किसी काम के नहीं।
मेरी गली के सारे लड़के मुझे पटाने की कोशिश करते रहते हैं। मेरे मम्मे लड़कों की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं। मेरी बड़ी सी गांड देख कर लड़कों की हालत खराब हो जाती है और वो खड़े खड़े अपने लंड को हाथ में पकड़ लेते हैं। मेरे रेशमी लम्बे बालों में पता नहीं कितने लण्डों के दिल अटके पड़े हैं। मेरी पतली कमर, मेरे गुलाबी गुलाबी होंठ, लड़कों को मेरे घर के सामने खड़े रहने के लिए मजबूर कर देते हैं।
सब मुझे पटाने के हथकंडे आजमाते रहते थे, पर मैं किसी से नहीं पट रही थी। कंप्यूटर पर जरूर चैटिंग करके अपनी प्यास हाथ से बुझा लेती। चैटिंग पर मुझे लड़के अक्सर अपना मोबाइल नंबर देने और मिलने को कहते मगर मैं सबको मना कर देती। फिर भी एक-दो ने अपना नम्बर दे दिया था।
इन सब दोस्तों में एक एन.आर.आई बुड्ढा भी था। वो कुछ दिन बाद भारत आने वाला था। उसने मुझे कहा कि वो मुझसे मिलना चाहता है, मगर मैंने मना कर दिया।
कुछ दिन के बाद उसने भारत आने के बाद मुझे अपना फोन नम्बर दिया और अपनी तस्वीर भी भेजी और कहा- मैं अकेला ही इंडिया आया हूँ, बाकी सारी फॅमिली अमेरिका में हैं।
उसने यह भी कहा कि वो सिर्फ मुझे देखना चाहता है बेशक दूर से ही सही।
अब तो मुझे भी उस पर तरस सा आने लगा था। वो जालंधर का रहने वाला था और मेरा गाँव भी जालंधर के पास ही है।
अगले महीने मेरी सास की बहन के लड़के की शादी आ रही थी जिसके लिए मुझे और मेरी सास को शॉपिंग के लिए जालंधर जाना था। मगर कुछ दिनों से मेरी सास की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी तो उसने मुझे अकेले ही जालन्धर चली जाने को कहा।
जब मैंने अकेले जालन्धर जाने की बात सुनी तो एकदम से मुझे उस बूढ़े का ख्याल आ गया। मैंने सोचा कि इसी बहाने अपने बूढ़े आशिक को भी मिल आती हूँ।
मैंने नहाते समय अपनी झांटे साफ़ कर ली और पूरी सज-संवर कर बस में बैठ गई और रास्ते में ही उस बूढ़े को फोन कर दिया। उसे मैंने एक जूस-बार में बैठने के लिए कहा और कहा- मैं ही वहाँ आ कर फोन करुँगी।
मैं आपको बूढ़े के बारे में बता दूँ। वो 55-60 साल का लगता था। उसके सर के बाल सफ़ेद हो चुके थे पर उसकी जो फोटो उसने मुझे भेजी थी उसमे उसकी बॉडी और उसका चेहरा मुझे उससे मिलने को मजबूर कर रहा था।
बस से उतरते ही मैं रिक्शा लेकर वहाँ पहुँच गई जहाँ पर वो मेरा इन्तजार कर रहा था। उसने मेरी फोटो नहीं देखी थी, इसलिए मैं तो उसे पहचान गई पर वो मुझे नहीं पहचान पाया। मैं उससे थोड़ी दूर बैठ गई।
वो
हर औरत को आते हुए गौर से देख रहा था मगर उसका ध्यान बार बार मेरे बड़े बड़े
मम्मों और उठी हुई गांड की तरफ आ रहा था। वही क्या वहाँ पर बैठे सभी मर्द
मेरी गांड और मम्मों को ही देख रहे थे।
मैं आई भी तो सज-धज कर थी अपने बूढ़े यार से मिलने।
थोड़ी देर के बाद मैं बाहर आ गई और उसे फोन किया कि बाहर आ जाए। मैं थोड़ी छुप कर खड़ी हो गई और वो बाहर आकर इधर उधर देखने लगा।
मैंने उसे कहा- तुम अपनी गाड़ी में बैठ जाओ, मैं आती हूँ।
वो अपनी स्विफ्ट गाड़ी में जाकर बैठ गया, मैंने भी इधर उधर देखा और उसकी तरफ चल पड़ी और झट से जाकर उसके पास वाली सीट पर बैठ गई।
मुझे देख कर वो हैरान रह गया और कहा- तुम ही तो अंदर गई थी, फिर मुझे बुलाया क्यों नहीं?
मैंने कहा- अंदर बहुत सारे लोग थे, इसलिए!
उसने धीरे धीरे गाड़ी चलानी शुरू कर दी, उसने मुझे पूछा- अब तुम कहाँ जाना चाहोगी?
मैंने कहा- कहीं नहीं, बस तुमने मुझे देख लिया, इतना ही काफी है, अब मुझे शॉपिंग करके वापस जाना है।
उसने कहा- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुम्हें कुछ तोहफ़ा देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे साथ मेरे घर चल सकती हो?
उसका जालन्धर में ही एक शानदार बंगला था।
पहले
तो मैंने मना कर दिया पर उसके ज्यादा जोर डालने पर मैं मान गई। फिर हम
उसके घर पहुँचे। मुझे एहसास हो चुका था कि अगर मैं इसके घर पहुँच गई हूँ तो
आज मैं जरूर चुदने वाली हूँ। मगर मैं भी कई महीनों से नही चुदी थी,, इस लिए चुदाई करवाने के मन तो मेरा भी कर रहा था,,
मैं गाड़ी से उतर कर उसके पीछे पीछे चल पड़ी।
अंदर जाकर उसने मुझे पूछा- क्या पियोगी तुम कोमल?
मैने कहा -‘कुछ नहीं! बस मुझे थोड़ा जल्दी जाना है!’
वो बोला- नहीं ऐसे नहीं! इतनी जल्दी नहीं.. अभी तो हमने अच्छे से बातें भी नहीं की!
मैने कहा -‘अब तो मैंने तुम्हें अपना फोन नम्बर दे दिया है, रात को जब जी चाहे फोन कर लेना.. मैं अकेली ही सोती हूँ।’
बूढ़ा बोला - ‘प्लीज़! थोड़ी देर बैठो तो सही!’
मैंने कुछ नहीं कहा और सोफे पर बैठ गई।
वो जल्दी से कोल्डड्रिंक ले आया और मुझे देते हुए बोला- यह कोल्डड्रिंक ही पी लो फिर चली जाना।
मैंने वो ड्रिंक ले लिया। वो मेरे पास बैठ गया और हम इधर उधर की बातें करने लगे।
बातों ही बातों में वो मेरी तारीफ करने लगा।
वो बोला- कोमल.. जब जूस बार में तुम्हें देख रहा था तो सोच रहा था कि काश कोमल ऐसी हो, मगर मुझे क्या पता था कि कोमल यही है।
रहने दो! झूठी तारीफ करने की जरुरत नहीं है जी! मैंने कहा।
उसने भी मौके के हिसाब से मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा- सच में कोमल, तुम बहुत खुबसूरत हो।
मेरा हाथ मेरी जांघ पर था और उस पर उसका हाथ!
वो धीरे धीरे मेरा हाथ रगड़ रहा था। कभी कभी उसकी ऊँगलियाँ मेरी जांघ को भी छू जाती जिससे मेरी प्यासी जवानी में एक बिजली सी दौड़ जाती।
अब मेरे मन में भी कुछ कुछ होने लगा था। मगर फिर भी अपने ऊपर काबू रखने का नाटक कर रही थी जिसे वो समझ चुका था।
फिर
उसने हाथ ऊपर उठाना शुरू किया और उसका हाथ मेरे बाजू से होता हुआ मेरे
बालों में घुस गया, मैं चुपचाप बैठी रही,, मेरी साँसें गरम हो
रही थी और दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
उसका एक हाथ मेरी पीठ पर मेरे बालों में घूम रहा था और वो मेरी तारीफ पे तारीफ किए जा रहा था। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरी गाल को पकड़ा और मेरा चेहरा अपनी तरफ कर लिया।
मैंने भी अपना हाथ अपनी गाल पर उसके हाथ पर रख दिया।
उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मेरे होंठों का रस चूसना शुरू कर दिया। मैं चाहती तो उसे रोक सकती थी,,, मगर मुझे अपने होंठ चुसवाने का मज़ा ही इतना आ रहा था की मैनें उसे अपने होंठ चूसने दिए
मुझे
पता ही नहीं चला कि कब मैं उसका साथ देने लगी। फिर उसने मुझे अपनी तरफ
खींच लिया और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरे दोनों चूचे उसकी छाती
से दब रहे थे। उसका हाथ अब कभी मेरी गाण्ड पर, कभी बालों में, कभी गालों पर और कभी मेरे मम्मों पर घूम रहा था।
मैं भी उसके साथ कस कर चिपक चुकी थी और अपने हाथ उसकी कमर में डाल कर उसकी पीठ सहला रही थी
कितनी ही देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को चूमते-चाटते रहे।
फिर
उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम की ओर चल पड़ा। उसने मुझे जोर
से बेड पर फेंक दिया और फिर मेरी टाँगें पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। वो
मेरी दोनों टांगों के बीच खड़ा था।
और फिर
वो मेरे ऊपर लेट गया और फिर से मुझे चूमने लगा। इसी बीच उसने मेरे बालों
में से हेयर बैंड निकाल दिया और मेरे बालों को बिखेर कर औंकी खुसबू सूंघने लगा,
मुझे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था, अब तो मैं भी वासना की आग में डूबे जा रही थी।
फिर उसने मेरी कमीज़ को उतार फेंका।
मेरी ब्रा में से मेरे मम्मे आजाद होने को फिर रहे थे। वो ब्रा
के ऊपर से ही मेरे मम्मो को मसलने लगा और चूमने चाटने लगा,, मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी,,
उसका हाथ मेरी पजामी तक पहुँच गया। जिसका नाड़ा खींच कर उसने खोल दिया। मेरी पजामी बहुत टाईट थी जिसे उतारने में उसे बहुत मुश्किल हुई। मगर पजामी उतारते ही वो मेरे गोल गोल चूतड़ देख कर खुश हो गया।
अब मैं उसके सामने ब्रा और पैंटी में थी। उसने मेरी टांगों को चूमा और फिर मेरी गाण्ड तक पहुँच गया। मैं उल्टी होकर लेटी थी और वो मेरे चूतडों को जोर जोर से चाट और मसल रहा था।
अब तक मेरी शर्म और डर दोनों गायब हो चुके थे और फिर जब गैर मर्द के सामने नंगी हो ही गई थी तो फिर चुदाई के पूरे मज़े क्यों नहीं लेती भला।
मैं पीछे मुड़ी और घोड़ी बन कर उसकी पैंट, जहाँ पर लण्ड था, पर अपना हाथ रगड़ने लगी। मैंने उसकी शर्ट खोलनी शुरू कर दी थी। जैसे जैसे मैं उसकी शर्ट खोल रही थी उसकी चौड़ी और बालों से भरी छाती सामने आई।
धीरे धीरे मैंने उसकी शर्ट उतार दी। वो मेरे ऐसा करने से बहुत खुश हो रहा था। मुझे तो अच्छा लग ही रहा था। मैं मस्त होती जा रही थी।
मेरे
हाथ अब उसकी पैंट तक पहुँच गए थे। मैंने उसकी पैंट खोली और नीचे सरका दी।
उसका लण्ड अंडरवियर में कसा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि जैसे अंडरवीयर फाड़ कर
बाहर आ जाएगा।
मैंने अपनी उंगलियाँ ऊपर से उसके अंडरवियर में घुसा दी और नीचे को खींचा। इससे उसकी झांटों वाली जगह, जो उसने बिल्कुल साफ़ की हुई थी दिखाई देने लगी। मैंने अंडरवियर को और नीचे खींचा। उसका 7 इंच का लण्ड मेरी ऊँगलियों को छूते हुए उछल कर बाहर आ गया और सीधा मेरे मुँह के सामने हिलने लगा।
इतना बड़ा लण्ड अचानक मेरे मुँह के सामने ऐसे आया कि मैं एक बार तो डर गई। उसका बड़ा सा और लंबा सा लण्ड मुझे बहुत प्यारा लग रहा था और वो मेरी प्यास भी तो बुझाने वाला था।
मेरे होंठ उसकी तरफ बढ़ने लगे और मैंने उसके सुपारे को चूम लिया। मेरे होंठो पर गर्म-गर्म एहसास हुआ
तभी उस बूढ़े ने भी मेरे बालों को पकड़ा और मेरा सर अपने लण्ड की तरफ दबाने लगा।
मैंने मुँह खोला और उसका लण्ड मेरे मुँह में समाने लगा। उसका लण्ड मैं पूरा अपने मुँह में नहीं घुसा सकी मगर जो बाहर था उसको मैंने एक हाथ से पकड़ लिया और मसलने लगी।
बुढा भी मेरे मेरे बालों में अपना हाथ घूमाते हुए मेरे मुँह में अपने लंड के धके लगाने लगा,,
थोड़ी ही देर के बाद उसके धक्कों ने जोर पकड़ लिया और उसका लण्ड मेरे गले तक उतरने लगा। मेरी तो हालत बहुत बुरी हो रही थी कि अचानक मेरे मुँह में जैसे बाढ़ आ गई हो। मेरे मुँह में एक स्वादिष्ट पदार्थ घुल गया, तब मुझे समझ में आया कि बुड्ढा मेरे मुँह में ही झड़ गया है।
उसका माल निकलते ही उसके धक्के भी रुक गए,,, उसका माल इतना ज्यादा था कि मेरे मुँह से निकल कर गर्दन तक बह रहा था। कुछ तो मेरे गले से अंदर भी चला गया था और बहुत सारा मेरे मम्मो तक बह कर आ गया। मैं बेसुध होकर पीछे की तरफ लेट गई। और वो भी मेरे साथ ही लेट गया। इस बीच हम थोड़ी रोमांटिक बातें करते रहे।
थोड़ी देर के बाद उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मैं उसके सीने पर लेट गयी और फिर उसने पीछे से मेरी ब्रा की हुक खोल दी। मेरे दोनों कबूतर आजाद होते ही उसकी छाती पर जा गिरे। उसने भी बिना देर किये दोनों कबूतर अपने हाथो में थाम लिए और बारी बारी दोनों को मुँह में डाल कर चूसने लगा।
वो मेरे मम्मों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा,,,,..... कुछ ही देर में उसने मुझे अपने नीचे ले लिया और खुद मेरे उपर चढ़ गया, मैं उसके नीचे पड़ी पड़ी मचलने लगी और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी,
फिर वो मेरी टाँगों के बीच बैठ गया और मेरी पैंटी को पकड़ कर नीचे खींच दिया.. और अपनी जीभ मेरी चूत पर टिकाते हुए मेरी चूत को चाटने लगा,,, मेरे बदन
में जैसे बिजली दौड़ने लगी। मैंने अपनी टांगे उठाकर उसका सर अपनी दोनों जांघों के बीच में दबा
लिया और उसके सर को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी..
मैं उसके नीचे पड़ी पड़ी अपनी चूत उठा उठा कर उसके मुँह पर मारने लगी,, और ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी,,,, फिर मैंने उस बूढ़े का हाथ पकड़ते हुए ऊपर की और खींचते हुए कहा- मेरे ऊपर आ जाओ यार,,......
वो भी समझ गया कि अब मेरी फुद्दी लण्ड लेने को मचल रही है
वो मेरे ऊपर आ गया और अपना तना हुया लण्ड मेरी दोनों टाँगों के बीच रख दिया। मैंने हाथ में पकड़ कर उसका लण्ड अपनी चूत के मुँह पर टिकाया और अंदर को खींचा। उसने भी एक हल्का सा धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी गीली चूत मे थोड़ा सा घुस गया..
मेरी टाइट और गीली चूत में लंड का सुपाड़ा घुसते ही मेरी मुँह से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी,, वो बूढ़ा भी मेरी चूत में अपने लंड के धके मारते हुए मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ने लगा,, कई महीनों से मेरी चूत में लंड नही घुसा था,, इस लिए उस बूढ़े के मोटे लंड से मेरी चूत में हल्का हल्का सा दर्द होने लगा,, मगर इस दर्द के साथ ही मज़ा भी बहुत आ रहा था,, आख़िर चूत मे लंड लेने को ही तो मैं तरस रही थी,,,
अब बूढ़े का पूरा लंड मेरी चूत में घुस चुका था,, और वो ज़ोर ज़ोर से धके मारते हुए अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था,,, मैं अपनी टाँगों को उपर उठाए हुए उस के नीचे मचल रही थी,, और अपनी गांड को उपर नीचे करती हुई, उसका साथ दे रही थी,,,
कमरे में मेरी और उस बूढ़े की आअह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ें गूंज रही थी। वो मुझे बेदर्दी से पेल रहा था और मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा-उठा कर दे रही थी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा।
मैंने
घोड़ी बन कर अपना सर नीचे झुका लिया। उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला। फिर से धक्के जोर जोर
से चालू हो गए। मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो भी झड़ने वाला था। उसने
धक्के तेज कर दिए।
अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे यह बुड्ढा आज मेरी चूत फाड़ देगा। फिर एक सैलाब आया और उसका सारा माल मेरी चूत में बह गया।
वो वैसे ही मेरे ऊपर गिर गया। मैं भी नीचे उल्टी ही लेट गई और वो मेरे ऊपर लेट गया।
मेरी चूत में से उसका माल निकल रहा था। फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दी।
हम दोनों थक चुके थे और भूख भी लग चुकी थी। उसने किसी होटल में फोन किया और खाना घर पर ही मंगवा लिया।
मैंने अपने मम्मो और चूत को कपड़े से साफ़ किया और अपनी ब्रा और पैंटी पहनने लगी। उसने मुझे रुकने का इशारा किया और एक गिफ्ट पैक मेरे हाथ में थमा दिया।
मैंने खोल कर देखा तो उसमें बहुत ही सुन्दर ब्रा और पैंटी थी जो उसने आज ही मुझे मिलने से पहले खरीदी थी,,। फिर मैंने वही ब्रा और पेंटी पहनी और अपने कपड़े पहन लिए।
तभी बेल बजी, वो बाहर गया और खाना लेकर अंदर आ गया।
हमने साथ बैठ कर खाना खाया।
उसने मुझे कहा- चलो अब तुम्हें शॉपिंग करवाता हूँ।
वो
मुझे मार्केट ले गया। पहले तो मैंने शादी के लिए शॉपिंग की, जिसका बिल भी
उसी बूढ़े ने दिया। फिर उसने मुझे भी एक बेहद सुन्दर और कीमती साड़ी लेकर दी और
बोला- जब अगली बार मिलने आओगी तो यही साड़ी पहन कर आना,,,, क्यूंकि आज मुझे तेरी
तंग पजामी उतारने में बहुत मुश्किल हुई और हम दोनों हँसने लगे
फिर वो मुझे बस स्टैंड तक छोड़ गया और मैं बस में बैठ कर वापिस अपने गाँव अपने घर आ गई।
दोस्तो, आपको मेरी चुदाई की यह पहली कहानी कैसी लगी,, कॉँमेंट में जरूर बताना।
बाद में मैं आपको अपनी चुदाई की और कहानियाँ बताऊँगी। आप सबके कहानी पढ़ कर खड़े लण्डों पर एक एक चुम्बन के साथ अब मैं विदा चाहती हूँ।
आपकी सेक्सी भाभी कोमल प्रीत
मेरी ई-मेल आई डी है - komalpreetkaur29285@gmail.com

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